< 1 सला 11 >

1 और सुलेमान बादशाह फ़िर'औन की बेटी के 'अलावा बहुत सी अजनबी 'औरतों से, या'नी मोआबी, 'अम्मोनी, अदोमी, सैदानी और हित्ती औरतों से मुहब्बत करने लगा;
وَأَحَبَّ ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ نِسَاءً غَرِيبَةً كَثِيرَةً مَعَ بِنْتِ فِرْعَوْنَ: مُوآبِيَّاتٍ وَعَمُّونِيَّاتٍ وَأَدُومِيَّاتٍ وَصِيدُونِيَّاتٍ وَحِثِّيَّاتٍ١
2 यह उन क़ौमों की थीं जिनके बारे में ख़ुदावन्द ने बनी — इस्राईल से कहा था कि तुम उनके बीच न जाना, और न वह तुम्हारे बीच आएँ, क्यूँकि वह ज़रूर तुम्हारे दिलों को अपने मा'बूदों की तरफ़ माइल कर लेंगी “सुलेमान इन्हीं के 'इश्क़ का दम भरने लगा।
مِنَ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ قَالَ عَنْهُمُ ٱلرَّبُّ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ: «لَا تَدْخُلُونَ إِلَيْهِمْ وَهُمْ لَا يَدْخُلُونَ إِلَيْكُمْ، لِأَنَّهُمْ يُمِيلُونَ قُلُوبَكُمْ وَرَاءَ آلِهَتِهِمْ». فَٱلْتَصَقَ سُلَيْمَانُ بِهَؤُلَاءِ بِٱلْمَحَبَّةِ.٢
3 और उसके पास सात सौ शाहज़ादियाँ उसकी बीवियाँ और तीन सौ बाँदी थीं, और उसकी बीवियों ने उसके दिल को फेर दिया।
وَكَانَتْ لَهُ سَبْعُ مِئَةٍ مِنَ ٱلنِّسَاءِ ٱلسَّيِّدَاتِ، وَثَلَاثُ مِئَةٍ مِنَ ٱلسَّرَارِيِّ، فَأَمَالَتْ نِسَاؤُهُ قَلْبَهُ.٣
4 क्यूँकि जब सुलेमान बुड्ढा हो गया, तो उसकी बीवियों ने उसके दिल को गै़र मा'बूदों की तरफ़ माइल कर लिया; और उसका दिल ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के साथ कामिल न रहा, जैसा उसके बाप दाऊद का दिल था।
وَكَانَ فِي زَمَانِ شَيْخُوخَةِ سُلَيْمَانَ أَنَّ نِسَاءَهُ أَمَلْنَ قَلْبَهُ وَرَاءَ آلِهَةٍ أُخْرَى، وَلَمْ يَكُنْ قَلْبُهُ كَامِلًا مَعَ ٱلرَّبِّ إِلَهِهِ كَقَلْبِ دَاوُدَ أَبِيهِ.٤
5 क्यूँकि सुलेमान सैदानियों की देवी इसतारात, और 'अम्मोनियों के नफ़रती मिलकोम की पैरवी करने लगा।
فَذَهَبَ سُلَيْمَانُ وَرَاءَ عَشْتُورَثَ إِلَهَةِ ٱلصِّيدُونِيِّينَ، وَمَلْكُومَ رِجْسِ ٱلْعَمُّونِيِّينَ.٥
6 और सुलेमान ने ख़ुदावन्द के आगे बदी की, और उसने ख़ुदावन्द की पूरी पैरवी न की जैसी उसके बाप दाऊद ने की थी।
وَعَمِلَ سُلَيْمَانُ ٱلشَّرَّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ، وَلَمْ يَتْبَعِ ٱلرَّبَّ تَمَامًا كَدَاوُدَ أَبِيهِ.٦
7 फिर सुलेमान ने मोआबियों के नफ़रती कमोस के लिए उस पहाड़ पर जो येरूशलेम के सामने है, और बनी 'अम्मोन के नफ़रती मोलक के लिए ऊँचा मक़ाम बना दिया।
حِينَئِذٍ بَنَى سُلَيْمَانُ مُرْتَفَعَةً لِكَمُوشَ رِجْسِ ٱلْمُوآبِيِّينَ عَلَى ٱلْجَبَلِ ٱلَّذِي تُجَاهَ أُورُشَلِيمَ، وَلِمُولَكَ رِجْسِ بَنِي عَمُّونَ.٧
8 उसने ऐसा ही अपनी सब अजनबी बीवियों की ख़ातिर किया, जो अपने मा'बूदों के सामने ख़ुशबू जलाती और क़ुर्बानी पेश करती थीं।
وَهَكَذَا فَعَلَ لِجَمِيعِ نِسَائِهِ ٱلْغَرِيبَاتِ ٱللَّوَاتِي كُنَّ يُوقِدْنَ وَيَذْبَحْنَ لِآلِهَتِهِنَّ.٨
9 और ख़ुदावन्द सुलेमान से नाराज़ हुआ, क्यूँकि उसका दिल ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा से फिर गया था जिसने उसे दो बार दिखाई देकर
فَغَضِبَ ٱلرَّبُّ عَلَى سُلَيْمَانَ لِأَنَّ قَلْبَهُ مَالَ عَنِ ٱلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي تَرَاءَى لَهُ مَرَّتَيْنِ،٩
10 उसको इस बात का हुक्म किया था कि वह गै़र मा'बूदों की पैरवी न करे; लेकिन उसने वह बात न मानी जिसका हुक्म ख़ुदावन्द ने दिया था।
وَأَوْصَاهُ فِي هَذَا ٱلْأَمْرِ أَنْ لَا يَتَّبِعَ آلِهَةً أُخْرَى، فَلَمْ يَحْفَظْ مَا أَوْصَى بِهِ ٱلرَّبُّ.١٠
11 इस वजह से ख़ुदावन्द ने सुलेमान को कहा, चूँकि तुझ से यह काम हुआ, और तू ने मेरे 'अहद और मेरे क़ानून को जिनका मैंने तुझे हुक्म दिया नहीं माना, इसलिए मैं हुकूमत को ज़रूर तुझ से छीनकर तेरे ख़ादिम को दूँगा।
فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِسُلَيْمَانَ: «مِنْ أَجْلِ أَنَّ ذَلِكَ عِنْدَكَ، وَلَمْ تَحْفَظْ عَهْدِي وَفَرَائِضِيَ ٱلَّتِي أَوْصَيْتُكَ بِهَا، فَإِنِّي أُمَزِّقُ ٱلْمَمْلَكَةَ عَنْكَ تَمْزِيقًا وَأُعْطِيهَا لِعَبْدِكَ.١١
12 तोभी तेरे बाप दाऊद की ख़ातिर मैं तेरे दिनों में यह नहीं करूँगा; बल्कि उसे तेरे बेटे के हाथ से छीनूँगा।
إِلَّا إِنِّي لَا أَفْعَلُ ذَلِكَ فِي أَيَّامِكَ، مِنْ أَجْلِ دَاوُدَ أَبِيكَ، بَلْ مِنْ يَدِ ٱبْنِكَ أُمَزِّقُهَا.١٢
13 फिर भी मैं सारी हुकूमत को नहीं छीनूँगा, बल्कि अपने बन्दे दाऊद की ख़ातिर और येरूशलेम की ख़ातिर, जिसे मैंने चुन लिया है, एक क़बीला तेरे बेटे को दूँगा।
عَلَى أَنِّي لَا أُمَزِّقُ مِنْكَ ٱلْمَمْلَكَةَ كُلَّهَا، بَلْ أُعْطِي سِبْطًا وَاحِدًا لِٱبْنِكَ، لِأَجْلِ دَاوُدَ عَبْدِي، وَلِأَجْلِ أُورُشَلِيمَ ٱلَّتِي ٱخْتَرْتُهَا».١٣
14 तब ख़ुदावन्द ने अदोमी हदद को सुलेमान का मुख़ालिफ़ बना कर खड़ा किया, यह अदोम की शाही नसल से था।
وَأَقَامَ ٱلرَّبُّ خَصْمًا لِسُلَيْمَانَ: هَدَدَ ٱلْأَدُومِيَّ، كَانَ مِنْ نَسْلِ ٱلْمَلِكِ فِي أَدُومَ.١٤
15 क्यूँकि जब दाऊद अदोम में था और लश्कर का सरदार योआब अदोम में हर एक आदमी को क़त्ल करके उन मक़्तूलों को दफ़्न करने गया,
وَحَدَثَ لَمَّا كَانَ دَاوُدُ فِي أَدُومَ، عِنْدَ صُعُودِ يُوآبَ رَئِيسِ ٱلْجَيْشِ لِدَفْنِ ٱلْقَتْلَى، وَضَرَبَ كُلَّ ذَكَرٍ فِي أَدُومَ.١٥
16 क्यूँकि योआब और सब इस्राईल छ: महीने तक वहीं रहे, जब तक कि उसने अदोम में हर एक आदमी को क़त्ल न कर डाला।
لِأَنَّ يُوآبَ وَكُلَّ إِسْرَائِيلَ أَقَامُوا هُنَاكَ سِتَّةَ أَشْهُرٍ حَتَّى أَفْنَوْا كُلَّ ذَكَرٍ فِي أَدُومَ.١٦
17 तो हदद कई एक अदोमियों के साथ, जो उसके बाप के मुलाज़िम थे, मिस्र को जाने को भाग निकला, उस वक़्त हदद छोटा लड़का ही था।
أَنَّ هَدَدَ هَرَبَ هُوَ وَرِجَالٌ أَدُومِيُّونَ مِنْ عَبِيدِ أَبِيهِ مَعَهُ لِيَأْتُوا مِصْرَ. وَكَانَ هَدَدُ غُلَامًا صَغِيرًا.١٧
18 और वह मिदियान से निकलकर फ़ारान में आए, और फ़ारान से लोग साथ लेकर शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन के पास मिस्र में गए। उसने उसको एक घर दिया और उसके लिए ख़ुराक मुक़र्रर की और उसे जागीर दी।
وَقَامُوا مِنْ مِدْيَانَ وَأَتَوْا إِلَى فَارَانَ، وَأَخَذُوا مَعَهُمْ رِجَالًا مِنْ فَارَانَ وَأَتَوْا إِلَى مِصْرَ، إِلَى فِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ، فَأَعْطَاهُ بَيْتًا وَعَيَّنَ لَهُ طَعَامًا وَأَعْطَاهُ أَرْضًا.١٨
19 और हदद की फ़िर'औन के सामने इतना रसूख हासिल हुआ कि उसने अपनी साली, या'नी मलिका तहफ़नीस की बहन उसी को ब्याह दी।
فَوَجَدَ هَدَدُ نِعْمَةً فِي عَيْنَيْ فِرْعَوْنَ جِدًّا، وَزَوَّجَهُ أُخْتَ ٱمْرَأَتِهِ، أُخْتَ تَحْفَنِيسَ ٱلْمَلِكَةِ.١٩
20 और तहफ़नीस की बहन के उससे उसका बेटा जनूबत पैदा हुआ जिसका दूध तहफ़नीस ने फ़िर'औन के महल में छुड़ाया; और जनूबत फ़िर'औन के बेटों के साथ फिर'औन के महल में रहा।
فَوَلَدَتْ لَهُ أُخْتُ تَحْفَنِيسَ جَنُوبَثَ ٱبْنَهُ، وَفَطَمَتْهُ تَحْفَنِيسُ فِي وَسَطِ بَيْتِ فِرْعَوْنَ. وَكَانَ جَنُوبَثُ فِي بَيْتِ فِرْعَوْنَ بَيْنَ بَنِي فِرْعَوْنَ.٢٠
21 इसलिए जब हदद ने मिस्र में सुना कि दाऊद अपने बाप — दादा के साथ सो गया और लश्कर का सरदार योआब भी मर गया है, तो हदद ने फ़िर'औन से कहा, मुझे रुख़्सत कर दे, ताकि मैं अपने मुल्क को चला जाऊँ।”
فَسَمِعَ هَدَدُ فِي مِصْرَ بِأَنَّ دَاوُدَ قَدِ ٱضْطَجَعَ مَعَ آبَائِهِ، وَبِأَنَّ يُوآبَ رَئِيسَ ٱلْجَيْشِ قَدْ مَاتَ. فَقَالَ هَدَدُ لِفِرْعَوْنَ: «أَطْلِقْنِي إِلَى أَرْضِي».٢١
22 तब फ़िर'औन ने उससे कहा, “भला तुझे मेरे पास किस चीज़ की कमी हुई कि तू अपने मुल्क को जाने के लिए तैयार है?” उसने कहा, “कुछ नहीं, फिर भी तू मुझे जिस तरह हो रुख्स़त ही कर दे।”
فَقَالَ لَهُ فِرْعَوْنُ: «مَاذَا أَعْوَزَكَ عِنْدِي حَتَّى إِنَّكَ تَطْلُبُ ٱلذَّهَابَ إِلَى أَرْضِكَ؟» فَقَالَ: «لَا شَيْءَ، وَإِنَّمَا أَطْلِقْنِي».٢٢
23 और ख़ुदा ने उसके लिए एक और मुख़ालिफ़ इलीयदा' के बेटे रज़ोन को खड़ा किया, जो अपने आक़ा ज़ोबाह के बादशाह हदद'एलियाज़र के पास से भाग गया था;
وَأَقَامَ ٱللهُ لَهُ خَصْمًا آخَرَ: رَزُونَ بْنَ أَلِيدَاعَ، ٱلَّذِي هَرَبَ مِنْ عِنْدِ سَيِّدِهِ هَدَدَ عَزَرَ مَلِكِ صُوبَةَ،٢٣
24 और उसने अपने पास लोग जमा' कर लिए, और जब दाऊद ने ज़ोबाह वालों को क़त्ल किया, तो वह एक फ़ौज का सरदार हो गया; और वह दमिश्क़ को जाकर वहीं रहने और दमिश्क़ में हुकूमत करने लगे।
فَجَمَعَ إِلَيْهِ رِجَالًا فَصَارَ رَئِيسَ غُزَاةٍ عِنْدَ قَتْلِ دَاوُدَ إِيَّاهُمْ، فَٱنْطَلَقُوا إِلَى دِمَشْقَ وَأَقَامُوا بِهَا وَمَلَكُوا فِي دِمَشْقَ.٢٤
25 इसलिए हदद की शरारत के 'अलावा यह भी सुलेमान की सारी उम्र इस्राईल का दुश्मन रहा; और उसने इस्राईल से नफ़रत रखी और अराम पर हुकूमत करता रहा।
وَكَانَ خَصْمًا لِإِسْرَائِيلَ كُلَّ أَيَّامِ سُلَيْمَانَ، مَعَ شَرِّ هَدَدَ. فَكَرِهَ إِسْرَائِيلَ، وَمَلَكَ عَلَى أَرَامَ.٢٥
26 और सरीदा के इफ़्राईमी नबात का बेटा यरूबोआम, जो सुलेमान का मुलाज़िम था और जिसकी माँ का नाम, जो बेवा थी, सरू'आ था; उसने भी बादशाह के ख़िलाफ़ अपना हाथ उठाया।
وَيَرُبْعَامُ بْنُ نَابَاطَ، أَفْرَايِمِيٌّ مِنْ صَرَدَةَ، عَبْدٌ لِسُلَيْمَانَ. وَٱسْمُ أُمِّهِ صَرُوعَةُ، وَهِيَ ٱمْرأَةٌ أَرْمَلَةٌ، رَفَعَ يَدَهُ عَلَى ٱلْمَلِكِ.٢٦
27 और बादशाह के ख़िलाफ़ उसके हाथ उठाने की यह वजह हुई कि बादशाह मिल्लो को बनाता था, और अपने बाप दाऊद के शहर के रखने की मरम्मत करता था।
وَهَذَا هُوَ سَبَبُ رَفْعِهِ يَدَهُ عَلَى ٱلْمَلِكِ: أَنَّ سُلَيْمَانَ بَنَى ٱلْقَلْعَةَ وَسَدَّ شُقُوقَ مَدِينَةِ دَاوُدَ أَبِيهِ.٢٧
28 और वह शख़्स यरूबोआम एक ताक़तवर सूर्मा था, और सुलेमान ने उस जवान को देखा कि मेहनती है, इसलिए उसने उसे बनी यूसुफ़ के सारे काम पर मुख़्तार बना दिया।
وَكَانَ ٱلرَّجُلُ يَرُبْعَامُ جَبَّارَ بَأْسٍ، فَلَمَّا رَأَى سُلَيْمَانُ ٱلْغُلَامَ أَنَّهُ عَامِلٌ شُغْلًا، أَقَامَهُ عَلَى كُلِّ أَعْمَالِ بَيْتِ يُوسُفَ.٢٨
29 उस वक़्त जब युरब'आम येरूशलेम से निकल कर जा रहा था, तो सैलानी अखि़याह नबी उसे रास्ते में मिला, और अख़ियाह एक नई चादर ओढ़े हुए था; यह दोनों मैदान में अकेले थे।
وَكَانَ فِي ذَلِكَ ٱلزَّمَانِ لَمَّا خَرَجَ يَرُبْعَامُ مِنْ أُورُشَلِيمَ، أَنَّهُ لَاقَاهُ أَخِيَّا ٱلشِّيلُونِيُّ ٱلنَّبِيُّ فِي ٱلطَّرِيقِ وَهُوَ لَابِسٌ رِدَاءً جَدِيدًا، وَهُمَا وَحْدَهُمَا فِي ٱلْحَقْلِ.٢٩
30 इसलिए अखि़याह ने उस नई चादर को जो उस पर थी लेकर उसके बारह टुकड़े फाड़े।
فَقَبَضَ أَخِيَّا عَلَى ٱلرِّدَاءِ ٱلْجَدِيدِ ٱلَّذِي عَلَيْهِ وَمَزَّقَهُ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ قِطْعَةً٣٠
31 और उसने युरब'आम से कहा कि “तू अपने लिए दस टुकड़े ले ले; क्यूँकि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा ऐसा कहता है कि देख, मैं सुलेमान के हाथ से हुकूमत छीन लूँगा, और दस क़बीले तुझे दूँगा।
وَقَالَ لِيَرُبْعَامَ: «خُذْ لِنَفْسِكَ عَشَرَ قِطَعٍ، لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: هَأَنَذَا أُمَزِّقُ ٱلْمَمْلَكَةَ مِنْ يَدِ سُلَيْمَانَ وَأُعْطِيكَ عَشْرَةَ أَسْبَاطٍ.٣١
32 लेकिन मेरे बन्दे दाऊद की ख़ातिर और येरूशलेम या'नी उस शहर की ख़ातिर, जिसे मैंने बनी — इस्राईल के सब क़बीलों में से चुन लिया है, एक क़बीला उसके पास रहेगा
وَيَكُونُ لَهُ سِبْطٌ وَاحِدٌ مِنْ أَجْلِ عَبْدِي دَاوُدَ وَمِنْ أَجْلِ أُورُشَلِيمَ ٱلْمَدِينَةِ ٱلَّتِي ٱخْتَرْتُهَا مِنْ كُلِّ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ،٣٢
33 क्यूँकि उन्होंने मुझे छोड़ दिया और सैदानियों की देवी इस्तारात और मोआबियों के मा'बूद कमोस और बनी 'अमोन के मा'बूद मिलकोम की इबादत की है, और मेरे रास्तों पर न चले कि वह काम करते जो मेरी नज़र में भला था, और मेरे क़ानून और अहकाम को मानते जैसा उसके बाप दाऊद ने किया।
لِأَنَّهُمْ تَرَكُونِي وَسَجَدُوا لِعَشْتُورَثَ إِلَهَةِ ٱلصِّيدُونِيِّينَ، وَلِكَمُوشَ إِلَهِ ٱلْمُوآبِيِّينَ، وَلِمَلْكُومَ إِلَهِ بَنِي عَمُّونَ، وَلَمْ يَسْلُكُوا فِي طُرُقِي لِيَعْمَلُوا ٱلْمُسْتَقِيمَ فِي عَيْنَيَّ وَفَرَائِضِي وَأَحْكَامِي كَدَاوُدَ أَبِيهِ.٣٣
34 फिर भी मैं सारी मुल्क उसके हाथ से नहीं ले लूँगा, बल्कि अपने बन्दा दाऊद की ख़ातिर, जिसे मैंने इसलिए चुन लिया कि उसने मेरे अहकाम और क़ानून माने, मैं इसकी उम्र भर इसे पेशवा बनाए रखूँगा।
وَلَا آخُذُ كُلَّ ٱلْمَمْلَكَةِ مِنْ يَدِهِ، بَلْ أُصَيِّرُهُ رَئِيسًا كُلَّ أَيَّامِ حَيَاتِهِ لِأَجْلِ دَاوُدَ عَبْدِي ٱلَّذِي ٱخْتَرْتُهُ ٱلَّذِي حَفِظَ وَصَايَايَ وَفَرَائِضِي.٣٤
35 लेकिन उसके बेटे के हाथ से हुकूमत या'नी दस क़बीलों को लेकर तुझे दूँगा;
وَآخُذُ ٱلْمَمْلَكَةَ مِنْ يَدِ ٱبْنِهِ وَأُعْطِيكَ إِيَّاهَا، أَيِ ٱلْأَسْبَاطَ ٱلْعَشْرَةَ.٣٥
36 और उसके बेटे को एक क़बीला दूँगा, ताकि मेरे बन्दे दाऊद का चराग़ येरूशलेम, या'नी उस शहर में जिसे मैंने अपना नाम रखने के लिए चुन लिया है, हमेशा मेरे आगे रहे।
وَأُعْطِي ٱبْنَهُ سِبْطًا وَاحِدًا، لِيَكُونَ سِرَاجٌ لِدَاوُدَ عَبْدِي كُلَّ ٱلْأَيَّامِ أَمَامِي فِي أُورُشَلِيمَ ٱلْمَدِينَةِ ٱلَّتِي ٱخْتَرْتُهَا لِنَفْسِي لِأَضَعَ ٱسْمِي فِيهَا.٣٦
37 और मैं तुझे लूँगा, और तू अपने दिल की पूरी ख़्वाहिश के मुवाफ़िक हुकूमत करेगा और इस्राईल का बादशाह होगा।
وَآخُذُكَ فَتَمْلِكُ حَسَبَ كُلِّ مَا تَشْتَهِي نَفْسُكَ، وَتَكُونُ مَلِكًا عَلَى إِسْرَائِيلَ.٣٧
38 और ऐसा होगा कि अगर तू उन सब बातों को जिनका मैं तुझे हुक्म दूँ सुने, और मेरी रास्तों पर चले, और जो काम मेरी नज़र में भला है उसको करे, और मेरे क़ानूनऔर अहकाम को माने, जैसा मेरे बन्दा दाऊद ने किया, तो मैं तेरे साथ रहूँगा, और तेरे लिए एक मज़बूत घर बनाऊँगा, जैसा मैंने दाऊद के लिए बनाया, और इस्राईल को तुझे दे दूँगा।
فَإِذَا سَمِعْتَ لِكُلِّ مَا أُوصِيكَ بِهِ، وَسَلَكْتَ فِي طُرُقِي، وَفَعَلْتَ مَا هُوَ مُسْتَقِيمٌ فِي عَيْنَيَّ، وَحَفِظْتَ فَرَائِضِي وَوَصَايَايَ كَمَا فَعَلَ دَاوُدُ عَبْدِي، أَكُونُ مَعَكَ وَأَبْنِي لَكَ بَيْتًا آمِنًا كَمَا بَنَيْتُ لِدَاوُدَ، وَأُعْطِيكَ إِسْرَائِيلَ.٣٨
39 और मैं इसी वजह से दाऊद की नसल को दुख दूँगा, लेकिन हमेशा तक नहीं।”
وَأُذِلُّ نَسْلَ دَاوُدَ مِنْ أَجْلِ هَذَا، وَلَكِنْ لَا كُلَّ ٱلْأَيَّامِ».٣٩
40 इसलिए सुलेमान युरब'आम के क़त्ल के पीछे पड़ गया, लेकिन युरब'आम उठकर मिस्र को शाह — ए — मिस्र सीसक के पास भाग गया और सुलेमान की वफ़ात तक मिस्र में रहा।
وَطَلَبَ سُلَيْمَانُ قَتْلَ يَرُبْعَامَ، فَقَامَ يَرُبْعَامُ وَهَرَبَ إِلَى مِصْرَ إِلَى شِيشَقَ مَلِكِ مِصْرَ. وَكَانَ فِي مِصْرَ إِلَى وَفَاةِ سُلَيْمَانَ.٤٠
41 सुलेमान का बाक़ी हाल और सब कुछ जो उसने किया और उसकी हिकमत: इसलिए क्या वह सुलेमान के अहवाल की किताब में दर्ज नहीं?
وَبَقِيَّةُ أُمُورِ سُلَيْمَانَ وَكُلُّ مَا صَنَعَ وَحِكْمَتُهُ أَمَا هِيَ مَكْتُوبَةٌ فِي سِفْرِ أُمُورِ سُلَيْمَانَ؟٤١
42 और वह मुद्दत जिसमें सुलेमान ने येरूशलेम में सब इस्राईल पर हुकूमत की चालीस साल की थी।
وَكَانَتِ ٱلْأَيَّامُ ٱلَّتِي مَلَكَ فِيهَا سُلَيْمَانُ فِي أُورُشَلِيمَ عَلَى كُلِّ إِسْرَائِيلَ أَرْبَعِينَ سَنَةً.٤٢
43 और सुलेमान अपने बाप — दादा के साथ सो गया, और अपने बाप दाऊद के शहर में दफ़्न हुआ, और उसका बेटा रहुब'आम उसकी जगह बादशाह हुआ।
ثُمَّ ٱضْطَجَعَ سُلَيْمَانُ مَعَ آبَائِهِ وَدُفِنَ فِي مَدِينَةِ دَاوُدَ أَبِيهِ، وَمَلَكَ رَحُبْعَامُ ٱبْنُهُ عِوَضًا عَنْهُ.٤٣

< 1 सला 11 >