< 1 समु 17 >
1 फिर फ़िलिस्तियों ने जंग के लिए अपनी फ़ौजें जमा' कीं, और यहूदाह के शहर शोको में इकट्ठे हुए और शोक़े और 'अजीक़ा के बीच अफ़सदम्मीम में ख़ैमाज़न हुए।
ফিলিস্তিনীরা যুদ্ধ করার জন্য যিহূদা প্রদেশের সোখোতে তাদের সৈন্যদল একত্রিত করল। সোখো ও অসেকার মাঝখানে অবস্থিত এফস-দম্মীমে তারা সৈন্যশিবির স্থাপন করল।
2 और साऊल और इस्राईल के लोगों ने जमा' होकर एला की वादी में डेरे डाले और लड़ाई के लिए फ़िलिस्तियों के मुक़ाबिल सफ़ आराई की।
শৌল ও ইস্রায়েলীরা একত্রিত হয়ে এলা উপত্যকায় শিবির স্থাপন করে ফিলিস্তিনীদের বিরুদ্ধে সৈন্য সমাবেশ করলেন।
3 और एक तरफ़ के पहाड़ पर फ़िलिस्ती और दूसरी तरफ़ के पहाड़ पर बनी इस्राईल खड़े हुए और इन दोनों के बीच वादी थी।
মাঝখানে উপত্যকাটিকে রেখে ফিলিস্তিনীরা একটি টিলা এবং ইস্রায়েলীরা অপর একটি টিলা অধিকার করল।
4 और फ़िलिस्तियों के लश्कर से एक पहलवान निकला जिसका नाम जाती जूलियत था, उसका क़द छ हाथ और एक बालिश्त था।
ফিলিস্তিনীদের শিবির থেকে গাৎ নিবাসী গলিয়াত নামক একজন বীরপুরুষ বের হয়ে এসেছিল। সে ছিল প্রায় তিন মিটার লম্বা।
5 और उसके सर पर पीतल का टोपा था, और वह पीतल ही की ज़िरह पहने हुए था जो तोल में पाँच हज़ार पीतल की मिस्क़ाल के बराबर थी।
তার মাথায় ছিল ব্রোঞ্জের শিরস্ত্রাণ ও সে অঙ্গে ধারণ করেছিল 5,000 শেকল ওজনের ব্রোঞ্জের তৈরি আঁশের মতো দেখতে এক বর্ম;
6 और उसकी टाँगों पर पीतल के दो साकपोश थे और उसके दोनों शानों के बीच पीतल की बरछी थी।
তার পায়ে ছিল ব্রোঞ্জের বর্ম ও তার পিঠে ঝুলছিল ব্রোঞ্জের একটি বল্লম।
7 और उसके भाले की छड़ ऐसी थी जैसे जुलाहे का शहतीर और उसके नेज़े का फ़ल छ: सौ मिस्क़ाल लोहे का था और एक शख़्स ढाल लिए हुए उसके आगे आगे चलता था।
তার বর্শার হাতলটি ছিল তাঁতির দণ্ডের মতো, ও বর্শার লোহার ডগাটিরই ওজন ছিল 600 শেকল। তার ঢাল বহনকারী তার আগে আগে যাচ্ছিল।
8 वह खड़ा हुआ, और इस्राईल के लश्करों को पुकार कर उन से कहने लगा कि तुमने आकर जंग के लिए क्यूँ सफ आराई की? क्या मैं फ़िलिस्ती नहीं और तुम साऊल के ख़ादिम नहीं? इसलिए अपने लिए किसी शख़्स को चुनो जो मेरे पास उतर आए।
গলিয়াত দাঁড়িয়ে পড়ে ইস্রায়েলের সৈন্যদলের উদ্দেশে চিৎকার করে বলে উঠল, “তোমরা কেন এখানে এসে যুদ্ধ করার জন্য সৈন্য সাজিয়েছ? আমি কি একজন ফিলিস্তিনী নই, আর তোমরাও কি শৌলের দাস নও? তোমরা একজনকে বেছে নাও আর সে আমার কাছে নেমে আসুক।
9 अगर वह मुझे से लड़ सके और मुझे क़त्ल कर डाले तो हम तुम्हारे ख़ादिम हो जाएँगे लेकिन अगर मैं उस पर ग़ालिब आऊँ और उसे क़त्ल कर डालूँ तो तुम हमारे ख़ादिम हो जाना और हमारी ख़िदमत करना।
সে যদি যুদ্ধ করে আমাকে মারতে পারে, তবে আমরা তোমাদের বশ্যতাস্বীকার করব; কিন্তু আমি যদি পরাজিত করে তাকে মারতে পারি, তোমরা আমাদের বশ্যতাস্বীকার করে আমাদের দাসত্ব করবে।”
10 फिर उस फ़िलिस्ती ने कहा कि मैं आज के दिन इस्राईली फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती करता हूँ कोई जवान निकालो ताकि हम लड़ें।
পরে সেই ফিলিস্তিনী বলল, “আজ আমি ইস্রায়েলের সৈন্যদলকে দ্বন্দ্বে আহ্বান করছি! আমাকে একজন লোক দাও আর আমরা একে অপরের সঙ্গে যুদ্ধ করি।”
11 जब साऊल और सब इस्राईलियों ने उस फ़िलिस्ती की बातें सुनीं, तो परेशान हुए और बहुत डर गए।
সেই ফিলিস্তিনীর কথা শুনে শৌল ও ইস্রায়েলীরা সবাই বিমর্ষ ও আতঙ্কগ্রস্ত হয়ে পড়লেন।
12 और दाऊद बैतल हम यहूदाह के उस इफ़्राती आदमी का बेटा था जिसका नाम यस्सी था, उसके आठ बेटे थे और वह ख़ुद साऊल के ज़माना के लोगों के बीच बुड्ढा और उम्र दराज़ था।
এদিকে দাউদ ছিলেন যিহূদা প্রদেশের বেথলেহেম নিবাসী ইফ্রাথীয় যিশয়ের ছেলে। যিশয়ের আটটি ছেলে ছিল, এবং শৌলের রাজত্ব চলাকালীন তিনি খুব বৃদ্ধ হয়ে গিয়েছিলেন।
13 और यस्सी के तीन बड़े बेटे साऊल के पीछे पीछे जंग में गए थे और उसके तीनों बेटों के नाम जो जंग में गए थे यह थे इलियाब जो पहलौठा था, और दूसरा अबीनदाब और तीसरा सम्मा।
যিশয়ের ছেলেদের মধ্যে প্রথম তিনজন শৌলের অনুগামী হয়ে যুদ্ধে গেলেন: তাঁর বড়ো ছেলের নাম ইলীয়াব; দ্বিতীয়জনের নাম অবীনাদব; ও তৃতীয় জনের নাম শম্ম।
14 और दाऊद सबसे छोटा था और तीनों बड़े बेटे साऊल के पीछे पीछे थे।
দাউদ ছিলেন সবচেয়ে ছোটো। বড়ো তিনজন শৌলের অনুগামী হলেন,
15 और दाऊद बैतलहम में अपने बाप की भेड़ बकरयाँ चराने को साऊल के पास से आया जाया करता था।
কিন্তু দাউদ শৌলের কাছ থেকে বেথলেহেমে তাঁর বাবার মেষপাল দেখাশোনা করার জন্য যাওয়া-আসা করতেন।
16 और वह फ़िलिस्ती सुबह और शाम नज़दीक आता और चालिस दिन तक निकल कर आता रहा।
সেই ফিলিস্তিনী চল্লিশ দিন ধরে রোজ সকালে বিকেলে এগিয়ে এসে দাঁড়িয়ে পড়ত।
17 और यस्सी ने अपने बेटे दाऊद से कहा कि “इस भुने अनाज में से एक ऐफ़ा और यह दस रोटियाँ अपने भाइयों के लिए लेकर इनको जल्द लश्कर गाह, में अपने भाइयों के पास पहुचा दे।
একদিন যিশয় তাঁর ছেলে দাউদকে বললেন, “তুমি তোমার দাদাদের জন্য এই এক ঐফা সেঁকা শস্য ও এই দশ টুকরো রুটি নিয়ে তাড়াতাড়ি তাদের সৈন্যশিবিরে যাও।
18 और उनके हज़ारी सरदार के पास पनीर की यह दस टिकियाँ लेजा और देख कि तेरे भाइयों का क्या हाल है, और उनकी कुछ निशानी ले आ।”
এই দশ তাল পনীরও তাদের সহস্র-সেনাপতির কাছে নিয়ে যাও। দেখে এসো তোমার দাদারা কেমন আছে এবং তাদের কাছ থেকে কিছু প্রতিশ্রুতি নিয়ে এসো।
19 और साऊल और वह भाई और सब इस्राईली जवान एला की वादी में फ़िलिस्तियों से लड़ रहे थे।
তারা শৌল ও ইস্রায়েলের সৈন্যদলের সঙ্গে থেকে এলা উপত্যকায় ফিলিস্তিনীদের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করছে।”
20 और दाऊद सुबह को सवेरे उठा, और भेड़ बकरियों को एक रखवाले के पास छोड़ कर यस्सी के हुक्म के मुताबिक़ सब कुछ लेकर रवाना हुआ, और जब वह लश्कर जो लड़ने जा रहा था, जंग के लिए ललकार रहा था, उस वक़्त वह छकड़ों के पड़ाव में पहुँचा।
পরদিন ভোরবেলায় দাউদ একজন রাখালের হাতে পশুপালের ভার সঁপে দিয়ে যিশয়ের নির্দেশানুসারে সবকিছু নিয়ে রওনা হয়ে গেলেন। ঠিক যখন সৈন্যরা রণহুঙ্কার দিতে দিতে সম্মুখসমরে নামতে যাচ্ছিল, তিনি সৈন্যশিবিরে গিয়ে পৌঁছালেন।
21 और इस्राईलियों और फ़िलिस्तियों ने अपने — अपने लश्कर को आमने सामने करके सफ़ आराई की।
ইস্রায়েল ও ফিলিস্তিনীরা সম্মুখসমরে অবতীর্ণ হওয়ার জন্য পরস্পরের মুখোমুখি হল।
22 और दाऊद अपना सामान असबाब के निगहबान के हाथ में छोड़ कर आप लश्कर में दौड़ गया और जाकर अपने भाइयों से ख़ैर — ओ — 'आफ़ियत पूछी।
দাউদ তাঁর জিনিসপত্র রসদ দেখাশোনাকারী একজন লোকের কাছে ফেলে রেখে যুদ্ধক্ষেত্রে দৌড়ে গেলেন ও তাঁর দাদাদের জিজ্ঞাসা করলেন, তারা কেমন আছেন।
23 और वह उनसे बातें करता ही था कि देखो वह पहलवान जात का फ़िलिस्ती जिसका नाम जूलियत था फ़िलिस्ती सफ़ों में से निकला और उसने फिर वैसी ही बातें कहीं और दाऊद ने उनको सुना।
তিনি যখন তাদের সঙ্গে কথা বলছিলেন, তখন গাৎ নিবাসী ফিলিস্তিনী বীরপুরুষ গলিয়াত তার অভ্যাসমতো সামনে এগিয়ে এসে চিৎকার করে তাদের টিটকিরি দিচ্ছিল, এবং দাউদ তা শুনেছিলেন।
24 और सब इस्राईली जवान उस शख़्स को देख कर उसके सामने से भागे और बहुत डर गए।
ইস্রায়েলীরা সেই লোকটিকে দেখামাত্র খুব ভয় পেয়ে গিয়ে সবাই তার সামনে থেকে পালিয়ে গেল।
25 तब इस्राईली जवान ऐसा कहने लगे, “तुम इस आदमी को जो निकला है देखते हो? यक़ीनन यह इस्राईल की बे'इज़्ज़ती करने को आया है, इसलिए जो कोई उसको मार डाले उसे बादशाह बड़ी दौलत से माला माल करेगा और अपनी बेटी उसे ब्याह देगा, और उसके बाप के घराने को इस्राईल के बीच आज़ाद कर देगा।”
ইস্রায়েলীরা বলাবলি করছিল, “দেখছ, কীভাবে এই লোকটি বারবার বের হয়ে আসছে? এ ইস্রায়েলকে টিটকিরি দেওয়ার জন্যই বের হয়ে আসছে। যে একে মারতে পারবে তাকে রাজামশাই প্রচুর ধনসম্পদ দেবেন। তিনি তাঁর মেয়ের সঙ্গে তার বিয়েও দেবেন ও তার পরিবারকে ইস্রায়েলে খাজনা দেওয়ার হাত থেকেও নিষ্কৃতি দেওয়া হবে।”
26 और दाऊद ने उन लोगों से जो उसके पास खड़े थे पूछा कि जो शख़्स इस फ़िलिस्ती को मार कर यह नंग इस्राईल से दूर करे उस से क्या सुलूक किया जाएगा? क्यूँकि यह ना मख्तून फ़िलिस्ती होता कौन है कि वह जिंदा ख़ुदा की फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती करे?
দাউদ তাঁর কাছাকাছি দাঁড়িয়ে থাকা লোকদের জিজ্ঞাসা করলেন, “যে এই ফিলিস্তিনীকে হত্যা করবে ও ইস্রায়েল থেকে এই অপযশ দূর করবে তার প্রতি কী করা হবে? এই বিধর্মী ফিলিস্তিনীটি কে যে এ জীবন্ত ঈশ্বরের সৈন্যদলকে টিটকিরি দিচ্ছে?”
27 और लोगों ने उसे यही जवाब दिया कि उस शख़्स से जो उसे मार डाले यह सुलूक किया जाएगा।
তারা যা যা বলেছিল তা আরও একবার তাঁকে বলে শোনাল এবং তাঁকে এও বলল, “যে তাকে হত্যা করতে পারবে তার প্রতি এমনটিই করা হবে।”
28 और उसके सब से बड़े भाई इलियाब ने उसकी बातों को जो वह लोगों से करता था सुना और इलयाब का ग़ुस्सा दाऊद पर भड़का और वह कहने लगा, “तू यहाँ क्यूँ आया है? और वह थोड़ी सी भेड़ बकरियाँ तूने जंगल में किस के पास छोड़ीं? मैं तेरे घमंड और तेरे दिल की शरारत से वाक़िफ़ हूँ, तु लड़ाई देखने आया है।”
দাউদের বড়ো দাদা ইলীয়াব যখন তাঁকে লোকদের সঙ্গে কথাবার্তা বলতে শুনেছিলেন, তখন তিনি তাঁর প্রতি রাগে অগ্নিশর্মা হয়ে জিজ্ঞাসা করলেন, “তুই কেন এখানে নেমে এসেছিস? কার কাছেই বা তুই মরুপ্রান্তরে সেই অল্প কয়েকটি মেষ ছেড়ে এসেছিস? আমি জানি তুই কত দাম্ভিক আর তোর মন কত দুষ্টুমিতে ভরা; তুই শুধু যুদ্ধ দেখতে এসেছিস।”
29 दाऊद ने कहा, “मैंने अब क्या किया? क्या बात ही नहीं हो रही है?”
“আমি আবার কী করলাম?” দাউদ বললেন। “আমি কি কথাও বলতে পারব না?”
30 और वह उसके पास से फिर कर दूसरे की तरफ़ गया और वैसी ही बातें करने लगा और लोगों ने उसे फिर पहले की तरह जवाब दिया।
এই বলে তিনি অন্য একজনের দিকে ফিরে একই বিষয় উত্থাপন করলেন, এবং লোকেরা আগেকার মতোই উত্তর দিল।
31 और जब वह बातें जो दाऊद ने कहीं सुनने में आईं तो उन्होंने साऊल के आगे उनका ज़िक्र किया और उसने उसे बुला भेजा।
কেউ আড়ি পেতে দাউদের বলা কথাগুলি শুনেছিল ও শৌলকে গিয়ে খবর দিয়েছিল, এবং শৌল তাঁকে ডেকে পাঠালেন।
32 और दाऊद ने साऊल से कहा कि उस शख़्स की वजह से किसी का दिल न घबराए, तेरा ख़ादिम जाकर उस फ़िलिस्ती से लड़ेगा।
দাউদ শৌলকে বললেন, “এই ফিলিস্তিনীর জন্য কাউকে মন খারাপ করতে হবে না; আপনার এই দাস গিয়েই তার সঙ্গে যুদ্ধ করবে।”
33 साऊल ने दाऊद से कहा कि तू इस क़ाबिल नहीं कि उस फ़िलिस्ती से लड़ने को उसके सामने जाए; क्यूँकि तू महज़ लड़का है और वह अपने बचपन से जंगी जवान है।
শৌল উত্তর দিলেন, “তোমার পক্ষে এই ফিলিস্তিনীর বিরুদ্ধে গিয়ে যুদ্ধ করা সম্ভব নয়; তুমি তো এক বাচ্চা ছেলে, আর সে ছেলেবেলা থেকেই যুদ্ধ করে আসছে।”
34 तब दाऊद ने साऊल को जवाब दिया कि तेरा ख़ादिम अपने बाप की भेड़ बकरियाँ चराता था और जब कभी कोई शेर या रीछ आकर झुंड में से कोई बर्रा उठा ले जाता।
কিন্তু দাউদ শৌলকে উত্তর দিলেন, “আপনার এই দাস তার বাবার মেষপাল দেখাশোনা করে আসছে। যখন যখন কোনো সিংহ বা ভালুক পাল থেকে মেষ উঠিয়ে নিয়ে গিয়েছে,
35 तो मैं उसके पीछे पीछे जाकर उसे मारता और उसे उसके मुँह से छुड़ाता था और जब वह मुझ पर झपटता तो मैं उसकी दाढ़ी पकड़ कर उसे मारता और हलाक कर देता था।
আমি সেগুলির পিছু ধাওয়া করেছি, আঘাত করে সেগুলির মুখ থেকে মেষটিকে উদ্ধার করে এনেছি। সেটি আমার দিকে ঘুরে দাঁড়াতেই আমি সেটির কেশর জাপটে ধরে মারতে মারতে শেষ করে ফেলেছি।
36 तेरे ख़ादिम ने शेर और रीछ दोनों को जान से मारा इसलिए यह नामख़तून फ़िलिस्ती उन में से एक की तरह होगा, इसलिए कि उसने ज़िन्दा ख़ुदा की फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती की है।
আপনার এই দাস সিংহ ও ভালুক—দুটিকেই মেরে ফেলেছে; এই বিধর্মী ফিলিস্তিনীও তো ওদের মতোই একজন হবে, কারণ সে জীবন্ত ঈশ্বরের সৈন্যদলকে টিটকিরি দিয়েছে।
37 फिर दाऊद ने कहा, “ख़ुदावन्द ने मुझे शेर और रीछ के पंजे से बचाया, वही मुझको इस फ़िलिस्ती के हाथ से बचाएगा।” साऊल ने दाऊद से कहा, “जा ख़ुदावन्द तेरे साथ रहे।”
যে সদাপ্রভু আমাকে সিংহের থাবা থেকে ও ভালুকের থাবা থেকেও রক্ষা করেছেন তিনিই আমাকে এই ফিলিস্তিনীর হাত থেকেও রক্ষা করবেন।” শৌল দাউদকে বললেন, “যাও, সদাপ্রভু তোমার সঙ্গে থাকুন।”
38 तब साऊल ने अपने कपड़े दाऊद को पहनाए, और पीतल का टोप उसके सर पर रख्खा और उसे ज़िरह भी पहनाई।
পরে শৌল দাউদকে নিজের পোশাকটি পরিয়ে দিলেন। তিনি দাউদের গায়ে যুদ্ধের সাজ ও মাথায় ব্রোঞ্জের শিরস্ত্রাণ চাপিয়ে দিলেন।
39 और दाऊद ने उसकी तलवार अपने कपड़ों पर कस ली और चलने की कोशिश की क्यूँकि उसने इनको आजमाया नहीं था, तब दाऊद ने साऊल से कहा, “मैं इनको पहन कर चल नहीं सकता क्यूँकि मैंने इनको आजमाया नहीं है।” इसलिए दाऊद ने उन सबको उतार दिया।
দাউদ পোশাকের উপর তাঁর তরোয়ালটি বেঁধে চলাফেরা করার চেষ্টা করলেন, কারণ তিনি এতে খুব একটা অভ্যস্ত ছিলেন না। “এগুলি নিয়ে আমি চলতে পারছি না,” তিনি শৌলকে বললেন, “কারণ আমি এতে খুব একটা অভ্যস্ত নই।” তাই তিনি সেগুলি খুলে ফেললেন।
40 और उसने अपनी लाठी अपने हाथ में ली, और उस नाला से पाँच चिकने — चिकने पत्थर अपने वास्ते चुन कर उनको चरवाहे के थैले में जो उसके पास था, या'नी झोले में डाल लिया, और उसका गोफ़न उसके हाथ में था फिर वह फ़िलिस्ती के नज़दीक चला।
পরে তিনি হাতে নিজের লাঠিটি নিয়ে, জলস্রোত থেকে পাঁচটি মসৃণ নুড়ি-পাথর বেছে নিয়ে সেগুলি রাখালেরা যে থলি রাখে, নিজের কাছে থাকা সেরকমই একটি থলিতে রেখে দিলেন, এবং হাতে নিজের গুলতিটি নিয়ে সেই ফিলিস্তিনীর দিকে এগিয়ে গেলেন।
41 और वह फ़िलिस्ती बढ़ा, और दाऊद के नज़दीक़ आया और उसके आगे — आगे उसका सिपर बरदार था।
এদিকে, সেই ফিলিস্তিনী তার ঢাল বহনকারীকে সামনে রেখে দাউদের দিকে এগিয়ে আসতে শুরু করল।
42 और जब उस फ़िलिस्ती ने इधर उधर निगाह की और दाऊद को देखा तो उसे नाचीज़ जाना क्यूँकि वह महज़ लड़का था, और सुर्ख़रु और नाज़ुक चेहरे का था।
সে দাউদের দিকে ভালো করে তাকিয়ে যখন দেখল যে তাঁর বয়স খুব অল্প এবং তিনি সুস্বাস্থ্যের অধিকারী ও রূপবান, তখন সে তাঁকে অবজ্ঞা করল।
43 तब फ़िलिस्ती ने दाऊद से कहा, “क्या मैं कुत्ता हूँ, जो तू लाठी लेकर मेरे पास आता है?” और उस फ़िलिस्ती ने अपने मा'बूदों का नाम लेकर दाऊद पर ला'नत की।
সে দাউদকে বলল, “আমি কি কুকুর নাকি, যে তুই লাঠি নিয়ে আমার কাছে এসেছিস?” আর সেই ফিলিস্তিনী নিজের দেবতাদের নাম নিয়ে দাউদকে গালাগালি দিল।
44 और उस फ़िलिस्ती ने दाऊद से कहा, “तू मेरे पास आ, और मैं तेरा गोश्त हवाई परिंदों और जंगली जानवरों को दूँगा।”
“এখানে আয়,” সে বলল, “আর আমি তোর মাংস পাখি ও বন্যপশুদের খাওয়াব!”
45 और दाऊद ने उस फ़िलिस्ती से कहा कि “तू तलवार भाला और बरछी लिए हुए मेरे पास आता है, लेकिन मैं रब्ब — उल — अफ़वाज के नाम से जो इस्राईल के लश्करों का ख़ुदा है, जिसकी तूने बे'इज़्ज़ती की है तेरे पास आता हूँ।
দাউদ সেই ফিলিস্তিনীকে বললেন, “তুমি তরোয়াল, বর্শা ও বল্লম নিয়ে আমার বিরুদ্ধে লড়তে এসেছ, কিন্তু আমি ইস্রায়েলের সৈন্যদলের ঈশ্বর সেই সর্বশক্তিমান সদাপ্রভুর নামে তোমার বিরুদ্ধে যুদ্ধ করতে এসেছি, তুমি যাঁর নামে টিটকিরি দিয়েছ।
46 और आज ही के दिन ख़ुदावन्द तुझको मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझको मार कर तेरा सर तुझ पर से उतार लूँगा और मैं आज के दिन फ़िलिस्तियों के लश्कर की लाशें हवाई परिंदों और ज़मीन के जंगली जानवरों को दूँगा ताकि दुनिया जान ले कि इस्राईल में एक ख़ुदा है।
আজকের এই দিনে সদাপ্রভু তোমাকে আমার হাতে সমর্পণ করে দেবেন, আর আমি তোমাকে আঘাত করে তোমার মাথা কেটে ফেলব। আজই আমি ফিলিস্তিনী সৈন্যদের মৃতদেহ পাখি ও বন্যপশুদের খাওয়াব, আর সমগ্র জগৎসংসার জানবে যে ইস্রায়েলে একজন ঈশ্বর আছেন।
47 और यह सारी जमा'अत जान ले कि ख़ुदावन्द तलवार और भाले के ज़रिए' से नहीं बचाता इसलिए कि जंग तो ख़ुदावन्द की है, और वही तुमको हमारे हाथ में कर देगा।”
এখানে যারা যারা উপস্থিত আছে তারা সবাই জানবে যে সদাপ্রভু তরোয়াল বা বর্শা দিয়ে উদ্ধার দেন না; কারণ যুদ্ধ তো সদাপ্রভুরই, আর তিনিই তোমাদের সবাইকে আমাদের হাতে সমর্পণ করে দেবেন।”
48 और ऐसा हुआ, कि जब वह फ़िलिस्ती उठा, और बढ़ कर दाऊद के मुक़ाबिला के लिए नज़दीक आया, तो दाऊद ने जल्दी की और लश्कर की तरफ़ उस फ़िलिस्ती से मुक़ाबिला करने को दौड़ा।
সেই ফিলিস্তিনী যেই দাউদকে আক্রমণ করার জন্য তাঁর দিকে এগিয়ে এল, তিনি চট করে তার মুখোমুখি হওয়ার জন্য সামনে দৌড়ে গেলেন।
49 और दाऊद ने अपने थैले में अपना हाथ डाला और उस में से एक पत्थर लिया और गोफ़न में रख कर उस फ़िलिस्ती के माथे पर मारा और वह पत्थर उसके माथे के अंदर घुस गया और वह ज़मीन पर मुँह के बल गिर पड़ा।
তিনি থলি থেকে একটি পাথর বের করে গুলতিতে ভরে সেই ফিলিস্তিনীর কপাল লক্ষ্য করে সেটি ছুঁড়ে মারলেন। পাথরটি তার কপাল ভেদ করে ভিতরে ঢুকে গেল, এবং সে উবুড় হয়ে মাটিতে পড়ে গেল।
50 इसलिए दाऊद उस गोफ़न और एक पत्थर से उस फ़िलिस्ती पर ग़ालिब आया और उस फ़िलिस्ती को मारा और क़त्ल किया और दाऊद के हाथ में तलवार न थी।
অতএব দাউদ একটি গুলতি ও একটি পাথর নিয়েই সেই ফিলিস্তিনীর উপর জয়লাভ করলেন; হাতে কোনও তরোয়াল না নিয়েই তিনি সেই ফিলিস্তিনীকে আঘাত করে তাকে মেরে ফেললেন।
51 और दाऊद दौड़ कर उस फ़िलिस्ती के ऊपर खड़ा हो गया, और उसकी तलवार पकड़ कर मियाँन से खींची और उसे क़त्ल किया और उसी से उसका सर काट डाला और फ़िलिस्तियों ने जो देखा कि उनका पहलवान मारा गया तो वह भागे।
দাউদ দৌড়ে গিয়ে তার উপর উঠে দাঁড়ালেন। তিনি সেই ফিলিস্তিনীর তরোয়ালটি ধরে সেটি খাপ থেকে বের করে আনলেন। তাকে হত্যা করার পর তিনি তরোয়াল দিয়ে তার মাথাটি কেটে ফেললেন। ফিলিস্তিনীরা যখন দেখল তাদের বীরপুরুষ মারা পড়েছে, তখন তারা পিছু ফিরে পালালো।
52 और इस्राईल और यहूदाह के लोग उठे और ललकार कर फ़िलिस्तियों को गई और 'अक़रून के फाटकों तक दौड़ाया और फ़िलिस्तियों में से जो ज़ख़्मी हुए थे वह शा'रीम के रास्ते में और जात और 'अक्रू़न तक गिरते गए।
পরে ইস্রায়েল ও যিহূদার লোকজন প্রবল উচ্ছ্বাসে চিৎকার করে সামনে এগিয়ে গিয়ে গাতের প্রবেশদ্বার ও ইক্রোণের ফটক পর্যন্ত ফিলিস্তিনীদের পশ্চাদ্ধাবন করল। তাদের শবগুলি গাত ও ইক্রোণ পর্যন্ত শারয়িমের পথে পথে ছড়িয়ে পড়ল।
53 तब बनी इस्राईल फ़िलिस्तियों के पीछे से उलटे फिरे और उनके ख़ेमों को लूटा।
ইস্রায়েলীরা ফিলিস্তিনীদের তাড়িয়ে দিয়ে ফিরে আসার পথে তাদের সৈন্যশিবিরে লুঠতরাজ চালাল।
54 और दाऊद उस फ़िलिस्ती का सर लेकर उसे येरूशलेम में लाया और उसके हथियारों को उसने अपने डेरे में रख दिया।
দাউদ সেই ফিলিস্তিনীর মাথাটি তুলে এনে সেটি জেরুশালেমে নিয়ে এলেন; তিনি সেই ফিলিস্তিনীর অস্ত্রশস্ত্র এনে নিজের তাঁবুতে রেখে দিলেন।
55 जब साऊल ने दाऊद को उस फ़िलिस्ती का मुक़ाबिला करने के लिए जाते देखा तो उसने लश्कर के सरदार अबनेर से पूछा अबनेर यह लड़का किसका बेटा है? अबनेर ने कहा, ऐ बादशाह तेरी जान की क़सम में नहीं जानता।
শৌল দাউদকে সেই ফিলিস্তিনীর মুখোমুখি হওয়ার জন্য যেতে দেখে সৈন্যদলের সহস্র-সেনাপতি অবনেরকে বললেন, “অবনের, এই যুবকটি কার ছেলে?” অবনের উত্তর দিলেন, “মহারাজ, আপনার প্রাণের দিব্যি, আমি জানি না।”
56 तब बादशाह ने कहा, तू मा'लूम कर कि यह नौजवान किस का बेटा है।
রাজামশাই বললেন, “খুঁজে বের করো এই যুবকটি কার ছেলে।”
57 और जब दाऊद उस फ़िलिस्ती को क़त्ल कर के फ़िरा तो अबनेर उसे लेकर साऊल के पास लाया और फ़िलिस्ती का सर उसके हाथ में था।
দাউদ সেই ফিলিস্তিনীকে হত্যা করে ফিরে আসার পর মুহূর্তেই অবনের তাঁকে নিয়ে শৌলের কাছে পৌঁছে গেলেন। দাউদের হাতে তখনও সেই ফিলিস্তিনীর কাটা মাথাটি ধরা ছিল।
58 तब साऊल ने उससे कहा, “ऐ जवान तू किसका बेटा है?” दाऊद ने जवाब दिया, “मैं तेरे ख़ादिम बैतलहमी यस्सी का बेटा हूँ।”
“ওহে যুবক, তুমি কার ছেলে?” শৌল তাঁকে জিজ্ঞাসা করলেন। দাউদ বললেন, “আমি আপনার দাস বেথলেহেম নিবাসী যিশয়ের ছেলে।”