< 1 समु 14 >
1 और एक दिन ऐसा हुआ, कि साऊल के बेटे यूनतन ने उस जवान से जो उसका सिलाह बरदार था कहा कि आ हम फ़िलिस्तियों की चौकी को जो उस तरफ़ है चलें, पर उसने अपने बाप को न बताया।
Ημέραν δε τινά είπεν Ιωνάθαν, ο υιός του Σαούλ, προς τον νέον τον βαστάζοντα τα όπλα αυτού, Ελθέ, και ας περάσωμεν προς την φρουράν των Φιλισταίων, την εν τω πέραν· προς τον πατέρα αυτού όμως δεν εφανέρωσε τούτο.
2 और साऊल जिबा' के निकास पर उस अनार के दरख़्त के नीचे जो मजरुन में है मुक़ीम था, और क़रीबन छ: सौ आदमी उसके साथ थे।
Ο δε Σαούλ εκάθητο επί του άκρου του Γαβαά, υπό την ροδιάν την εν Μιγρών· και ο λαός ο μετ' αυτού ήτο έως εξακόσιοι άνδρες·
3 और अख़ियाह बिन अख़ीतोब जो यकबोद बिन फ़ीन्हास बिन 'एली का भाई और शीलोह में ख़ुदावन्द का काहिन था अफ़ूद पहने हुए था और लोगों को ख़बर न थी कि यूनतन चला गया है।
και Αχιά, ο υιός του Αχιτώβ, αδελφού του Ιχαβώδ, υιού του Φινεές, υιού του Ηλεί, ιερεύς του Κυρίου εν Σηλώ, φορών εφόδ. Και ο λαός δεν ήξευρεν ότι υπήγεν ο Ιωνάθαν.
4 और उन की घाटियों के बीच जिन से होकर यूनतन फ़िलिस्तियों की चौकी को जाना चाहता था एक तरफ़ एक बड़ी नुकीली चट्टान थी और दूसरी तरफ़ भी एक बड़ी नुकीली चट्टान थी, एक का नाम बुसीस था दूसरी का सना।
Μεταξύ δε των διαβάσεων, διά των οποίων ο Ιωνάθαν εζήτει να περάση προς την φρουράν των Φιλισταίων, ήτο απότομος βράχος εξ ενός μέρους και απότομος βράχος εκ του άλλου μέρους· και το όνομα του ενός Βοσές, το δε όνομα του άλλον Σενέ.
5 एक तो शिमाल की तरफ़ मिक्मास के मुक़ाबिल और दूसरी जुनूब की तरफ़ जिबा' के मुक़ाबिल थी।
Το μέτωπον του ενός βράχου ήτο προς βορράν απέναντι Μιχμάς, και το του άλλου προς νότον απέναντι Γαβαά.
6 इसलिए यूनतन ने उस जवान से जो उसका सिलाह बरदार था, कहा, “आ हम उधर उन नामख़्तूनों की चौकी को चलें — मुम्किन है, कि ख़ुदावन्द हमारा काम बना दे, क्यूँकि ख़ुदावन्द के लिए बहुत सारे या थोड़ों के ज़रिए' से बचाने की कै़द नहीं।”
Και είπεν ο Ιωνάθαν προς τον νέον τον βαστάζοντα τα όπλα αυτού, Ελθέ, και ας περάσωμεν προς την φρουράν των απεριτμήτων τούτων· ίσως ενεργήση ο Κύριος υπέρ ημών· διότι δεν είναι εις τον Κύριον εμπόδιον να σώση διά πολλών ή δι' ολίγων.
7 उसके सिलाह बरदार ने उससे कहा, “जो कुछ तेरे दिल में है इसलिए कर और उधर चल मैं तो तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ तेरे साथ हूँ।”
Και είπε προς αυτόν ο οπλοφόρος αυτού, Κάμε ό, τι είναι εν τη καρδία σου· προχώρει· ιδού, εγώ είμαι μετά σου κατά την καρδίαν σου.
8 तब यूनतन ने कहा, “देख हम उन लोगों के पास इस तरफ़ जाएँगे, और अपने को उनको दिखाएँगे।
Τότε είπεν ο Ιωνάθαν, Ιδού, ημείς θέλομεν περάσει προς τους άνδρας και θέλομεν δειχθή εις αυτούς·
9 अगर वह हम से यह कहें, कि हमारे आने तक ठहरो, तो हम अपनी जगह चुप चाप खड़े रहेंगे और उनके पास नहीं जाएँगे।
εάν είπωσι προς ημάς ούτω, Στάθητε έως να έλθωμεν προς εσάς· τότε θέλομεν σταθή εν τω τόπω ημών και δεν θέλομεν αναβή προς αυτούς·
10 लेकिन अगर वह यूँ कहें, कि हमारे पास तो आओ, तो हम चढ़ जाएँगे, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उनको हमारे क़ब्ज़े में कर दिया, और यह हमारे लिए निशान होगा।”
αλλ' εάν είπωσιν ούτως, Ανάβητε προς ημάς· τότε θέλομεν αναβή· διότι ο Κύριος παρέδωκεν αυτούς εις την χείρα ημών· και τούτο θέλει είσθαι εις ημάς το σημείον.
11 फिर इन दोनों ने अपने आप को फ़िलिस्तियों की चौकी के सिपाहियों को दिखाया, और फ़िलिस्ती कहने लगे, “देखो ये 'इब्रानी उन सुराख़ों में से जहाँ वह छिप गए थे, बाहर निकले आते हैं।”
Εδείχθησαν λοιπόν αμφότεροι εις την φρουράν των Φιλισταίων· και οι Φιλισταίοι είπον, Ιδού, οι Εβραίοι εξέρχονται εκ των τρυπών, όπου είχον κρυφθή.
12 और चौकी के सिपाहियों ने यूनतन और उसके सिलाह बरदार से कहा, “हमारे पास आओ, तो सही, हम तुमको एक चीज़ दिखाएँ।” इसलिए यूनतन ने अपने सिलाह बरदार से कहा, “अब मेरे पीछे पीछे चढ़ा, चला आ, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उनको इस्राईल के क़ब्ज़े में कर दिया है।”
Και ελάλησαν οι άνδρες της φρουράς προς τον Ιωνάθαν και προς τον βαστάζοντα τα όπλα αυτού, και είπον, Ανάβητε προς ημάς, και θέλομεν σας φανερώσει τι. Και είπεν ο Ιωνάθαν προς τον οπλοφόρον αυτού, Ανάβα κατόπιν μου· διότι παρέδωκεν αυτούς ο Κύριος εις την χείρα του Ισραήλ.
13 और यूनतन अपने हाथों और पाँव के बल चढ़ गया, और उसके पीछे पीछे उसका सिलाह बरदार था, और वह यूनतन के सामने गिरते गए और उसका सिलाह बरदार उसके पीछे पीछे उनको क़त्ल करता गया।
Και ανέρπυσεν ο Ιωνάθαν με τας χείρας αυτού και με τους πόδας αυτού, και ο βαστάζων τα όπλα αυτού κατόπιν αυτού· και έπεσον έμπροσθεν του Ιωνάθαν· και ο βαστάζων τα όπλα αυτού εθανάτονεν αυτούς κατόπιν αυτού.
14 यह पहली ख़ूरेज़ी जो यूनतन और उसके सिलाह बरदार ने की क़रीबन बीस आदमियों की थी जो कोई एक बीघा ज़मीन की रेघारी में मारे गए।
Αύτη δε η πρώτη σφαγή, την οποίαν έκαμον ο Ιωνάθαν και ο οπλοφόρος αυτού, ήτο περίπου είκοσι άνδρες, εις διάστημα γης ημίσεως στρέμματος.
15 तब लश्कर और मैदान और सब लोगों में लरज़िश हुई और चौकी के सिपाही, और ग़ारतगर भी काँप गए, और ज़लज़ला आया इसलिए निहायत तेज़ कपकपी हुई।
Και έγεινε τρόμος εν τω στρατοπέδω, εν τοις αγροίς και εν παντί τω λαώ· η φρουρά και οι λεηλατούντες, και αυτοί κατετρόμαξαν, και η γη συνεταράχθη· ώστε ήτο ως τρόμος Θεού.
16 और साऊल के निगहबानों ने जो बिनयमीन के जिबा' में थे नज़र की और देखा कि भीड़ घटती जाती है और लोग इधर उधर जा रहे हैं।
Και είδον οι φρουροί του Σαούλ εν Γαβαά του Βενιαμίν, και ιδού, το πλήθος διελύετο και βαθμηδόν διεσκορπίζετο.
17 तब साऊल ने उन लोगों से जो उसके साथ थे, कहा, “गिनती करके देखो, कि हम में से कौन चला गया है,” इसलिए उन्होंने शुमार किया तो देखो, यूनतन और उसका सिलाह बरदार ग़ायब थे।
Τότε είπεν ο Σαούλ προς τον λαόν τον μετ' αυτού, Απαριθμήσατε τώρα και ιδέτε τις ανεχώρησεν εξ ημών. Και ότε απηρίθμησαν, ιδού, ο Ιωνάθαν και ο οπλοφόρος αυτού δεν ήσαν.
18 और साऊल ने अख़ियाह से कहा, “ख़ुदा का संदूक़ यहाँ ला।” क्यूँकि ख़ुदा का संदूक़ उस वक़्त बनी इस्राईल के साथ वहीं था।
Και είπεν ο Σαούλ προς τον Αχιά, Φέρε εδώ την κιβωτόν του Θεού. Διότι η κιβωτός του Θεού ήτο τότε μετά των υιών Ισραήλ.
19 और जब साऊल काहिन से बातें कर रहा था तो फ़िलिस्तियों की लश्कर गाह, में जो हलचल मच गई थी वह और ज़्यादा हो गई तब साऊल ने काहिन से कहा कि “अपना हाथ खींच ले।”
Και ενώ ελάλει ο Σαούλ προς τον ιερέα, ο θόρυβος εν τω στρατοπέδω των Φιλισταίων επροχώρει επί το μάλλον και επληθύνετο· ο δε Σαούλ είπε προς τον ιερέα, Σύρε οπίσω την χείρα σου.
20 और साऊल और सब लोग जो उसके साथ थे, एक जगह जमा' हो गए, और लड़ने को आए और देखा कि हर एक की तलवार अपने ही साथी पर चल रही है, और सख़्त तहलका मचा हुआ है।
Και συνηθροίσθησαν ο Σαούλ και πας ο λαός ο μετ' αυτού και ήλθον έως εις την μάχην· και ιδού, παντός ανδρός η ρομφαία ήτο εναντίον του συντρόφου αυτού, σφαγή μεγάλη σφόδρα.
21 और वह 'इब्रानी भी जो पहले की तरह फ़िलिस्तियों के साथ थे और चारो तरफ़ से उनके साथ लश्कर में आए थे फिर कर उन इस्राईलियों से मिल गए जो साऊल और यूनतन के साथ थे।
οι δε Εβραίοι οι μετά των Φιλισταίων όντες ως άλλοτε, οίτινες είχον αναβή μετ' αυτών εις το στρατόπεδον εκ των πέριξ, και αυτοί έτι ηνώθησαν μετά των Ισραηλιτών, οίτινες ήσαν μετά του Σαούλ και Ιωνάθαν.
22 इसी तरह उन सब इस्राईली मर्दों ने भी जो इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में छिप गए थे, यह सुन कर कि फ़िलिस्ती भागे जाते हैं, लड़ाई में आ उनका पीछा किया।
Και πάντες οι άνδρες του Ισραήλ οι κρυπτόμενοι εν τω όρει Εφραΐμ, ακούσαντες ότι οι Φιλισταίοι έφευγον, έδραμον και αυτοί κατόπιν αυτών εις πόλεμον.
23 तब ख़ुदावन्द ने उस दिन इस्राईलियों को रिहाई दी और लड़ाई बैत आवन के उस पार तक पहुँची।
Και έσωσεν ο Κύριος τον Ισραήλ εν τη ημέρα εκείνη· και η μάχη επέρασεν εις Βαιθ-αυέν.
24 और इस्राईली मर्द उस दिन बड़े परेशान थे, क्यूँकि साऊल ने लोगों को क़सम देकर यूँ कहा, था कि जब तक शाम न हो और मैं अपने दुश्मनों से बदला न ले लूँ उस वक़्त तक अगर कोई कुछ खाए तो वह ला'नती हो। इस वजह से उन लोगों में से किसी ने खाना चखा तक न था।
Οι δε άνδρες του Ισραήλ απέκαμον την ημέραν εκείνην· διότι ο Σαούλ είχεν ορκίσει τον λαόν, λέγων, Επικατάρατος ο άνθρωπος, όστις φάγη τροφήν έως εσπέρας, και εκδικηθώ από των εχθρών μου. Όθεν δεν εγεύθη τροφήν πας ο λαός.
25 और सब लोग जंगल में जा पहुँचे और वहाँ ज़मीन पर शहद था।
Και παν το πλήθος ήλθεν εις δάσος, όπου ήτο μέλι κατά γης.
26 और जब यह लोग उस जंगल में पहुँच गए तो देखा कि शहद टपक रहा है तो भी कोई अपना हाथ अपने मुँह तक नही ले गया इसलिए कि उनको क़सम का ख़ौफ़ था।
Και ότε εισήλθεν ο λαός εις το δάσος, ιδού, το μέλι εστάλαξεν· ουδείς όμως επλησίασε την χείρα αυτού εις το στόμα αυτού· διότι εφοβήθη ο λαός τον όρκον.
27 लेकिन यूनतन ने अपने बाप को उन लोगों को क़सम देते नहीं सुना था, इसलिए उसने अपने हाथ की लाठी के सिरे को शहद के छत्ते में भोंका और अपना हाथ अपने मुँह से लगा लिया और उसकी आँखों में रोशनी आई।
Ο Ιωνάθαν όμως δεν είχεν ακούσει, ότε ο πατήρ αυτού ώρκισε τον λαόν· όθεν ήπλωσε το άκρον της ράβδου της εν τη χειρί αυτού και εβύθισεν αυτό εις κηρήθραν και έβαλε την χείρα αυτού εις το στόμα αυτού, και ανέβλεψαν οι οφθαλμοί αυτού.
28 तब उन लोगों में से एक ने उससे कहा, तेरे बाप ने लोगों को क़सम देकर सख़्त ताकीद की थी, और कहा था “कि जो शख़्स आज के दिन कुछ खाना खाए, वह ला'नती हो और लोग बेदम से हो रहे थे।”
Απεκρίθη δε εις εκ του λαού και είπεν, Ο πατήρ σου ώρκισε δι' όρκου τον λαόν, λέγων, Επικατάρατος ο άνθρωπος, όστις φάγη τροφήν σήμερον· διά τούτο ο λαός είναι εκλελυμένος.
29 तब यूनतन ने कहा कि मेरे बाप ने मुल्क को दुख दिया है, देखो मेरी आँखों में ज़रा सा शहद चखने की वजह से कैसी रोशनी आई।
Ο δε Ιωνάθαν είπεν, Ετάραξεν ο πατήρ μου τον κόσμον· ιδέτε, παρακαλώ, πόσον ανέβλεψαν οι οφθαλμοί μου, διότι εγεύθην ολίγον εκ τούτου του μέλιτος·
30 कितना ज़्यादा अच्छा होता अगर सब लोग दुश्मन की लूट में से जो उनको मिली दिल खोल कर खाते क्यूँकि अभी तो फ़िलिस्तियों में कोई बड़ी ख़ूरेज़ी भी नहीं हुई है।
πόσω μάλλον, εάν ο λαός ήθελε φάγει την σήμερον ελευθέρως εκ των λαφύρων των εχθρών αυτού, τα οποία εύρηκε; διότι δεν ήθελε γείνει τώρα πολύ μεγαλητέρα σφαγή μεταξύ των Φιλισταίων;
31 और उन्होंने उस दिन मिक्मास से अय्यालोन तक फ़िलिस्तियों को मारा और लोग बहुत ही बे दम हो गए।
Επάταξαν δε εν εκείνη τη ημέρα τους Φιλισταίους από Μιχμάς έως Αιαλών· και ο λαός ήτο εκλελυμένος σφόδρα.
32 इसलिए वह लोग लूट पर गिरे और भेड़ बकरियों और बैलों और बछड़ों को लेकर उनको ज़मीन पर ज़बह, किया और ख़ून समेत खाने लगे।
Όθεν ερρίφθη ο λαός εις τα λάφυρα, και έλαβε πρόβατα και βόας και μόσχους και έσφαξαν κατά γής· και έτρωγεν ο λαός μετά του αίματος.
33 तब उन्होंने साऊल को ख़बर दी कि देख लोग ख़ुदावन्द का गुनाह करते हैं कि ख़ून समेत खा रहे हैं। उसने कहा, तुम ने बेईमानी की, इसलिए एक बड़ा पत्थर आज मेरे सामने ढलका लाओ।
Ανήγγειλαν δε προς τον Σαούλ, λέγοντες, Ιδού, ο λαός αμαρτάνει εις τον Κύριον, διότι τρώγουσι μετά του αίματος. Και είπε, Παραβάται εστάθητε· κυλίσατε προς εμέ σήμερον λίθον μέγαν.
34 फिर साऊल ने कहा कि लोगों के बीच इधर उधर जाकर उन से कहो कि हर शख़्स अपना बैल और अपनी भेड़ यहाँ मेरे पास लाए और यहीं, ज़बह करे और खाए और ख़ून समेत खाकर ख़ुदा का गुनहगार न बने। चुनाँचे उस रात लोगों में से हर शख़्स अपना बैल वहीं लाया और वहीं ज़बह किया।
Και είπεν ο Σαούλ, Διασπάρθητε μεταξύ του λαού και είπατε προς αυτούς, Φέρετέ μοι ενταύθα έκαστος τον βουν αυτού και έκαστος το πρόβατον αυτού, και σφάξατε ενταύθα και φάγετε· και μη αμαρτάνετε εις τον Κύριον, τρώγοντες μετά του αίματος. Και έφεραν πας ο λαός έκαστος τον βουν αυτού μεθ' εαυτού εκείνην την νύκτα και έσφαξαν εκεί.
35 और साऊल ने ख़ुदावन्द के लिए एक मज़बह बनाया, यह पहला मज़बह है, जो उसने ख़ुदावन्द के लिए बनाया।
Και ωκοδόμησεν ο Σαούλ θυσιαστήριον εις τον Κύριον· τούτο ήτο το πρώτον θυσιαστήριον, το οποίον ωκοδόμησεν ο Σαούλ εις τον Κύριον.
36 फिर साऊल ने कहा, “आओ, रात ही को फ़िलिस्तियों का पीछा करें और पौ फटने तक उनको लूटें और उन में से एक आदमी को भी न छोड़ें।” उन्होंने कहा, “जो कुछ तुझे अच्छा लगे वह कर तब काहिन ने कहा, कि आओ, हम यहाँ ख़ुदा के नज़दीक हाज़िर हों।”
Και είπεν ο Σαούλ, Ας καταβώμεν εξοπίσω των Φιλισταίων διά νυκτός, και ας διαρπάσωμεν αυτούς έως να φέγξη η ημέρα, και ας μη αφήσωμεν μηδέ ένα εξ αυτών. Και είπον, Κάμε παν ό, τι σοι φαίνεται καλόν. Τότε είπεν ο ιερεύς, Ας προσέλθωμεν ενταύθα εις τον Θεόν.
37 और साऊल ने ख़ुदा से सलाह ली, कि क्या मैं फ़िलिस्तियों का पीछा करूँ? क्या तू उनको इस्राईल के हाथ में कर देगा। तो भी उसने उस दिन उसे कुछ जवाब न दिया।
Και ηρώτησεν ο Σαούλ τον Θεόν, Να καταβώ εξοπίσω των Φιλισταίων; θέλεις παραδώσει αυτούς εις την χείρα του Ισραήλ; Αλλά δεν απεκρίθη προς αυτόν την ημέραν εκείνην.
38 तब साऊल ने कहा कि तुम सब जो लोगों के सरदार हो यहाँ, नज़दीक आओ, और तहक़ीक़ करो और देखो कि आज के दिन गुनाह क्यूँकर हुआ है।
Και είπεν ο Σαούλ, Πλησιάσατε ενταύθα πάντες οι αρχηγοί του λαού· και μάθετε και ιδέτε, εις ποίον εστάθη η αμαρτία αύτη σήμερον·
39 क्यूँकि ख़ुदावन्द की हयात की क़सम जो इस्राईल को रिहाई देता है अगर वह मेरे बेटे यूनतन ही का गुनाह हो, वह ज़रूर मारा जाएगा, लेकिन उन सब लोगों में से किसी आदमी ने उसको जवाब न दिया।
διότι ζη Κύριος, ο σώσας τον Ισραήλ, ότι και εις τον Ιωνάθαν τον υιόν μου αν εστάθη, θέλει βεβαίως θανατωθή. Και δεν ευρέθη ουδείς μεταξύ παντός του λαού, όστις απεκρίθη προς αυτόν.
40 तब उस ने सब इस्राईलियों से कहा, “तुम सब के सब एक तरफ़ हो जाओ, और मैं और मेरा बेटा यूनतन दूसरी तरफ़ हो जायेंगे।” लोगों ने साऊल से कहा, “जो तू मुनासिब जाने वह कर।”
Και είπε προς πάντα τον Ισραήλ, Σταθήτε σεις εκ του ενός μέρους, εγώ δε και Ιωνάθαν ο υιός μου θέλομεν σταθή εκ του άλλου μέρους. Και είπεν ο λαός προς τον Σαούλ, Κάμε παν ό, τι σοι φαίνεται καλόν.
41 तब साऊल ने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा से कहा, “हक़ को ज़ाहिर कर दे,” इसलिए पर्ची यूनतन और साऊल के नाम पर निकली, और लोग बच गए।
Τότε είπεν ο Σαούλ προς τον Κύριον τον Θεόν του Ισραήλ, Δείξον τον αθώον. Και επιάσθη ο Ιωνάθαν και ο Σαούλ· ο δε λαός απελύθη.
42 तब साऊल ने कहा कि “मेरे और मेरे बेटे यूनतन के नाम पर पर्ची डालो, तब यूनतन पकड़ा गया।”
Και είπεν ο Σαούλ, Ρίψατε κλήρους μεταξύ εμού και Ιωνάθαν του υιού μου. Και επιάσθη ο Ιωνάθαν.
43 और साऊल ने यूनतन से कहा, “मुझे बता कि तूने क्या किया है?” यूनतन ने उसे बताया कि “मैंने बेशक अपने हाथ की लाठी के सिरे से ज़रा सा शहद चख्खा था इसलिए देख मुझे मरना होगा।”
Τότε είπεν ο Σαούλ προς τον Ιωνάθαν, Φανέρωσόν μοι τι έπραξας. Και εφανέρωσε προς αυτόν ο Ιωνάθαν, και είπε, Τωόντι εγεύθην ολίγον μέλι διά του άκρου της ράβδου της εν τη χειρί μου· ιδού, εγώ, αποθνήσκω.
44 साऊल ने कहा, “ख़ुदा ऐसा ही बल्कि इससे भी ज़्यादा करे क्यूँकि ऐ यूनतन तू ज़रूर मारा जाएगा।”
Και απεκρίθη ο Σαούλ, Ούτω να κάμη ο Θεός και ούτω να προσθέση· βεβαίως θέλεις αποθάνει, Ιωνάθαν.
45 तब लोगों ने साऊल से कहा, “क्या यूनतन मारा जाए, जिसने इस्राईल को ऐसा बड़ा छुटकारा दिया है ऐसा न होगा, ख़ुदावन्द की हयात की क़सम है कि उसके सर का एक बाल भी ज़मीन पर गिरने नहीं पाएगा क्यूँकि उसने आज ख़ुदा के साथ हो कर काम किया है।” इसलिए लोगों ने यूनतन को बचा लिया और वह मारा न गया।
Ο δε λαός είπε προς τον Σαούλ, Ο Ιωνάθαν θέλει αποθάνει, όστις έκαμε την μεγάλην ταύτην σωτηρίαν εις τον Ισραήλ; Μη γένοιτο· Ζη Κύριος, ουδέ μία θριξ εκ της κεφαλής αυτού θέλει πέσει εις την γήν· διότι ενήργησε μετά του Θεού την ημέραν ταύτην. Και ελύτρωσεν ο λαός τον Ιωνάθαν, και δεν απέθανε.
46 और साऊल फ़िलिस्तियों का पीछा छोड़ कर लौट गया और फ़िलिस्ती अपने मक़ाम को चले गए
Τότε ανέβη ο Σαούλ εκ της καταδιώξεως των Φιλισταίων· και οι Φιλισταίοι υπήγαν εις τον τόπον αυτών.
47 जब साऊल बनी इस्राईल पर बादशाहत करने लगा, तो वह हर तरफ़ अपने दुश्मनों या'नी मोआब और बनी 'अम्मून और अदोम और ज़ोबाह के बादशाहों और फ़िलिस्तियों से लड़ा और वह जिस जिस तरफ़ फिरता उनका बुरा हाल करता था।
Και έλαβεν ο Σαούλ την βασιλείαν επί τον Ισραήλ, και επολέμησεν εναντίον πάντων των εχθρών αυτού κύκλω· εναντίον του Μωάβ και εναντίον των υιών του Αμμών και εναντίον του Εδώμ και εναντίον των βασιλέων της Σωβά και εναντίον των Φιλισταίων· και εναντίον πάντων όπου και αν εστρέφετο, κατετρόπονε.
48 और उसने बहादुरी करके अमालीक़ियों को मारा, और इस्राईलियों को उनके हाथ से छुड़ाया जो उनको लूटते थे।
Συνεκρότησεν έτι δύναμιν και επάταξε τον Αμαλήκ, και ηλευθέρωσε τον Ισραήλ εκ χειρός των διαρπαζόντων αυτούς.
49 साऊल के बेटे यूनतन और इसवी और मलकीशू'अ थे; और उसकी दोनों बेटियों के नाम यह थे, बड़ी का नाम मेरब और छोटी का नाम मीकल था।
Οι δε υιοί του Σαούλ ήσαν Ιωνάθαν και Ισονεί και Μελχί-σουέ· και τα ονόματα των δύο θυγατέρων αυτού, το όνομα της πρωτοτόκου Μεράβ, και το όνομα της νεωτέρας Μιχάλ·
50 और साऊल कि बीवी का नाम अख़ीनु'अम था जो अख़ीमा'ज़ की बेटी थी, और उसकी फ़ौज के सरदार का नाम अबनेर था, जो साऊल के चचा नेर का बेटा था।
το δε όνομα της γυναικός του Σαούλ ήτο Αχινοάμ, θυγάτηρ του Αχιμάας. Και το όνομα του αρχιστρατήγου αυτού Αβενήρ, υιός του Νηρ, θείου του Σαούλ.
51 और साऊल के बाप का नाम क़ीस था और अबनेर का बाप नेर अबीएल का बेटा था।
Ο δε Κείς ο πατήρ του Σαούλ, και ο Νηρ ο πατήρ του Αβενήρ, ήσαν υιοί του Αβιήλ.
52 और साऊल की ज़िन्दगी भर फ़िलिस्तियों से सख़्त जंग रही, इसलिए जब साऊल किसी ताक़तवर मर्द या सूरमा को देखता था तो उसे अपने पास रख लेता था।
Ήτο δε πόλεμος δυνατός εναντίον των Φιλισταίων κατά πάσας τας ημέρας του Σαούλ· και οπότε έβλεπεν ο Σαούλ άνδρα τινά δυνατόν ή άνδρείον, παρελάμβανεν αυτόν πλησίον εαυτού.