< 1 सला 8 >

1 तब सुलेमान ने इस्राईल के बुज़ुगों और क़बीलों के सब सरदारों को, जो बनी इस्राईल के आबाई ख़ान्दानों के रईस थे, अपने पास येरूशलेम में जमा' किया ताकि वह दाऊद के शहर से, जो सिय्यून है, ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को ले आएँ।
آنگاه سلیمان، مشایخ اسرائیل و جمیع روسای اسباط و سروران خانه های آبای بنی‌اسرائیل را نزد سلیمان پادشاه در اورشلیم جمع کرد تا تابوت عهد خداوند را از شهر داودکه صهیون باشد، برآورند.۱
2 इसलिए उस 'ईद में इस्राईल के सब लोग माह — ए — ऐतानीम में, जो सातवाँ महीना है, सुलेमान बादशाह के पास जमा' हुए।
و جمیع مردان اسرائیل در ماه ایتانیم که ماه هفتم است در عیدنزد سلیمان پادشاه جمع شدند.۲
3 और इस्राईल के सब बुज़ुर्ग आए, और काहिनों ने सन्दूक़ उठाया।
و جمیع مشایخ اسرائیل آمدند و کاهنان تابوت را برداشتند.۳
4 और वह ख़ुदावन्द के सन्दूक़ को, और ख़ेमा — ए — इजितमा'अ को, और उन सब मुक़द्दस बर्तनों को जो ख़ेमे के अन्दर थे ले आए; उनको काहिन और लावी लाए थे।
وتابوت خداوند و خیمه اجتماع و همه آلات مقدس را که در خیمه بود آوردند و کاهنان ولاویان آنها را برآوردند.۴
5 और सुलेमान बादशाह ने और उसके साथ इस्राईल की सारी जमा'अत ने, जो उसके पास जमा' थी, सन्दूक़ के सामने खड़े होकर इतनी भेड़ — बकरियाँ और बैल ज़बह किए कि उनको कसरत की वजह से उनकी गिनती या हिसाब न हो सका।
و سلیمان پادشاه وتمامی جماعت اسرائیل که نزد وی جمع شده بودند، پیش روی تابوت همراه وی ایستادند، واینقدر گوسفند و گاو را ذبح کردند که به شمار وحساب نمی آمد.۵
6 और काहिन ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को उसकी जगह पर, उस घर की इल्हामगाह में, या'नी पाकतरीन मकान में 'ऐन करूबियों के बाज़ुओं के नीचे ले आए।
و کاهنان تابوت عهد خداوندرا به مکانش در محراب خانه، یعنی درقدس‌الاقداس زیر بالهای کروبیان درآوردند.۶
7 क्यूँकि करूबी अपने बाज़ुओं को सन्दूक़ की जगह के ऊपर फैलाए हुए थे, और वह करूबी सन्दूक़ को और उसकी चोबों को ऊपर से ढाँके हुए थे।
زیرا کروبیان بالهای خود را بر مکان تابوت پهن می‌کردند و کروبیان تابوت و عصاهایش را از بالامی پوشانیدند.۷
8 और वह चोबें ऐसी लम्बी थीं के उन चोंबों के सिरे पाक मकान से इल्हामगाह के सामने दिखाई देते थे, लेकिन बाहर से नहीं दिखाई देते थे। और वह आज तक वहीं हैं।
و عصاها اینقدر دراز بود که سرهای عصاها از قدسی که پیش محراب بود، دیده می‌شد اما از بیرون دیده نمی شد و تا امروزدر آنجا هست.۸
9 उस सन्दूक़ में कुछ न था सिवा पत्थर की उन दो लौहों के जिनको वहाँ मूसा ने होरिब में रख दिया था, जिस वक़्त के ख़ुदावन्द ने बनी इस्राईल से जब वह मुल्क — ए — मिस्र से निकल आए, 'अहद बाँधा था।
و در تابوت چیزی نبود سوای آن دو لوح سنگ که موسی در حوریب در آن گذاشت، وقتی که خداوند با بنی‌اسرائیل در حین بیرون آمدن ایشان از زمین مصر عهد بست.۹
10 फिर ऐसा हुआ कि जब काहिन पाक मकान से बाहर निकल आए, तो ख़ुदावन्द का घर अब्र से भर गया:
وواقع شد که چون کاهنان از قدس بیرون آمدند ابر، خانه خداوند را پر ساخت.۱۰
11 इसलिए काहिन उस अब्र की वजह से ख़िदमत के लिए खड़े न हो सके, इसलिए कि ख़ुदावन्द का घर उसके जलाल से भर गया था।
و کاهنان به‌سبب ابر نتوانستند به جهت خدمت بایستند، زیرا که جلال یهوه، خانه خداوند را پر کرده بود.۱۱
12 तब सुलेमान ने कहा कि “ख़ुदावन्द ने फ़रमाया था कि वह गहरी तारीकी में रहेगा।
آنگاه سلیمان گفت: «خداوند گفته است که در تاریکی غلیظ ساکن می‌شوم.۱۲
13 मैंने हक़ीक़त में एक घर तेरे रहने के लिए, बल्कि तेरी हमेशा की सुकूनत के वास्ते एक जगह बनाई है।”
فی الواقع خانه‌ای برای سکونت تو و مکانی را که در آن تا به ابد ساکن شوی بنا نموده‌ام.»۱۳
14 और बादशाह ने अपना मुँह फेरा और इस्राईल की सारी जमा'अत को बरकत दी, और इस्राईल की सारी जमा'अत खड़ी रही;
و پادشاه روی خود را برگردانیده، تمامی جماعت اسرائیل را برکت داد و تمامی جماعت اسرائیل بایستادند.۱۴
15 और उसने कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा मुबारक हो! जिसने अपने मुँह से मेरे बाप दाऊद से कलाम किया, और उसे अपने हाथ से यह कह कर पूरा किया कि।
پس گفت: «یهوه خدای اسرائیل متبارک باد که به دهان خود به پدر من داود وعده داده، و به‌دست خود آن را به‌جاآورده، گفت:۱۵
16 “जिस दिन से मैं अपनी क़ौम इस्राईल को मिस्र से निकाल लाया, मैंने इस्राईल के सब क़बीलों में से भी किसी शहर को नहीं चुना कि एक घर बनाया जाए, ताकि मेरा नाम वहाँ हो; लेकिन मैंने दाऊद को चुन लिया कि वह मेरी क़ौम इस्राईल पर हाकिम हो।
از روزی که قوم خود اسرائیل رااز مصر برآوردم، شهری از جمیع اسباط اسرائیل برنگزیدم تا خانه‌ای بنا نمایم که اسم من در آن باشد، اما داود را برگزیدم تا پیشوای قوم من اسرائیل بشود.۱۶
17 और मेरे बाप दाऊद के दिल में था कि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए एक घर बनाए।
و در دل پدرم، داود بود که خانه‌ای برای اسم یهوه، خدای اسرائیل، بنانماید.۱۷
18 लेकिन ख़ुदावन्द ने मेरे बाप दाऊद से कहा, 'चूँकि मेरे नाम के लिए एक घर बनाने का ख़्याल तेरे दिल में था, तब तू ने अच्छा किया कि अपने दिल में ऐसा ठाना;
اما خداوند به پدرم داود گفت: چون دردل تو بود که خانه‌ای برای اسم من بنا نمایی، نیکوکردی که این را در دل خود نهادی.۱۸
19 तोभी तू उस घर को न बनाना, बल्कि तेरा बेटा जो तेरे सुल्ब से निकलेगा वह मेरे नाम के लिए घर बनाएगा।
لیکن توخانه را بنا نخواهی نمود بلکه پسر تو که از صلب تو بیرون آید، او خانه را برای اسم من بنا خواهدکرد.۱۹
20 और ख़ुदावन्द ने अपनी बात, जो उसने कही थी, क़ाईम की है; क्यूँकि मैं अपने बाप दाऊद की जगह उठा हूँ, और जैसा ख़ुदावन्द ने वा'दा किया था, मैं इस्राईल के तख़्त पर बैठा हूँ और मैंने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए उस घर को बनाया है।
پس خداوند کلامی را که گفته بود ثابت گردانید، و من به‌جای پدر خود داود برخاسته، وبر وفق آنچه خداوند گفته بود بر کرسی اسرائیل نشسته‌ام، و خانه را به اسم یهوه، خدای اسرائیل، بنا کرده‌ام.۲۰
21 और मैंने वहाँ एक जगह उस सन्दूक़ के लिए मुक़र्रर कर दी है, जिसमें ख़ुदावन्द का वह 'अहद है जो उसने हमारे बाप — दादा से, जब वह उनको मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, बाँधा था।”
و در آن، مکانی مقرر کرده‌ام برای تابوتی که عهد خداوند در آن است که آن را باپدران ما حین بیرون آوردن ایشان از مصر بسته بود.»۲۱
22 और सुलेमान ने इस्राईल की सारी जमा'अत के सामने ख़ुदावन्द के मज़बह के आगे खड़े होकर अपने हाथ आसमान की तरफ़ फ़ैलाए
و سلیمان پیش مذبح خداوند به حضورتمامی جماعت اسرائیل ایستاده، دستهای خودرا به سوی آسمان برافراشت۲۲
23 और कहा, ऐ ख़ुदावन्द, इस्राईल के ख़ुदा! तेरी तरह न तो ऊपर आसमान में, न नीचे ज़मीन पर कोई ख़ुदा है; तू अपने उन बन्दों के लिए जो तेरे सामने अपने सारे दिल से चलते हैं, 'अहद और रहमत को निगाह रखता है।
و گفت: «ای یهوه، خدای اسرائیل، خدایی مثل تو نه بالا درآسمان و نه پایین بر زمین هست که با بندگان خودکه به حضور تو به تمامی دل خویش سلوک می‌نمایند، عهد و رحمت را نگاه می‌داری.۲۳
24 तू ने अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के हक़ में वह बात क़ाईम रख्खी, जिसका तू ने उससे वा'दा किया था; तू ने अपने मुँह से फ़रमाया और अपने हाथ से उसे पूरा किया, जैसा आज के दिन है।
وآن وعده‌ای که به بنده خود، پدرم داود داده‌ای، نگاه داشته‌ای زیرا به دهان خود وعده دادی و به‌دست خود آن را وفا نمودی چنانکه امروز شده است.۲۴
25 इसलिए अब ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा! तू अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के साथ उस क़ौल को भी पूरा कर जो तूने उससे किया था कि 'तेरे आदमियों से मेरे सामने इस्राईल के तख़्त पर बैठने वाले की कमी न होगी; बशर्ते कि तेरी औलाद, जैसे तू मेरे सामने चलता रहा वैसे ही मेरे सामने चलने के लिए, अपने रास्ते की एहतियात रखखे।
پس الان‌ای یهوه، خدای اسرائیل، بابنده خود، پدرم داود، آن وعده‌ای را نگاه دار که به او داده و گفته‌ای کسی‌که بر کرسی اسرائیل بنشیند برای تو به حضور من منقطع نخواهد شد، به شرطی که پسرانت طریق های خود را نگاه داشته، به حضور من سلوک نمایند چنانکه تو به حضورم رفتار نمودی.۲۵
26 इसलिए अब ऐ इस्राईल के खुदा, तेरा वह क़ौल सच्चा साबित किया जाए, जो तू ने अपने बन्दे मेरे बाप दाऊद से किया।
و الان‌ای خدای اسرائیل تمنا اینکه کلامی که به بنده خود، پدرم داود گفته‌ای، ثابت بشود.۲۶
27 लेकिन क्या ख़ुदा हक़ीक़त में ज़मीन पर सुकूनत करेगा? देख, आसमान बल्कि आसमानों के आसमान में भी तू समा नहीं सकता, तो यह घर तो कुछ भी नहीं जिसे मैंने बनाया।
«اما آیا خدا فی الحقیقه بر زمین ساکن خواهد شد؟ اینک فلک و فلک الافلاک تو راگنجایش ندارد تا چه رسد به این خانه‌ای که من بناکرده‌ام.۲۷
28 तोभी, ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, अपने बन्दा की दुआ और मुनाजात का लिहाज़ करके, उस फ़रियाद और दुआ को सुन ले जो तेरा बन्दा आज के दिन तेरे सामने करता है,
لیکن‌ای یهوه، خدای من، به دعا وتضرع بنده خود توجه نما و استغاثه و دعایی راکه بنده ات امروز به حضور تو می‌کند، بشنو،۲۸
29 ताकि तेरी आँखें इस घर की तरफ़, या'नी उसी जगह की तरफ़ जिसकी ज़रिए' तू ने फ़रमाया कि 'मैं अपना नाम वहाँ रखूँगा,' दिन और रात खुली रहें; ताकि तू उस दुआ को सुने जो तेरा बन्दा इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ करके तुझ से करेगा।
تاآنکه شب و روز چشمان تو بر این خانه باز شود وبر مکانی که درباره‌اش گفتی که اسم من در آنجاخواهد بود و تا دعایی را که بنده ات به سوی این مکان بنماید، اجابت کنی.۲۹
30 और तू अपने बन्दा और अपनी क़ौम इस्राईल की मुनाजात को, जब वह इस जगह की तरफ रुख करके करें सुन लेना, बल्कि तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सुन लेना, और सुनकर मु'आफ़ कर देना।
و تضرع بنده ات و قوم خود اسرائیل را که به سوی این مکان دعامی نمایند، بشنو و از مکان سکونت خود، یعنی ازآسمان بشنو و چون شنیدی عفو نما.۳۰
31 “अगर कोई शख़्स अपने पड़ौसी का गुनाह करे, और उसे क़सम खिलाने के लिए उसको हल्फ़ दिया जाए, और वह आकर इस घर में तेरे मज़बह के आगे क़सम खाए:
«اگر کسی به همسایه خود گناه ورزد وقسم بر او عرضه شود که بخورد و او آمده پیش مذبح تو در این خانه قسم خورد،۳۱
32 तो तू आसमान पर से सुनकर 'अमल करना और अपने बन्दों का इन्साफ़ करना, और बदकार पर फ़तवा लगाकर उसके 'आमाल को उसी के सिर डालना, और सादिक़ को सच्चा ठहराकर उसकी सदाक़त के मुताबिक उसे बदला देना।
آنگاه ازآسمان بشنو و عمل نموده، به جهت بندگانت حکم نما و شریران را ملزم ساخته، راه ایشان را به‌سر ایشان برسان و عادلان را عادل شمرده، ایشان را بر‌حسب عدالت ایشان جزا ده.۳۲
33 जब तेरी क़ौम इस्राईल तेरा गुनाह करने के ज़रिए' अपने दुश्मनों से शिकस्त खाए और फिर तेरी तरफ़ रुजू' लाये और तेरे नाम का इकरार करके इस घर में तुझ से दुआ और मुनाजात करे;
«و هنگامی که قوم تو اسرائیل به‌سبب گناهی که به تو ورزیده باشند به حضور دشمنان خود مغلوب شوند اگر به سوی تو بازگشت نموده، اسم تو را اعتراف نمایند و نزد تو در این خانه دعا و تضرع نمایند،۳۳
34 तो तू आसमान पर से सुनकर अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ करना, और उनको इस मुल्क में जो तूने उनके बाप दादा को दिया फिर ले आना।
آنگاه از آسمان بشنوو گناه قوم خود، اسرائیل را بیامرز و ایشان را به زمینی که به پدران ایشان داده‌ای بازآور.۳۴
35 “जब इस वजह से कि उन्होंने तेरा गुनाह किया हो, आसमान बन्द हो जाए और बारिश न हो, और वह इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ करके दुआ करें और तेरे नाम का इक़रार करें, और अपने गुनाह से बाज़ आएँ जब तू उनको दुख दे;
«هنگامی که آسمان بسته شود و به‌سبب گناهی که به تو ورزیده باشند باران نبارد، اگر به سوی این مکان دعا کنند و اسم تو را اعتراف نمایند و به‌سبب مصیبتی که به ایشان رسانیده باشی از گناه خویش بازگشت کنند،۳۵
36 तो तू आसमान पर से सुन कर अपने बन्दों और अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ कर देना, क्यूँकि तू उनको उस अच्छी रास्ते की ता'लीम देता है जिस पर उनको चलना फ़र्ज़ है, और अपने मुल्क पर जिसे तू ने अपनी क़ौम को मीरास के लिए दिया है, पानी बरसाना।
آنگاه ازآسمان بشنو و گناه بندگانت و قوم خود اسرائیل را بیامرز و ایشان را به راه نیکو که در آن باید رفت، تعلیم ده و به زمین خود که آن را به قوم خویش برای میراث بخشیده‌ای، باران بفرست.۳۶
37 “अगर मुल्क में काल हो, अगर वबा हो, अगर बाद — ऐ — समूम या गेरूई या टिड्डी या कमला हो, अगर उनके दुश्मन उनके शहरों के मुल्क में उनको घेर लें, ग़रज़ कैसी ही बला कैसा ही रोग हो;
«اگر در زمین قحطی باشد و اگر وبا یا بادسموم یا یرقان باشد و اگر ملخ یا کرم باشد و اگردشمنان ایشان، ایشان را در شهرهای زمین ایشان محاصره نمایند، هر بلایی یا هر مرضی که بوده باشد،۳۷
38 तो जो दुआ और मुनाजात किसी एक शख़्स या तेरी क़ौम इस्राईल की तरफ़ से ही, जिनमें से हर शख़्स अपने दिल का दुख जानकर अपने हाथ इस घर की तरफ़ फैलाए;
آنگاه هر دعا و هر استغاثه‌ای که از هرمرد یا از تمامی قوم تو، اسرائیل، کرده شود که هریک از ایشان بلای دل خود را خواهند دانست، و دستهای خود را به سوی این خانه دراز نمایند،۳۸
39 तो तू आसमान पर से जो तेरी सुकुनतगाह है सुनकर मु'आफ़ कर देना, और ऐसा करना कि हर आदमी को, जिसके दिल को तू जानता है, उसी की सारे चाल चलन के मुताबिक़ बदला देना; क्यूँकि सिर्फ़ तू ही सब बनी — आदम के दिलों को जानता है;
آنگاه از آسمان که مکان سکونت تو باشد بشنوو بیامرز و عمل نموده، به هر کس که دل او رامی دانی به حسب راههایش جزا بده، زیرا که تو به تنهایی عارف قلوب جمیع بنی آدم هستی.۳۹
40 ताकि जितनी मुद्दत तक वह उस मुल्क में जिसे तू ने हमारे बाप — दादा को दिया ज़िन्दा रहें, तेरा ख़ौफ़ माने।
تاآنکه ایشان در تمام روزهایی که به روی زمینی که به پدران ما داده‌ای زنده باشند، از توبترسند.۴۰
41 'अब रहा वह परदेसी जो तेरी क़ौम इस्राईल में से नहीं है, वह जब दूर मुल्क से तेरे नाम की ख़ातिर आए,
«و نیز غریبی که از قوم تو، اسرائیل، نباشدو به‌خاطر اسم تو از زمین بعید آمده باشد،۴۱
42 क्यूँकि वह तेरे बुज़ुर्ग नाम और क़वी हाथ और बुलन्द बाज़ू का हाल सुनेंगे इसलिए जब वह आए और इस घर की तरफ़ रुख़ करके दुआ करे,
زیراکه آوازه اسم عظیمت و دست قویت و بازوی دراز تو را خواهند شنید، پس چون بیاید و به سوی این خانه دعا نماید،۴۲
43 तो तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सुन लेना, और जिस — जिस बात के लिए वह परदेसी तुझ से फ़रयाद करे तू उसके मुताबिक़ करना, ताकि ज़मीन की सब क़ौमें बनी इस्राईल की मानिन्द तेरे नाम को पहचाने मानें, और जान लें कि यह घर जिसे मैंने बनाया है तेरे नाम का कहलाता है।
آنگاه از آسمان که مکان سکونت توست بشنو و موافق هر‌چه آن غریب از تو استدعا نماید به عمل آور تا جمیع قومهای جهان اسم تو را بشناسند و مثل قوم تو، اسرائیل، از تو بترسند و بدانند که اسم تو بر این خانه‌ای که بنا کرده‌ام، نهاده شده است.۴۳
44 'अगर तेरे लोग चाहे किसी रास्ते से तू उनको भेजे, अपने दुश्मनों से लड़ने को निकलें, और वह ख़ुदावन्द से उस शहर की तरफ़ जिसे तू ने चुना है, और उस घर की तरफ़ जिसे मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है, रुख़ करके दुआ करें,
«اگر قوم تو برای مقاتله با دشمنان خود به راهی که ایشان را فرستاده باشی بیرون روند وایشان به سوی شهری که تو برگزیده‌ای و خانه‌ای که به جهت اسم تو بنا کرده‌ام، نزد خداوند دعانمایند،۴۴
45 तो तू आसमान पर से उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना।
آنگاه دعا و تضرع ایشان را از آسمان بشنو و حق ایشان را بجا آور.۴۵
46 'अगर वह तेरा गुनाह करें क्यूँकि कोई ऐसा आदमी नहीं जो गुनाह न करता हो और तू उनसे नाराज़ होकर उनको दुश्मन के हवाले कर दे, ऐसा कि वह दुश्मन उनको ग़ुलाम करके अपने मुल्क में ले जाए, ख़्वाह वह दूर हो या नज़दीक,
«و اگر به تو گناه ورزیده باشند زیرا انسانی نیست که گناه نکند و تو بر ایشان غضبناک شده، ایشان را به‌دست دشمنان تسلیم کرده باشی واسیرکنندگان ایشان، ایشان را به زمین دشمنان خواه دور و خواه نزدیک به اسیری ببرند،۴۶
47 तोभी अगर वह उस मुल्क में जहाँ वह ग़ुलाम होकर पहुँचाए गए, होश में आयें और रुजू' लायें और अपने ग़ुलाम करने वालों के मुल्क में तुझसे मुनाजात करें और कहें कि हम ने गुनाह किया, हम टेढ़ी चाल चले, और हम ने शरारत की;
پس اگر ایشان در زمینی که در آن اسیر باشند به خودآمده، بازگشت نمایند و در زمین اسیری خود نزدتو تضرع نموده، گویند که گناه کرده، و عصیان ورزیده، و شریرانه رفتار نموده‌ایم،۴۷
48 इसलिए अगर वह अपने दुश्मनों के मुल्क में जो उनको क़ैद करके ले गए, अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से तेरी तरफ़ फिरें और अपने मुल्क की तरफ़, जो तू ने उनके बाप — दादा को दिया, और इस शहर की तरफ़, जिसे तू ने चुन लिया, और इस घर की तरफ़, जो मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है, रुख़ करके तुझ से दुआ करें,
و در زمین دشمنانی که ایشان را به اسیری برده باشند به تمامی دل و به تمامی جان خود به تو بازگشت نمایند، و به سوی زمینی که به پدران ایشان داده‌ای و شهری که برگزیده و خانه‌ای که برای اسم تو بنا کرده‌ام، نزد تو دعا نمایند،۴۸
49 तो तू आसमान पर से, जो तेरी सुकूनत गाह है, उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना,
آنگاه ازآسمان که مکان سکونت توست، دعا و تضرع ایشان را بشنو و حق ایشان را بجا آور.۴۹
50 और अपनी क़ौम को, जिसने तेरा गुनाह किया, और उनकी सब ख़ताओं को, जो उनसे तेरे ख़िलाफ़ सरज़द हों, मु'आफ़ कर देना, और उनके ग़ुलाम करने वालों के आगे उन पर रहम करना ताकि वह उन पर रहम करें।
و قوم خود را که به تو گناه ورزیده باشند، عفو نما وتمامی تقصیرهای ایشان را که به تو ورزیده باشندبیامرز و ایشان را در دل اسیرکنندگان ایشان ترحم عطا فرما تا بر ایشان ترحم نمایند.۵۰
51 क्यूँकि वह तेरी क़ौम और तेरी मीरास हैं, जिसे तू मिस्र से लोहे के भट्टे के बीच में से निकाल लाया।
زیراکه ایشان قوم تو و میراث تو می‌باشند که ازمصر از میان کوره آهن بیرون آوردی.۵۱
52 सो तेरी आँखें तेरे बन्दा की मुनाजात और तेरी क़ौम इस्राईल की मुनाजात की तरफ़ खुली रहें, ताकि जब कभी वह तुझ से फ़रियाद करें, तू उनकी सुने;
تاچشمان تو به تضرع بنده ات و به تضرع قوم تواسرائیل گشاده شود و ایشان را در هر‌چه نزدتو دعا نمایند، اجابت نمایی.۵۲
53 क्यूँकि तू ने ज़मीन की सब क़ौमों में से उनको अलग किया कि वह तेरी मीरास हों, जैसा ऐ मालिक ख़ुदावन्द, तू ने अपने बन्दे मूसा की ज़रिए' फ़रमाया, जिस वक़्त तू हमारे बाप — दादा को मिस्र से निकाल लाया।”
زیرا که توایشان را از جمیع قومهای جهان برای ارثیت خویش ممتاز نموده‌ای چنانکه به واسطه بنده خود موسی وعده دادی هنگامی که تو‌ای خداوند یهوه پدران ما را از مصر بیرون آوردی.»۵۳
54 और ऐसा हुआ कि जब सुलेमान ख़ुदावन्द से यह सब मुनाजात कर चुका, तो वह ख़ुदावन्द के मज़बह के सामने से, जहाँ वह अपने हाथ आसमान की तरफ़ फैलाए हुए घुटने टेके था, उठा।
و واقع شد که چون سلیمان از گفتن تمامی این دعا و تضرع نزد خداوند فارغ شد، از پیش مذبح خداوند از زانو زدن و دراز نمودن دستهای خود به سوی آسمان برخاست،۵۴
55 और खड़े होकर इस्राईल की सारी जमा'अत को ऊँची आवाज़ से बरकत दी और कहा,
و ایستاده، تمامی جماعت اسرائیل را به آواز بلند برکت دادو گفت:۵۵
56 “ख़ुदावन्द, जिसने अपने सब वा'दों के मुताबिक़ अपनी क़ौम इस्राईल को आराम बख़्शा मुबारक हो; क्यूँकि जो सारा अच्छा वा'दा उसने अपने बन्दे मूसा की ज़रिए' किया, उसमें से एक बात भी ख़ाली न गई।
«متبارک باد خداوند که قوم خود، اسرائیل را موافق هر‌چه وعده کرده بود، آرامی داده است زیرا که از تمامی وعده های نیکو که به واسطه بنده خود، موسی داده بود، یک سخن به زمین نیفتاد.۵۶
57 ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा हमारे साथ रहे जैसे वह हमारे बाप — दादा के साथ रहा, और न हम को तर्क करे न छोड़े।
یهوه خدای ما با ما باشد چنانکه با پدران مامی بود و ما را ترک نکند و رد نماید.۵۷
58 ताकि वह हमारे दिलों को अपनी तरफ़ माइल करे कि हम उसकी सब रास्तों पर चलें, और उसके फ़रमानों और क़ानून और अहकाम को, जो उसने हमारे बाप — दादा को दिए मानें।
و دلهای مارا به سوی خود مایل بگرداند تا در تمامی طریق هایش سلوک نموده، اوامر و فرایض واحکام او را که به پدران ما امر فرموده بود، نگاه داریم.۵۸
59 और यह मेरी बातें जिनको मैंने ख़ुदावन्द के सामने मुनाजात में पेश किया है, दिन और रात ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के नज़दीक रहें, ताकि वह अपने बन्दा की दाद और अपनी क़ौम इस्राईल की दाद हर दिन की ज़रूरत के मुताबिक़ दे;
و کلمات این دعایی که نزد خداوندگفته‌ام، شب و روز نزدیک یهوه خدای ما باشد تاحق بنده خود و حق قوم خویش اسرائیل را برحسب اقتضای هر روز بجا آورد.۵۹
60 जिससे ज़मीन की सब क़ौमें जान लें कि ख़ुदावन्द ही ख़ुदा है और उसके सिवा और कोई नहीं।
تا تمامی قوم های جهان بدانند که یهوه خداست و دیگری نیست.۶۰
61 इसलिए तुम्हारा दिल आज की तरह ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के साथ उसके क़ानून पर चलने, और उसके हुक्मों को मानने के लिए कामिल रहे।”
پس دل شما با یهوه خدای ما کامل باشد تا در فرایض او سلوک نموده، اوامر او رامثل امروز نگاه دارید.»۶۱
62 और बादशाह ने और उसके साथ सारे इस्राईल ने ख़ुदावन्द के सामने क़ुर्बानी पेश की।
پس پادشاه و تمامی اسرائیل با وی به حضور خداوند قربانی‌ها گذرانیدند.۶۲
63 सुलेमान ने जो सलामती के ज़बीहों की क़ुर्बानी ख़ुदावन्द के सामने पेशकीं उसमें उसने बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़ें पेश कीं। ऐसे बादशाह ने और सब बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द का घर मख़्सूस किया।
و سلیمان به جهت ذبایح سلامتی که برای خداوند گذارنید، بیست و دو هزار گاو و صد و بیست هزار گوسفندذبح نمود و پادشاه و جمیع بنی‌اسرائیل، خانه خداوند را تبریک نمودند.۶۳
64 उसी दिन बादशाह ने सहन के दर्मियानी हिस्से को जो ख़ुदावन्द के घर के सामने था मुक़द्दस किया, क्यूँकि उसने वहीं सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़र की क़ुर्बानी और सलामती के ज़बीहों की चर्बी पेश की, इसलिए कि पीतल का मज़बह जो ख़ुदावन्द के सामने था, इतना छोटा था कि उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़र की क़ुर्बानी और सलामती के ज़बोहों की चर्बी के लिए गुन्जाइश न थी।
و در آن روز پادشاه وسط صحن را که پیش خانه خداوند است تقدیس نمود زیرا چونکه مذبح برنجینی که به حضور خداوند بود به جهت گنجایش قربانی های سوختنی و هدایای آردی و پیه قربانی های سلامتی کوچک بود، از آن جهت قربانی های سوختنی و هدایای آردی و پیه ذبایح سلامتی را در آنجا گذرانید.۶۴
65 इसलिए सुलेमान ने और उसके साथ सारे इस्राईल, या'नी एक बड़ी जमा'अत, ने जो हमात के मदख़ल से लेकर मिस्र की नहर तक की हुदूद से आई थी, ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के सामने सात दिन और फिर सात दिन और, या'नी चौदह दिन, 'ईद मनाई।
و در آن وقت سلیمان و تمامی اسرائیل باوی عید را نگاه داشتند و آن انجمن بزرگ ازمدخل حمات تا وادی مصر هفت روز و هفت روز یعنی چهارده روز به حضور یهوه، خدای مابودند.۶۵
66 और आठवें दिन उसने उन लोगों को रुख़सत कर दिया। तब उन्होंने बादशाह को मुबारकबाद दी, और उस सारी नेकी के ज़रिए' जो ख़ुदावन्द ने अपने बन्दा दाऊद और अपनी क़ौम इस्राईल से की थी, अपने डेरों को दिल में ख़ुश और ख़ुश होकर लौट गए।
و در روز هشتم، قوم را مرخص فرمودو ایشان برای پادشاه برکت خواسته، و با شادمانی و خوشدلی به‌سبب تمامی احسانی که خداوند به بنده خود، داود و به قوم خویش اسرائیل نموده بود، به خیمه های خود رفتند.۶۶

< 1 सला 8 >