< 1 सला 8 >

1 तब सुलेमान ने इस्राईल के बुज़ुगों और क़बीलों के सब सरदारों को, जो बनी इस्राईल के आबाई ख़ान्दानों के रईस थे, अपने पास येरूशलेम में जमा' किया ताकि वह दाऊद के शहर से, जो सिय्यून है, ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को ले आएँ।
Então congregou Salomão os anciãos de Israel, e todos os Cabeças das tribus, os principes dos paes, d'entre os filhos de Israel, ao rei Salomão em Jerusalem; para fazerem subir a arca do concerto do Senhor da cidade de David, que é Sião.
2 इसलिए उस 'ईद में इस्राईल के सब लोग माह — ए — ऐतानीम में, जो सातवाँ महीना है, सुलेमान बादशाह के पास जमा' हुए।
E todos os homens de Israel se congregaram na festa, ao rei Salomão, no mez de Ethanim, que é o setimo mez.
3 और इस्राईल के सब बुज़ुर्ग आए, और काहिनों ने सन्दूक़ उठाया।
E vieram todos os anciãos de Israel: e os sacerdotes alçaram a arca.
4 और वह ख़ुदावन्द के सन्दूक़ को, और ख़ेमा — ए — इजितमा'अ को, और उन सब मुक़द्दस बर्तनों को जो ख़ेमे के अन्दर थे ले आए; उनको काहिन और लावी लाए थे।
E trouxeram a arca do Senhor para cima, e o tabernaculo da congregação, juntamente com todos os vasos sagrados que havia no tabernaculo; assim os trouxeram para cima os sacerdotes e os levitas.
5 और सुलेमान बादशाह ने और उसके साथ इस्राईल की सारी जमा'अत ने, जो उसके पास जमा' थी, सन्दूक़ के सामने खड़े होकर इतनी भेड़ — बकरियाँ और बैल ज़बह किए कि उनको कसरत की वजह से उनकी गिनती या हिसाब न हो सका।
E o rei Salomão, e toda a congregação de Israel, que se congregara a elle, estava com elle diante da arca, sacrificando ovelhas e vaccas, que se não podiam contar nem numerar pela multidão.
6 और काहिन ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को उसकी जगह पर, उस घर की इल्हामगाह में, या'नी पाकतरीन मकान में 'ऐन करूबियों के बाज़ुओं के नीचे ले आए।
Assim trouxaram os sacerdotes a arca do concerto do Senhor ao seu logar, ao oraculo da casa, ao logar sanctissimo, até debaixo das azas dos cherubins.
7 क्यूँकि करूबी अपने बाज़ुओं को सन्दूक़ की जगह के ऊपर फैलाए हुए थे, और वह करूबी सन्दूक़ को और उसकी चोबों को ऊपर से ढाँके हुए थे।
Porque os cherubins estendiam ambas as azas sobre o logar da arca: e cobriam os cherubins a arca e os seus varaes por cima.
8 और वह चोबें ऐसी लम्बी थीं के उन चोंबों के सिरे पाक मकान से इल्हामगाह के सामने दिखाई देते थे, लेकिन बाहर से नहीं दिखाई देते थे। और वह आज तक वहीं हैं।
E os varaes sobresairam tanto, que as pontas dos varaes se viam desde o sanctuario diante do oraculo, porém de fóra se não viam: e ficaram ali até ao dia d'hoje.
9 उस सन्दूक़ में कुछ न था सिवा पत्थर की उन दो लौहों के जिनको वहाँ मूसा ने होरिब में रख दिया था, जिस वक़्त के ख़ुदावन्द ने बनी इस्राईल से जब वह मुल्क — ए — मिस्र से निकल आए, 'अहद बाँधा था।
Na arca nada havia, senão só as duas taboas de pedra, que Moysés ali pozera junto a Horeb, quando o Senhor contratou com os filhos de Israel, saindo elles da terra do Egypto.
10 फिर ऐसा हुआ कि जब काहिन पाक मकान से बाहर निकल आए, तो ख़ुदावन्द का घर अब्र से भर गया:
E succedeu que, saindo os sacerdotes do sanctuario, uma nuvem encheu a casa do Senhor.
11 इसलिए काहिन उस अब्र की वजह से ख़िदमत के लिए खड़े न हो सके, इसलिए कि ख़ुदावन्द का घर उसके जलाल से भर गया था।
E não podiam ter-se em pé os sacerdotes para ministrar, por causa da nuvem, porque a gloria do Senhor enchera a casa do Senhor.
12 तब सुलेमान ने कहा कि “ख़ुदावन्द ने फ़रमाया था कि वह गहरी तारीकी में रहेगा।
Então disse Salomão: O Senhor disse que habitaria nas trevas.
13 मैंने हक़ीक़त में एक घर तेरे रहने के लिए, बल्कि तेरी हमेशा की सुकूनत के वास्ते एक जगह बनाई है।”
Certamente te edifiquei uma casa para morada, assento para a tua eterna habitação.
14 और बादशाह ने अपना मुँह फेरा और इस्राईल की सारी जमा'अत को बरकत दी, और इस्राईल की सारी जमा'अत खड़ी रही;
Então virou o rei o seu rosto, e abençoou toda a congregação de Israel: e toda a congregação de Israel estava em pé
15 और उसने कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा मुबारक हो! जिसने अपने मुँह से मेरे बाप दाऊद से कलाम किया, और उसे अपने हाथ से यह कह कर पूरा किया कि।
E disse: Bemdito seja o Senhor, o Deus de Israel, que fallou pela sua bocca a David meu pae, e pela sua mão o cumpriu, dizendo:
16 “जिस दिन से मैं अपनी क़ौम इस्राईल को मिस्र से निकाल लाया, मैंने इस्राईल के सब क़बीलों में से भी किसी शहर को नहीं चुना कि एक घर बनाया जाए, ताकि मेरा नाम वहाँ हो; लेकिन मैंने दाऊद को चुन लिया कि वह मेरी क़ौम इस्राईल पर हाकिम हो।
Desde o dia em que eu tirei o meu povo Israel do Egypto, não escolhi cidade alguma de todas as tribus de Israel, para edificar alguma casa para ali estabelecer o meu nome: porém escolhi a David, para que presidisse sobre o meu povo Israel.
17 और मेरे बाप दाऊद के दिल में था कि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए एक घर बनाए।
Tambem David, meu pae, propozera em seu coração o edificar casa ao nome do Senhor, o Deus de Israel.
18 लेकिन ख़ुदावन्द ने मेरे बाप दाऊद से कहा, 'चूँकि मेरे नाम के लिए एक घर बनाने का ख़्याल तेरे दिल में था, तब तू ने अच्छा किया कि अपने दिल में ऐसा ठाना;
Porém o Senhor disse a David, meu pae: Porquanto propozeste no teu coração o edificar casa ao meu nome bem fizeste em o propôr no teu coração.
19 तोभी तू उस घर को न बनाना, बल्कि तेरा बेटा जो तेरे सुल्ब से निकलेगा वह मेरे नाम के लिए घर बनाएगा।
Todavia tu não edificarás esta casa: porém teu filho, que sair de teus lombos, edificará esta casa ao meu nome.
20 और ख़ुदावन्द ने अपनी बात, जो उसने कही थी, क़ाईम की है; क्यूँकि मैं अपने बाप दाऊद की जगह उठा हूँ, और जैसा ख़ुदावन्द ने वा'दा किया था, मैं इस्राईल के तख़्त पर बैठा हूँ और मैंने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए उस घर को बनाया है।
Assim confirmou o Senhor a sua palavra que tinha dito: porque me levantei em logar de David, meu pae, e me assentei no throno de Israel, como tem dito o Senhor; e edifiquei uma casa ao nome do Senhor, o Deus d'Israel.
21 और मैंने वहाँ एक जगह उस सन्दूक़ के लिए मुक़र्रर कर दी है, जिसमें ख़ुदावन्द का वह 'अहद है जो उसने हमारे बाप — दादा से, जब वह उनको मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, बाँधा था।”
E constitui ali logar para a arca em que está o concerto do Senhor, o qual fez com nossos paes, quando os tirou da terra do Egypto.
22 और सुलेमान ने इस्राईल की सारी जमा'अत के सामने ख़ुदावन्द के मज़बह के आगे खड़े होकर अपने हाथ आसमान की तरफ़ फ़ैलाए
E poz-se Salomão diante do altar do Senhor, em frente de toda a congregação d'Israel: e estendeu as suas mãos para os céus,
23 और कहा, ऐ ख़ुदावन्द, इस्राईल के ख़ुदा! तेरी तरह न तो ऊपर आसमान में, न नीचे ज़मीन पर कोई ख़ुदा है; तू अपने उन बन्दों के लिए जो तेरे सामने अपने सारे दिल से चलते हैं, 'अहद और रहमत को निगाह रखता है।
E disse: Ó Senhor Deus de Israel, não ha Deus como tu, em cima nos céus nem em baixo na terra: que guardas o concerto e a beneficencia a teus servos que andam com todo o seu coração diante de ti.
24 तू ने अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के हक़ में वह बात क़ाईम रख्खी, जिसका तू ने उससे वा'दा किया था; तू ने अपने मुँह से फ़रमाया और अपने हाथ से उसे पूरा किया, जैसा आज के दिन है।
Que guardaste a teu servo David, meu pae, o que lhe disseras: porque com a tua bocca o disseste, e com a tua mão o cumpriste, como n'este dia se vê.
25 इसलिए अब ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा! तू अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के साथ उस क़ौल को भी पूरा कर जो तूने उससे किया था कि 'तेरे आदमियों से मेरे सामने इस्राईल के तख़्त पर बैठने वाले की कमी न होगी; बशर्ते कि तेरी औलाद, जैसे तू मेरे सामने चलता रहा वैसे ही मेरे सामने चलने के लिए, अपने रास्ते की एहतियात रखखे।
Agora pois, ó Senhor Deus d'Israel, guarda a teu servo David, meu pae, o que lhe fallaste, dizendo: Não te faltará successor diante de mim, que se assente no throno d'Israel: sómente que teus filhos guardem o seu caminho, para andarem diante de mim como tu andaste diante de mim
26 इसलिए अब ऐ इस्राईल के खुदा, तेरा वह क़ौल सच्चा साबित किया जाए, जो तू ने अपने बन्दे मेरे बाप दाऊद से किया।
Agora tambem, ó Deus d'Israel, cumpra-se a tua palavra que disseste a teu servo David, meu pae.
27 लेकिन क्या ख़ुदा हक़ीक़त में ज़मीन पर सुकूनत करेगा? देख, आसमान बल्कि आसमानों के आसमान में भी तू समा नहीं सकता, तो यह घर तो कुछ भी नहीं जिसे मैंने बनाया।
Mas, na verdade, habitaria Deus na terra? eis que os céus, e até o céu dos céus, te não comprehenderiam, quanto menos esta casa que eu tenho edificado.
28 तोभी, ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, अपने बन्दा की दुआ और मुनाजात का लिहाज़ करके, उस फ़रियाद और दुआ को सुन ले जो तेरा बन्दा आज के दिन तेरे सामने करता है,
Volve-te pois para a oração de teu servo, e para a sua supplica, ó Senhor meu Deus, para ouvires o clamor e a oração que o teu servo hoje faz diante de ti.
29 ताकि तेरी आँखें इस घर की तरफ़, या'नी उसी जगह की तरफ़ जिसकी ज़रिए' तू ने फ़रमाया कि 'मैं अपना नाम वहाँ रखूँगा,' दिन और रात खुली रहें; ताकि तू उस दुआ को सुने जो तेरा बन्दा इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ करके तुझ से करेगा।
Para que os teus olhos noite e dia estejam abertos sobre esta casa, sobre este logar, do qual disseste: O meu nome estará ali; para ouvires a oração que o teu servo fizer n'este logar.
30 और तू अपने बन्दा और अपनी क़ौम इस्राईल की मुनाजात को, जब वह इस जगह की तरफ रुख करके करें सुन लेना, बल्कि तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सुन लेना, और सुनकर मु'आफ़ कर देना।
Ouve pois a supplica do teu servo, e do teu povo Israel, que orarem n'este logar; tambem ouve tu no logar da tua habitação nos céus; ouve tambem, e perdôa.
31 “अगर कोई शख़्स अपने पड़ौसी का गुनाह करे, और उसे क़सम खिलाने के लिए उसको हल्फ़ दिया जाए, और वह आकर इस घर में तेरे मज़बह के आगे क़सम खाए:
Quando alguem peccar contra o seu proximo, e pozerem sobre elle juramento de maldição, para o ajuramentarem a si mesmo, e vier juramento de maldição diante do teu altar n'esta casa,
32 तो तू आसमान पर से सुनकर 'अमल करना और अपने बन्दों का इन्साफ़ करना, और बदकार पर फ़तवा लगाकर उसके 'आमाल को उसी के सिर डालना, और सादिक़ को सच्चा ठहराकर उसकी सदाक़त के मुताबिक उसे बदला देना।
Ouve tu então nos céus, e obra, e julga a teus servos, condemnando ao injusto, fazendo recair o seu proceder sobre a sua cabeça, e justificando ao justo, rendendo-lhe segundo a sua justiça.
33 जब तेरी क़ौम इस्राईल तेरा गुनाह करने के ज़रिए' अपने दुश्मनों से शिकस्त खाए और फिर तेरी तरफ़ रुजू' लाये और तेरे नाम का इकरार करके इस घर में तुझ से दुआ और मुनाजात करे;
Quando o teu povo Israel fôr ferido diante do inimigo, por ter peccado contra ti, e se converterem a ti, e confessarem o teu nome, e orarem e supplicarem a ti n'esta casa,
34 तो तू आसमान पर से सुनकर अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ करना, और उनको इस मुल्क में जो तूने उनके बाप दादा को दिया फिर ले आना।
Ouve tu então nos céus, e perdôa o peccado do teu povo Israel, e torna-o a levar á terra que tens dado a seus paes.
35 “जब इस वजह से कि उन्होंने तेरा गुनाह किया हो, आसमान बन्द हो जाए और बारिश न हो, और वह इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ करके दुआ करें और तेरे नाम का इक़रार करें, और अपने गुनाह से बाज़ आएँ जब तू उनको दुख दे;
Quando os céus se cerrarem, e não houver chuva, por terem peccado contra ti, e orarem n'este logar, e confessarem o teu nome, e se converterem dos seus peccados, havendo-os tu affligido.
36 तो तू आसमान पर से सुन कर अपने बन्दों और अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ कर देना, क्यूँकि तू उनको उस अच्छी रास्ते की ता'लीम देता है जिस पर उनको चलना फ़र्ज़ है, और अपने मुल्क पर जिसे तू ने अपनी क़ौम को मीरास के लिए दिया है, पानी बरसाना।
Ouve tu então nos céus, e perdôa o peccado de teus servos e do teu povo Israel, ensinando-lhe o bom caminho em que andem, e dá chuva na tua terra que déste ao teu povo em herança.
37 “अगर मुल्क में काल हो, अगर वबा हो, अगर बाद — ऐ — समूम या गेरूई या टिड्डी या कमला हो, अगर उनके दुश्मन उनके शहरों के मुल्क में उनको घेर लें, ग़रज़ कैसी ही बला कैसा ही रोग हो;
Quando houver fome na terra, quando houver peste, quando houver queima de searas, ferrugem, gafanhotos e pulgão, quando o seu inimigo o cercar na terra das suas portas, ou houver alguma praga ou doença.
38 तो जो दुआ और मुनाजात किसी एक शख़्स या तेरी क़ौम इस्राईल की तरफ़ से ही, जिनमें से हर शख़्स अपने दिल का दुख जानकर अपने हाथ इस घर की तरफ़ फैलाए;
Toda a oração, toda a supplica, que qualquer homem de todo o teu povo Israel fizer, conhecendo cada um a chaga do seu coração, e estendendo as suas mãos para esta casa
39 तो तू आसमान पर से जो तेरी सुकुनतगाह है सुनकर मु'आफ़ कर देना, और ऐसा करना कि हर आदमी को, जिसके दिल को तू जानता है, उसी की सारे चाल चलन के मुताबिक़ बदला देना; क्यूँकि सिर्फ़ तू ही सब बनी — आदम के दिलों को जानता है;
Ouve tu então nos céus, assento da tua habitação, e perdôa, e obra, e dá a cada um conforme a todos os seus caminhos, e segundo vires o seu coração, porque só tu conheces o coração de todos os filhos dos homens
40 ताकि जितनी मुद्दत तक वह उस मुल्क में जिसे तू ने हमारे बाप — दादा को दिया ज़िन्दा रहें, तेरा ख़ौफ़ माने।
Para que te temam todos os dias que viverem na terra que déste a nossos paes.
41 'अब रहा वह परदेसी जो तेरी क़ौम इस्राईल में से नहीं है, वह जब दूर मुल्क से तेरे नाम की ख़ातिर आए,
E tambem ouve ao estrangeiro, que não fôr do teu povo Israel, porém vier de terras remotas, por amor do teu nome
42 क्यूँकि वह तेरे बुज़ुर्ग नाम और क़वी हाथ और बुलन्द बाज़ू का हाल सुनेंगे इसलिए जब वह आए और इस घर की तरफ़ रुख़ करके दुआ करे,
(Porque ouvirão do teu grande nome, e da tua forte mão, e do teu braço estendido), e vier orar para esta casa,
43 तो तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सुन लेना, और जिस — जिस बात के लिए वह परदेसी तुझ से फ़रयाद करे तू उसके मुताबिक़ करना, ताकि ज़मीन की सब क़ौमें बनी इस्राईल की मानिन्द तेरे नाम को पहचाने मानें, और जान लें कि यह घर जिसे मैंने बनाया है तेरे नाम का कहलाता है।
Ouve tu nos céus, assento da tua habitação, e faze conforme a tudo o que o estrangeiro a ti clamar, a fim de que todos os povos da terra conheçam o teu nome, para te temerem como o teu povo Israel, e para saberem que o teu nome é invocado sobre esta casa que tenho edificado.
44 'अगर तेरे लोग चाहे किसी रास्ते से तू उनको भेजे, अपने दुश्मनों से लड़ने को निकलें, और वह ख़ुदावन्द से उस शहर की तरफ़ जिसे तू ने चुना है, और उस घर की तरफ़ जिसे मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है, रुख़ करके दुआ करें,
Quando o teu povo sair á guerra contra o seu inimigo, pelo caminho por que os enviares, e orarem ao Senhor, para a banda d'esta cidade, que tu elegeste, e d'esta casa, que edifiquei ao teu nome,
45 तो तू आसमान पर से उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना।
Ouve então nos céus a sua oração e a sua supplica, e faze-lhes justiça.
46 'अगर वह तेरा गुनाह करें क्यूँकि कोई ऐसा आदमी नहीं जो गुनाह न करता हो और तू उनसे नाराज़ होकर उनको दुश्मन के हवाले कर दे, ऐसा कि वह दुश्मन उनको ग़ुलाम करके अपने मुल्क में ले जाए, ख़्वाह वह दूर हो या नज़दीक,
Quando peccarem contra ti (pois não ha homem que não peque), e tu te indignares contra elles, e os entregares ás mãos do inimigo, para que os que os captivarem os levem em captiveiro á terra do inimigo, quer longe ou perto esteja,
47 तोभी अगर वह उस मुल्क में जहाँ वह ग़ुलाम होकर पहुँचाए गए, होश में आयें और रुजू' लायें और अपने ग़ुलाम करने वालों के मुल्क में तुझसे मुनाजात करें और कहें कि हम ने गुनाह किया, हम टेढ़ी चाल चले, और हम ने शरारत की;
E na terra aonde forem levados em captiveiro tornarem em si, e se converterem, e na terra do seu captiveiro te supplicarem, dizendo: Peccámos, e perversamente obrámos, e commettemos iniquidade;
48 इसलिए अगर वह अपने दुश्मनों के मुल्क में जो उनको क़ैद करके ले गए, अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से तेरी तरफ़ फिरें और अपने मुल्क की तरफ़, जो तू ने उनके बाप — दादा को दिया, और इस शहर की तरफ़, जिसे तू ने चुन लिया, और इस घर की तरफ़, जो मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है, रुख़ करके तुझ से दुआ करें,
E se converterem a ti com todo o seu coração e com toda a sua alma, na terra de seus inimigos que os levaram em captiveiro, e orarem a ti para a banda da sua terra que déste a seus paes, para esta cidade que elegeste, e para esta casa que edifiquei ao teu nome;
49 तो तू आसमान पर से, जो तेरी सुकूनत गाह है, उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना,
Ouve então nos céus, assento da tua habitação, a sua oração e a sua supplica, e faze-lhes justiça;
50 और अपनी क़ौम को, जिसने तेरा गुनाह किया, और उनकी सब ख़ताओं को, जो उनसे तेरे ख़िलाफ़ सरज़द हों, मु'आफ़ कर देना, और उनके ग़ुलाम करने वालों के आगे उन पर रहम करना ताकि वह उन पर रहम करें।
E perdôa ao teu povo que houver peccado contra ti, e todas as suas prevaricações com que houverem prevaricado contra ti; e dá-lhes misericordia perante aquelles que os teem captivos, para que d'elles tenham compaixão.
51 क्यूँकि वह तेरी क़ौम और तेरी मीरास हैं, जिसे तू मिस्र से लोहे के भट्टे के बीच में से निकाल लाया।
Porque são o teu povo e a tua herança que tiraste da terra do Egypto, do meio do forno de ferro.
52 सो तेरी आँखें तेरे बन्दा की मुनाजात और तेरी क़ौम इस्राईल की मुनाजात की तरफ़ खुली रहें, ताकि जब कभी वह तुझ से फ़रियाद करें, तू उनकी सुने;
Para que teus olhos estejam abertos á supplica do teu servo e á supplica do teu povo Israel, a fim de os ouvirdes em tudo quanto clamarem a ti.
53 क्यूँकि तू ने ज़मीन की सब क़ौमों में से उनको अलग किया कि वह तेरी मीरास हों, जैसा ऐ मालिक ख़ुदावन्द, तू ने अपने बन्दे मूसा की ज़रिए' फ़रमाया, जिस वक़्त तू हमारे बाप — दादा को मिस्र से निकाल लाया।”
Pois tu para tua herança os elegeste de todos os povos da terra, como tens dito pelo ministerio de Moysés, teu servo, quando tiraste a nossos paes do Egypto, Senhor Jehovah.
54 और ऐसा हुआ कि जब सुलेमान ख़ुदावन्द से यह सब मुनाजात कर चुका, तो वह ख़ुदावन्द के मज़बह के सामने से, जहाँ वह अपने हाथ आसमान की तरफ़ फैलाए हुए घुटने टेके था, उठा।
Succedeu pois que, acabando Salomão de fazer ao Senhor esta oração e esta supplica, estando de joelhos e com as mãos estendidas para os céus, se levantou de diante do altar do Senhor.
55 और खड़े होकर इस्राईल की सारी जमा'अत को ऊँची आवाज़ से बरकत दी और कहा,
E poz-se em pé, e abençoou a toda a congregação d'Israel em alta voz, dizendo:
56 “ख़ुदावन्द, जिसने अपने सब वा'दों के मुताबिक़ अपनी क़ौम इस्राईल को आराम बख़्शा मुबारक हो; क्यूँकि जो सारा अच्छा वा'दा उसने अपने बन्दे मूसा की ज़रिए' किया, उसमें से एक बात भी ख़ाली न गई।
Bemdito seja o Senhor, que deu repouso ao seu povo Israel, segundo tudo o que disse: nem uma só palavra caiu de todas as suas boas palavras que fallou pelo ministerio de Moysés, seu servo.
57 ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा हमारे साथ रहे जैसे वह हमारे बाप — दादा के साथ रहा, और न हम को तर्क करे न छोड़े।
O Senhor nosso Deus seja comnosco, como foi com nossos paes; não nos desampare, e não nos deixe.
58 ताकि वह हमारे दिलों को अपनी तरफ़ माइल करे कि हम उसकी सब रास्तों पर चलें, और उसके फ़रमानों और क़ानून और अहकाम को, जो उसने हमारे बाप — दादा को दिए मानें।
Inclinando a si o nosso coração, para andar em todos os seus caminhos, e para guardar os seus mandamentos, e os seus estatutos, e os seus juizos que ordenou a nossos paes.
59 और यह मेरी बातें जिनको मैंने ख़ुदावन्द के सामने मुनाजात में पेश किया है, दिन और रात ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के नज़दीक रहें, ताकि वह अपने बन्दा की दाद और अपनी क़ौम इस्राईल की दाद हर दिन की ज़रूरत के मुताबिक़ दे;
E que estas minhas palavras, com que suppliquei perante o Senhor, estejam perto, diante do Senhor nosso Deus, de dia e de noite, para que execute o juizo do seu servo e o juizo do seu povo Israel, a cada qual no seu dia,
60 जिससे ज़मीन की सब क़ौमें जान लें कि ख़ुदावन्द ही ख़ुदा है और उसके सिवा और कोई नहीं।
Para que todos os povos da terra saibam que o Senhor é Deus, e que não ha outro.
61 इसलिए तुम्हारा दिल आज की तरह ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के साथ उसके क़ानून पर चलने, और उसके हुक्मों को मानने के लिए कामिल रहे।”
E seja o vosso coração inteiro para com o Senhor nosso Deus, para andardes nos seus estatutos, e guardardes os seus mandamentos como hoje.
62 और बादशाह ने और उसके साथ सारे इस्राईल ने ख़ुदावन्द के सामने क़ुर्बानी पेश की।
E o rei e todo o Israel com elle sacrificaram sacrificios perante a face do Senhor.
63 सुलेमान ने जो सलामती के ज़बीहों की क़ुर्बानी ख़ुदावन्द के सामने पेशकीं उसमें उसने बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़ें पेश कीं। ऐसे बादशाह ने और सब बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द का घर मख़्सूस किया।
E offereceu Salomão em sacrificio pacifico o que sacrificou ao Senhor, vinte e duas mil vaccas e cento e vinte mil ovelhas: assim o rei e todos os filhos de Israel consagraram a casa do Senhor.
64 उसी दिन बादशाह ने सहन के दर्मियानी हिस्से को जो ख़ुदावन्द के घर के सामने था मुक़द्दस किया, क्यूँकि उसने वहीं सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़र की क़ुर्बानी और सलामती के ज़बीहों की चर्बी पेश की, इसलिए कि पीतल का मज़बह जो ख़ुदावन्द के सामने था, इतना छोटा था कि उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़र की क़ुर्बानी और सलामती के ज़बोहों की चर्बी के लिए गुन्जाइश न थी।
No mesmo dia sanctificou o rei o meio do atrio que estava diante da casa do Senhor; porquanto ali preparara os holocaustos e as offertas com a gordura dos sacrificios pacificos: porque o altar de cobre que estava diante da face do Senhor era muito pequeno para n'elle caberem os holocaustos, e as offertas, e a gordura dos sacrificios pacificos.
65 इसलिए सुलेमान ने और उसके साथ सारे इस्राईल, या'नी एक बड़ी जमा'अत, ने जो हमात के मदख़ल से लेकर मिस्र की नहर तक की हुदूद से आई थी, ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के सामने सात दिन और फिर सात दिन और, या'नी चौदह दिन, 'ईद मनाई।
No mesmo tempo celebrou Salomão a festa, e todo o Israel com elle, uma grande congregação, desde a entrada de Hamath até ao rio do Egypto, perante a face do Senhor nosso Deus; por sete dias, e mais sete dias: quatorze dias.
66 और आठवें दिन उसने उन लोगों को रुख़सत कर दिया। तब उन्होंने बादशाह को मुबारकबाद दी, और उस सारी नेकी के ज़रिए' जो ख़ुदावन्द ने अपने बन्दा दाऊद और अपनी क़ौम इस्राईल से की थी, अपने डेरों को दिल में ख़ुश और ख़ुश होकर लौट गए।
E no oitavo dia despediu o povo, e elles abençoaram o rei: então se foram ás suas tendas, alegres e gozosos de coração, por causa de todo o bem que o Senhor fizera a David seu servo, e a Israel seu povo

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