< Salmos 81 >

1 Haz un canto a Dios, nuestra fortaleza: lanza un alegre clamor al Dios de Jacob!
ख़ुदा के सामने जो हमारी ताक़त है, बुलन्द आवाज़ से गाओ; या'क़ूब के ख़ुदा के सामने ख़ुशी का नारा मारो!
2 Canten al son del pandero, con él arpa y él salterio.
नग़मा छेड़ो, और दफ़ लाओ और दिलनवाज़ सितार और बरबत।
3 Toquen el cuerno en el tiempo de la luna nueva, en la luna llena, en nuestro día de fiesta santa:
नए चाँद और पूरे चाँद के वक़्त, हमारी 'ईद के दिन नरसिंगा फूँको।
4 Porque esta es la ley de Israel, y la ley del Dios de Jacob.
क्यूँकि यह इस्राईल के लिए क़ानून, और या'क़ूब के ख़ुदा का हुक्म है।
5 Se lo dio a José como testigo cuando salió a la tierra de Egipto; entonces las palabras de una extraña lengua sonaban en mis oídos.
इसको उसने यूसुफ़ में शहादत ठहराया, जब वह मुल्क — ए — मिस्र के ख़िलाफ़ निकला। मैंने उसका कलाम सुना, जिसको मैं जानता न था
6 Bajé el peso de su espalda; sus manos se hicieron libres de las cestas.
'मैंने उसके कंधे पर से बोझ उतार दिया; उसके हाथ टोकरी ढोने से छूट गए।
7 Tú soltaste un grito en tu tribulación, y yo te hice libre; Te di una respuesta en el lugar secreto del trueno; Te puse a prueba en las aguas de Meribah. (Selah)
तूने मुसीबत में पुकारा और मैंने तुझे छुड़ाया; मैंने राद के पर्दे में से तुझे जवाब दिया; मैंने तुझे मरीबा के चश्मे पर आज़माया। (सिलाह)
8 Escucha, pueblo mío, y te daré mi palabra, oh Israel, si solo haces lo que digo.
ऐ मेरे लोगो, सुनो, मैं तुम को होशियार करता हूँ! ऐ इस्राईल, काश के तू मेरी सुनता!
9 No habrá ningún dios extraño entre ustedes; no debes rendir culto a ningún otro dios.
तेरे बीच कोई गै़र ख़ुदावन्द का मा'बूद न हो; और तू किसी गै़रख़ुदावन्द के मा'बूद को सिज्दा न करना
10 Yo soy el Señor tu Dios, que te subío de la tierra de Egipto; abre tu boca, para que yo te dé de comer.
ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा मैं हूँ, जो तुझे मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया। तू अपना मुँह खू़ब खोल और मैं उसे भर दूँगा।
11 Pero mi pueblo no escuchó mi voz; Israel no quiso obedecerme, nada que ver conmigo.
“लेकिन मेरे लोगों ने मेरी बात न सुनी, और इस्राईल मुझ से रज़ामंद न हुआ।
12 Así que los entregué a los deseos de sus corazones; para que puedan ir tras sus malvados propósitos.
तब मैंने उनको उनके दिल की हट पर छोड़ दिया, ताकि वह अपने ही मश्वरों पर चलें।
13 Si tan solo mi gente me escuchara, caminando en mis caminos!
काश कि मेरे लोग मेरी सुनते, और इस्राईल मेरी राहों पर चलता!
14 Yo rápidamente vencería a sus enemigos: mi mano se volvería contra aquellos que hacen la guerra contra ellos.
मैं जल्द उनके दुश्मनों को मग़लूब कर देता, और उनके मुखालिफ़ों पर अपना हाथ चलाता।
15 Los que odiaban al Señor serían quebrantados, y su destrucción sería eterna.
ख़ुदावन्द से 'अदावत रखने वाले उसके ताबे हो जाते, और इनका ज़माना हमेशा तक बना रहता।
16 Yo les daría el mejor grano por comida; estarías lleno de miel de la roca.
वह इनको अच्छे से अच्छा गेहूँ खिलाता और मैं तुझे चट्टान में के शहद से शेर करता।”

< Salmos 81 >