< 1 समु 31 >

1 और फ़िलिस्ती इस्राईल से लड़े और इस्राईली जवान फ़िलिस्तियों के सामने से भागे और पहाड़ी — ए — जिल्बू'आ में क़त्ल होकर गिरे।
وَحَارَبَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ إِسْرَائِيلَ، فَهَرَبَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ مِنْ أَمَامِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ وَسَقَطُوا قَتْلَى فِي جَبَلِ جِلْبُوعَ.١
2 और फ़िलिस्तियों ने साऊल और उसके बेटों का ख़ूब पीछा किया और फ़िलिस्तियों ने साऊल के बेटों यूनतन और अबीनदाब, और मलकीशु'अ को मार डाला।
فَشَدَّ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ وَرَاءَ شَاوُلَ وَبَنِيهِ، وَضَرَبَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ يُونَاثَانَ وَأَبِينَادَابَ وَمَلْكِيشُوعَ أَبْنَاءَ شَاوُلَ.٢
3 और यह जंग साऊल पर निहायत भारी हो गई और तीरअंदाज़ो ने उसे पा लिया और वह तीरअंदाज़ों की वजह से सख़्त मुश्किल में पड़ गया।
وَٱشْتَدَّتِ ٱلْحَرْبُ عَلَى شَاوُلَ فَأَصَابَهُ ٱلرُّمَاةُ رِجَالُ ٱلْقِسِيِّ، فَٱنْجَرَحَ جِدًّا مِنَ ٱلرُّمَاةِ.٣
4 तब साऊल ने अपने सिलाह बरदार से कहा, अपनी तलवार खींच और उससे मुझे छेद दे ऐसा न हो कि यह नामख़्तून आएँ और मुझे छेद लें, और मुझे बे 'इज्ज़त करें लेकिन उसके सिलाह बरदार ऐसा करना न चाहा, क्यूँकि वह बहुत डर गया था इसलिए साऊल ने अपनी तलवार ली और उस पर गिरा।
فَقَالَ شَاوُلُ لِحَامِلِ سِلَاحِهِ: «ٱسْتَلَّ سَيْفَكَ وَٱطْعَنِّي بِهِ لِئَلَّا يَأْتِيَ هَؤُلَاءِ ٱلْغُلْفُ وَيَطْعَنُونِي وَيُقَبِّحُونِي». فَلَمْ يَشَأْ حَامِلُ سِلَاحِهِ لِأَنَّهُ خَافَ جِدًّا. فَأَخَذَ شَاوُلُ ٱلسَّيْفَ وَسَقَطَ عَلَيْهِ.٤
5 जब उसके सिलाह बरदार ने देखा, कि साऊल मर गया तो वह भी अपनी तलवार पर गिरा और उसके साथ मर गया।
وَلَمَّا رَأَى حَامِلُ سِلَاحِهِ أَنَّهُ قَدْ مَاتَ شَاوُلُ، سَقَطَ هُوَ أَيْضًا عَلَى سَيْفِهِ وَمَاتَ مَعَهُ.٥
6 इसलिए साऊल और उसके तीनों बेटे और उसका सिलाह बरदार और उसके सब लोग उसी दिन एक साथ मर मिटे।
فَمَاتَ شَاوُلُ وَبَنُوهُ ٱلثَّلَاثَةُ وَحَامِلُ سِلَاحِهِ وَجَمِيعُ رِجَالِهِ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مَعًا.٦
7 जब उन इस्राईली मर्दों ने जो उस वादी की दूसरी तरफ़ और यरदन के पार थे यह देखा कि इस्राईल के लोग भाग गए और साऊल और उसके बेटे मर गए तो वह शहरों को छोड़ कर भाग निकले और फ़िलिस्ती आए और उन में रहने लगे।
وَلَمَّا رَأَى رِجَالُ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ فِي عَبْرِ ٱلْوَادِي وَٱلَّذِينَ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ أَنَّ رِجَالَ إِسْرَائِيلَ قَدْ هَرَبُوا، وَأَنَّ شَاوُلَ وَبَنِيهِ قَدْ مَاتُوا، تَرَكُوا ٱلْمُدُنَ وَهَرَبُوا. فَأَتَى ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ وَسَكَنُوا بِهَا.٧
8 दूसरे दिन जब फ़िलिस्ती लाशों के कपड़े उतारने आए तो उन्होंने साऊल और उसके तीनों बेटों को कोहे जिल्बू'आ पर मुर्दा पाया।
وَفِي ٱلْغَدِ لَمَّا جَاءَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ لِيُعَرُّوا ٱلْقَتْلَى، وَجَدُوا شَاوُلَ وَبَنِيهِ ٱلثَّلَاثَةَ سَاقِطِينَ فِي جَبَلِ جِلْبُوعَ.٨
9 इसलिए उन्होंने उसका सर काट लिया और उसके हथियार उतार लिए और फ़िलिस्तियों के मुल्क में क़ासिद रवाना कर दिए, ताकि उनके बुतख़ानों और लोगों को यह ख़ुशख़बरी पहूँचा दें।
فَقَطَعُوا رَأْسَهُ وَنَزَعُوا سِلَاحَهُ، وَأَرْسَلُوا إِلَى أَرْضِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ فِي كُلِّ جِهَةٍ لِأَجْلِ ٱلتَّبْشِيرِ فِي بَيْتِ أَصْنَامِهِمْ وَفِي ٱلشَّعْبِ.٩
10 इसलिए उन्होंने उसके हथियारों को 'अस्तारात के मन्दिर में रख्खा और उसकी लाश को बैतशान की दीवार पर जड़ दिया।
وَوَضَعُوا سِلَاحَهُ فِي بَيْتِ عَشْتَارُوثَ، وَسَمَّرُوا جَسَدَهُ عَلَى سُورِ بَيْتِ شَانَ.١٠
11 जब यबीस जिल'आद के बाशिंदों ने इसके बारे में वह बात जो फ़िलिस्तियों ने साऊल से की सुनी।
وَلَمَّا سَمِعَ سُكَّانُ يَابِيشِ جِلْعَادَ بِمَا فَعَلَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ بِشَاوُلَ،١١
12 तो सब बहादुर उठे, और रातों रात जाकर साऊल और उसके बेटों की लाशें बैतशान की दीवार पर से ले आए और यबीस में पहुँच कर वहाँ उनको जला दिया।
قَامَ كُلُّ ذِي بَأْسٍ وَسَارُوا ٱللَّيْلَ كُلَّهُ، وَأَخَذُوا جَسَدَ شَاوُلَ وَأَجْسَادَ بَنِيهِ عَنْ سُورِ بَيْتِ شَانَ، وَجَاءُوا بِهَا إِلَى يَابِيشَ وَأَحْرَقُوهَا هُنَاكَ.١٢
13 और उनकी हड्डियाँ लेकर यबीस में झाऊ के दरख़्त के नीचे दफ़न कीं और सात दिन तक रोज़ा रख्खा।
وَأَخَذُوا عِظَامَهُمْ وَدَفَنُوهَا تَحْتَ ٱلْأَثْلَةِ فِي يَابِيشَ، وَصَامُوا سَبْعَةَ أَيَّامٍ.١٣

< 1 समु 31 >