< 1 समु 21 >

1 और दाऊद नोब में अख़ीमलिक काहिन के पास आया; और अख़ीमलिक दाऊद से मिलने को काँपता हुआ आया और उससे कहा, “तू क्यूँ अकेला है, और तेरे साथ कोई आदमी नहीं?”
And he went David Nob towards to Ahimelech the priest and he trembled Ahimelech to meet David and he said to him why? [are] you to alone you and [is] anyone there not with you.
2 दाऊद ने अख़ीमलिक काहिन से कहा कि “बादशाह ने मुझे एक काम का हुक्म करके कहा है, कि जिस काम पर मैं तुझे भेजता हूँ, और जो हुक्म मैंने तुझे दिया है वह किसी शख़्स पर ज़ाहिर न हो इस लिए मैंने जवानों को फु़लानी जगह बिठा दिया है।
And he said David to Ahimelech the priest the king he commanded me a matter and he said to me anyone may not he know anything the matter which I [am] sending you and which I have commanded you and the young men I have directed to a place of a certain one a certain one.
3 इसलिए अब तेरे यहाँ क्या है? मेरे हाथ में रोटियों के पाँच टुकड़े या जो कुछ मौजूद हो दे।”
And therefore what? [is] there under hand your five bread[s] give! in hand my or that [which] may be found.
4 काहिन ने दाऊद को जवाब दिया “मेरे यहाँ 'आम रोटियाँ तो नहीं लेकिन पाक रोटियाँ हैं; बशर्ते कि वह जवान 'औरतों से अलग रहे हों।”
And he answered the priest David and he said there not [is] bread of profaneness to under hand my that except [is] bread of holiness there if they have kept themselves the young men only from a woman.
5 दाऊद ने काहिन को जवाब दिया “सच तो यह है कि तीन दिन से 'औरतें हमसे अलग रहीं हैं, और अगरचे यह मा'मूली सफ़र है तोभी जब मैं चला था तब इन जवानों के बर्तन पाक थे, तो आज तो ज़रूर ही वह बर्तन पाक होंगे।”
And he answered David the priest and he said to him that except woman [is] withheld to us as yesterday three days ago when go out I and they were [the] vessels of the young men holiness and it [is] a journey of profaneness and indeed? for this day it is holy in the vessel.
6 तब काहिन ने पाक रोटी उसको दी क्यूँकि और रोटी वहाँ नहीं थी, सिर्फ़ नज़र की रोटी थी, जो ख़ुदावन्द के आगे से उठाई गई थी ताकि उसके बदले उस दिन जब वह उठाई जाए गर्म रोटी रख्खी जाए।
And he gave to him the priest a holy thing for not it was there bread that except [the] bread of the presence which had been removed from to before Yahweh to put bread of heat on [the] day was taken away it.
7 और वहाँ उस दिन साऊल के ख़ादिमों में से एक शख़्स ख़ुदावन्द के आगे रुका हुआ था, उसका नाम अदोमी दोएग था। यह साऊल के चरवाहों का सरदार था।
And there a man one of [the] servants of Saul on the day that [was] detained before Yahweh and name his [was] Doeg the Edomite [the] mighty [one] of the shepherds who [belonged] to Saul.
8 फिर दाऊद ने अख़ीमलिक से पूछा “क्या यहाँ तेरे पास कोई नेज़ह या तलवार नहीं? क्यूँकि मैं अपनी तलवार और अपने हथियार अपने साथ नहीं लाया क्यूँकि बादशाह के काम की जल्दी थी।”
And he said David to Ahimelech and where? there here under hand your [is] a spear or a sword for both sword my as well as weapons my not I took in hand my for it was [the] matter of the king urgent.
9 उस काहिन ने कहा, कि “फ़िलिस्ती जोलियत की तलवार जिसे तूने एला की वादी में क़त्ल किया कपड़े में लिपटी हुई अफ़ूद के पीछे रख्खी है, अगर तु उसे लेना चाहता है तो ले, उसके 'अलावा यहाँ कोई और नहीं है।” दाऊद ने कहा, “वैसे तो कोई है ही नहीं, वही मुझे दे।”
And he said the priest [the] sword of Goliath the Philistine whom you struck down - in [the] valley of Elah here! it [is] wrapped in the cloak behind the ephod if it you will take for yourself take [it] for there not [is] another except it in this [place] and he said David there not [is] like it give it to me.
10 और दाऊद उठा, और साऊल के ख़ौफ़ से उसी दिन भागा और जात के बादशाह अकीस के पास चला गया।
And he arose David and he fled on the day that from before Saul and he went to Achish [the] king of Gath.
11 और अकीस के मुलाज़िमों ने उससे कहा, “क्या यही उस मुल्क का बादशाह दाऊद नहीं? क्या इसी के बारे में नाचते वक़्त गा — गा कर उन्होंने आपस में नहीं कहा था कि साऊल ने तो हज़ारों को लेकिन दाऊद ने लाखों को मारा?”
And they said [the] servants of Achish to him ¿ not [is] this David [the] king of the land ¿ not of this [one] do people sing with dances saying he has struck down Saul (thousands his *Q(K)*) and David (ten thousands his. *Q(K)*)
12 दाऊद ने यह बातें अपने दिल में रख्खीं और जात के बादशाह अकीस से निहायत डरा।
And he put David the words these in heart his and he was afraid exceedingly of Achish [the] king of Gath.
13 इसलिए वह उनके आगे दूसरी चाल चला और उनके हाथ पड़ कर अपने को दीवाना सा बना लिया, और फाटक के किवाड़ों पर लकीरें खींचने और अपनी थूक को अपनी दाढ़ी पर बहाने लगा।
And he changed it sense his in view their and he pretended to be mad in hand their (and he made marks *Q(k)*) on [the] doors of the gate and he made to flow down spittle his to beard his.
14 तब अकीस ने अपने नौकरों से कहा, “लो यह आदमी तो दीवाना है, तुम उसे मेरे पास क्यूँ लाए?
And he said Achish to servants his there! you see a man behaving like a madman why? do you bring him to me.
15 क्या मुझे दीवानों की ज़रूरत है जो तुम उसको मेरे पास लाए हो कि मेरे सामने दीवाना पन करे? क्या ऐसा आदमी मेरे घर में आने पाएगा?”
Lacking of madmen [am] I? that you have brought this one to behave like a madman on me ¿ this one will he come into house my.

< 1 समु 21 >