< 1 समु 17 >

1 फिर फ़िलिस्तियों ने जंग के लिए अपनी फ़ौजें जमा' कीं, और यहूदाह के शहर शोको में इकट्ठे हुए और शोक़े और 'अजीक़ा के बीच अफ़सदम्मीम में ख़ैमाज़न हुए।
Da boten die Philister ihre Heere zum Kriege auf, sammelten sich bei Socho, das zu Juda gehört, und schlugen ein Lager zwischen Socho und Aseka bei Ephes-Dammim auf.
2 और साऊल और इस्राईल के लोगों ने जमा' होकर एला की वादी में डेरे डाले और लड़ाई के लिए फ़िलिस्तियों के मुक़ाबिल सफ़ आराई की।
Saul aber und die Israeliten sammelten sich und bezogen ein Lager im Terebinthental und rüsteten sich zum Kampf gegen die Philister;
3 और एक तरफ़ के पहाड़ पर फ़िलिस्ती और दूसरी तरफ़ के पहाड़ पर बनी इस्राईल खड़े हुए और इन दोनों के बीच वादी थी।
die Philister standen am Berge jenseits, die Israeliten am Berge diesseits, so daß das Tal zwischen ihnen lag.
4 और फ़िलिस्तियों के लश्कर से एक पहलवान निकला जिसका नाम जाती जूलियत था, उसका क़द छ हाथ और एक बालिश्त था।
Da trat aus den Reihen der Philister der Vorkämpfer namens Goliath hervor, ein Gathiter, der sechs Ellen und eine Spanne hoch war;
5 और उसके सर पर पीतल का टोपा था, और वह पीतल ही की ज़िरह पहने हुए था जो तोल में पाँच हज़ार पीतल की मिस्क़ाल के बराबर थी।
er trug einen ehernen Helm auf dem Kopfe und hatte einen Schuppenpanzer an, dessen Gewicht fünftausend Schekel Erz betrug.
6 और उसकी टाँगों पर पीतल के दो साकपोश थे और उसके दोनों शानों के बीच पीतल की बरछी थी।
An den Beinen trug er eherne Schienen und zwischen den Schultern einen ehernen Wurfspieß;
7 और उसके भाले की छड़ ऐसी थी जैसे जुलाहे का शहतीर और उसके नेज़े का फ़ल छ: सौ मिस्क़ाल लोहे का था और एक शख़्स ढाल लिए हुए उसके आगे आगे चलता था।
der Schaft seines Speeres war wie ein Weberbaum, und die Spitze seines Speeres bestand aus sechshundert Schekel Eisen; sein Schildträger ging vor ihm her.
8 वह खड़ा हुआ, और इस्राईल के लश्करों को पुकार कर उन से कहने लगा कि तुमने आकर जंग के लिए क्यूँ सफ आराई की? क्या मैं फ़िलिस्ती नहीं और तुम साऊल के ख़ादिम नहीं? इसलिए अपने लिए किसी शख़्स को चुनो जो मेरे पास उतर आए।
Er stellte sich hin und rief den in Reihen stehenden Israeliten die Worte zu: »Warum zieht ihr aus, euch in Schlachtordnung aufzustellen? Bin ich nicht da, der Philister, und ihr, die Knechte Sauls? Wählt euch einen Mann aus, der komme zu mir herab!
9 अगर वह मुझे से लड़ सके और मुझे क़त्ल कर डाले तो हम तुम्हारे ख़ादिम हो जाएँगे लेकिन अगर मैं उस पर ग़ालिब आऊँ और उसे क़त्ल कर डालूँ तो तुम हमारे ख़ादिम हो जाना और हमारी ख़िदमत करना।
Vermag er mich im Kampfe zu bestehen und erschlägt er mich, so wollen wir euch untertan sein; bin aber ich ihm überlegen und erschlage ich ihn, so sollt ihr uns untertan sein und müßt uns dienen!«
10 फिर उस फ़िलिस्ती ने कहा कि मैं आज के दिन इस्राईली फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती करता हूँ कोई जवान निकालो ताकि हम लड़ें।
Dann fügte der Philister noch hinzu: »Heute habe ich den in Reihen stehenden Israeliten Hohn geboten: stellt mir einen Mann, daß wir miteinander kämpfen!«
11 जब साऊल और सब इस्राईलियों ने उस फ़िलिस्ती की बातें सुनीं, तो परेशान हुए और बहुत डर गए।
Als Saul und alle Israeliten diese Worte des Philisters hörten, erschraken sie und fürchteten sich sehr.
12 और दाऊद बैतल हम यहूदाह के उस इफ़्राती आदमी का बेटा था जिसका नाम यस्सी था, उसके आठ बेटे थे और वह ख़ुद साऊल के ज़माना के लोगों के बीच बुड्ढा और उम्र दराज़ था।
David aber war der Sohn jenes Ephrathiten aus Bethlehem in Juda, der Isai hieß und acht Söhne hatte und zur Zeit Sauls schon ein älterer, in den Jahren vorgerückter Mann war.
13 और यस्सी के तीन बड़े बेटे साऊल के पीछे पीछे जंग में गए थे और उसके तीनों बेटों के नाम जो जंग में गए थे यह थे इलियाब जो पहलौठा था, और दूसरा अबीनदाब और तीसरा सम्मा।
Die drei ältesten Söhne Isais waren unter Saul in den Krieg gezogen; von diesen seinen drei Söhnen, die ins Feld gezogen waren, hieß der älteste Eliab, der zweite Abinadab, der dritte Samma;
14 और दाऊद सबसे छोटा था और तीनों बड़े बेटे साऊल के पीछे पीछे थे।
David aber war der jüngste. Da die drei ältesten unter Saul in den Krieg gezogen waren,
15 और दाऊद बैतलहम में अपने बाप की भेड़ बकरयाँ चराने को साऊल के पास से आया जाया करता था।
ging David ab und zu von Sauls Hofe heim, um in Bethlehem das Kleinvieh seines Vaters zu hüten.
16 और वह फ़िलिस्ती सुबह और शाम नज़दीक आता और चालिस दिन तक निकल कर आता रहा।
Der Philister aber trat morgens und abends auf und stellte sich vierzig Tage lang (vor die Israeliten) hin. –
17 और यस्सी ने अपने बेटे दाऊद से कहा कि “इस भुने अनाज में से एक ऐफ़ा और यह दस रोटियाँ अपने भाइयों के लिए लेकर इनको जल्द लश्कर गाह, में अपने भाइयों के पास पहुचा दे।
Da sagte Isai (eines Tages) zu seinem Sohne David: »Nimm doch für deine Brüder ein Epha von diesem gerösteten Getreide und diese zehn Brote und bringe sie schnell zu deinen Brüdern ins Lager;
18 और उनके हज़ारी सरदार के पास पनीर की यह दस टिकियाँ लेजा और देख कि तेरे भाइयों का क्या हाल है, और उनकी कुछ निशानी ले आ।”
diese zehn frischen Käse aber nimm für den Hauptmann der Tausendschaft mit und erkundige dich nach dem Befinden deiner Brüder und laß dir ein Pfand von ihnen mitgeben!«
19 और साऊल और वह भाई और सब इस्राईली जवान एला की वादी में फ़िलिस्तियों से लड़ रहे थे।
Saul und sie und alle Israeliten befanden sich nämlich im Terebinthental im Kriege mit den Philistern.
20 और दाऊद सुबह को सवेरे उठा, और भेड़ बकरियों को एक रखवाले के पास छोड़ कर यस्सी के हुक्म के मुताबिक़ सब कुछ लेकर रवाना हुआ, और जब वह लश्कर जो लड़ने जा रहा था, जंग के लिए ललकार रहा था, उस वक़्त वह छकड़ों के पड़ाव में पहुँचा।
Da machte sich David am andern Morgen früh reisefertig, überließ das Kleinvieh einem Hüter, packte die Lebensmittel ein und begab sich auf den Weg, wie Isai ihm befohlen hatte. Er kam zur Wagenburg, als das Heer gerade in Schlachtordnung ausrückte und man das Kriegsgeschrei erhob;
21 और इस्राईलियों और फ़िलिस्तियों ने अपने — अपने लश्कर को आमने सामने करके सफ़ आराई की।
Israel und die Philister stellten sich zum Kampf auf, Schlachtreihe gegen Schlachtreihe.
22 और दाऊद अपना सामान असबाब के निगहबान के हाथ में छोड़ कर आप लश्कर में दौड़ गया और जाकर अपने भाइयों से ख़ैर — ओ — 'आफ़ियत पूछी।
Da übergab David das Gepäck, das er mitgebracht hatte, dem Gepäckhüter, lief dann in die Schlachtreihe und erkundigte sich, als er hinkam, bei seinen Brüdern nach ihrem Ergehen.
23 और वह उनसे बातें करता ही था कि देखो वह पहलवान जात का फ़िलिस्ती जिसका नाम जूलियत था फ़िलिस्ती सफ़ों में से निकला और उसने फिर वैसी ही बातें कहीं और दाऊद ने उनको सुना।
Während er sich noch mit ihnen besprach, trat der Vorkämpfer – er hieß Goliath und war ein Philister aus Gath – aus den Reihen der Philister hervor und führte dieselben Reden wie früher, so daß David es hörte;
24 और सब इस्राईली जवान उस शख़्स को देख कर उसके सामने से भागे और बहुत डर गए।
alle Israeliten aber, die den Mann erblickten, flohen vor ihm und fürchteten sich sehr.
25 तब इस्राईली जवान ऐसा कहने लगे, “तुम इस आदमी को जो निकला है देखते हो? यक़ीनन यह इस्राईल की बे'इज़्ज़ती करने को आया है, इसलिए जो कोई उसको मार डाले उसे बादशाह बड़ी दौलत से माला माल करेगा और अपनी बेटी उसे ब्याह देगा, और उसके बाप के घराने को इस्राईल के बीच आज़ाद कर देगा।”
Da sagte einer von den Israeliten: »Habt ihr diesen Mann gesehen, der da heraufkommt? Ja, um Israel zu verhöhnen, tritt er auf! Und wer ihn erschlägt, den will der König mit großem Reichtum belohnen und will ihm seine Tochter geben und seines Vaters Haus steuerfrei in Israel machen!«
26 और दाऊद ने उन लोगों से जो उसके पास खड़े थे पूछा कि जो शख़्स इस फ़िलिस्ती को मार कर यह नंग इस्राईल से दूर करे उस से क्या सुलूक किया जाएगा? क्यूँकि यह ना मख्तून फ़िलिस्ती होता कौन है कि वह जिंदा ख़ुदा की फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती करे?
Da fragte David die Männer, die bei ihm standen: »Wie soll der Mann belohnt werden, der diesen Philister da erschlägt und Israel von der Schande befreit? Wer ist denn dieser Philister, dieser Heide, daß er die Schlachtreihen des lebendigen Gottes beschimpfen darf?«
27 और लोगों ने उसे यही जवाब दिया कि उस शख़्स से जो उसे मार डाले यह सुलूक किया जाएगा।
Da wiederholten ihm die Leute die frühere Mitteilung: »So und so wird man den Mann belohnen, der ihn erschlägt!«
28 और उसके सब से बड़े भाई इलियाब ने उसकी बातों को जो वह लोगों से करता था सुना और इलयाब का ग़ुस्सा दाऊद पर भड़का और वह कहने लगा, “तू यहाँ क्यूँ आया है? और वह थोड़ी सी भेड़ बकरियाँ तूने जंगल में किस के पास छोड़ीं? मैं तेरे घमंड और तेरे दिल की शरारत से वाक़िफ़ हूँ, तु लड़ाई देखने आया है।”
Als nun sein ältester Bruder Eliab hörte, wie er sich mit den Männern unterhielt, geriet er in Zorn über David und rief aus: »Wozu bist du eigentlich hergekommen, und wem hast du die paar Schafe dort in der Steppe überlassen? Ich kenne deinen vorwitzigen und boshaften Sinn wohl: du bist nur hergekommen, um dir den Krieg anzusehen!«
29 दाऊद ने कहा, “मैंने अब क्या किया? क्या बात ही नहीं हो रही है?”
David entgegnete: »Nun, was habe ich denn jetzt getan? Es war ja nur eine Frage!«
30 और वह उसके पास से फिर कर दूसरे की तरफ़ गया और वैसी ही बातें करने लगा और लोगों ने उसे फिर पहले की तरह जवाब दिया।
Damit wandte er sich von ihm ab, einem andern zu, und wiederholte seine vorige Frage, und die Leute gaben ihm dieselbe Auskunft wie zuvor.
31 और जब वह बातें जो दाऊद ने कहीं सुनने में आईं तो उन्होंने साऊल के आगे उनका ज़िक्र किया और उसने उसे बुला भेजा।
Als man nun hörte, wie David sich ausgesprochen hatte, hinterbrachte man es dem Saul, und dieser ließ ihn zu sich kommen.
32 और दाऊद ने साऊल से कहा कि उस शख़्स की वजह से किसी का दिल न घबराए, तेरा ख़ादिम जाकर उस फ़िलिस्ती से लड़ेगा।
Da sagte David zu Saul: »Kein Mensch braucht um den da den Mut zu verlieren! Dein Knecht will hingehen und mit diesem Philister kämpfen.«
33 साऊल ने दाऊद से कहा कि तू इस क़ाबिल नहीं कि उस फ़िलिस्ती से लड़ने को उसके सामने जाए; क्यूँकि तू महज़ लड़का है और वह अपने बचपन से जंगी जवान है।
Saul aber antwortete ihm: »Du kannst diesem Philister nicht entgegentreten, um mit ihm zu kämpfen; denn du bist noch ein Jüngling, er aber ist ein Kriegsmann von Jugend auf!«
34 तब दाऊद ने साऊल को जवाब दिया कि तेरा ख़ादिम अपने बाप की भेड़ बकरियाँ चराता था और जब कभी कोई शेर या रीछ आकर झुंड में से कोई बर्रा उठा ले जाता।
Da entgegnete David dem Saul: »Dein Knecht hat seinem Vater das Kleinvieh gehütet; wenn da ein Löwe oder ein Bär kam und ein Stück aus der Herde wegtrug,
35 तो मैं उसके पीछे पीछे जाकर उसे मारता और उसे उसके मुँह से छुड़ाता था और जब वह मुझ पर झपटता तो मैं उसकी दाढ़ी पकड़ कर उसे मारता और हलाक कर देता था।
so lief ich ihm nach und erschlug ihn und riß es ihm aus dem Rachen; leistete er mir aber Widerstand, so packte ich ihn am Bart und schlug ihn tot.
36 तेरे ख़ादिम ने शेर और रीछ दोनों को जान से मारा इसलिए यह नामख़तून फ़िलिस्ती उन में से एक की तरह होगा, इसलिए कि उसने ज़िन्दा ख़ुदा की फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती की है।
Löwen so gut wie Bären hat dein Knecht erschlagen, und diesem Philister, diesem Heiden, soll es ebenso ergehen wie jenen allen; denn er hat die Schlachtreihen des lebendigen Gottes verhöhnt!«
37 फिर दाऊद ने कहा, “ख़ुदावन्द ने मुझे शेर और रीछ के पंजे से बचाया, वही मुझको इस फ़िलिस्ती के हाथ से बचाएगा।” साऊल ने दाऊद से कहा, “जा ख़ुदावन्द तेरे साथ रहे।”
Dann fuhr David fort: »Der HERR, der mich aus den Krallen der Löwen und aus den Klauen der Bären errettet hat, der wird mich auch aus der Hand dieses Philisters erretten.« Da sagte Saul zu David: »So gehe hin! Der HERR wird mit dir sein!«
38 तब साऊल ने अपने कपड़े दाऊद को पहनाए, और पीतल का टोप उसके सर पर रख्खा और उसे ज़िरह भी पहनाई।
Hierauf legte Saul dem David seine Rüstung an: er setzte ihm einen ehernen Helm aufs Haupt und zog ihm einen Panzer an;
39 और दाऊद ने उसकी तलवार अपने कपड़ों पर कस ली और चलने की कोशिश की क्यूँकि उसने इनको आजमाया नहीं था, तब दाऊद ने साऊल से कहा, “मैं इनको पहन कर चल नहीं सकता क्यूँकि मैंने इनको आजमाया नहीं है।” इसलिए दाऊद ने उन सबको उतार दिया।
weiter mußte David Sauls Schwert über seinen Waffenrock gürten und bemühte sich dann zu gehen; denn er hatte es noch nie versucht. Aber er sagte zu Saul: »Ich kann darin nicht gehen, denn ich bin nicht daran gewöhnt.« So legte David denn alles wieder ab,
40 और उसने अपनी लाठी अपने हाथ में ली, और उस नाला से पाँच चिकने — चिकने पत्थर अपने वास्ते चुन कर उनको चरवाहे के थैले में जो उसके पास था, या'नी झोले में डाल लिया, और उसका गोफ़न उसके हाथ में था फिर वह फ़िलिस्ती के नज़दीक चला।
nahm nur seinen Stecken in die Hand, suchte sich aus dem Bach fünf glatte Kieselsteine aus und tat sie in die Hirtentasche, die ihm als Schleudertasche diente; dann nahm er seine Schleuder in die Hand und ging auf den Philister los.
41 और वह फ़िलिस्ती बढ़ा, और दाऊद के नज़दीक़ आया और उसके आगे — आगे उसका सिपर बरदार था।
Der Philister aber kam immer näher an David heran, während sein Schildträger vor ihm herschritt.
42 और जब उस फ़िलिस्ती ने इधर उधर निगाह की और दाऊद को देखा तो उसे नाचीज़ जाना क्यूँकि वह महज़ लड़का था, और सुर्ख़रु और नाज़ुक चेहरे का था।
Als nun der Philister hinblickte und David sah, verachtete er ihn, weil er noch so jung war, ein bräunlicher Jüngling von schmuckem Aussehen.
43 तब फ़िलिस्ती ने दाऊद से कहा, “क्या मैं कुत्ता हूँ, जो तू लाठी लेकर मेरे पास आता है?” और उस फ़िलिस्ती ने अपने मा'बूदों का नाम लेकर दाऊद पर ला'नत की।
Daher rief der Philister dem David zu: »Bin ich etwa ein Hund, daß du mit Stöcken zu mir kommst?« Hierauf fluchte der Philister dem David bei seinem Gott
44 और उस फ़िलिस्ती ने दाऊद से कहा, “तू मेरे पास आ, और मैं तेरा गोश्त हवाई परिंदों और जंगली जानवरों को दूँगा।”
und rief dem David zu: »Komm nur her zu mir, damit ich dein Fleisch den Vögeln des Himmels und den Tieren des Feldes gebe!«
45 और दाऊद ने उस फ़िलिस्ती से कहा कि “तू तलवार भाला और बरछी लिए हुए मेरे पास आता है, लेकिन मैं रब्ब — उल — अफ़वाज के नाम से जो इस्राईल के लश्करों का ख़ुदा है, जिसकी तूने बे'इज़्ज़ती की है तेरे पास आता हूँ।
David aber erwiderte ihm: »Du trittst mir mit Schwert und Lanze und Wurfspieß entgegen, ich aber trete dir entgegen mit dem Namen des HERRN der Heerscharen, des Gottes der Schlachtreihen Israels, die du verhöhnt hast.
46 और आज ही के दिन ख़ुदावन्द तुझको मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझको मार कर तेरा सर तुझ पर से उतार लूँगा और मैं आज के दिन फ़िलिस्तियों के लश्कर की लाशें हवाई परिंदों और ज़मीन के जंगली जानवरों को दूँगा ताकि दुनिया जान ले कि इस्राईल में एक ख़ुदा है।
Am heutigen Tage wird dich der HERR in meine Hand fallen lassen, daß ich dich erschlage und dir den Kopf abhaue; und (deinen Leichnam und) die Leichen des Philisterheeres werde ich noch heute den Vögeln des Himmels und den wilden Tieren des Landes übergeben, damit alle Welt erkennt, daß Israel einen Gott hat!
47 और यह सारी जमा'अत जान ले कि ख़ुदावन्द तलवार और भाले के ज़रिए' से नहीं बचाता इसलिए कि जंग तो ख़ुदावन्द की है, और वही तुमको हमारे हाथ में कर देगा।”
und alle, die hier versammelt sind, sollen erkennen, daß der HERR nicht Schwert und Spieß braucht, um den Sieg zu schaffen; denn der HERR hat die Entscheidung im Kampf, und er wird euch in unsere Hand geben!«
48 और ऐसा हुआ, कि जब वह फ़िलिस्ती उठा, और बढ़ कर दाऊद के मुक़ाबिला के लिए नज़दीक आया, तो दाऊद ने जल्दी की और लश्कर की तरफ़ उस फ़िलिस्ती से मुक़ाबिला करने को दौड़ा।
Als sich nun der Philister in Bewegung setzte und auf David losging, lief dieser eilends aus der Schlachtreihe, dem Philister entgegen;
49 और दाऊद ने अपने थैले में अपना हाथ डाला और उस में से एक पत्थर लिया और गोफ़न में रख कर उस फ़िलिस्ती के माथे पर मारा और वह पत्थर उसके माथे के अंदर घुस गया और वह ज़मीन पर मुँह के बल गिर पड़ा।
dabei griff er mit der Hand in die Tasche, nahm einen Stein heraus, schleuderte ihn und traf den Philister an die Stirn, so daß ihm der Stein in die Stirn eindrang und er vornüber zu Boden fiel.
50 इसलिए दाऊद उस गोफ़न और एक पत्थर से उस फ़िलिस्ती पर ग़ालिब आया और उस फ़िलिस्ती को मारा और क़त्ल किया और दाऊद के हाथ में तलवार न थी।
So überwältigte David den Philister mit der Schleuder und dem Stein, besiegte den Philister und tötete ihn, ohne ein Schwert in der Hand zu haben.
51 और दाऊद दौड़ कर उस फ़िलिस्ती के ऊपर खड़ा हो गया, और उसकी तलवार पकड़ कर मियाँन से खींची और उसे क़त्ल किया और उसी से उसका सर काट डाला और फ़िलिस्तियों ने जो देखा कि उनका पहलवान मारा गया तो वह भागे।
Er lief nämlich hin, trat an den Philister heran, nahm dessen Schwert, zog es aus der Scheide und tötete ihn vollends, indem er ihm den Kopf damit abhieb. Als nun die Philister sahen, daß ihr stärkster Mann tot war, ergriffen sie die Flucht.
52 और इस्राईल और यहूदाह के लोग उठे और ललकार कर फ़िलिस्तियों को गई और 'अक़रून के फाटकों तक दौड़ाया और फ़िलिस्तियों में से जो ज़ख़्मी हुए थे वह शा'रीम के रास्ते में और जात और 'अक्रू़न तक गिरते गए।
Da machten sich die Männer von Israel und Juda auf, erhoben das Kriegsgeschrei und verfolgten die Philister bis nach Gath und bis an die Tore von Ekron, so daß die Leichen der erschlagenen Philister auf dem Wege von Saaraim bis nach Gath und Ekron lagen.
53 तब बनी इस्राईल फ़िलिस्तियों के पीछे से उलटे फिरे और उनके ख़ेमों को लूटा।
Als dann die Israeliten von der Verfolgung der Philister zurückkehrten, plünderten sie deren Lager.
54 और दाऊद उस फ़िलिस्ती का सर लेकर उसे येरूशलेम में लाया और उसके हथियारों को उसने अपने डेरे में रख दिया।
David aber nahm den Kopf des Philisters und brachte ihn nach Jerusalem; seine Rüstung dagegen legte er in seinem Zelte nieder.
55 जब साऊल ने दाऊद को उस फ़िलिस्ती का मुक़ाबिला करने के लिए जाते देखा तो उसने लश्कर के सरदार अबनेर से पूछा अबनेर यह लड़का किसका बेटा है? अबनेर ने कहा, ऐ बादशाह तेरी जान की क़सम में नहीं जानता।
Als aber Saul sah, wie David dem Philister entgegenging, fragte er seinen Heerführer Abner: »Wessen Sohn ist denn der Jüngling, Abner?« Dieser antwortete: »Bei deinem Leben, o König: ich weiß es nicht!«
56 तब बादशाह ने कहा, तू मा'लूम कर कि यह नौजवान किस का बेटा है।
Da gab ihm der König den Auftrag: »Erkundige dich doch, wessen Sohn der junge Mann ist!«
57 और जब दाऊद उस फ़िलिस्ती को क़त्ल कर के फ़िरा तो अबनेर उसे लेकर साऊल के पास लाया और फ़िलिस्ती का सर उसके हाथ में था।
Sobald nun David von dem Sieg über den Philister zurückkehrte, nahm ihn Abner mit sich und führte ihn vor Saul, während er den Kopf des Philisters noch in der Hand hatte.
58 तब साऊल ने उससे कहा, “ऐ जवान तू किसका बेटा है?” दाऊद ने जवाब दिया, “मैं तेरे ख़ादिम बैतलहमी यस्सी का बेटा हूँ।”
Da fragte ihn Saul: »Wessen Sohn bist du, junger Mann?«, und David antwortete: »Der Sohn deines Knechtes Isai aus Bethlehem.«

< 1 समु 17 >