< 1 समु 29 >

1 और फ़िलिस्ती अपने सारे लश्कर को अफ़ीक़ में जमा' करने लगे और इस्राईली उस चश्मा के नज़दीक जो यज़र'एल में है ख़ेमा ज़न हुए।
וַיִּקְבְּצוּ פְלִשְׁתִּים אֶת־כׇּל־מַחֲנֵיהֶם אֲפֵקָה וְיִשְׂרָאֵל חֹנִים בַּעַיִן אֲשֶׁר בְּיִזְרְעֶֽאל׃
2 और फ़िलिस्तियों के उमरा सैकड़ों और हज़ारों के साथ आगे — आगे चल रहे थे और दाऊद अपने लोगों के साथ अकीस के साथ पीछे — पीछे जा रहा था।
וְסַרְנֵי פְלִשְׁתִּים עֹֽבְרִים לְמֵאוֹת וְלַאֲלָפִים וְדָוִד וַאֲנָשָׁיו עֹבְרִים בָּאַחֲרֹנָה עִם־אָכִֽישׁ׃
3 तब फ़िलिस्ती अमीरों ने कहा, “इन 'इब्रानियों का यहाँ क्या काम है?” अकीस ने फ़िलिस्ती अमीरों से कहा “क्या यह इस्राईल के बादशाह साऊल का ख़ादिम दाऊद नहीं जो इतने दिनों बल्कि इतने बरसों से मेरे साथ है और मैंने जब से वह मेरे पास भाग आया है आज के दिन तक उस में कुछ बुराई नहीं पाई?”
וַיֹּֽאמְרוּ שָׂרֵי פְלִשְׁתִּים מָה הָעִבְרִים הָאֵלֶּה וַיֹּאמֶר אָכִישׁ אֶל־שָׂרֵי פְלִשְׁתִּים הֲלוֹא־זֶה דָוִד עֶבֶד ׀ שָׁאוּל מֶלֶךְ־יִשְׂרָאֵל אֲשֶׁר הָיָה אִתִּי זֶה יָמִים אוֹ־זֶה שָׁנִים וְלֹֽא־מָצָאתִי בוֹ מְאוּמָה מִיּוֹם נׇפְלוֹ עַד־הַיּוֹם הַזֶּֽה׃
4 लेकिन फ़िलिस्ती हाकिम उससे नाराज़ हुए और फ़िलिस्ती ने उससे कहा, इस शख़्स को लौटा दे कि वह अपनी जगह को जो तूने उसके लिए ठहराई है वापस जाए, उसे हमारे साथ जंग पर न जाने दे ऐसा न हो कि जंग में वह हमारा मुख़ालिफ़ हो क्यूँकि वह अपने आक़ा से कैसे मेल करेगा? क्या इन ही लोगों के सिरों से नहीं?
וַיִּקְצְפוּ עָלָיו שָׂרֵי פְלִשְׁתִּים וַיֹּאמְרוּ לוֹ שָׂרֵי פְלִשְׁתִּים הָשֵׁב אֶת־הָאִישׁ וְיָשֹׁב אֶל־מְקוֹמוֹ אֲשֶׁר הִפְקַדְתּוֹ שָׁם וְלֹא־יֵרֵד עִמָּנוּ בַּמִּלְחָמָה וְלֹא־יִֽהְיֶה־לָּנוּ לְשָׂטָן בַּמִּלְחָמָה וּבַמֶּה יִתְרַצֶּה זֶה אֶל־אֲדֹנָיו הֲלוֹא בְּרָאשֵׁי הָאֲנָשִׁים הָהֵֽם׃
5 क्या यह वही दाऊद नहीं जिसके बारे में उन्होंने नाचते वक़्त गा — गा कर एक दूसरे से कहा कि “साऊल ने तो हज़ारों को पर दाऊद ने लाखों को मारा?”
הֲלוֹא־זֶה דָוִד אֲשֶׁר יַעֲנוּ־לוֹ בַּמְּחֹלוֹת לֵאמֹר הִכָּה שָׁאוּל בַּאֲלָפָיו וְדָוִד בְּרִבְבֹתָֽו׃
6 तब अकीस ने दाऊद को बुला कर उससे कहा, “ख़ुदावन्द की हयात की क़सम कि तू सच्चा है और मेरी नज़र में तेरा आना जाना मेरे साथ लश्कर में अच्छा है क्यूँकि मैंने जिस दिन से तू मेरे पास आया आज के दिन तक तुझ में कुछ बुराई नहीं पाई तोभी यह हाकिम तुझे नहीं चाहते।
וַיִּקְרָא אָכִישׁ אֶל־דָּוִד וַיֹּאמֶר אֵלָיו חַי־יְהֹוָה כִּֽי־יָשָׁר אַתָּה וְטוֹב בְּעֵינַי צֵאתְךָ וּבֹאֲךָ אִתִּי בַּֽמַּחֲנֶה כִּי לֹֽא־מָצָאתִֽי בְךָ רָעָה מִיּוֹם בֹּאֲךָ אֵלַי עַד־הַיּוֹם הַזֶּה וּבְעֵינֵי הַסְּרָנִים לֹא־טוֹב אָֽתָּה׃
7 इसलिए तू अब लौट कर सलामत चला जा ताकि फ़िलिस्ती हाकिम तुझ से नाराज़ न हों।”
וְעַתָּה שׁוּב וְלֵךְ בְּשָׁלוֹם וְלֹא־תַעֲשֶׂה רָע בְּעֵינֵי סַרְנֵי פְלִשְׁתִּֽים׃
8 दाऊद ने अकीस से कहा, “लेकिन मैंने क्या किया है? और जब से मैं तेरे सामने हूँ तब से आज के दिन तक मुझ में तूने क्या बात पाई जो मैं अपने मालिक बादशाह के दुश्मनों से जंग करने को न जाऊँ।”
וַיֹּאמֶר דָּוִד אֶל־אָכִישׁ כִּי מֶה עָשִׂיתִי וּמַה־מָּצָאתָ בְעַבְדְּךָ מִיּוֹם אֲשֶׁר הָיִיתִי לְפָנֶיךָ עַד הַיּוֹם הַזֶּה כִּי לֹא אָבוֹא וְנִלְחַמְתִּי בְּאֹיְבֵי אֲדֹנִי הַמֶּֽלֶךְ׃
9 अकीस ने दाऊद को जवाब दिया “मैं जानता हूँ कि तू मेरी नज़र में ख़ुदा के फ़रिश्ता की तरह नेक है तोभी फ़िलिस्ती हाकिम ने कहा है कि वह हमारे साथ जंग के लिए न जाए।
וַיַּעַן אָכִישׁ וַיֹּאמֶר אֶל־דָּוִד יָדַעְתִּי כִּי טוֹב אַתָּה בְּעֵינַי כְּמַלְאַךְ אֱלֹהִים אַךְ שָׂרֵי פְלִשְׁתִּים אָֽמְרוּ לֹא־יַעֲלֶה עִמָּנוּ בַּמִּלְחָמָֽה׃
10 इसलिए अब तू सुबह सवेरे अपने आक़ा के ख़ादिमों को लेकर जो तेरे साथ यहाँ आए हैं उठना और जैसे ही तुम सुबह सवेरे उठो रोशनी होते होते रवाना हो जाना।”
וְעַתָּה הַשְׁכֵּם בַּבֹּקֶר וְעַבְדֵי אֲדֹנֶיךָ אֲשֶׁר־בָּאוּ אִתָּךְ וְהִשְׁכַּמְתֶּם בַּבֹּקֶר וְאוֹר לָכֶם וָלֵֽכוּ׃
11 इसलिए दाऊद अपने लोगों के साथ तड़के उठा ताकि सुबह को रवाना होकर फ़िलिस्तियों के मुल्क को लौट जाए और फ़िलिस्ती यज़र'एल को चले गए।
וַיַּשְׁכֵּם דָּוִד הוּא וַאֲנָשָׁיו לָלֶכֶת בַּבֹּקֶר לָשׁוּב אֶל־אֶרֶץ פְּלִשְׁתִּים וּפְלִשְׁתִּים עָלוּ יִזְרְעֶֽאל׃

< 1 समु 29 >