< 2 तवा 6 >
1 तब सुलेमान ने कहा, ख़ुदावन्द ने फ़रमाया है कि वह गहरी तारीकी में रहेगा।
১তখন শলোমন বললেন, “সদাপ্রভু বলেছেন যে, তিনি ঘন অন্ধকারে বাস করবেন৷
2 लेकिन मैंने एक घर तेरे रहने के लिए बल्कि तेरी हमेशा सुकूनत के वास्ते एक जगह बनाई है।
২কিন্তু আমি তোমার এক বসবাসের গৃহ নির্মাণ করলাম; এটা চিরকালের জন্য তোমার বসবাসের জায়গায়৷”
3 और बादशाह ने अपना मुँह फेरा और इस्राईल की जमा'अत को बरकत दी और इस्राईल की सारी जमा'अत खड़ी रही।
৩পরে রাজা মুখ ফিরিয়ে সমস্ত ইস্রায়েল সমাজকে আশীর্বাদ করলেন; আর সমস্ত ইস্রায়েল সমাজ দাঁড়িয়ে থাকলো৷
4 तब उसने कहा, ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा मुबारक हो जिस ने अपने मुँह से मेरे बाप दाऊद से कलाम किया “और उसे अपने हाथों से यह कहकर पूरा किया।”
৪আর তিনি বললেন, “ধন্য সদাপ্রভু, ইস্রায়েলের ঈশ্বর; তিনি আমার বাবা দায়ূদের কাছে নিজের মুখে এই কথা বলেছেন এবং নিজের হাতে করে এটা সফল করেছেন, যথা,
5 कि जिस दिन मै अपनी क़ौम को मुल्के मिस्र से निकाल लाया तब से मै ने इस्राईल के सब क़बीलों में से न तो किसी शहर को चुना ताकि उसमे घर बनाया जाए और वहाँ मेरा नाम हो और न किसी आदमी को चुना ताकि वह मेरी क़ौम इस्राईल का पेशवा हो।
৫যে দিন আমার প্রজাদেরকে মিশর দেশ থেকে বের করে এনেছি, সেই দিন থেকে আমি নিজের নাম স্থাপনের জন্য গৃহ তৈরীর জন্য ইস্রায়েলের সমস্ত বংশের মধ্যে কোনো নগর মনোনীত করিনি এবং নিজের প্রজা ইস্রায়েলের শাসনকর্ত্তা হবার জন্য কোনো মানুষকে মনোনীত করিনি৷
6 लेकिन मैंने येरूशलेम को चुना कि वहाँ मेरा नाम हों और दाऊद को चुना ताकि वह मेरी क़ौम इस्राईल पर हाकिम हों।
৬কিন্তু নিজের নাম স্থাপনের জন্য আমি যিরূশালেম মনোনীত করেছি ও আমার প্রজা ইস্রায়েলের শাসনকর্ত্তা হবার জন্য দায়ূদকে মনোনীত করেছি৷
7 और मेरे बाप दाऊद के दिल में था की ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए एक घर बनाए।
৭আর ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামের উদ্দেশ্যে এক গৃহ তৈরী করতে আমার বাবা দায়ূদের ইচ্ছা ছিল৷
8 लेकिन ख़ुदावन्द ने मेरे बाप दाऊद से कहा, “चूँकि मेरे नाम के लिए एक घर बनाने का ख़्याल तेरे दिल में था इसलिए तूने अच्छा किया कि अपने दिल में ऐसा ठाना।”
৮কিন্তু সদাপ্রভু আমার বাবা দায়ূদকে বললেন, ‘আমার নামের উদ্দেশ্যে একটি গৃহ তৈরী করতে তোমার ইচ্ছা হয়েছে; তোমার এইরকম ইচ্ছা হওয়া অবশ্যই ভাল৷
9 तू भी तो इस घर को न बनाना बल्कि तेरा बेटा जो तेरे सुल्ब से निकलेगा वही मेरे नाम के लिए घर बनाएगा।
৯তবুও তুমি সেই গৃহ তৈরী করবে না, কিন্তু তোমার কটি থেকে উত্পন্ন ছেলেই আমার নামের উদ্দেশ্যে গৃহ তৈরী করবে৷’
10 और खुदवन्द ने अपनी वह बात जो उसने कही थी पूरी की क्यूँकि मैं अपने बाप दाऊद की जगह उठा हूँ और जैसा ख़ुदावन्द ने वा'दा किया था मैं इस्राईल के तख़्त पर बैठा हूँ और मैंने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए उस घर को बनाया है।
১০সদাপ্রভু এই যে কথা বলেছেন, তা সফল করলেন; সদাপ্রভু প্রতিজ্ঞা অনুসারে আমি আমার বাবা দায়ূদের পদে উত্পন্ন ও ইস্রায়েলের সিংহাসনে বসে ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামের উদ্দেশ্যে এই গৃহ তৈরী করেছি৷
11 और वही मैंने वह सन्दूक़ रखा है जिस में ख़ुदावन्द का वह 'अहद है जो उसने बनी इस्राईल से किया।
১১আর সদাপ্রভু ইস্রায়েল সন্তানদের সঙ্গে যে নিয়ম করেছিলেন, তার আধার সিন্দুক এর মধ্যে রাখলাম৷”
12 और सुलेमान ने इस्राईल की सारी जमा'अत के आमने सामने ख़ुदावन्द के मज़बह के आगे खड़े होकर अपने हाथ फैलाए।
১২পরে তিনি সমস্ত ইস্রায়েল সমাজের উপস্থিতিতে সদাপ্রভুর যজ্ঞবেদির সামনে দাঁড়িয়ে অঞ্জলি করলেন;
13 क्यूँकि सुलेमान ने पाँच हाथ लम्बा और पाँच हाथ चौड़ा और तीन हाथ ऊँचा पीतल का एक मिम्बर बना कर सहन के नीचें में उसे रखा था, उसी पर वह खड़ा था, तब उसने इस्राईल की सारी जमा'अत के आमने सामने घुटने टेके और आसमान की तरफ़ अपने हाथ फैलाए
১৩কারণ শলোমন পাঁচ হাত লম্বা, পাঁচ হাত প্রস্থ ও তিন হাত উঁচু পিতলের একটি মঞ্চ তৈরী করে উঠানের মাঝখানে রেখেছিলেন; তিনি তার উপর দাঁড়ালেন, পরে সমস্ত ইস্রায়েল সমাজের সামনে হাঁটু পেতে স্বর্গের দিকে অঞ্জলি বিস্তার করলেন;
14 और कहने लगा ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा तेरी तरह न तो आसमान में न ज़मीन पर कोंई ख़ुदा है। तू अपने उन बन्दों के लिए जो तेरे सामने अपने सारे दिल से चलते है 'अहद और रहमत को निगाह रखता है।
১৪আর তিনি বললেন, “হে সদাপ্রভু, ইস্রায়েলের ঈশ্বর, স্বর্গে কি পৃথিবীতে তোমার মত ঈশ্বর নেই৷ যারা সমস্ত মনপ্রাণ দিয়ে তোমার সঙ্গে চলে, তোমার সেই দাসেদের পক্ষে তুমি নিয়ম ও দয়া পালন কর;
15 तूने अपने बन्दे मेरे बाप दाऊद के हक़ में वह बात क़ाईम रखी जिसका तूने उससे वा'दा किया था, तूने अपने मुँह से फ़रमाया उसे अपने हाथ से पूरा किया जैसा आज के दिन है।
১৫তুমি তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে যা প্রতিজ্ঞা করেছিলে তা পালন করেছ, যা নিজের মুখে বলেছিলে, তা নিজের হাতে পূরণ করেছ, যেমন আজ দেখা যাচ্ছে৷
16 अब ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के साथ उस क़ौल को भी पूरा कर जो तूने उस से किया था कि तेरे हाथ मेरे सामने इस्राईल के तख़्त पर बैठने के लिए आदमी की कमी न होगी बशर्ते कि तेरी औलाद जैसे तू मेरे सामने चलता रहा वैसे ही मेरी शरी'अत पर अमल करने के लिए अपनी रास्ते की एहतियात रखें।
১৬এখন, হে সদাপ্রভু ইস্রায়েলের ঈশ্বর, তুমি তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে যা প্রতিজ্ঞা করেছিলে, তা রক্ষা কর৷ তুমি বলেছিলে, আমার দৃষ্টিতে ইস্রায়েলের সিংহাসনে বসতে তোমার বংশে লোকের অভাব হবে না, কেবলমাত্র যদি আমার সামনে তুমি যেমন চলছো, তোমার সন্তানেরা আমার সামনে সেইভাবে চলার জন্য নিজেদের পথে সাবধান থাকে৷
17 और अब ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा जो क़ौल तूने अपने बन्दा दाऊद से किया था वह सच्चा साबित किया जाए।
১৭এখন, হে সদাপ্রভু, ইস্রায়েলের ঈশ্বর, তোমার দাস দায়ূদের কাছে যে কথা তুমি বলেছিলে, তা সত্য হোক৷
18 लेकिन क्या ख़ुदा फ़िलहक़ीक़त आदमियों के साथ ज़मीन पर सुकूनत करेगा? देख आसमान बल्कि आसमानों के आसमान में भी तू रुक नहीं सकता तू यह घर तो कुछ भी नहीं जिसे मैंने बनाया!
১৮কিন্তু ঈশ্বর কি সত্যিই পৃথিবীতে মানুষের সঙ্গে বাস করবেন? দেখ, স্বর্গ ও স্বর্গের স্বর্গ তোমাকে ধরে রাখতে পারে না, তবে আমার তৈরী এই গৃহ কি পারবে?
19 तो भी ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा अपने बन्दे की दुआ और मुनाजात का लिहाज़ कर कि उस फ़रियाद दुआ को सून ले जो तेरा बन्दा तेरे सामने करता है।
১৯সুতরাং হে সদাপ্রভু, আমার ঈশ্বর, তুমি তোমার দাসের প্রার্থনাতে ও বিনতিতে মনোযোগ দাও, তোমার দাস তোমার কাছে যেভাবে কাঁদছে ও প্রার্থনা করছে, তা শোন৷
20 ताकि तेरी आँखे इस घर की तरफ़ यानी उसी जगह की तरफ़ जिसकी बारे में तूने फ़रमाया कि मैं अपना नाम वहाँ रखूँगा दिन और रात खुली रहे ताकि तू उस दुआ को सूने जो तेरा बन्दा इस मक़ाम की तरफ़ चेहरा कर के तुझ से करेगा।
২০যে জায়গার বিষয়ে তুমি বলেছ যে, তোমার নাম সেই জায়গার রাখবে, সেই জায়গায় অর্থাৎ এই গৃহের ওপর দিন রাত তোমার দৃষ্টি থাকুক এবং এই জায়গায় সামনে তোমার দাস যে প্রার্থনা করে, তা শোনো৷
21 और तू अपने बन्दा और अपनी क़ौम इस्राईल की मुनाजात को जब वह इस जगह की तरफ़ चेहरा कर के करें तो सून लेना बल्कि तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सून लेना और सुनकर मु'आफ़ कर देना।
২১আর তোমার দাস ও তোমার লোক ইস্রায়েল যখন এই জায়গায় সামনে প্রার্থনা করবে, তখন তাদের সব অনুরোধে কান দিও; তোমার বাসজায়গা থেকে, স্বর্গ থেকে, তাহা শুনো এবং শুনে ক্ষমা কোরো৷
22 अगर कोई शख़्स अपने पड़ोसी का गुनाह करे और उसे क़सम खिलाने के लिए उसकों हल्फ़ दिया जाए और वह आकर इस घर में तेरे मज़बह के आगे क़सम खाए।
২২কেউ নিজের প্রতিবেশীর বিরুদ্ধে পাপ করলে যদি তাকে শপথ করার জন্য কোনো শপথ সুনিশ্চিত হয়, আর সে এসে এই গৃহে তোমার যজ্ঞবেদির সামনে সেই শপথ করে,
23 तो तू आसमान पर से सुनकर 'अमल करना और अपने बन्दों का इन्साफ़ कर के बदकार को सज़ा देना ताकि उसके 'आमाल को उसी कि सर डाले और सादिक़ को सच्चा ठहराना ताकि उसकी सदाक़त के मुताबिक़ उसे बदला दे।
২৩তবে তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনো এবং সমাধান করে তোমার দাসদের বিচার কোরো; দোষীকে দোষী করে তার কাজের ফল তার মাথায় দিও এবং ধার্ম্মিককে ধার্মিক করে তার ধার্ম্মিকতা অনুযায়ী ফল দিও৷
24 और अगर तेरी क़ौम इस्राईल तेरा गुनाह करने के ज़रिए'अपने दुश्मनों से शिकस्त खाए और फिर तेरी तरफ़ रुजू' लाए और तेरे नाम का इकरार कर के इस घर में तेरे सामने दुआ और मुनाजात करे।
২৪তোমার প্রজা ইস্রায়েল তোমার বিরুদ্ধে পাপ করার জন্য শত্রুর সামনে আহত হওয়ার পর যদি পুনরায় ফেরে এবং এই গৃহে তোমার নাম স্তব করে তোমার কাছে প্রার্থনা ও অনুরোধ করে;
25 तो तू आसमान पर से सुनकर अपनी क़ौम इस्राईल के गुनाह को बख़्श देना और उनको इस मुल्क में जो तूने उनको और उनके बाप दादा को दिया है फिर ले आना।
২৫তবে তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনো এবং তোমার প্রজা ইস্রায়েলের পাপ ক্ষমা কোরো, আর তাদেরকে ও তার পূর্বপুরুষদেরকে এই যে দেশ দিয়েছ, এখানে পুনরায় তাদেরকে এনো৷
26 और जब इस वजह से कि उन्होंने तेरा गुनाह किया हों आसमान बंद हो जाए और बारिश न हो और वह इस मक़ाम की तरफ़ चेहरा कर के दुआ करें और तेरे नाम का इक़रार करे और अपने गुनाह से बाज़ आए जब तू उनकों दुःख दे।
২৬তোমার বিরুদ্ধে তাদের পাপের জন্য যদি আকাশ থেমে যায়, বৃষ্টি না হয়, আর লোকেরা যদি এই জায়গার সামনে প্রার্থনা করে, তোমার নামের স্তব করে এবং তোমার থেকে দুঃখ পাওয়ার পর নিজেদের পাপ থেকে ফেরে,
27 तो तू आसमान पर से सुनकर अपने बन्दों और अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ कर देना क्यूँकि तूने उनको उस अच्छी रास्ते की ता'लिम दी जिस पर उनको चलना फ़र्ज़ है और अपने मुल्क पर जैसे तूने अपनी क़ौम के मीरास के लिए दिया है पानी न बरसाना।
২৭তবে তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনো এবং তোমার দাসের ও তোমার প্রজা ইস্রায়েলের পাপ ক্ষমা কোরো ও তাদের যাতায়াতের সত্পথ তাদেরকে দেখিও এবং তুমি তোমার প্রজাদেরকে যে দেশের অধিকার দিয়েছ, তোমার সেই দেশে বৃষ্টি পাঠিও৷
28 अगर मुल्क में काल हो, अगर वबा हो, अगर बा'द — ए — समूम या गेरुई टिड्डी या कमला हो, अगर उनके दुश्मन उनके शहरों के मुल्क में उनकों घेर ले ग़रज़ कैसी ही बला या कैसा ही रोग हो।
২৮দেশের মধ্যে যদি দূর্ভিক্ষ হয়, যদি মহামারী হয়, যদি শস্যের শেষ কি ধ্বংস হয় অথবা পঙ্গপাল কিম্বা কীট হয়, যদি তাদের শত্রুরা তাদের দেশে নগরে নগরে তাদেরকে আটকে রাখে, যদি কোনো মহামারী বা রোগ দেখা হয়;
29 तू जो दु'आऔर मुनाजात किसी एक शख़्स या तेरी सारी क़ौम इस्राईल की तरफ़ से हों जिन में से हर शख़्स अपने दुःख और रन्ज को जानकर अपने हाथ इस घर की तरफ़ फैलाए।
২৯তাহলে কোনো ব্যক্তি বা তোমার সমস্ত প্রজা ইস্রায়েল, যারা প্রত্যেকে নিজেদের মনের যন্ত্রণা ও শোক জানে এবং এই গৃহের দিকে যদি অঞ্জলি দিয়ে কোনো প্রার্থনা কি অনুরোধ করে;
30 तू तो आसमान पर से जो तेरी रहने की जगह है सुनकर मु'आफ़ कर देना और हर शख़्स को जिसके दिल को तू जनता है उसकी सब चालचलन के मुताबिक़ बदला देना क्यूँकि सिर्फ़ तू ही बनी आदम के दिलों को जनता है
৩০তবে তুমি তোমার বসবাসের জায়গা স্বর্গ থেকে সেটা শুনো এবং ক্ষমা কোরো এবং প্রত্যেক জনকে নিজেদের সমস্ত পথ অনুযায়ী প্রতিফল দিও; তুমি তো তাদের হৃদয় জানো; কারণ একমাত্র তুমিই মানুষের হৃদয় সম্বন্ধে জানো;
31 ताकि जब तक वह उस मुल्क में जिसे तूने हमारे बाप दादा को दिया जीते रहे तेरा ख़ौफ़ मानकर तेरे रास्तों में चलें।
৩১যেন আমাদের পূর্বপুরুষদেরকে তুমি যে দেশ দিয়েছ, এই দেশে তারা যত দিন জীবিত থাকে, তোমার পথে চলার জন্য তোমাকে ভয় করে৷
32 और वह परदेसी भी जो तेरी क़ौम इस्राईल में से नहीं है जब वह तेरे बुज़ुर्ग नाम और क़ौमी हाथ और तेरे बुलन्द बाज़ू की वजह से दूर मुल्क से आए और आकर इस घर की तरफ़ चेहरा कर के दुआ करें।
৩২বিশেষত তোমার প্রজা ইস্রায়েল গোষ্ঠীর নয়, এমন কোনো বিদেশী যখন তোমার মহানাম, তোমার শক্তিশালী হাত ও তোমার প্রসারিত বাহুর উদ্দেশ্যে দূর দেশ থেকে আসবে, যখন তারা এসে এই গৃহের সামনে প্রার্থনা করবে,
33 तो तूआसमान पर से जो तेरी रहने की जगह है सून लेना और जिस जिस बात के लिए वह परदेसी तुझ से फ़रियाद करे उसके मुताबिक़ करना ताकि ज़मीन की सब क़ौम तेरे नाम को पहचाने और तेरी क़ौम इस्राईल की तरह तेरा ख़ौफ़ माने और जान ले कि यह घर जिसे मैंने बनाया है तेरे नाम का कहलाता है।
৩৩তখন তুমি স্বর্গ থেকে, তোমার বসবাসের জায়গা থেকে তা শুনো এবং সেই বিদেশী যে তোমার কাছে যা কিছু প্রার্থনা করবে, সেই অনুসারে কোরো; যেন তোমার প্রজা ইস্রায়েলের মত পৃথিবীর সমস্ত জাতি তোমার নাম জানে ও তোমাকে ভয় করে এবং তারা যেন জানতে পায় যে, আমার তৈরী করা এই গৃহের উপরে তোমারই নাম মহিমান্বিত৷
34 अगर तेरे लोग चाहे किसी रास्ते से तू उनको भेजे अपने दुश्मन से लड़ने को निकले और इस शहर की तरफ़ जिसे तूने चुना है और इस घर की तरफ़ जिसे मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है चेहरा करके तुझ से दुआ करें।
৩৪তুমি তোমার প্রজাদেরকে কোন পথে পাঠালে, যদি তারা তাদের শত্রুদের সঙ্গে যুদ্ধ করতে বের হয় এবং তোমার মনোনীত এই নগরের সামনে ও তোমার নামের জন্য আমার তৈরী করা গৃহের সামনে তোমার কাছে প্রার্থনা করে;
35 तो तू आसमान पर से उनकी दुआ और मुनाजात को सुनकर उनकी हिमा’अत करना।
৩৫তবে তুমি স্বর্গ থেকে তাদের প্রার্থনা ও অনুরোধ শুনো এবং তাদের বিচার সম্পূর্ণ কোরো৷
36 अगर वह तेरा गुनाह करें क्यूँकि कोई इंसान नहीं जो गुनाह न करता हो और तू उन से नाराज़ होकर उनको दुश्मन के हवाले कर दे ऐसा कि वह दुश्मन उनको क़ैद करके दूर या नज़दीक मुल्क में ले जाए।
৩৬তারা যদি তোমার বিরুদ্ধে পাপ করে, কারণ পাপ করে না, এমন কোনো মানুষ নেই এবং তুমি যদি তাদের প্রতি প্রচন্ড রেগে গিয়ে শত্রুর হাতে তাদেরকে সমর্পণ করো ও শত্রুরা তাদেরকে বন্দী করে দূরের কিংবা কাছের কোনো দেশে নিয়ে যাবে;
37 तो भी अगर वह उस मुल्क में जहाँ क़ैद होकर पहुँचाए गए, होश में आए और रुजू' लाए और अपनी ग़ुलामी के मुल्क में तुझ से मुनाजात करें और कहें कि हम ने गुनाह किया है हम टेढ़ी चाल चले और हम ने शरारत की।
৩৭তবুও যে দেশে তারা বন্দী হিসাবে নীত হয়েছে, সেই দেশে যদি মনে মনে বিবেচনা করে ও ফেরে, নিজেদের বন্দিত্বের দেশে তোমার কাছে অনুরোধ করে যদি বলে, আমরা পাপ করেছি; অপরাধ করেছি ও দুষ্টুমি করেছি
38 इसलिएअगर वह अपनी ग़ुलामी के मुल्क में जहाँ उनको ग़ुलाम कर के ले गए हों अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से तेरी तरफ़ फिरें और अपने मुल्क की तरफ़ जो तूने उनको बाप दादा को दिया और इस शहर की तरफ़ जिसे तूने चुना हैं और इस घर की तरफ़ जो मैनें तेरे नाम के लिए बनाया है चेहरा कर के दुआ कर।
৩৮এবং যে দেশে বন্দী হিসাবে নীত হয়েছি, সেই বন্দিত্বের দেশে যদি সমস্ত হৃদয় দিয়ে ও সমস্ত প্রাণের সঙ্গে তোমার কাছে ফিরে আসে এবং তুমি তাদের পূর্বপুরুষদেরকে যে দেশ দিয়েছ, আপনাদের সেই দেশের সামনে, তোমার মনোনীত নগরের সামনে ও তোমার নামের জন্য আমার তৈরী করা গৃহের সামনে যদি প্রার্থনা করে;
39 तो तू आसमान पर से जो तेरी रहने की जगह है उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना और अपनी क़ौम को जिस ने तेरा गुनाह किया हो मु'माफ़ कर देना।
৩৯তবে তুমি স্বর্গ থেকে, তোমার বাসজায়গা থেকে তাদের প্রার্থনা ও অনুরোধ শুনো এবং তাদের বিচার সম্পূর্ণ কোরো; আর তোমার যে প্রজারা তোমার বিরুদ্ধে পাপ করেছে, তাদের ক্ষমা কোরো৷
40 इसलिए ऐ मेरे ख़ुदा मै तेरी मिन्नत करता हूँ कि उस दुआ की तरफ़ जो इस मक़ाम में की जाए तेरी ऑंखें खुली और तेरे कान लगें रहें।
৪০এখন, হে আমার ঈশ্বর, অনুরোধ করি, এই জায়গায় যে প্রার্থনা হবে, তার প্রতি যেন তোমার দৃষ্টি ও কান খোলা থাকে৷
41 इसलिए अब ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा तू अपनी ताक़त के सन्दूक़ के साथ उठकर अपनी आरामगाह में दाख़िल हो, ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा तेरे काहिन नजात से मुलव्वस हों और तेरे मुक़द्दस नेकी में मगन रहें।
৪১হে সদাপ্রভু ঈশ্বর, এখন তুমি উঠে তোমার বিশ্রামের জায়গায় যাও; তুমি ও তোমার শক্তির সিন্দুক৷ হে সদাপ্রভু ঈশ্বর, তোমার যাজকরা পরিত্রানের পোশাক পড়ুক ও তোমার সাধুরা মঙ্গলের জন্য আনন্দ করুক৷
42 ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा तू अपने मम्सूह की दुआ नामंजूर न कर, तू अपने बन्दा दाऊद पर की रहमतें याद फ़रमा।
৪২হে সদাপ্রভু ঈশ্বর, তুমি তোমার অভিষিক্তের মুখ ফিরিয়ে দিও না, তোমার দাস দায়ূদের প্রতি করা সমস্ত দয়া স্মরণ কর৷”