< 1 सला 22 >
1 तीन साल वह ऐसे ही रहे और इस्राईल और अराम के बीच लड़ाई न हुई;
Transierunt igitur tres anni absque bello inter Syriam et Israël.
2 और तीसरे साल यहूदाह का बादशाह यहूसफ़त शाह — ए — इस्राईल के यहाँ आया,
In anno autem tertio, descendit Josaphat rex Juda ad regem Israël.
3 और शाह — ए — इस्राईल ने अपने मुलाज़िमों से कहा, “क्या तुम को मा'लूम है कि रामात जिल'आद हमारा है? लेकिन हम ख़ामोश हैं और शाह — ए — अराम के हाथ से उसे छीन नहीं लेते?”
(Dixitque rex Israël ad servos suos: Ignoratis quod nostra sit Ramoth Galaad, et negligimus tollere eam de manu regis Syriæ?)
4 फिर उसने यहूसफ़त से कहा, क्या तू मेरे साथ रामात जिल'आद से लड़ने चलेगा? यहूसफ़त ने शाह — ए — इस्राईल को जवाब दिया, “मैं ऐसा हूँ जैसा तू मेरे लोग ऐसे हैं जैसे तेरे लोग और मेरे घोड़े ऐसे हैं जैसे तेरे घोड़े।”
Et ait ad Josaphat: Veniesne mecum ad præliandum in Ramoth Galaad?
5 और यहूसफ़त ने शाह — ए — इस्राईल से कहा, “ज़रा आज ख़ुदावन्द की मर्ज़ी भी तो मा'लूम कर ले।”
Dixitque Josaphat ad regem Israël: Sicut ego sum, ita et tu: populus meus et populus tuus unum sunt: et equites mei, equites tui. Dixitque Josaphat ad regem Israël: Quære, oro te, hodie sermonem Domini.
6 तब शाह — ए — इस्राईल ने नबियों को जो क़रीब चार सौ आदमी थे इकट्ठा किया और उनसे पूछा, “मैं रामात जिल'आद से लड़ने जाऊँ, या बाज़ रहूँ?” उन्होंने कहा, जा “क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।”
Congregavit ergo rex Israël prophetas, quadringentos circiter viros, et ait ad eos: Ire debeo in Ramoth Galaad ad bellandum, an quiescere? Qui responderunt: Ascende, et dabit eam Dominus in manu regis.
7 लेकिन यहूसफ़त ने कहा, “क्या इनको छोड़कर यहाँ ख़ुदावन्द का कोई नबी नहीं है, ताकि हम उससे पूछे?”
Dixit autem Josaphat: Non est hic propheta Domini quispiam, ut interrogemus per eum?
8 शाह — ए — इस्राईल ने यहूसफ़त से कहा, कि “एक शख़्स, इमला का बेटा मीकायाह है तो सही, जिसके ज़रिए' से हम ख़ुदावन्द से पूछ सकते हैं; लेकिन मुझे उससे नफ़रत हैं, क्यूँकि वह मेरे हक़ में नेकी की नहीं बल्कि बदी की पेशीनगोई करता हैं।” यहूसफ़त ने कहा, “बादशाह ऐसा न कहे।”
Et ait rex Israël ad Josaphat: Remansit vir unus per quem possumus interrogare Dominum: sed ego odi eum, quia non prophetat mihi bonum, sed malum: Michæas filius Jemla. Cui Josaphat ait: Ne loquaris ita, rex.
9 तब शाह — ए — इस्राईल ने एक सरदार को बुलाकर कहा, कि “इमला के बेटे मीकायाह को जल्द ले आ।”
Vocavit ergo rex Israël eunuchum quemdam, et dixit ei: Festina adducere Michæam filium Jemla.
10 उस वक़्त शाह — ए — इस्राईल और शाह — ए — यहूदाह यहूसफ़त सामरिया के फाटक के सामने, एक खुली जगह में, अपने — अपने तख़्त पर शाहाना लिबास पहने हुए बैठे थे, और सब नबी उनके सामने पेशीनगोई कर रहे थे।
Rex autem Israël, et Josaphat rex Juda, sedebant unusquisque in solio suo, vestiti cultu regio, in area juxta ostium portæ Samariæ: et universi prophetæ prophetabant in conspectu eorum.
11 और कन'आना के बेटे सिदक़ियाह ने अपने लिए लोहे के सींग बनाए और कहा, ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है कि “तू इन से अरामियों को मारेगा, जब तक वह मिट न जाएँ।”
Fecit quoque sibi Sedecias filius Chanaana cornua ferrea, et ait: Hæc dicit Dominus: His ventilabis Syriam, donec deleas eam.
12 और सब नबियों ने यही पेशीनगोई की और कहा कि रामात जिल'आद पर चढ़ाई कर और कामयाब हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।
Omnesque prophetæ similiter prophetabant, dicentes: Ascende in Ramoth Galaad, et vade prospere, et tradet Dominus in manus regis.
13 और उस क़ासिद ने जो मीकायाह को बुलाने गया था उससे कहा, “देख, सब नबी एक ज़बान होकर बादशाह को ख़ुशख़बरी दे रहे हैं, तो ज़रा तेरी बात भी उनकी बात की तरह हो और तू ख़ुशख़बरी ही देना।”
Nuntius vero qui ierat ut vocaret Michæam, locutus est ad eum, dicens: Ecce sermones prophetarum ore uno regi bona prædicant: sit ergo sermo tuus similis eorum, et loquere bona.
14 मीकायाह ने कहा, “ख़ुदावन्द की हयात की क़सम, जो कुछ ख़ुदावन्द मुझे फ़रमाए मैं वही कहूँगा।”
Cui Michæas ait: Vivit Dominus, quia quodcumque dixerit mihi Dominus, hoc loquar.
15 इसलिए जब वह बादशाह के पास आया, तो बादशाह ने उससे कहा, “मीकायाह, हम रामात जिल'आद से लड़ने जाएँ या रहने दें?” उसने जवाब दिया, “जा और कामयाब हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।”
Venit itaque ad regem, et ait illi rex: Michæa, ire debemus in Ramoth Galaad ad præliandum, an cessare? Cui ille respondit: Ascende, et vade prospere, et tradet eam Dominus in manus regis.
16 बादशाह ने उससे कहा, मैं कितनी मर्तबा तुझे क़सम देकर कहूँ, कि “तू ख़ुदावन्द के नाम से हक़ के 'अलावा और कुछ मुझ को न बताए?”
Dixit autem rex ad eum: Iterum atque iterum adjuro te, ut non loquaris mihi nisi quod verum est, in nomine Domini.
17 तब उसने कहा, मैंने सारे इस्राईल को उन भेड़ों की तरह, जिनका चौपान न हो, पहाड़ों पर बिखरा देखा; और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया कि “इनका कोई मालिक नहीं; तब वह अपने अपने घर सलामत लौट जाएँ।”
Et ille ait: Vidi cunctum Israël dispersum in montibus, quasi oves non habentes pastorem. Et ait Dominus: Non habent isti dominum: revertatur unusquisque in domum suam in pace.
18 तब शाह — ए — इस्राईल ने यहूसफ़त से कहा, “क्या मैंने तुझ को बताया नहीं था कि यह मेरे हक़ में नेकी की नहीं बल्कि बदी की पेशीनगोई करेगा?”
(Dixit ergo rex Israël ad Josaphat: Numquid non dixi tibi, quia non prophetat mihi bonum, sed semper malum?)
19 तब उसने कहा, अच्छा, तू ख़ुदावन्द की बात को सुन ले; मैंने देखा कि ख़ुदावन्द अपने तख़्त पर बैठा है, और सारा आसमानी लश्कर उसके दहने और बाएँ खड़ा है।
Ille vero addens, ait: Propterea audi sermonem Domini: vidi Dominum sedentem super solium suum, et omnem exercitum cæli assistentem ei a dextris et a sinistris:
20 और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया, 'कौन अख़ीअब को बहकाएगा, ताकि वह चढ़ाई करे और रामात जिल'आद में मारे ग़ए?' तब किसी ने कुछ कहा, और किसी ने कुछ।
et ait Dominus: Quis decipiet Achab regem Israël, ut ascendat, et cadat in Ramoth Galaad? Et dixit unus verba hujuscemodi, et alius aliter.
21 लेकिन एक रूह निकल कर ख़ुदावन्द के सामने खड़ी हुई, और कहा, 'मैं उसे बहकाऊँगी।
Egressus est autem spiritus, et stetit coram Domino, et ait: Ego decipiam illum. Cui locutus est Dominus: In quo?
22 ख़ुदावन्द ने उससे पूछा, “किस तरह?” उसने कहा, “मैं जाकर उसके सब नबियों के मुँह में झूठ बोलने वाली रूह बन जाऊँगी, उसने कहा “तू उसे बहका देगी और ग़ालिब भी होगी, रवाना हो जा और ऐसा ही कर।
Et ille ait: Egrediar, et ero spiritus mendax in ore omnium prophetarum ejus. Et dixit Dominus: Decipies, et prævalebis: egredere, et fac ita.
23 इसलिए देख, ख़ुदावन्द ने तेरे इन सब नबियों के मुँह में झूठ बोलने वाली रूह डाली है; और ख़ुदावन्द ने तेरे हक़ में बदी का हुक्म दिया है।”
Nunc igitur ecce dedit Dominus spiritum mendacii in ore omnium prophetarum tuorum, qui hic sunt, et Dominus locutus est contra te malum.
24 तब कन'आना का बेटा सिदक़ियाह नज़दीक आया, और उसने मीकायाह के गाल पर मार कर कहा, “ख़ुदावन्द की रूह तुझ से बात करने को किस रास्ते से होकर मुझ में से गई?”
Accessit autem Sedecias filius Chanaana, et percussit Michæam in maxillam, et dixit: Mene ergo dimisit spiritus Domini, et locutus est tibi?
25 मीकायाह ने कहा, “यह तू उसी दिन देख लेगा, जब तू अन्दर की एक कोठरी में घुसेगा ताकि छिप जाए।”
Et ait Michæas: Visurus es in die illa quando ingredieris cubiculum intra cubiculum ut abscondaris.
26 और शाह — ए — इस्राईल ने कहा, मीकायाह को लेकर उसे शहर के नाज़िम अमून और यूआस शहज़ादे के पास लौटा ले जाओं;
Et ait rex Israël: Tollite Michæam, et maneat apud Amon principem civitatis, et apud Joas filium Amelech,
27 और कहना, “बादशाह यूँ फ़रमाता है कि इस शख़्स को कै़दख़ाने में डाल दो, और इसे मुसीबत की रोटी खिलाना और मुसीबत का पानी पिलाना, जब तक मैं सलामत न आऊँ।”
et dicite eis: Hæc dicit rex: Mittite virum istum in carcerem, et sustentate eum pane tribulationis, et aqua angustiæ, donec revertar in pace.
28 तब मीकायाह ने कहा, “अगर तू सलामत वापस आ जाए, तो ख़ुदावन्द ने मेरी ज़रिए' कलाम ही नहीं किया।” फिर उसने कहा, “ऐ लोगो, तुम सब के सब सुन लो।”
Dixitque Michæas: Si reversus fueris in pace, non est locutus in me Dominus. Et ait: Audite, populi omnes.
29 इसलिए शाह — ए — इस्राईल और शाह — ए — यहूदाह यहूसफ़त ने रामात जिल'आद पर चढ़ाई की।
Ascendit itaque rex Israël, et Josaphat rex Juda, in Ramoth Galaad.
30 और शाह — ए — इस्राईल ने यहूसफ़त से कहा, “मैं अपना भेस बदलकर लड़ाई में जाऊँगा; लेकिन तू अपना लिबास पहने रह।” तब शाह — ए — इस्राईल अपना भेस बदलकर लड़ाई में गया।
Dixit itaque rex Israël ad Josaphat: Sume arma, et ingredere prælium, et induere vestibus tuis. Porro rex Israël mutavit habitum suum, et ingressus est bellum.
31 उधर शाह — ए — अराम ने अपने रथों के बत्तीसों सरदारों को हुक्म दिया था, “किसी छोटे या बड़े से न लड़ना, 'अलावा शाह — ए — इस्राईल के।”
Rex autem Syriæ præceperat principibus curruum triginta duobus, dicens: Non pugnabitis contra minorem et majorem quempiam, nisi contra regem Israël solum.
32 इसलिए जब रथों के सरदारों ने यहूसफ़त को देखा तो कहा, “ज़रूर शाह — ए — इस्राईल यही है।” और वह उससे लड़ने को मुड़े, तब यहूसफ़त चिल्ला उठा।
Cum ergo vidissent principes curruum Josaphat, suspicati sunt quod ipse esset rex Israël, et impetu facto pugnabant contra eum: et exclamavit Josaphat.
33 जब रथों के सरदारों ने देखा कि वह शाह — ए — इस्राईल नहीं, तो वह उसका पीछा करने से लौट गए।
Intellexeruntque principes curruum quod non esset rex Israël, et cessaverunt ab eo.
34 और किसी शख़्स ने ऐसे ही अपनी कमान खींची और शाह — ए — इस्राईल को जौशन के बन्दों के बीच मारा, तब उसने अपने सारथी से कहा, बाग “फेर कर मुझे लश्कर से बाहर निकाल ले चल, क्यूँकि मैं ज़ख़्मी हो गया हूँ।”
Vir autem quidam tetendit arcum, in incertum sagittam dirigens, et casu percussit regem Israël inter pulmonem et stomachum. At ille dixit aurigæ suo: Verte manum tuam, et ejice me de exercitu, quia graviter vulneratus sum.
35 और उस दिन बड़े घमसान का रन पड़ा, और उन्होंने बादशाह को उसके रथ ही में अरामियों के मुक़ाबिल संभाले रखा; और वह शाम को मर गया, और ख़ून उसके ज़ख़्म से बह कर रथ के पायदान में भर गया।
Commissum est ergo prælium in die illa, et rex Israël stabat in curru suo contra Syros, et mortuus est vespere: fluebat autem sanguis plagæ in sinum currus,
36 और आफ़ताब ग़ुरूब होते हुए लश्कर में यह पुकार हो गई, “हर एक आदमी अपने शहर, और हर एक आदमी अपने मुल्क को जाए।”
et præco insonuit in universo exercitu antequam sol occumberet, dicens: Unusquisque revertatur in civitatem, et in terram suam.
37 इसलिए बादशाह मर गया और वह सामरिया में पहुँचाया गया, और उन्होंने बादशाह को सामरिया में दफ़न किया;
Mortuus est autem rex, et perlatus est in Samariam: sepelieruntque regem in Samaria,
38 और उस रथ को सामरिया के तालाब में धोया कस्बियाँ यहीं ग़ुस्ल करती थीं, और ख़ुदावन्द के कलाम के मुताबिक़ जो उसने फ़रमाया था, कुत्तों ने उसका ख़ून चाटा।
et laverunt currum ejus in piscina Samariæ: et linxerunt canes sanguinem ejus, et habenas laverunt, juxta verbum Domini quod locutus fuerat.
39 और अख़ीअब की बाक़ी बातें, और सब कुछ जो उसने किया था, और हाथी दाँत का घर जो उसने बनाया था, और उन सब शहरों का हाल जो उसने ता'मीर किए, तो क्या वह इस्राईल के बादशाहों की तवारीख़ की किताब में क़लमबन्द नहीं?
Reliqua autem sermonum Achab, et universa quæ fecit, et domus eburnea quam ædificavit, cunctarumque urbium quas exstruxit, nonne hæc scripta sunt in libro sermonum dierum regum Israël?
40 और अख़ीअब अपने बाप — दादा के साथ सो गया, और उसका बेटा अख़ज़ियाह उसकी जगह बादशाह हुआ।
Dormivit ergo Achab cum patribus suis, et regnavit Ochozias filius ejus pro eo.
41 और आसा का बेटा यहूसफ़त शाह — ए — इस्राईल अख़ीअब के चौथे साल से यहूदाह पर हुकूमत करने लगा।
Josaphat vero filius Asa regnare cœperat super Judam anno quarto Achab regis Israël.
42 जब यहूसफ़त हुकूमत करने लगा तो पैंतीस साल का था, और उसने येरूशलेम में पच्चीस साल हुकूमत की। उसकी माँ का नाम 'अजूबाह था, जो सिल्ही की बेटी थी।
Triginta quinque annorum erat cum regnare cœpisset, et viginti quinque annis regnavit in Jerusalem: nomen matris ejus Azuba filia Salai.
43 वह अपने बाप आसा के नक़्श — ए — क़दम पर चला; उससे वह मुड़ा नहीं और जो ख़ुदावन्द की निगाह में ठीक था उसे करता रहा, तोभी ऊँचे मक़ाम ढाए न गए लोग उन ऊँचे मक़ामों पर ही क़ुर्बानी करते और बख़ूर जलाते थे।
Et ambulavit in omni via Asa patris sui, et non declinavit ex ea: fecitque quod rectum erat in conspectu Domini. Verumtamen excelsa non abstulit: adhuc enim populus sacrificabat, et adolebat incensum in excelsis.
44 और यहूसफ़त ने शाह — ए — इस्राईल से सुलह की।
Pacemque habuit Josaphat cum rege Israël.
45 और यहूसफ़त की बाक़ी बातें और उसकी ताक़त जो उसने दिखाई, और उसके जंग करने की कै़फ़ियत, तो क्या वह यहूदाह के बादशाहों की तवारीख़ की किताब में क़लमबन्द नहीं?
Reliqua autem verborum Josaphat, et opera ejus quæ gessit, et prælia, nonne hæc scripta sunt in libro verborum dierum regum Juda?
46 और उसने बाक़ी लूतियों को जो उसके बाप आसा के 'अहद में रह गए थे, मुल्क से निकाल दिया।
Sed et reliquias effeminatorum qui remanserant in diebus Asa patris ejus, abstulit de terra.
47 और अदोम में कोई बादशाह न था, बल्कि एक नाइब हुकूमत करता था।
Nec erat tunc rex constitutus in Edom.
48 और यहूसफ़त ने तरसीस के जहाज़ बनाए ताकि ओफ़ीर को सोने के लिए जाएँ, लेकिन वह गए नहीं, क्यूँकि वह “अस्यून जाबर ही में टूट गए।
Rex vero Josaphat fecerat classes in mari, quæ navigarent in Ophir propter aurum: et ire non potuerunt, quia confractæ sunt in Asiongaber.
49 तब अख़ीअब के बेटे अख़ज़ियाह ने यहूसफ़त से कहा, 'अपने ख़ादिमों के साथ मेरे ख़ादिमों को भी जहाज़ों में जाने दे।” लेकिन यहूसफ़त राज़ी न हुआ।
Tunc ait Ochozias filius Achab ad Josaphat: Vadant servi mei cum servis tuis in navibus. Et noluit Josaphat.
50 और यहूसफ़त अपने बाप — दादा के साथ सो गया, और अपने बाप दाऊद के शहर में अपने बाप — दादा के साथ दफ़्न हुआ; और उसका बेटा यहूराम उसकी जगह बादशाह हुआ।
Dormivitque Josaphat cum patribus suis, et sepultus est cum eis in civitate David patris sui: regnavitque Joram filius ejus pro eo.
51 और अख़ीअब का बेटा अख़ज़ियाह शाह — ए — यहूदाह यहूसफ़त के सत्रहवें साल से सामरिया में इस्राईल पर हुकूमत करने लगा, और उसने इस्राईल पर दो साल हुकूमत की।
Ochozias autem filius Achab regnare cœperat super Israël in Samaria, anno septimodecimo Josaphat regis Juda: regnavitque super Israël duobus annis.
52 और उसने ख़ुदावन्द की नज़र में बदी की, और अपने बाप की रास्ते और अपनी माँ के रास्ते और नबात के बेटे युरब'आम की रास्ते पर चला, जिससे उसने बनी — इस्राईल से गुनाह कराया;
Et fecit malum in conspectu Domini, et ambulavit in via patris sui et matris suæ, et in via Jeroboam filii Nabat, qui peccare fecit Israël.
53 और अपने बाप के सब कामों के मुताबिक़ बा'ल की इबादत करता और उसको सिज्दा करता रहा, और ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा को ग़ुस्सा दिलाया।
Servivit quoque Baal, et adoravit eum, et irritavit Dominum Deum Israël, juxta omnia quæ fecerat pater ejus.