< 1 थिस्सलुनीकियों 2 >

1 ऐ भाइयों! तुम आप जानते हो कि हमारा तुम्हारे पास आना बेफ़ाइदा न हुआ।
For you yourselves know, brothers, that our coming to you was not useless.
2 बल्कि तुम को मा'लूम ही है कि बावजूद पहले फ़िलिप्पी में दु: ख उठाने और बेइज़्ज़त होने के हम को अपने ख़ुदा में ये दिलेरी हासिल हुई कि ख़ुदा की ख़ुशख़बरी बड़ी जाँफ़िशानी से तुम्हें सुनाएँ।
You know that we previously suffered and were shamefully treated at Philippi. We were bold in our God to speak to you the gospel of God in much struggling.
3 क्यूँकि हमारी नसीहत न गुमराही से है न नापाकी से न धोखे के साथ।
For our exhortation was not from error, nor from impurity, nor from deceit.
4 बल्कि जैसे ख़ुदा ने हम को मक़्बूल करके ख़ुशख़बरी हमारे सुपुर्द की वैसे ही हम बयान करते हैं; आदमियों को नहीं बल्कि ख़ुदा को ख़ुश करने के लिए जो हमारे दिलों को आज़माता है।
Instead, just as we have been approved by God to be trusted with the gospel, so we speak. We speak, not to please men, but to please God. He is the one who examines our hearts.
5 क्यूँकि तुम को मा'लूम ही है कि न कभी हमारे कलाम में ख़ुशामद पाई गई न लालच का पर्दा बना ख़ुदा इसका गवाह है!
For we never used words of flattery, as you know, nor as an excuse to cover up greed— God is our witness.
6 और हम न आदमियों से इज़्ज़त चाहते हैं न तुम से न औरों से अगरचे मसीह के रसूल होने की वजह तुम पर बोझ डाल सकते थे।
Nor did we seek glory from people, either from you or from others. We could have claimed privileges as apostles of Christ.
7 बल्कि जिस तरह माँ अपने बच्चों को पालती है उसी तरह हम तुम्हारे दर्मियान नर्मी के साथ रहे।
Instead, we were as gentle among you as a mother comforting her own children.
8 और उसी तरह हम तुम्हारे बहुत अहसानमंद होकर न फ़क़त ख़ुदा की ख़ुशख़बरी बल्कि अपनी जान तक भी तुम्हें देने को राज़ी थे; इस वास्ते कि तुम हमारे प्यारे हो गए थे!
In this way we had affection for you. We were pleased to share with you not only the gospel of God but also our own lives. For you had become very dear to us.
9 क्यूँकि ऐ भाइयों! तुम को हमारी मेहनत और मशक़्क़त याद होगी कि हम ने तुम में से किसी पर बोझ न डालने की ग़रज़ से रात दिन मेहनत मज़दूरी करके तुम्हें ख़ुदा की ख़ुशख़बरी की मनादी की।
For you remember, brothers, our labor and toil. Night and day we were working so that we might not weigh down any of you. During that time, we preached to you the gospel of God.
10 तुम भी गवाह हो और ख़ुदा भी कि तुम से जो ईमान लाए हो हम कैसी पाकीज़गी और रास्तबाज़ी और बे'ऐबी के साथ पेश आए।
You are witnesses, and God also, how holy, righteous, and blameless was our behavior toward you who believe.
11 चुनाँचे तुम जानते हो। कि जिस तरह बाप अपने बच्चों के साथ करता है उसी तरह हम भी तुम में से हर एक को नसीहत करते और दिलासा देते और समझाते रहे।
In the same way you know how we dealt with each one of you as a father deals with his own children.
12 ताकि तुम्हारा चालचलन ख़ुदा के लायक़ हो जो तुम्हें अपनी बादशाही और जलाल में बुलाता है।
We were begging you and encouraging and urging you to walk in a manner that is worthy of God, who calls you into his own kingdom and glory.
13 इस वास्ते हम भी बिला नाग़ा ख़ुदा का शुक्र करते हैं कि जब ख़ुदा का पैग़ाम हमारे ज़रिए तुम्हारे पास पहुँचा तो तुम ने उसे आदमियों का कलाम समझ कर नहीं बल्कि जैसा हक़ीक़त में है ख़ुदा का कलाम जान कर क़ुबूल किया और वो तुम में जो ईमान लाए हो असर भी कर रहा है।
For this reason we also thank God constantly. For when you received from us God's message that you heard, you accepted it not as the word of man. Instead, you received it as it truly is, the word of God. It is this word that is also at work among you who believe.
14 इसलिए कि तुम ऐ भाइयों!, ख़ुदा की उन कलीसियाओं की तरह बन गए जो यहूदिया में मसीह ईसा में हैं क्यूँकि तुम ने भी अपनी क़ौम वालों से वही तकलीफ़ें उठाईं जो उन्होंने यहूदियों से।
For you, brothers, became imitators of the churches of God that are in Judea in Christ Jesus. For you also suffered the same things from your own countrymen, as they did from the Jews.
15 जिन्होंने ख़ुदावन्द ईसा को भी मार डाला और हम को सता सता कर निकाल दिया वो ख़ुदा को पसन्द नहीं आते और सब आदमियों के ख़िलाफ़ हैं।
It was the Jews who killed both the Lord Jesus and the prophets. It was the Jews who drove us out. They do not please God. Instead, they are hostile to all people.
16 और वो हमें ग़ैर क़ौमों को उनकी नजात के लिए कलाम सुनाने से मनह करते हैं ताकि उन के गुनाहों का पैमाना हमेशा भरता रहे; लेकिन उन पर इन्तिहा का ग़ज़ब आ गया।
They forbid us to speak to the Gentiles for them to be saved. The result is that they always fill up their own sins. Wrath must come on them in the end.
17 ऐ भाइयों! जब हम थोड़े अर्से के लिए ज़ाहिर में न कि दिल से तुम से जुदा हो गए तो हम ने कमाल आरज़ू से तुम्हारी सूरत देखने की और भी ज़्यादा कोशिश की।
We were separated from you, brothers, for a short time, in person not in heart. We were especially eager, with great desire, to see your face.
18 इस वास्ते हम ने या'नी मुझ पौलुस ने एक दफ़ा' नहीं बल्कि दो दफ़ा' तुम्हारी पास आना चाहा मगर शैतान ने हमें रोके रखा।
For we wished to come to you—I, Paul, wished to come to you once and again—but Satan stopped us.
19 भला हमारी उम्मीद और ख़ुशी और फ़ख़्र का ताज क्या है? क्या वो हमारे ख़ुदावन्द के सामने उसके आने के वक़्त तुम ही न होगे।
For what is our hope, or joy, or crown of pride in front of our Lord Jesus at his coming? Is it not you just as much as others?
20 हमारा जलाल और ख़ुशी तुम्हीं तो हो।
For you are our glory and our joy.

< 1 थिस्सलुनीकियों 2 >