< 1 समु 17 >
1 फिर फ़िलिस्तियों ने जंग के लिए अपनी फ़ौजें जमा' कीं, और यहूदाह के शहर शोको में इकट्ठे हुए और शोक़े और 'अजीक़ा के बीच अफ़सदम्मीम में ख़ैमाज़न हुए।
Und die Philister sammelten ihre Heere zum Streit und versammelten sich zu Soko, das Juda gehört, und lagerten sich bei Ephes-Dammim, zwischen Soko und Aseka.
2 और साऊल और इस्राईल के लोगों ने जमा' होकर एला की वादी में डेरे डाले और लड़ाई के लिए फ़िलिस्तियों के मुक़ाबिल सफ़ आराई की।
Und Saul und die Männer von Israel versammelten und lagerten sich im Terebinthentale, und sie stellten sich in Schlachtordnung auf, den Philistern gegenüber.
3 और एक तरफ़ के पहाड़ पर फ़िलिस्ती और दूसरी तरफ़ के पहाड़ पर बनी इस्राईल खड़े हुए और इन दोनों के बीच वादी थी।
Und die Philister standen am Berge jenseits, und Israel stand am Berge diesseits, und das Tal war zwischen ihnen.
4 और फ़िलिस्तियों के लश्कर से एक पहलवान निकला जिसका नाम जाती जूलियत था, उसका क़द छ हाथ और एक बालिश्त था।
Und der Zwischenkämpfer trat aus den Lagern der Philister hervor, sein Name war Goliath, aus Gath; [S. Josua 11,22] seine Höhe war sechs Ellen und eine Spanne.
5 और उसके सर पर पीतल का टोपा था, और वह पीतल ही की ज़िरह पहने हुए था जो तोल में पाँच हज़ार पीतल की मिस्क़ाल के बराबर थी।
Und er hatte einen ehernen Helm auf seinem Haupte, und er war mit einem Schuppenpanzer bekleidet, und das Gewicht des Panzers war 5000 Sekel Erz.
6 और उसकी टाँगों पर पीतल के दो साकपोश थे और उसके दोनों शानों के बीच पीतल की बरछी थी।
Und er hatte eherne Schienen an seinen Beinen und einen ehernen Wurfspieß zwischen seinen Schultern;
7 और उसके भाले की छड़ ऐसी थी जैसे जुलाहे का शहतीर और उसके नेज़े का फ़ल छ: सौ मिस्क़ाल लोहे का था और एक शख़्स ढाल लिए हुए उसके आगे आगे चलता था।
und der Schaft seines Speeres war wie ein Weberbaum, und die Spitze seines Speeres war sechshundert Sekel Eisen. Und der Schildträger ging vor ihm her.
8 वह खड़ा हुआ, और इस्राईल के लश्करों को पुकार कर उन से कहने लगा कि तुमने आकर जंग के लिए क्यूँ सफ आराई की? क्या मैं फ़िलिस्ती नहीं और तुम साऊल के ख़ादिम नहीं? इसलिए अपने लिए किसी शख़्स को चुनो जो मेरे पास उतर आए।
Und er trat hin und rief den Schlachtreihen Israels zu und sprach zu ihnen: Warum ziehet ihr aus, euch in Schlachtordnung aufzustellen? Bin ich nicht der Philister, und ihr die Knechte Sauls? Wählet euch einen Mann, daß er zu mir herabkomme!
9 अगर वह मुझे से लड़ सके और मुझे क़त्ल कर डाले तो हम तुम्हारे ख़ादिम हो जाएँगे लेकिन अगर मैं उस पर ग़ालिब आऊँ और उसे क़त्ल कर डालूँ तो तुम हमारे ख़ादिम हो जाना और हमारी ख़िदमत करना।
Wenn er mit mir zu kämpfen vermag und mich erschlägt, so wollen wir eure Knechte sein; wenn ich ihn aber überwinde und ihn erschlage, so sollt ihr unsere Knechte sein und uns dienen.
10 फिर उस फ़िलिस्ती ने कहा कि मैं आज के दिन इस्राईली फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती करता हूँ कोई जवान निकालो ताकि हम लड़ें।
Und der Philister sprach: Ich habe die Schlachtreihen Israels verhöhnt an diesem Tage! Gebet mir einen Mann, daß wir miteinander kämpfen!
11 जब साऊल और सब इस्राईलियों ने उस फ़िलिस्ती की बातें सुनीं, तो परेशान हुए और बहुत डर गए।
Und Saul und ganz Israel hörten diese Worte des Philisters, und sie erschraken und fürchteten sich sehr.
12 और दाऊद बैतल हम यहूदाह के उस इफ़्राती आदमी का बेटा था जिसका नाम यस्सी था, उसके आठ बेटे थे और वह ख़ुद साऊल के ज़माना के लोगों के बीच बुड्ढा और उम्र दराज़ था।
David nun war der Sohn jenes Ephratiters [W. jenes ephratischen Mannes] von Bethlehem-Juda, dessen Name Isai war und der acht Söhne hatte; und der Mann war in den Tagen Sauls alt, im Alter vorgerückt unter den Männern.
13 और यस्सी के तीन बड़े बेटे साऊल के पीछे पीछे जंग में गए थे और उसके तीनों बेटों के नाम जो जंग में गए थे यह थे इलियाब जो पहलौठा था, और दूसरा अबीनदाब और तीसरा सम्मा।
Und die drei ältesten Söhne Isais waren hingegangen, sie waren Saul nachgefolgt zum Streit; und die Namen seiner drei Söhne, die in den Streit gezogen, waren: Eliab, der Erstgeborene, und sein Zweiter, Abinadab, und der Dritte, Schamma.
14 और दाऊद सबसे छोटा था और तीनों बड़े बेटे साऊल के पीछे पीछे थे।
Und David war der Jüngste, und die drei Ältesten waren Saul nachgefolgt.
15 और दाऊद बैतलहम में अपने बाप की भेड़ बकरयाँ चराने को साऊल के पास से आया जाया करता था।
David aber ging hin und kam wieder zurück von Saul, um das Kleinvieh seines Vaters zu weiden zu Bethlehem. -
16 और वह फ़िलिस्ती सुबह और शाम नज़दीक आता और चालिस दिन तक निकल कर आता रहा।
Und der Philister trat morgens und abends herzu und stellte sich hin, vierzig Tage lang. -
17 और यस्सी ने अपने बेटे दाऊद से कहा कि “इस भुने अनाज में से एक ऐफ़ा और यह दस रोटियाँ अपने भाइयों के लिए लेकर इनको जल्द लश्कर गाह, में अपने भाइयों के पास पहुचा दे।
Und Isai sprach zu seinem Sohne David: Nimm doch für deine Brüder dieses Epha geröstete Körner und diese zehn Brote, und bringe sie schnell in das Lager zu deinen Brüdern;
18 और उनके हज़ारी सरदार के पास पनीर की यह दस टिकियाँ लेजा और देख कि तेरे भाइयों का क्या हाल है, और उनकी कुछ निशानी ले आ।”
und diese zehn Schnitten Milchkäse bringe dem Obersten über tausend und besuche deine Brüder, um nach ihrem Wohlergehen zu fragen, und nimm ein Pfand von ihnen mit.
19 और साऊल और वह भाई और सब इस्राईली जवान एला की वादी में फ़िलिस्तियों से लड़ रहे थे।
Saul und sie und alle Männer von Israel sind nämlich im Terebinthentale, streitend mit den Philistern. -
20 और दाऊद सुबह को सवेरे उठा, और भेड़ बकरियों को एक रखवाले के पास छोड़ कर यस्सी के हुक्म के मुताबिक़ सब कुछ लेकर रवाना हुआ, और जब वह लश्कर जो लड़ने जा रहा था, जंग के लिए ललकार रहा था, उस वक़्त वह छकड़ों के पड़ाव में पहुँचा।
Da machte sich David des Morgens früh auf und überließ das Kleinvieh einem Hüter; und er nahm und ging hin, wie Isai ihm geboten hatte; und er kam an die Wagenburg, als das Heer, das in die Schlachtreihe ausrückte, das Kampfgeschrei erhob.
21 और इस्राईलियों और फ़िलिस्तियों ने अपने — अपने लश्कर को आमने सामने करके सफ़ आराई की।
Und Israel und die Philister stellten sich auf, Schlachtreihe gegen Schlachtreihe.
22 और दाऊद अपना सामान असबाब के निगहबान के हाथ में छोड़ कर आप लश्कर में दौड़ गया और जाकर अपने भाइयों से ख़ैर — ओ — 'आफ़ियत पूछी।
Und David überließ das Gerät, das er trug, der Hand des Hüters der Geräte und lief in die Schlachtreihe; und er kam und fragte seine Brüder nach ihrem Wohlergehen.
23 और वह उनसे बातें करता ही था कि देखो वह पहलवान जात का फ़िलिस्ती जिसका नाम जूलियत था फ़िलिस्ती सफ़ों में से निकला और उसने फिर वैसी ही बातें कहीं और दाऊद ने उनको सुना।
Und während er mit ihnen redete, siehe, da kam der Zwischenkämpfer herauf, Goliath, der Philister, sein Name, von Gath, aus den Schlachtreihen der Philister und sprach nach jenen Worten; und David hörte es.
24 और सब इस्राईली जवान उस शख़्स को देख कर उसके सामने से भागे और बहुत डर गए।
Und alle Männer von Israel, als sie den Mann sahen, flohen vor ihm und fürchteten sich sehr.
25 तब इस्राईली जवान ऐसा कहने लगे, “तुम इस आदमी को जो निकला है देखते हो? यक़ीनन यह इस्राईल की बे'इज़्ज़ती करने को आया है, इसलिए जो कोई उसको मार डाले उसे बादशाह बड़ी दौलत से माला माल करेगा और अपनी बेटी उसे ब्याह देगा, और उसके बाप के घराने को इस्राईल के बीच आज़ाद कर देगा।”
Und die Männer von Israel sprachen: Habt ihr diesen Mann gesehen, der heraufkommt? denn um Israel zu verhöhnen, kommt er herauf. Und es soll geschehen, den Mann, der ihn erschlägt, den will der König bereichern mit großem Reichtum, und er will ihm seine Tochter geben, und das Haus seines Vaters will er frei machen in Israel.
26 और दाऊद ने उन लोगों से जो उसके पास खड़े थे पूछा कि जो शख़्स इस फ़िलिस्ती को मार कर यह नंग इस्राईल से दूर करे उस से क्या सुलूक किया जाएगा? क्यूँकि यह ना मख्तून फ़िलिस्ती होता कौन है कि वह जिंदा ख़ुदा की फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती करे?
Da sprach David zu den Männern, die bei ihm standen, und sagte: Was soll dem Manne geschehen, der diesen Philister da erschlägt und den Hohn von Israel abwendet? denn wer ist dieser Philister, dieser Unbeschnittene, daß er die Schlachtreihen des lebendigen Gottes verhöhnt?
27 और लोगों ने उसे यही जवाब दिया कि उस शख़्स से जो उसे मार डाले यह सुलूक किया जाएगा।
Und das Volk sprach zu ihm nach jenem Worte und sagte: So soll dem Manne geschehen, der ihn erschlägt.
28 और उसके सब से बड़े भाई इलियाब ने उसकी बातों को जो वह लोगों से करता था सुना और इलयाब का ग़ुस्सा दाऊद पर भड़का और वह कहने लगा, “तू यहाँ क्यूँ आया है? और वह थोड़ी सी भेड़ बकरियाँ तूने जंगल में किस के पास छोड़ीं? मैं तेरे घमंड और तेरे दिल की शरारत से वाक़िफ़ हूँ, तु लड़ाई देखने आया है।”
Und Eliab, sein ältester Bruder, hörte zu, als er zu den Männern redete; und der Zorn Eliabs entbrannte wider David, und er sprach: Warum doch bist du herabgekommen, und wem hast du jene wenigen Schafe in der Wüste überlassen? Ich kenne deine Vermessenheit wohl und die Bosheit deines Herzens; denn um den Streit zu sehen, bist du herabgekommen.
29 दाऊद ने कहा, “मैंने अब क्या किया? क्या बात ही नहीं हो रही है?”
Und David sprach: Was habe ich nun getan? Ist es nicht der Mühe wert [And. üb.: Ist es nicht ein Auftrag?]
30 और वह उसके पास से फिर कर दूसरे की तरफ़ गया और वैसी ही बातें करने लगा और लोगों ने उसे फिर पहले की तरह जवाब दिया।
Und er wandte sich von ihm ab, einem anderen zu, und sprach nach jenem Worte; und das Volk gab ihm Antwort nach der vorigen Antwort.
31 और जब वह बातें जो दाऊद ने कहीं सुनने में आईं तो उन्होंने साऊल के आगे उनका ज़िक्र किया और उसने उसे बुला भेजा।
Und die Worte, welche David geredet hatte, wurden gehört und man erzählte sie vor Saul; und er ließ ihn holen.
32 और दाऊद ने साऊल से कहा कि उस शख़्स की वजह से किसी का दिल न घबराए, तेरा ख़ादिम जाकर उस फ़िलिस्ती से लड़ेगा।
Und David sprach zu Saul: Es entfalle keinem Menschen das Herz seinetwegen! Dein Knecht will gehen und mit diesem Philister kämpfen.
33 साऊल ने दाऊद से कहा कि तू इस क़ाबिल नहीं कि उस फ़िलिस्ती से लड़ने को उसके सामने जाए; क्यूँकि तू महज़ लड़का है और वह अपने बचपन से जंगी जवान है।
Aber Saul sprach zu David: Du vermagst nicht wider diesen Philister zu gehen, um mit ihm zu kämpfen; denn du bist ein Jüngling, er aber ist ein Kriegsmann von seiner Jugend an.
34 तब दाऊद ने साऊल को जवाब दिया कि तेरा ख़ादिम अपने बाप की भेड़ बकरियाँ चराता था और जब कभी कोई शेर या रीछ आकर झुंड में से कोई बर्रा उठा ले जाता।
Da sprach David zu Saul: Dein Knecht weidete das Kleinvieh für seinen Vater; kam nun ein Löwe oder ein Bär und trug ein Stück von der Herde fort,
35 तो मैं उसके पीछे पीछे जाकर उसे मारता और उसे उसके मुँह से छुड़ाता था और जब वह मुझ पर झपटता तो मैं उसकी दाढ़ी पकड़ कर उसे मारता और हलाक कर देता था।
so lief ich ihm nach und schlug ihn und entriß es seinem Rachen; und erhob er sich wider mich, so ergriff ich ihn bei dem Barte und schlug ihn und tötete ihn.
36 तेरे ख़ादिम ने शेर और रीछ दोनों को जान से मारा इसलिए यह नामख़तून फ़िलिस्ती उन में से एक की तरह होगा, इसलिए कि उसने ज़िन्दा ख़ुदा की फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती की है।
Sowohl den Löwen als auch den Bären hat dein Knecht erschlagen; und dieser Philister, dieser Unbeschnittene, soll sein wie einer von ihnen, weil er die Schlachtreihen des lebendigen Gottes verhöhnt hat!
37 फिर दाऊद ने कहा, “ख़ुदावन्द ने मुझे शेर और रीछ के पंजे से बचाया, वही मुझको इस फ़िलिस्ती के हाथ से बचाएगा।” साऊल ने दाऊद से कहा, “जा ख़ुदावन्द तेरे साथ रहे।”
Und David sprach: Jehova, der mich aus den Klauen [Eig. aus der Hand] des Löwen und aus den Klauen [Eig. aus der Hand] des Bären errettet hat, er wird mich aus der Hand dieses Philisters erretten. Und Saul sprach zu David: Gehe hin, und Jehova sei mit dir!
38 तब साऊल ने अपने कपड़े दाऊद को पहनाए, और पीतल का टोप उसके सर पर रख्खा और उसे ज़िरह भी पहनाई।
Und Saul zog David seinen Rock an und setzte einen ehernen Helm auf sein Haupt und zog ihm einen Panzer an.
39 और दाऊद ने उसकी तलवार अपने कपड़ों पर कस ली और चलने की कोशिश की क्यूँकि उसने इनको आजमाया नहीं था, तब दाऊद ने साऊल से कहा, “मैं इनको पहन कर चल नहीं सकता क्यूँकि मैंने इनको आजमाया नहीं है।” इसलिए दाऊद ने उन सबको उतार दिया।
Und David gürtete sein Schwert über seinen Rock und wollte gehen, denn er hatte es nie versucht. Da sprach David zu Saul: Ich kann nicht darin gehen, denn ich habe es nie versucht. Und David legte sie von sich ab.
40 और उसने अपनी लाठी अपने हाथ में ली, और उस नाला से पाँच चिकने — चिकने पत्थर अपने वास्ते चुन कर उनको चरवाहे के थैले में जो उसके पास था, या'नी झोले में डाल लिया, और उसका गोफ़न उसके हाथ में था फिर वह फ़िलिस्ती के नज़दीक चला।
Und er nahm seinen Stab in seine Hand und wählte sich fünf glatte Steine aus dem Bache [O. Tal, trockenes Flußbett] und tat sie in das Hirtengerät, das er hatte, in die Tasche, und seine Schleuder hatte er in seiner Hand; und er trat an den Philister heran.
41 और वह फ़िलिस्ती बढ़ा, और दाऊद के नज़दीक़ आया और उसके आगे — आगे उसका सिपर बरदार था।
Und der Philister ging und kam dem David immer näher, und der Mann, der den Schild [Hier der große, den ganzen Mann deckende Schild] trug, vor ihm her.
42 और जब उस फ़िलिस्ती ने इधर उधर निगाह की और दाऊद को देखा तो उसे नाचीज़ जाना क्यूँकि वह महज़ लड़का था, और सुर्ख़रु और नाज़ुक चेहरे का था।
Und als der Philister hinschaute und David sah, verachtete er ihn; denn er war ein Jüngling und rötlich, dazu schön von Ansehen.
43 तब फ़िलिस्ती ने दाऊद से कहा, “क्या मैं कुत्ता हूँ, जो तू लाठी लेकर मेरे पास आता है?” और उस फ़िलिस्ती ने अपने मा'बूदों का नाम लेकर दाऊद पर ला'नत की।
Und der Philister sprach zu David: Bin ich ein Hund, daß du mit Stöcken zu mir kommst? Und der Philister fluchte David bei seinen Göttern.
44 और उस फ़िलिस्ती ने दाऊद से कहा, “तू मेरे पास आ, और मैं तेरा गोश्त हवाई परिंदों और जंगली जानवरों को दूँगा।”
Und der Philister sprach zu David: Komm her zu mir, daß ich dein Fleisch den Vögeln des Himmels und den Tieren des Feldes gebe!
45 और दाऊद ने उस फ़िलिस्ती से कहा कि “तू तलवार भाला और बरछी लिए हुए मेरे पास आता है, लेकिन मैं रब्ब — उल — अफ़वाज के नाम से जो इस्राईल के लश्करों का ख़ुदा है, जिसकी तूने बे'इज़्ज़ती की है तेरे पास आता हूँ।
Und David sprach zu dem Philister: Du kommst zu mir mit Schwert und mit Speer und mit Wurfspieß; ich aber komme zu dir im Namen Jehovas der Heerscharen, des Gottes der Schlachtreihen Israels, den [O. die] du verhöhnt hast.
46 और आज ही के दिन ख़ुदावन्द तुझको मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझको मार कर तेरा सर तुझ पर से उतार लूँगा और मैं आज के दिन फ़िलिस्तियों के लश्कर की लाशें हवाई परिंदों और ज़मीन के जंगली जानवरों को दूँगा ताकि दुनिया जान ले कि इस्राईल में एक ख़ुदा है।
An diesem Tage wird Jehova dich in meine Hand überliefern, und ich werde dich erschlagen und dein Haupt von dir wegnehmen; und die Leichname des Heeres der Philister werde ich an diesem Tage den Vögeln des Himmels und dem Wilde der Erde geben; und die ganze Erde soll erkennen, daß Israel einen Gott hat.
47 और यह सारी जमा'अत जान ले कि ख़ुदावन्द तलवार और भाले के ज़रिए' से नहीं बचाता इसलिए कि जंग तो ख़ुदावन्द की है, और वही तुमको हमारे हाथ में कर देगा।”
Und diese ganze Versammlung soll erkennen, daß Jehova nicht durch Schwert und durch Speer rettet; denn Jehovas ist der Streit, und er wird euch in unsere Hand geben!
48 और ऐसा हुआ, कि जब वह फ़िलिस्ती उठा, और बढ़ कर दाऊद के मुक़ाबिला के लिए नज़दीक आया, तो दाऊद ने जल्दी की और लश्कर की तरफ़ उस फ़िलिस्ती से मुक़ाबिला करने को दौड़ा।
Und es geschah, als der Philister sich aufmachte und ging und nahte, David entgegen, da eilte David und lief der Schlachtreihe zu, dem Philister entgegen.
49 और दाऊद ने अपने थैले में अपना हाथ डाला और उस में से एक पत्थर लिया और गोफ़न में रख कर उस फ़िलिस्ती के माथे पर मारा और वह पत्थर उसके माथे के अंदर घुस गया और वह ज़मीन पर मुँह के बल गिर पड़ा।
Und David fuhr mit seiner Hand in das Gerät und nahm einen Stein heraus, und er schleuderte und traf den Philister an seine Stirn; und der Stein drang in seine Stirn, und er fiel auf sein Angesicht zur Erde.
50 इसलिए दाऊद उस गोफ़न और एक पत्थर से उस फ़िलिस्ती पर ग़ालिब आया और उस फ़िलिस्ती को मारा और क़त्ल किया और दाऊद के हाथ में तलवार न थी।
So war David, mit der Schleuder und mit dem Steine, stärker als der Philister, und er schlug den Philister und tötete ihn; und David hatte kein Schwert in der Hand.
51 और दाऊद दौड़ कर उस फ़िलिस्ती के ऊपर खड़ा हो गया, और उसकी तलवार पकड़ कर मियाँन से खींची और उसे क़त्ल किया और उसी से उसका सर काट डाला और फ़िलिस्तियों ने जो देखा कि उनका पहलवान मारा गया तो वह भागे।
Und David lief und trat zu dem Philister hin, und er nahm sein Schwert und zog es aus seiner Scheide und tötete ihn, und hieb ihm den Kopf damit ab. Als aber die Philister sahen, daß ihr Held tot war, da flohen sie.
52 और इस्राईल और यहूदाह के लोग उठे और ललकार कर फ़िलिस्तियों को गई और 'अक़रून के फाटकों तक दौड़ाया और फ़िलिस्तियों में से जो ज़ख़्मी हुए थे वह शा'रीम के रास्ते में और जात और 'अक्रू़न तक गिरते गए।
Und die Männer von Israel und Juda machten sich auf und erhoben ein Geschrei und verfolgten die Philister bis zum Eingang des Tales [W. bis man in das Tal kommt; And. l.: bis nach Gath] und bis zu den Toren von Ekron; und die Erschlagenen der Philister fielen auf dem Wege nach Schaaraim und bis Gath und bis Ekron.
53 तब बनी इस्राईल फ़िलिस्तियों के पीछे से उलटे फिरे और उनके ख़ेमों को लूटा।
Und die Kinder Israel kehrten um von der Verfolgung der Philister und plünderten ihre Lager.
54 और दाऊद उस फ़िलिस्ती का सर लेकर उसे येरूशलेम में लाया और उसके हथियारों को उसने अपने डेरे में रख दिया।
Und David nahm das Haupt des Philisters und brachte es nach Jerusalem; seine Waffen aber legte er in sein Zelt.
55 जब साऊल ने दाऊद को उस फ़िलिस्ती का मुक़ाबिला करने के लिए जाते देखा तो उसने लश्कर के सरदार अबनेर से पूछा अबनेर यह लड़का किसका बेटा है? अबनेर ने कहा, ऐ बादशाह तेरी जान की क़सम में नहीं जानता।
Und als Saul David ausziehen sah, dem Philister entgegen, sprach er zu Abner, dem Heerobersten: Wessen Sohn ist doch der Jüngling, Abner? Und Abner sprach: So wahr deine Seele lebt, o König, ich weiß es nicht!
56 तब बादशाह ने कहा, तू मा'लूम कर कि यह नौजवान किस का बेटा है।
Und der König sprach: Frage du, wessen Sohn der junge Mann ist.
57 और जब दाऊद उस फ़िलिस्ती को क़त्ल कर के फ़िरा तो अबनेर उसे लेकर साऊल के पास लाया और फ़िलिस्ती का सर उसके हाथ में था।
Und als David vom Erschlagen des Philisters zurückkehrte, da nahm ihn Abner und brachte ihn vor Saul; und das Haupt des Philisters war in seiner Hand.
58 तब साऊल ने उससे कहा, “ऐ जवान तू किसका बेटा है?” दाऊद ने जवाब दिया, “मैं तेरे ख़ादिम बैतलहमी यस्सी का बेटा हूँ।”
Und Saul sprach zu ihm: Wessen Sohn bist du, Jüngling? Und David sprach: Der Sohn deines Knechtes Isai, des Bethlehemiters.