< 1 समु 28 >
1 और उन्हीं दिनों में ऐसा हुआ, कि फ़िलिस्तियों ने अपनी फ़ौजें जंग के लिए जमा' कीं ताकि इस्राईल से लड़ें और अकीस ने दाऊद से कहा, “तू यक़ीन जान कि तुझे और तेरे लोगों को लश्कर में हो कर मेरे साथ जाना होगा।”
E aconteceu que em aqueles dias os filisteus juntaram seus acampamentos para lutar contra Israel. E disse Aquis a Davi: Sabe de certo que hás de sair comigo à campanha, tu e os teus.
2 दाऊद ने अकीस से कहा, फिर जो कुछ तेरा ख़ादिम करेगा वह तुझे मा'लूम भी हो जाएगा “अख़ीस ने दाऊद से कहा, फिर तो हमेशा के लिए तुझ को मैं अपने बुराई का निगहबान ठहराऊँगा।”
E Davi respondeu a Aquis: Saberás, pois, o que fará teu servo. E Aquis disse a Davi: Portanto te farei guarda de minha cabeça todos os dias.
3 और समुएल मर चुका था और सब इस्राईलियों ने उस पर नौहा कर के उसे उसके शहर रामा में दफ़न किया था और साऊल ने जिन्नात के आशनाओं और अफ़सूँगरों को मुल्क से ख़ारिज कर दिया था।
Já Samuel era morto, e todo Israel o havia lamentado, e haviam-lhe sepultado em Ramá, em sua cidade. E Saul havia lançado da terra os encantadores e adivinhos.
4 और फ़िलिस्ती जमा'हुए और आकर शूनीम में डेरे डाले और साऊल ने भी सब इस्राईलियों को जमा' किया और वह जिलबु'आ में ख़ेमाज़न हुए।
Pois como os filisteus se juntaram, vieram e assentaram acampamento em Suném: e Saul juntou a todo Israel, e assentaram acampamento em Gilboa.
5 और जब साऊल ने फ़िलिस्तियों का लश्कर देखा तो परेशान हुआ, और उसका दिल बहुत काँपने लगा।
E quando viu Saul o acampamento dos filisteus, temeu, e perturbou-se seu coração em grande maneira.
6 और जब साऊल ने ख़ुदावन्द से सवाल किया तो ख़ुदावन्द ने उसे न तो ख़्वाबों और न उरीम और न नबियों के वसीले से कोई जवाब दिया।
E consultou Saul ao SENHOR; mas o SENHOR não lhe respondeu, nem por sonhos, nem por Urim, nem por profetas.
7 तब साऊल ने अपने मुलाज़िमों से कहा, “कोई ऐसी 'औरत मेरे लिए तलाश करो जिसका आशना जिन्न हो ताकि मैं उसके पास जाकर उससे पूछूँ।” उसके मुलाज़िमों ने उससे कहा, देख, “ऐन दोर में एक 'औरत है जिसका आशना जिन्न है।”
Então Saul disse a seus criados: Buscai-me uma mulher que tenha espírito de necromante, para que eu vá a ela, e por meio dela pergunte. E seus criados lhe responderam: Eis que há uma mulher em En-Dor que tem espírito de necromante.
8 इसलिए साऊल ने अपना भेस बदल कर दूसरी पोशाक पहनी और दो आदमियों को साथ लेकर चला और वह रात को उस 'औरत के पास आए और उसने कहा, “ज़रा मेरी ख़ातिर जिन्न के ज़रिए' से मेरा फ़ाल खोल और जिसका नाम मैं तुझे बताऊँ उसे ऊपर बुला दे।”
E Saul se disfarçou, vestiu outras roupas, e foi-se com dois homens, e vieram àquela mulher de noite; e ele disse: Eu te rogo que me adivinhes pelo espírito de pitonisa, e me faças subir a quem eu te disser.
9 तब उस 'औरत ने उससे कहा, “देख, तू जानता है कि साऊल ने क्या किया कि उसने जिन्नात के आशनाओं और अफ़सूँगरों को मुल्क से काट डाला है, फिर तू क्यूँ मेरी जान के लिए फँदा लगाता है ताकि मुझे मरवा डाले।”
E a mulher lhe disse: Eis que tu sabes o que Saul fez, como exterminou da terra os necromantes e os adivinhos; por que, pois, pões tropeço à minha vida, para me fazer morrer?
10 तब साऊल ने ख़ुदावन्द की क़सम खा कर कहा, “कि ख़ुदावन्द की हयात की क़सम इस बात के लिए तुझे कोई सज़ा नहीं दी जाएगी।”
Então Saul jurou a ela pelo SENHOR, dizendo: Vive o SENHOR, que nenhum mal te virá por isto.
11 तब उस 'औरत ने कहा, “मैं किस को तेरे लिए ऊपर बुला दूँ?” उसने कहा, “समुएल को मेरे लिए बुला दे।”
A mulher então disse: A quem te farei vir? E ele respondeu: Faze-me vir a Samuel.
12 जब उस 'औरत ने समुएल को देखा तो बुलंद आवाज़ से चिल्लाई और उस 'औरत ने साऊल से कहा, “तूने मुझ से क्यूँ दग़ा की क्यूँकि तू तो साऊल है।”
E vendo a mulher a Samuel, clamou em alta voz, e falou aquela mulher a Saul, dizendo:
13 तब बादशाह ने उससे कहा, “परेशान मत हो, तुझे क्या दिखाई देता है?” उसने साऊल से कहा, “मुझे एक मा'बूद ज़मीन से उपर आते दिखाई देता है।”
Por que me enganaste? que tu és Saul. E o rei lhe disse: Não temas: que viste? E a mulher respondeu a Saul: Vi deuses que sobem da terra.
14 तब उसने उससे कहा, “उसकी शक्ल कैसी है?” उसने कहा, “एक बुड्ढा ऊपर को आ रहा है और जुब्बा पहने है,” तब साऊल जान गया कि वह समुएल है और उसने मुँह के बल गिर कर ज़मीन पर सिज्दा किया।
E ele lhe disse: Qual é sua forma? E ela respondeu: Um homem ancião vem, coberto de um manto. Saul então entendeu que era Samuel, e humilhando o rosto à terra, fez grande reverência.
15 समुएल ने साऊल से कहा, “तूने क्यूँ मुझे बेचैन किया कि मुझे ऊपर बुलवाया?” साऊल ने जवाब दिया, “मैं सख़्त परेशान हूँ; क्यूँकि फ़िलिस्ती मुझ से लड़तें हैं और ख़ुदा मुझ से अलग हो गया है और न तो नबियों और न तो ख़्वाबों के वसीले से मुझे जवाब देता है इसलिए मैंने तुझे बुलाया ताकि तू मुझे बताए कि मैं क्या करूँ।”
E Samuel disse a Saul: Por que me inquietaste fazendo-me vir? E Saul respondeu: Estou muito angustiado; pois os filisteus lutam contra mim, e Deus se afastou de mim, e não me responde mais, nem por meio de profetas, nem por sonhos: por isto te chamei, para que me declares o que tenho de fazer.
16 समुएल ने कहा, फिर तू मुझ से किस लिए पूछता है जिस हाल कि ख़ुदावन्द तुझ से अलग हो गया और तेरा दुश्मन बना है?
Então Samuel disse: E para que perguntas a mim, havendo-se afastado de ti o SENHOR, e é teu inimigo?
17 और ख़ुदावन्द ने जैसा मेरे ज़रिए' कहा, था वैसा ही किया है, ख़ुदावन्द ने तेरे हाथ से सल्तनत चाक कर ली और तेरे पड़ोसी दाऊद को 'इनायत की है।
o SENHOR pois fez como falou por meio de mim; pois cortou o SENHOR o reino de tua mão, e o deu a tua companheiro Davi.
18 इसलिए कि तूने ख़ुदावन्द की बात नहीं मानी और 'अमालीक़ियों से उसके क़हर — ए — शदीद के मुताबिक़ पेश नहीं आया इसी वजह से ख़ुदावन्द ने आज के दिन तुझ से यह बरताव किया।
Como tu não obedeceste à voz do SENHOR, nem cumpriste o furor de sua ira sobre Amaleque, por isso o SENHOR te fez isto hoje.
19 'अलावा इसके ख़ुदावन्द तेरे साथ इस्राईलियों को भी फ़िलिस्तियों के हाथ में कर देगा और कल तू और तेरे बेटे मेरे साथ होंगे और ख़ुदावन्द इस्राईली लश्कर को भी फ़िलिस्तियों के हाथ में कर देगा।
E o SENHOR entregará a Israel também contigo nas mãos dos filisteus: e amanhã estareis comigo, tu e teus filhos; e ainda o acampamento de Israel o SENHOR entregará nas mãos dos filisteus.
20 तब साऊल फ़ौरन ज़मीन पर लम्बा होकर गिरा और समुएल की बातों की वजह से निहायत डर गया और उस में कुछ ताक़त बाक़ी न रही क्यूँकि उसने उस सारे दिन और सारी रात रोटी नहीं खाई थी।
Naquele mesmo momento Saul caiu estendido ao chão, e teve grande temor pelas palavras de Samuel; que não restou nele esforço nenhum, porque em todo aquele dia e aquela noite não havia comido pão.
21 तब वह 'औरत साऊल के पास आई और देखा कि वह निहायत परेशान है, इसलिए उसने उससे कहा, “देख, तेरी लौंडी ने तेरी बात मानी और मैंने अपनी जान अपनी हथेली पर रख्खी और जो बातें तूने मुझ से कहीं मैंने उनको माना है।
Então a mulher veio a Saul, e vendo-lhe em grande maneira perturbado, disse-lhe: Eis que tua criada obedeceu à tua voz, e pus minha vida em minha mão, e ouvi as palavras que tu me disseste.
22 इसलिए अब मैं तेरी मिन्नत करती हूँ कि तू अपनी लौंडी की बात सुन और मुझे 'इजाज़त दे कि रोटी का टुकड़ा तेरे आगे रख्खूँ, तू खा कि जब तू अपनी राह ले तो तुझे ताक़त मिले।”
Rogo-te, pois, que tu também ouças a voz de tua serva: porei eu diante de ti um bocado de pão que comas, para que te fortaleças, e vás teu caminho.
23 लेकिन उसने इनकार किया और कहा, कि मैं नहीं खाऊँगा लेकिन उसके मुलाज़िम उस 'औरत के साथ मिलकर उससे बजिद हुए, तब उसने उनका कहा, माना और ज़मीन पर से उठ कर पलंग पर बैठ गया।
E ele o recusou, dizendo: Não comerei. Mas seus criados juntamente com a mulher lhe obrigaram, e ele os obedeceu. Levantou-se, pois, do chão, e sentou-se sobre uma cama.
24 उस 'औरत के घर में एक मोटा बछड़ा था, इसलिए उसने जल्दी की और उसे ज़बह किया और आटा लेकर गूँधा और बे ख़मीरी रोटियाँ पकाईं।
E aquela mulher tinha em sua casa um bezerro gordo, o qual matou logo; e tomou farinha e amassou-a, e cozeu dela pães sem levedura.
25 और उनको साऊल और उसके मुलाज़िमों के आगे लाई और उन्होंने खाया तब वह उठेऔर उसी रात चले गए।
E o trouxe diante de Saul e de seus criados; e assim que comeram, se levantaram, e partiram aquela noite.