< 1 सला 8 >

1 तब सुलेमान ने इस्राईल के बुज़ुगों और क़बीलों के सब सरदारों को, जो बनी इस्राईल के आबाई ख़ान्दानों के रईस थे, अपने पास येरूशलेम में जमा' किया ताकि वह दाऊद के शहर से, जो सिय्यून है, ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को ले आएँ।
Alors le roi Salomon assembla près de lui à Jérusalem les anciens d'Israël et tous les chefs des tribus, les princes des familles des enfants d'Israël, pour transporter de la cité de David, c'est-à-dire de Sion, l'arche de l'alliance de Yahweh.
2 इसलिए उस 'ईद में इस्राईल के सब लोग माह — ए — ऐतानीम में, जो सातवाँ महीना है, सुलेमान बादशाह के पास जमा' हुए।
Tous les hommes d'Israël se réunirent auprès du roi Salomon, au mois d'éthanim, qui est le septième mois, pendant la fête.
3 और इस्राईल के सब बुज़ुर्ग आए, और काहिनों ने सन्दूक़ उठाया।
Lorsque tous les anciens d'Israël furent arrivés, les prêtres portèrent l'arche.
4 और वह ख़ुदावन्द के सन्दूक़ को, और ख़ेमा — ए — इजितमा'अ को, और उन सब मुक़द्दस बर्तनों को जो ख़ेमे के अन्दर थे ले आए; उनको काहिन और लावी लाए थे।
Ils transportèrent l'arche de Yahweh, ainsi que la tente de réunion et tous les ustensiles sacrés qui étaient dans la tente; ce furent les prêtres et les lévites qui les transportèrent.
5 और सुलेमान बादशाह ने और उसके साथ इस्राईल की सारी जमा'अत ने, जो उसके पास जमा' थी, सन्दूक़ के सामने खड़े होकर इतनी भेड़ — बकरियाँ और बैल ज़बह किए कि उनको कसरत की वजह से उनकी गिनती या हिसाब न हो सका।
Le roi Salomon et toute l'assemblée d'Israël convoquée auprès de lui se tenaient avec lui devant l'arche. Ils immolèrent des brebis et des bœufs, qui ne pouvaient être ni comptés ni nombrés à cause de leur multitude.
6 और काहिन ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को उसकी जगह पर, उस घर की इल्हामगाह में, या'नी पाकतरीन मकान में 'ऐन करूबियों के बाज़ुओं के नीचे ले आए।
Les prêtres portèrent l'arche de l'alliance de Yahweh à sa place, dans le sanctuaire de la maison, dans le Saint des saints, sous les ailes des Chérubins.
7 क्यूँकि करूबी अपने बाज़ुओं को सन्दूक़ की जगह के ऊपर फैलाए हुए थे, और वह करूबी सन्दूक़ को और उसकी चोबों को ऊपर से ढाँके हुए थे।
Car les Chérubins étendaient leurs ailes sur la place de l'arche, et les Chérubins couvraient l'arche et ses barres par-dessus.
8 और वह चोबें ऐसी लम्बी थीं के उन चोंबों के सिरे पाक मकान से इल्हामगाह के सामने दिखाई देते थे, लेकिन बाहर से नहीं दिखाई देते थे। और वह आज तक वहीं हैं।
Les barres avaient une longueur telle que leurs extrémités se voyaient du lieu saint devant le sanctuaire, mais on ne les voyait point du dehors. Elles ont été là jusqu'à ce jour.
9 उस सन्दूक़ में कुछ न था सिवा पत्थर की उन दो लौहों के जिनको वहाँ मूसा ने होरिब में रख दिया था, जिस वक़्त के ख़ुदावन्द ने बनी इस्राईल से जब वह मुल्क — ए — मिस्र से निकल आए, 'अहद बाँधा था।
Il n'y avait dans l'arche que les deux tables de pierre, que Moïse y avait déposées sur le mont Horeb, lorsque Yahweh conclut une alliance avec les enfants d'Israël à leur sortie du pays d'Egypte.
10 फिर ऐसा हुआ कि जब काहिन पाक मकान से बाहर निकल आए, तो ख़ुदावन्द का घर अब्र से भर गया:
Au moment où les prêtres sortirent du lieu saint, la nuée remplit la maison de Yahweh.
11 इसलिए काहिन उस अब्र की वजह से ख़िदमत के लिए खड़े न हो सके, इसलिए कि ख़ुदावन्द का घर उसके जलाल से भर गया था।
Les prêtres ne purent pas y rester pour faire leur service, à cause de la nuée; car la gloire de Yahweh remplissait la maison de Yahweh.
12 तब सुलेमान ने कहा कि “ख़ुदावन्द ने फ़रमाया था कि वह गहरी तारीकी में रहेगा।
Alors Salomon dit: « Yahweh veut habiter dans l'obscurité.
13 मैंने हक़ीक़त में एक घर तेरे रहने के लिए, बल्कि तेरी हमेशा की सुकूनत के वास्ते एक जगह बनाई है।”
J'ai bâti une maison qui sera votre demeure, un lieu pour que vous y résidiez à jamais. »
14 और बादशाह ने अपना मुँह फेरा और इस्राईल की सारी जमा'अत को बरकत दी, और इस्राईल की सारी जमा'अत खड़ी रही;
Puis le roi tourna son visage et bénit toute l'assemblée d'Israël, et toute l'assemblée d'Israël était debout.
15 और उसने कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा मुबारक हो! जिसने अपने मुँह से मेरे बाप दाऊद से कलाम किया, और उसे अपने हाथ से यह कह कर पूरा किया कि।
Et il dit: « Béni soit Yahweh. Dieu d'Israël, qui a parlé par sa bouche à David, mon père, et qui a accompli par sa main ce qu'il avait déclaré en disant:
16 “जिस दिन से मैं अपनी क़ौम इस्राईल को मिस्र से निकाल लाया, मैंने इस्राईल के सब क़बीलों में से भी किसी शहर को नहीं चुना कि एक घर बनाया जाए, ताकि मेरा नाम वहाँ हो; लेकिन मैंने दाऊद को चुन लिया कि वह मेरी क़ौम इस्राईल पर हाकिम हो।
Depuis le jour où j'ai fait sortir d'Egypte mon peuple d'Israël, je n'ai point choisi de ville, parmi toutes les tribus d'Israël, pour qu'on y bâtisse une maison où réside mon nom, mais j'ai choisi David pour qu'il règne sur mon peuple d'Israël.
17 और मेरे बाप दाऊद के दिल में था कि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए एक घर बनाए।
David, mon père, avait l'intention de bâtir une maison au nom de Yahweh, Dieu d'Israël;
18 लेकिन ख़ुदावन्द ने मेरे बाप दाऊद से कहा, 'चूँकि मेरे नाम के लिए एक घर बनाने का ख़्याल तेरे दिल में था, तब तू ने अच्छा किया कि अपने दिल में ऐसा ठाना;
mais Yahweh dit à David, mon père: Puisque tu as eu l'intention de bâtir une maison à mon nom, tu as bien fait d'avoir eu cette intention.
19 तोभी तू उस घर को न बनाना, बल्कि तेरा बेटा जो तेरे सुल्ब से निकलेगा वह मेरे नाम के लिए घर बनाएगा।
Seulement, ce ne sera pas toi qui bâtiras la maison; ce sera ton fils, sorti de tes entrailles, qui bâtira la maison à mon nom.
20 और ख़ुदावन्द ने अपनी बात, जो उसने कही थी, क़ाईम की है; क्यूँकि मैं अपने बाप दाऊद की जगह उठा हूँ, और जैसा ख़ुदावन्द ने वा'दा किया था, मैं इस्राईल के तख़्त पर बैठा हूँ और मैंने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए उस घर को बनाया है।
Yahweh a accompli la parole qu'il avait prononcée: je me suis élevé à la place de David, mon père, et je me suis assis sur le trône d'Israël, comme Yahweh l'avait dit, et j'ai bâti la maison au nom de Yahweh, Dieu d'Israël.
21 और मैंने वहाँ एक जगह उस सन्दूक़ के लिए मुक़र्रर कर दी है, जिसमें ख़ुदावन्द का वह 'अहद है जो उसने हमारे बाप — दादा से, जब वह उनको मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, बाँधा था।”
J'y ai établi un lieu pour l'arche où se trouve l'alliance de Yahweh, alliance qu'il a conclue avec nos pères quand il les a fait sortir du pays d'Egypte. »
22 और सुलेमान ने इस्राईल की सारी जमा'अत के सामने ख़ुदावन्द के मज़बह के आगे खड़े होकर अपने हाथ आसमान की तरफ़ फ़ैलाए
Salomon se plaça devant l'autel de Yahweh, en face de toute l'assemblée d'Israël, et, étendant ses mains vers le ciel,
23 और कहा, ऐ ख़ुदावन्द, इस्राईल के ख़ुदा! तेरी तरह न तो ऊपर आसमान में, न नीचे ज़मीन पर कोई ख़ुदा है; तू अपने उन बन्दों के लिए जो तेरे सामने अपने सारे दिल से चलते हैं, 'अहद और रहमत को निगाह रखता है।
il dit: « Yahweh, Dieu d'Israël, il n'y a point de Dieu semblable à vous, ni en haut dans les cieux, ni en bas sur la terre: à vous, qui gardez l'alliance et la miséricorde envers vos serviteurs qui marchent de tout leur cœur en votre présence;
24 तू ने अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के हक़ में वह बात क़ाईम रख्खी, जिसका तू ने उससे वा'दा किया था; तू ने अपने मुँह से फ़रमाया और अपने हाथ से उसे पूरा किया, जैसा आज के दिन है।
comme vous avez gardé à votre serviteur David, mon père, ce que vous lui avez dit; ce que vous avez déclaré par votre bouche, vous l'avez accompli par votre main, comme on le voit en ce jour.
25 इसलिए अब ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा! तू अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के साथ उस क़ौल को भी पूरा कर जो तूने उससे किया था कि 'तेरे आदमियों से मेरे सामने इस्राईल के तख़्त पर बैठने वाले की कमी न होगी; बशर्ते कि तेरी औलाद, जैसे तू मेरे सामने चलता रहा वैसे ही मेरे सामने चलने के लिए, अपने रास्ते की एहतियात रखखे।
Maintenant, Yahweh, Dieu d'Israël, observez en faveur de votre serviteur David, mon père, ce que vous lui avez dit en ces termes: “Il ne te manquera jamais devant moi un descendant qui siège sur le trône d'Israël, pourvu que tes fils prennent garde à leur voie, en marchant devant moi comme tu as marché devant moi.”
26 इसलिए अब ऐ इस्राईल के खुदा, तेरा वह क़ौल सच्चा साबित किया जाए, जो तू ने अपने बन्दे मेरे बाप दाऊद से किया।
Et maintenant, Dieu d'Israël, qu'elle s'accomplisse donc la parole que vous avez dite à votre serviteur David, mon père!
27 लेकिन क्या ख़ुदा हक़ीक़त में ज़मीन पर सुकूनत करेगा? देख, आसमान बल्कि आसमानों के आसमान में भी तू समा नहीं सकता, तो यह घर तो कुछ भी नहीं जिसे मैंने बनाया।
« Mais est-il vrai que Dieu habite sur la terre? Voici que le ciel et le ciel des cieux ne peuvent vous contenir: combien moins cette maison que j'ai bâtie!
28 तोभी, ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, अपने बन्दा की दुआ और मुनाजात का लिहाज़ करके, उस फ़रियाद और दुआ को सुन ले जो तेरा बन्दा आज के दिन तेरे सामने करता है,
Cependant soyez attentif, Yahweh, mon Dieu, à la prière de votre serviteur et à sa supplication, en écoutant le cri joyeux et la prière que votre serviteur prononce devant vous aujourd'hui,
29 ताकि तेरी आँखें इस घर की तरफ़, या'नी उसी जगह की तरफ़ जिसकी ज़रिए' तू ने फ़रमाया कि 'मैं अपना नाम वहाँ रखूँगा,' दिन और रात खुली रहें; ताकि तू उस दुआ को सुने जो तेरा बन्दा इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ करके तुझ से करेगा।
en tenant vos yeux ouverts nuit et jour sur cette maison, sur le lieu dont vous avez dit: Là sera mon nom, en écoutant la prière que votre serviteur fait en ce lieu.
30 और तू अपने बन्दा और अपनी क़ौम इस्राईल की मुनाजात को, जब वह इस जगह की तरफ रुख करके करें सुन लेना, बल्कि तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सुन लेना, और सुनकर मु'आफ़ कर देना।
Ecoutez la supplication de votre serviteur et de votre peuple d'Israël, lorsqu'ils prieront en ce lieu; écoutez du lieu de votre demeure, du ciel, écoutez et pardonnez.
31 “अगर कोई शख़्स अपने पड़ौसी का गुनाह करे, और उसे क़सम खिलाने के लिए उसको हल्फ़ दिया जाए, और वह आकर इस घर में तेरे मज़बह के आगे क़सम खाए:
« Si quelqu'un pèche contre son prochain et qu'on lui fasse prêter un serment, s'il vient jurer devant votre autel, dans cette maison,
32 तो तू आसमान पर से सुनकर 'अमल करना और अपने बन्दों का इन्साफ़ करना, और बदकार पर फ़तवा लगाकर उसके 'आमाल को उसी के सिर डालना, और सादिक़ को सच्चा ठहराकर उसकी सदाक़त के मुताबिक उसे बदला देना।
écoutez-le du ciel, agissez, et jugez vos serviteurs, condamnant le coupable et faisant retomber sa conduite sur sa tête, déclarant juste l'innocent et lui rendant selon son innocence.
33 जब तेरी क़ौम इस्राईल तेरा गुनाह करने के ज़रिए' अपने दुश्मनों से शिकस्त खाए और फिर तेरी तरफ़ रुजू' लाये और तेरे नाम का इकरार करके इस घर में तुझ से दुआ और मुनाजात करे;
« Quand votre peuple d'Israël sera battu devant l'ennemi parce qu'il aura péché contre vous, s'ils reviennent à vous et rendent gloire à votre nom, s'ils vous adressent des prières et des supplications dans cette maison,
34 तो तू आसमान पर से सुनकर अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ करना, और उनको इस मुल्क में जो तूने उनके बाप दादा को दिया फिर ले आना।
écoutez-les du ciel, pardonnez le péché de votre peuple d'Israël, et ramenez-les dans le pays que vous avez donné à leurs pères.
35 “जब इस वजह से कि उन्होंने तेरा गुनाह किया हो, आसमान बन्द हो जाए और बारिश न हो, और वह इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ करके दुआ करें और तेरे नाम का इक़रार करें, और अपने गुनाह से बाज़ आएँ जब तू उनको दुख दे;
« Quand le ciel sera fermé et qu'il n'y aura pas de pluie parce qu'ils auront péché contre vous, s'ils prient dans ce lieu et rendent gloire à votre nom, et s'ils se détournent de leurs péchés, parce que vous les aurez affligés,
36 तो तू आसमान पर से सुन कर अपने बन्दों और अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ कर देना, क्यूँकि तू उनको उस अच्छी रास्ते की ता'लीम देता है जिस पर उनको चलना फ़र्ज़ है, और अपने मुल्क पर जिसे तू ने अपनी क़ौम को मीरास के लिए दिया है, पानी बरसाना।
écoutez-les du ciel, pardonnez les péchés de vos serviteurs et de votre peuple d'Israël, en leur enseignant la bonne voie dans laquelle ils doivent marcher, et faites tomber la pluie sur la terre que vous avez donnée en héritage à votre peuple.
37 “अगर मुल्क में काल हो, अगर वबा हो, अगर बाद — ऐ — समूम या गेरूई या टिड्डी या कमला हो, अगर उनके दुश्मन उनके शहरों के मुल्क में उनको घेर लें, ग़रज़ कैसी ही बला कैसा ही रोग हो;
« Quand la famine sera dans le pays, quand il y aura la peste, quand il y aura la rouille, la nielle, la sauterelle, le hasil; quand l'ennemi assiégera votre peuple dans le pays, dans ses portes; quand il y aura fléau ou maladie quelconques,
38 तो जो दुआ और मुनाजात किसी एक शख़्स या तेरी क़ौम इस्राईल की तरफ़ से ही, जिनमें से हर शख़्स अपने दिल का दुख जानकर अपने हाथ इस घर की तरफ़ फैलाए;
si un homme, si tout votre peuple d'Israël fait entendre des prières et des supplications, et que chacun, reconnaissant la plaie de son cœur, étende ses mains vers cette maison,
39 तो तू आसमान पर से जो तेरी सुकुनतगाह है सुनकर मु'आफ़ कर देना, और ऐसा करना कि हर आदमी को, जिसके दिल को तू जानता है, उसी की सारे चाल चलन के मुताबिक़ बदला देना; क्यूँकि सिर्फ़ तू ही सब बनी — आदम के दिलों को जानता है;
écoutez-les du ciel, du lieu de votre demeure, et pardonnez; agissez et rendez à chacun selon toutes ses voies, vous qui connaissez son cœur, — car seul vous connaissez les cœurs de tous les enfants des hommes, —
40 ताकि जितनी मुद्दत तक वह उस मुल्क में जिसे तू ने हमारे बाप — दादा को दिया ज़िन्दा रहें, तेरा ख़ौफ़ माने।
afin qu'ils vous craignent tous les jours qu'ils vivront sur la face du pays que vous avez donné à nos pères.
41 'अब रहा वह परदेसी जो तेरी क़ौम इस्राईल में से नहीं है, वह जब दूर मुल्क से तेरे नाम की ख़ातिर आए,
« Quant à l'étranger, qui n'est pas de votre peuple d'Israël, mais qui viendra d'un pays lointain à cause de votre nom,
42 क्यूँकि वह तेरे बुज़ुर्ग नाम और क़वी हाथ और बुलन्द बाज़ू का हाल सुनेंगे इसलिए जब वह आए और इस घर की तरफ़ रुख़ करके दुआ करे,
— car on entendra parler de votre grand nom, de votre main forte et de votre bras étendu, — quand il viendra prier dans cette maison,
43 तो तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सुन लेना, और जिस — जिस बात के लिए वह परदेसी तुझ से फ़रयाद करे तू उसके मुताबिक़ करना, ताकि ज़मीन की सब क़ौमें बनी इस्राईल की मानिन्द तेरे नाम को पहचाने मानें, और जान लें कि यह घर जिसे मैंने बनाया है तेरे नाम का कहलाता है।
écoutez-le du ciel, du lieu de votre demeure, et agissez selon tout ce que vous demandera l'étranger, afin que tous les peuples de la terre connaissent votre nom, pour vous craindre, comme votre peuple d'Israël, et qu'ils sachent que votre nom est appelé sur cette maison que j'ai bâtie.
44 'अगर तेरे लोग चाहे किसी रास्ते से तू उनको भेजे, अपने दुश्मनों से लड़ने को निकलें, और वह ख़ुदावन्द से उस शहर की तरफ़ जिसे तू ने चुना है, और उस घर की तरफ़ जिसे मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है, रुख़ करके दुआ करें,
« Quand votre peuple sortira pour combattre son ennemi, en suivant la voie dans laquelle vous les aurez envoyés, et qu'ils adresseront des prières à Yahweh, le visage tourné vers la ville que vous avez choisie et vers la maison que j'ai bâtie à votre nom,
45 तो तू आसमान पर से उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना।
écoutez du ciel leur prière et leur supplication, et rendez-leur justice.
46 'अगर वह तेरा गुनाह करें क्यूँकि कोई ऐसा आदमी नहीं जो गुनाह न करता हो और तू उनसे नाराज़ होकर उनको दुश्मन के हवाले कर दे, ऐसा कि वह दुश्मन उनको ग़ुलाम करके अपने मुल्क में ले जाए, ख़्वाह वह दूर हो या नज़दीक,
« Quand ils pécheront contre vous, — car il n'y a pas d'homme qui ne pèche, — et quand, irrité contre eux, vous les livrerez à l'ennemi, et que leur vainqueur les emmènera captifs au pays de l'ennemi, lointain ou rapproché,
47 तोभी अगर वह उस मुल्क में जहाँ वह ग़ुलाम होकर पहुँचाए गए, होश में आयें और रुजू' लायें और अपने ग़ुलाम करने वालों के मुल्क में तुझसे मुनाजात करें और कहें कि हम ने गुनाह किया, हम टेढ़ी चाल चले, और हम ने शरारत की;
s'ils rentrent en eux-mêmes dans le pays de leurs vainqueurs, s'ils se convertissent et vous adressent des supplications dans le pays de leurs tyrans, en disant: Nous avons péché, nous avons fait l'iniquité, nous avons commis le crime;
48 इसलिए अगर वह अपने दुश्मनों के मुल्क में जो उनको क़ैद करके ले गए, अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से तेरी तरफ़ फिरें और अपने मुल्क की तरफ़, जो तू ने उनके बाप — दादा को दिया, और इस शहर की तरफ़, जिसे तू ने चुन लिया, और इस घर की तरफ़, जो मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है, रुख़ करके तुझ से दुआ करें,
s'ils reviennent à vous de tout leur cœur et de toute leur âme, dans le pays de leurs ennemis qui les ont emmenés captifs, s'ils vous adressent des prières, le visage tourné vers leur pays que vous avez donné à leurs pères, vers la ville que vous avez choisie et vers la maison que j'ai bâtie à votre nom,
49 तो तू आसमान पर से, जो तेरी सुकूनत गाह है, उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना,
écoutez, du ciel, du lieu de votre demeure, leur prière et leur supplication, et faites-leur droit;
50 और अपनी क़ौम को, जिसने तेरा गुनाह किया, और उनकी सब ख़ताओं को, जो उनसे तेरे ख़िलाफ़ सरज़द हों, मु'आफ़ कर देना, और उनके ग़ुलाम करने वालों के आगे उन पर रहम करना ताकि वह उन पर रहम करें।
pardonnez à votre peuple ses transgressions et tous ses péchés qu'il a commis contre vous; faites-en un sujet de compassion devant leurs tyrans, afin qu'ils aient pitié d'eux;
51 क्यूँकि वह तेरी क़ौम और तेरी मीरास हैं, जिसे तू मिस्र से लोहे के भट्टे के बीच में से निकाल लाया।
car ils sont votre peuple et votre héritage, que vous avez fait sortir d'Egypte, du milieu d'une fournaise de fer:
52 सो तेरी आँखें तेरे बन्दा की मुनाजात और तेरी क़ौम इस्राईल की मुनाजात की तरफ़ खुली रहें, ताकि जब कभी वह तुझ से फ़रियाद करें, तू उनकी सुने;
afin que vos yeux soient ouverts à la supplication de votre serviteur et à la supplication de votre peuple d'Israël, pour les écouter en tout ce qu'ils vous demanderont.
53 क्यूँकि तू ने ज़मीन की सब क़ौमों में से उनको अलग किया कि वह तेरी मीरास हों, जैसा ऐ मालिक ख़ुदावन्द, तू ने अपने बन्दे मूसा की ज़रिए' फ़रमाया, जिस वक़्त तू हमारे बाप — दादा को मिस्र से निकाल लाया।”
Car vous les avez séparés de tous les peuples de la terre pour vous, pour en faire votre héritage, comme vous l'avez déclaré par Moïse, votre serviteur, quand vous avez fait sortir nos pères d'Egypte, ô Seigneur Yahweh. »
54 और ऐसा हुआ कि जब सुलेमान ख़ुदावन्द से यह सब मुनाजात कर चुका, तो वह ख़ुदावन्द के मज़बह के सामने से, जहाँ वह अपने हाथ आसमान की तरफ़ फैलाए हुए घुटने टेके था, उठा।
Lorsque Salomon eut achevé d'adresser à Yahweh toute cette prière et cette supplication, il se leva de devant l'autel de Yahweh, où il était à genoux, les mains étendues vers le ciel.
55 और खड़े होकर इस्राईल की सारी जमा'अत को ऊँची आवाज़ से बरकत दी और कहा,
S'étant levé, il bénit toute l'assemblée d'Israël à haute voix en disant:
56 “ख़ुदावन्द, जिसने अपने सब वा'दों के मुताबिक़ अपनी क़ौम इस्राईल को आराम बख़्शा मुबारक हो; क्यूँकि जो सारा अच्छा वा'दा उसने अपने बन्दे मूसा की ज़रिए' किया, उसमें से एक बात भी ख़ाली न गई।
« Béni soit Yahweh qui a donné du repos à son peuple d'Israël, selon tout ce qu'il a dit! De toutes les bonnes paroles qu'il a fait entendre par l'organe de Moïse, son serviteur, aucune parole n'est restée sans effet.
57 ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा हमारे साथ रहे जैसे वह हमारे बाप — दादा के साथ रहा, और न हम को तर्क करे न छोड़े।
Que Yahweh, notre Dieu, soit avec nous, comme il a été avec nos pères; qu'il ne nous abandonne point et ne nous délaisse point,
58 ताकि वह हमारे दिलों को अपनी तरफ़ माइल करे कि हम उसकी सब रास्तों पर चलें, और उसके फ़रमानों और क़ानून और अहकाम को, जो उसने हमारे बाप — दादा को दिए मानें।
mais qu'il incline nos cœurs vers lui, afin que nous marchions dans toutes ses voies, et que nous observions ses commandements, ses lois et ses ordonnances, qu'il a prescrits à nos pères.
59 और यह मेरी बातें जिनको मैंने ख़ुदावन्द के सामने मुनाजात में पेश किया है, दिन और रात ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के नज़दीक रहें, ताकि वह अपने बन्दा की दाद और अपनी क़ौम इस्राईल की दाद हर दिन की ज़रूरत के मुताबिक़ दे;
Que mes paroles de supplication que j'ai prononcées devant Yahweh soient proches de Yahweh, notre Dieu, nuit et jour, pour que, selon le besoin de chaque jour, il fasse droit à son serviteur et à son peuple d'Israël,
60 जिससे ज़मीन की सब क़ौमें जान लें कि ख़ुदावन्द ही ख़ुदा है और उसके सिवा और कोई नहीं।
afin que tous les peuples de la terre sachent que Yahweh est Dieu, qu'il n'y en a point d'autre.
61 इसलिए तुम्हारा दिल आज की तरह ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के साथ उसके क़ानून पर चलने, और उसके हुक्मों को मानने के लिए कामिल रहे।”
Que votre cœur soit tout à Yahweh, notre Dieu, pour marcher selon ses lois et pour observer ses commandements, comme nous le faisons aujourd'hui. »
62 और बादशाह ने और उसके साथ सारे इस्राईल ने ख़ुदावन्द के सामने क़ुर्बानी पेश की।
Le roi et tout Israël avec lui offrirent des sacrifices devant Yahweh.
63 सुलेमान ने जो सलामती के ज़बीहों की क़ुर्बानी ख़ुदावन्द के सामने पेशकीं उसमें उसने बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़ें पेश कीं। ऐसे बादशाह ने और सब बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द का घर मख़्सूस किया।
Salomon immola vingt-deux mille bœufs et cent vingt mille brebis pour le sacrifice pacifique qu'il offrit à Yahweh. C'est ainsi que le roi et tous les enfants d'Israël firent la dédicace de la maison de Yahweh.
64 उसी दिन बादशाह ने सहन के दर्मियानी हिस्से को जो ख़ुदावन्द के घर के सामने था मुक़द्दस किया, क्यूँकि उसने वहीं सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़र की क़ुर्बानी और सलामती के ज़बीहों की चर्बी पेश की, इसलिए कि पीतल का मज़बह जो ख़ुदावन्द के सामने था, इतना छोटा था कि उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़र की क़ुर्बानी और सलामती के ज़बोहों की चर्बी के लिए गुन्जाइश न थी।
En ce jour, le roi consacra le milieu du parvis qui est devant la maison de Yahweh; car il offrit là les holocaustes, les oblations et les graisses des sacrifices pacifiques, parce que l'autel d'airain qui est devant Yahweh était trop petit pour contenir les holocaustes, les oblations et les graisses des sacrifices pacifiques.
65 इसलिए सुलेमान ने और उसके साथ सारे इस्राईल, या'नी एक बड़ी जमा'अत, ने जो हमात के मदख़ल से लेकर मिस्र की नहर तक की हुदूद से आई थी, ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के सामने सात दिन और फिर सात दिन और, या'नी चौदह दिन, 'ईद मनाई।
Salomon célébra la fête en ce temps-là, et tout Israël avec lui, grande multitude venue depuis l'entrée d'Emath jusqu'au torrent d'Egypte, — devant Yahweh, notre Dieu, — pendant sept jours et sept autres jours, soit quatorze jours.
66 और आठवें दिन उसने उन लोगों को रुख़सत कर दिया। तब उन्होंने बादशाह को मुबारकबाद दी, और उस सारी नेकी के ज़रिए' जो ख़ुदावन्द ने अपने बन्दा दाऊद और अपनी क़ौम इस्राईल से की थी, अपने डेरों को दिल में ख़ुश और ख़ुश होकर लौट गए।
Le huitième jour il renvoya le peuple. Et ils bénirent le roi, et s'en allèrent dans leurs demeures, joyeux et le cœur content pour tout le bien que Yahweh avait fait à David, son serviteur, et à Israël, son peuple.

< 1 सला 8 >