< 1 समु 14 >

1 और एक दिन ऐसा हुआ, कि साऊल के बेटे यूनतन ने उस जवान से जो उसका सिलाह बरदार था कहा कि आ हम फ़िलिस्तियों की चौकी को जो उस तरफ़ है चलें, पर उसने अपने बाप को न बताया।
Eines Tages nun gebot Jonathan, der Sohn Sauls, ohne seinem Vater Mitteilung zu machen, dem burschen, der ihm Wasser trug: Komm, laßß uns hinübergehen auf den Posten der Philister kos, der dort drüben steht!
2 और साऊल जिबा' के निकास पर उस अनार के दरख़्त के नीचे जो मजरुन में है मुक़ीम था, और क़रीबन छ: सौ आदमी उसके साथ थे।
Saul aber saß eben an der Grenze von Gibea unter dem Granatbaume, der bei Migron steht. Die Leute, die er bei sich hatte, beliefen sich auf etwa 600 Mann;
3 और अख़ियाह बिन अख़ीतोब जो यकबोद बिन फ़ीन्हास बिन 'एली का भाई और शीलोह में ख़ुदावन्द का काहिन था अफ़ूद पहने हुए था और लोगों को ख़बर न थी कि यूनतन चला गया है।
und Ahia, der Sohn Ahitubs, des Bruders Ikabods, des Sohnes des Pinehas, dses sohnes Elis, des Priesters Jahwes zu Silo, trug damals den Ephod. Die Leute wußten aber nichts davon, daß Jonathan weggegangen war.
4 और उन की घाटियों के बीच जिन से होकर यूनतन फ़िलिस्तियों की चौकी को जाना चाहता था एक तरफ़ एक बड़ी नुकीली चट्टान थी और दूसरी तरफ़ भी एक बड़ी नुकीली चट्टान थी, एक का नाम बुसीस था दूसरी का सना।
Inmitten des Passes aber, den Jonathan zu überschreiten suchte, um den Posten der Philister anzugreifen, befand sich je eine felszacke diesseits und jenseits; die eine hieß Bozez, die andere Sene.
5 एक तो शिमाल की तरफ़ मिक्मास के मुक़ाबिल और दूसरी जुनूब की तरफ़ जिबा' के मुक़ाबिल थी।
Die eine Zacke erhebt sich steil auf der Nordseite, Michmas gegenüber, die andere auf der Südseite, Geba gegenüber.
6 इसलिए यूनतन ने उस जवान से जो उसका सिलाह बरदार था, कहा, “आ हम उधर उन नामख़्तूनों की चौकी को चलें — मुम्किन है, कि ख़ुदावन्द हमारा काम बना दे, क्यूँकि ख़ुदावन्द के लिए बहुत सारे या थोड़ों के ज़रिए' से बचाने की कै़द नहीं।”
Jonathan gebot also dem Burschen, der ihm die Waffen trug: Komm, laß uns hinübergehen auf den Posten dieser Unbeschnittenen los! Vielleicht wird Jahwe für uns streiten; den für Jahwe besteht kein Hindernis, durch Viel oder durch Wenig Hilfe zu schaffen!
7 उसके सिलाह बरदार ने उससे कहा, “जो कुछ तेरे दिल में है इसलिए कर और उधर चल मैं तो तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ तेरे साथ हूँ।”
Der Waffenträger antwortete ihm: Thue nur, wonach dir irgend der Sinn steht; ich bin bereit, mich dir anzuschließen: was du willst, will auch ich!
8 तब यूनतन ने कहा, “देख हम उन लोगों के पास इस तरफ़ जाएँगे, और अपने को उनको दिखाएँगे।
Jonathan erwiderte: Wohlan, wenn wir jetzt zu den leuten hinübergehen, und sie unserer ansichtig werden
9 अगर वह हम से यह कहें, कि हमारे आने तक ठहरो, तो हम अपनी जगह चुप चाप खड़े रहेंगे और उनके पास नहीं जाएँगे।
und uns alsdann zurufen: Halt, bis wir zu euch hinkommen! so wollen wir auf unserem Platze stehen bleiben und nicht zu ihnen hinaufsteigen.
10 लेकिन अगर वह यूँ कहें, कि हमारे पास तो आओ, तो हम चढ़ जाएँगे, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उनको हमारे क़ब्ज़े में कर दिया, और यह हमारे लिए निशान होगा।”
Rufen sie aber: Kommt herauf zu uns! so wollen wir hinaufsteigen; denn dann hat sie Jahwe in unsere Gewalt gegeben. Das soll uns als Zeichen dienen!
11 फिर इन दोनों ने अपने आप को फ़िलिस्तियों की चौकी के सिपाहियों को दिखाया, और फ़िलिस्ती कहने लगे, “देखो ये 'इब्रानी उन सुराख़ों में से जहाँ वह छिप गए थे, बाहर निकले आते हैं।”
Als nun die Beiden dem Posten der Philister zu Gesichte kamen, da dachten die Philister: Das sind ja Hebräer, die aus den Löchern hervorkommen, darein sie sich verkrochen haben!
12 और चौकी के सिपाहियों ने यूनतन और उसके सिलाह बरदार से कहा, “हमारे पास आओ, तो सही, हम तुमको एक चीज़ दिखाएँ।” इसलिए यूनतन ने अपने सिलाह बरदार से कहा, “अब मेरे पीछे पीछे चढ़ा, चला आ, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उनको इस्राईल के क़ब्ज़े में कर दिया है।”
So riefen denn die Leute vom Posten Jonathan und seinen Waffenträger an: Kommt herauf zu uns, so sollt ihr etwas von uns erfahren! Da sprach Jonathan zu seinem Waffenträger: Steige mir nach, denn Jahwe hat sie in die Gewalt Israels gegeben!
13 और यूनतन अपने हाथों और पाँव के बल चढ़ गया, और उसके पीछे पीछे उसका सिलाह बरदार था, और वह यूनतन के सामने गिरते गए और उसका सिलाह बरदार उसके पीछे पीछे उनको क़त्ल करता गया।
Nun kletterte Jonathan auf Händen und Füßen empor und sein Waffenträger ihm nach. Da wandten sie sich zur Flucht vor Jonathan. Er aber hieb sie nieder, und sein Waffenträger tötete sie vollends hinter ihm her.
14 यह पहली ख़ूरेज़ी जो यूनतन और उसके सिलाह बरदार ने की क़रीबन बीस आदमियों की थी जो कोई एक बीघा ज़मीन की रेघारी में मारे गए।
So belief sich das erste Blutbad, das Jonathan und sein waffenträger anrichteten, auf ungefähr zwanzig Mann, ungefähr auf der Hälfte einer Furchenstrecke, einem Joche Feldes.
15 तब लश्कर और मैदान और सब लोगों में लरज़िश हुई और चौकी के सिपाही, और ग़ारतगर भी काँप गए, और ज़लज़ला आया इसलिए निहायत तेज़ कपकपी हुई।
Da entstand Schrecken im Feldlager und unter allem Kriegsvolk; ebenso erschraken der Posten und die plündernde Schar. Dazu bebte die Erde und erzeugte einen Gottesschrecken.
16 और साऊल के निगहबानों ने जो बिनयमीन के जिबा' में थे नज़र की और देखा कि भीड़ घटती जाती है और लोग इधर उधर जा रहे हैं।
Als aber die Späher sauls zu Gibea in Benjamin hinsahen, da wogte das Lager hin und her.
17 तब साऊल ने उन लोगों से जो उसके साथ थे, कहा, “गिनती करके देखो, कि हम में से कौन चला गया है,” इसलिए उन्होंने शुमार किया तो देखो, यूनतन और उसका सिलाह बरदार ग़ायब थे।
Nun gebot Saul den Leuten, die um ihn waren: Haltet doch Musterung und seht, wer von uns hinweggegangen ist! Als man nun Musterung hielt, da fehlten Jonathan und sein Waffentäger.
18 और साऊल ने अख़ियाह से कहा, “ख़ुदा का संदूक़ यहाँ ला।” क्यूँकि ख़ुदा का संदूक़ उस वक़्त बनी इस्राईल के साथ वहीं था।
Da gebot Saul dem Ahia: Bringe den Ephod her! denn er trug damals den Ephod vor den Israeliten.
19 और जब साऊल काहिन से बातें कर रहा था तो फ़िलिस्तियों की लश्कर गाह, में जो हलचल मच गई थी वह और ज़्यादा हो गई तब साऊल ने काहिन से कहा कि “अपना हाथ खींच ले।”
Während aber Saul mit dem Priester redete, wurde das Getöse im Lager der Philister immer ärger, so daß Saul dem Priester gebot: Laß es sein!
20 और साऊल और सब लोग जो उसके साथ थे, एक जगह जमा' हो गए, और लड़ने को आए और देखा कि हर एक की तलवार अपने ही साथी पर चल रही है, और सख़्त तहलका मचा हुआ है।
da versammelten sich Saul und das ganze Kriegsvolk, das er bei sich hatte, und als sie zum Kampfplatze kamen, da hatte ein jeder das Schwert gegen den andern erhoben, so daß eine sehr große Verwirrung entstanden war.
21 और वह 'इब्रानी भी जो पहले की तरह फ़िलिस्तियों के साथ थे और चारो तरफ़ से उनके साथ लश्कर में आए थे फिर कर उन इस्राईलियों से मिल गए जो साऊल और यूनतन के साथ थे।
Die hebräer aber, welche seit lange den Philistern angehört hatten und welche mit ihnen ins Feld gezogen waren, fielen nun ihrerseits auch ab, um sich den Israeliten, die zu Saul und Jonathan hielten, anzuschließen.
22 इसी तरह उन सब इस्राईली मर्दों ने भी जो इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में छिप गए थे, यह सुन कर कि फ़िलिस्ती भागे जाते हैं, लड़ाई में आ उनका पीछा किया।
Dazu als alle die israelitischen Männer, die sich im Gebirge Ephraim verborgen hatten, hörten, daß die Philister geflphen seien, setzten sie ihnen gleichfalls nach, um sie zu bekämpfen.
23 तब ख़ुदावन्द ने उस दिन इस्राईलियों को रिहाई दी और लड़ाई बैत आवन के उस पार तक पहुँची।
So verlieh Jahwe Israel an jenem Tage Sieg. Als sich aber der Kampf über Beth Aven hin ausgedehnt hatte -
24 और इस्राईली मर्द उस दिन बड़े परेशान थे, क्यूँकि साऊल ने लोगों को क़सम देकर यूँ कहा, था कि जब तक शाम न हो और मैं अपने दुश्मनों से बदला न ले लूँ उस वक़्त तक अगर कोई कुछ खाए तो वह ला'नती हो। इस वजह से उन लोगों में से किसी ने खाना चखा तक न था।
das ganze Volk ging mit Saul, etwa 10000 Mann stark, und der Kampf zersplitterte sich auf dem Gebirge Ephraim -, da beging Saul jenes Tags ein schweres Versehen. Er nahm dem Volke folgenden Eid ab: Verflucht sei jeder, der etwas ißt bis zum Abend, bis ich an meinen Feinden Rache genommen habe! Daher nahm keiner der Leute Speise zu sich.
25 और सब लोग जंगल में जा पहुँचे और वहाँ ज़मीन पर शहद था।
Nun befanden sich Honigwaben auf dem Blachfelde.
26 और जब यह लोग उस जंगल में पहुँच गए तो देखा कि शहद टपक रहा है तो भी कोई अपना हाथ अपने मुँह तक नही ले गया इसलिए कि उनको क़सम का ख़ौफ़ था।
Als das Volk zu den Waben kam, da befand sich, daß die Bienen ausgeflogen waren; trotzdem aber führte niemand die Hand zum Munde, weil die Leute sich vor dem Schwure scheuten.
27 लेकिन यूनतन ने अपने बाप को उन लोगों को क़सम देते नहीं सुना था, इसलिए उसने अपने हाथ की लाठी के सिरे को शहद के छत्ते में भोंका और अपना हाथ अपने मुँह से लगा लिया और उसकी आँखों में रोशनी आई।
Jonathan hingegen hatte nicht mit angehört, wie sein Vater den Eid von den Leuten forderte. So langte er denn mit der Spitze des Stabes, den er in der Hand hielt, hin, tauchte sie in eine Honigwabe und führte die Hand zum Munde - da wurden seine Augen wieder helle.
28 तब उन लोगों में से एक ने उससे कहा, तेरे बाप ने लोगों को क़सम देकर सख़्त ताकीद की थी, और कहा था “कि जो शख़्स आज के दिन कुछ खाना खाए, वह ला'नती हो और लोग बेदम से हो रहे थे।”
Einer der Krieger aber redete ihn an und sprach: Dein Vater hat die Leute einen feierlichen Eid schwören lassen, der lautete: Verflucht sei jeder, der heute etwas ißt! Das Volk war aber ermattet.
29 तब यूनतन ने कहा कि मेरे बाप ने मुल्क को दुख दिया है, देखो मेरी आँखों में ज़रा सा शहद चखने की वजह से कैसी रोशनी आई।
Jonathan erwiderte: Mein Vater stürzt das Land ins Unglück; sieh doch, wie meine Augen leuchten, weil ich dies bischen Honig genossen habe:
30 कितना ज़्यादा अच्छा होता अगर सब लोग दुश्मन की लूट में से जो उनको मिली दिल खोल कर खाते क्यूँकि अभी तो फ़िलिस्तियों में कोई बड़ी ख़ूरेज़ी भी नहीं हुई है।
wie viel mehr, wenn die Leute von der feindlichen Beute, die sie gemacht haben, heute tüchtig gegessen hätten, - so aber ist die Niederlage unter den Philistern nicht groß geworden!
31 और उन्होंने उस दिन मिक्मास से अय्यालोन तक फ़िलिस्तियों को मारा और लोग बहुत ही बे दम हो गए।
Sie schlugen aber die Philister an jenem Tage von Michmas bis Ajalon, und das Kriegsvolk war sehr ermattet.
32 इसलिए वह लोग लूट पर गिरे और भेड़ बकरियों और बैलों और बछड़ों को लेकर उनको ज़मीन पर ज़बह, किया और ख़ून समेत खाने लगे।
So machten sich denn dei Leute über die beute her, nahmen Schafe, Rinder und Kälber und schlachteten sie am Boden, und die Leute aßen das Fleisch samt dem Blute.
33 तब उन्होंने साऊल को ख़बर दी कि देख लोग ख़ुदावन्द का गुनाह करते हैं कि ख़ून समेत खा रहे हैं। उसने कहा, तुम ने बेईमानी की, इसलिए एक बड़ा पत्थर आज मेरे सामने ढलका लाओ।
Als man nun Saul die Kunde brachte: Die Leute versündigen sich an Jahwe, indem sie das Fleisch samt dem Blut essen, rief er: Ihr frevelt! Wälzt mir einen großen Stein her!
34 फिर साऊल ने कहा कि लोगों के बीच इधर उधर जाकर उन से कहो कि हर शख़्स अपना बैल और अपनी भेड़ यहाँ मेरे पास लाए और यहीं, ज़बह करे और खाए और ख़ून समेत खाकर ख़ुदा का गुनहगार न बने। चुनाँचे उस रात लोगों में से हर शख़्स अपना बैल वहीं लाया और वहीं ज़बह किया।
Und Saul gebot: Zerstreut euch unter die Leute und sagt ihnen: Ein jeder von euch bringe sein Rind und sein Schaf her zu mir und schlachte es hier und esse sodann, damit ihr euch nicht an Jahwe versündigt, indem ihr es mit dem Blute eßt! Da brachte ein jeder von den leuten, was er besaß, und schlachtete es dort.
35 और साऊल ने ख़ुदावन्द के लिए एक मज़बह बनाया, यह पहला मज़बह है, जो उसने ख़ुदावन्द के लिए बनाया।
Und Saul errichtete Jahwe einen Altar; das ist der erste Altar, den Saul Jahwe errichtete.
36 फिर साऊल ने कहा, “आओ, रात ही को फ़िलिस्तियों का पीछा करें और पौ फटने तक उनको लूटें और उन में से एक आदमी को भी न छोड़ें।” उन्होंने कहा, “जो कुछ तुझे अच्छा लगे वह कर तब काहिन ने कहा, कि आओ, हम यहाँ ख़ुदा के नज़दीक हाज़िर हों।”
Da schlug Saul vor: Wir wollen den Philistern in der Nacht nachsetzen, damit wir bis zum Tagesanbruch unter ihnen plündern und keinen von ihnen übrig lassen! Sie riefen: Thue ganz, wie es dir gutdünkt! Der Priester aber sprach: Wir wollen hierher vor Gott treten.
37 और साऊल ने ख़ुदा से सलाह ली, कि क्या मैं फ़िलिस्तियों का पीछा करूँ? क्या तू उनको इस्राईल के हाथ में कर देगा। तो भी उसने उस दिन उसे कुछ जवाब न दिया।
Als aber Saul bei Gott anfragte: Soll ich den Philistern nachsetzen? Wirst du sie in die Gewalt der Israeliten geben? da gab er ihm jenes Tags keine Antwort.
38 तब साऊल ने कहा कि तुम सब जो लोगों के सरदार हो यहाँ, नज़दीक आओ, और तहक़ीक़ करो और देखो कि आज के दिन गुनाह क्यूँकर हुआ है।
Da gebot Saul: Tretet hierher, alle Obersten des Volks, und forscht nach, von wem diese versündigung heute begangen worden ist!
39 क्यूँकि ख़ुदावन्द की हयात की क़सम जो इस्राईल को रिहाई देता है अगर वह मेरे बेटे यूनतन ही का गुनाह हो, वह ज़रूर मारा जाएगा, लेकिन उन सब लोगों में से किसी आदमी ने उसको जवाब न दिया।
Denn so wahr Jahwe lebt, der Israel Sieg verliehen hat, selbst wenn sie sich bei meinem Sohne Jonathan fände - er müßte sterben! Aber niemand von den Leuten allen antwortete ihm.
40 तब उस ने सब इस्राईलियों से कहा, “तुम सब के सब एक तरफ़ हो जाओ, और मैं और मेरा बेटा यूनतन दूसरी तरफ़ हो जायेंगे।” लोगों ने साऊल से कहा, “जो तू मुनासिब जाने वह कर।”
Da gebot er dem ganzen Israel: Ihr stellt eine Seite dar, und ich und mein Sohn Jonathan stellen die andere Seite dar. Das Volk erwiderte Saul: Thue was dir gutdünkt!
41 तब साऊल ने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा से कहा, “हक़ को ज़ाहिर कर दे,” इसलिए पर्ची यूनतन और साऊल के नाम पर निकली, और लोग बच गए।
da rief Saul: Jahwe, du Gott Israels, weshalb hast du deinem Knechte heute nicht geantwortet? Wenn diese verschuldung an mir oder meinem Sohne Jonathan haftet, Jahwe, du Gott Israels, so laß Urim erscheinen; haftet sie aber an deinem Volke Israel, so laß Tummin erscheinen! Da wurden Jonathan und Saul getroffen, das Volk aber ging frei aus.
42 तब साऊल ने कहा कि “मेरे और मेरे बेटे यूनतन के नाम पर पर्ची डालो, तब यूनतन पकड़ा गया।”
Saul gebot: Lost zwischen mir und meinem Sohne Jonathan! Da wurde Jonathan getroffen.
43 और साऊल ने यूनतन से कहा, “मुझे बता कि तूने क्या किया है?” यूनतन ने उसे बताया कि “मैंने बेशक अपने हाथ की लाठी के सिरे से ज़रा सा शहद चख्खा था इसलिए देख मुझे मरना होगा।”
Nun fragte Saul Jonathan: Thue mir kund: was hast du getan? Da that es ihm Jonathan kund und sprach: Mit der Spitze des Stabes, den ich in der Hand hielt, kostete ich nur ein wenig Honig - dafür soll ich sterben?!
44 साऊल ने कहा, “ख़ुदा ऐसा ही बल्कि इससे भी ज़्यादा करे क्यूँकि ऐ यूनतन तू ज़रूर मारा जाएगा।”
Saul erwiderte: Gott thue mir an, was er will: ja, du mußt sterben, Jonathan!
45 तब लोगों ने साऊल से कहा, “क्या यूनतन मारा जाए, जिसने इस्राईल को ऐसा बड़ा छुटकारा दिया है ऐसा न होगा, ख़ुदावन्द की हयात की क़सम है कि उसके सर का एक बाल भी ज़मीन पर गिरने नहीं पाएगा क्यूँकि उसने आज ख़ुदा के साथ हो कर काम किया है।” इसलिए लोगों ने यूनतन को बचा लिया और वह मारा न गया।
Aber das Volk rief Saul zu: Jonathan soll sterben, der diesen großen Sieg in Israel errungen hat? Das darf nicht sein! So wahr Jahwe lebt, es soll nicht ein Haar von seinem Haupte zur Erde fallen; denn mit Gottes Hilfe hat er ihn heute errungen! Da löste das Volk Jonathan aus, daß er nicht sterben mußte.
46 और साऊल फ़िलिस्तियों का पीछा छोड़ कर लौट गया और फ़िलिस्ती अपने मक़ाम को चले गए
Und Saul kam wieder herauf von der Verfolgung der Philister; die Philister aber zogen an ihren Ort.
47 जब साऊल बनी इस्राईल पर बादशाहत करने लगा, तो वह हर तरफ़ अपने दुश्मनों या'नी मोआब और बनी 'अम्मून और अदोम और ज़ोबाह के बादशाहों और फ़िलिस्तियों से लड़ा और वह जिस जिस तरफ़ फिरता उनका बुरा हाल करता था।
Als nun Saul das Königtum über Israel gewonnen hatte, führte er Kriege ringsum gegen alle seine feinde: gegen Moab, gegen die Ammoniter, gegen Edom, gegen den König von Zoba und gegen die Philister und wohin er sich auch wandte, da war er siegreich.
48 और उसने बहादुरी करके अमालीक़ियों को मारा, और इस्राईलियों को उनके हाथ से छुड़ाया जो उनको लूटते थे।
Auch bewies er Tapferkeit und schlug Amalek und errettete Israel aus der Gewalt seines Plünderers.
49 साऊल के बेटे यूनतन और इसवी और मलकीशू'अ थे; और उसकी दोनों बेटियों के नाम यह थे, बड़ी का नाम मेरब और छोटी का नाम मीकल था।
Die Söhne Sauls waren: Jonathan, Isjo und Malkisua, und seine zwei Töchter hießen: die ältere Merab, die jüngere Michal.
50 और साऊल कि बीवी का नाम अख़ीनु'अम था जो अख़ीमा'ज़ की बेटी थी, और उसकी फ़ौज के सरदार का नाम अबनेर था, जो साऊल के चचा नेर का बेटा था।
Und Sauls Weib hieß: Ahinoam, Tochter des Ahimaaz; und seine Heerführer hießen Abner, Sohn Ners, dews Oheims Sauls.
51 और साऊल के बाप का नाम क़ीस था और अबनेर का बाप नेर अबीएल का बेटा था।
Sowohl Sauls Vater Kis, als Abners Vater Ner waren nämlich Söhne Abiels.
52 और साऊल की ज़िन्दगी भर फ़िलिस्तियों से सख़्त जंग रही, इसलिए जब साऊल किसी ताक़तवर मर्द या सूरमा को देखता था तो उसे अपने पास रख लेता था।
Aber der Krieg gegen die Philister tobte heftig, solange Saul lebte, und sah Saul irgend einen Tapfern oder einen kriegstüchtigen Mann, den gesellte er sich zu.

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