< Jeremías 6 >
1 Vete de Jerusalén, huyan para que estén a salvo, hijos de Benjamín, y que suene la bocina en Tecoa, y que se levante la bandera de Bet-haquerem, porque el mal se asoma desde fuera al norte, una gran destrucción.
“बिन्यामिन के वंशजों, अपनी सुरक्षा के लिए, येरूशलेम में से पलायन करो! तकोआ नगर में नरसिंगा नाद किया जाए! तथा बेथ-हक्केरेम में संकेत प्रसारित किया जाए! उत्तर दिशा से संकट बड़ा है, घोर विनाश.
2 La hermosa y delicada, la hija de Sión, será cortada por mi mano.
ज़ियोन की सुंदर एवं सुरुचिपूर्ण, पुत्री को मैं नष्ट कर दूंगा.
3 Vendrán a ella los guardianes de las ovejas con sus rebaños; levantarán sus tiendas alrededor de ella; Todos recibirán comida en su lugar.
चरवाहे एवं उनकी भेड़-बकरियां उसके निकट आएंगे; वे अपने तंबू उसके चारों ओर खड़े कर देंगे, उनमें से हर एक अपने-अपने स्थान पर पशुओं को चराएगा.”
4 Prepara la guerra contra ella; ¡arriba! Subamos cuando el sol está alto. ¡El dolor es nuestro! porque el día cambia y las sombras de la tarde se alargan.
“उसके विरुद्ध युद्ध की तैयारी की जाए! उठो, हम मध्याह्न के अवसर पर आक्रमण करेंगे! धिक्कार है हम पर! दिन ढल चला है, क्योंकि संध्या के कारण छाया लंबी होती जा रही है.
5 ¡Arriba! Subamos de noche y enviemos destrucción a sus palacios.
उठो, अब हम रात्रि में आक्रमण करेंगे और हम उसके महलों को ध्वस्त कर देंगे!”
6 Porque esto es lo que ha dicho el Señor de los ejércitos: ¡Que se corten los árboles y que se coloque una rampa contra Jerusalén; esta es la ciudad que ha de ser visitada! Dentro de ella no hay más que violencia.
क्योंकि सेनाओं के याहवेह का यह आदेश है: “काट डालो उसके वृक्ष और येरूशलेम की घेराबंदी करो. आवश्यक है कि इस नगर को दंड दिया जाए; जिसके मध्य अत्याचार ही अत्याचार भरा है.
7 A medida que la primavera mantiene sus aguas frías, también ella guarda su maldad; el sonido de un comportamiento cruel y violento está en ella; ante mí en todo momento hay enfermedades y heridas.
जिस प्रकार कुंआ अपने पानी को ढालता रहता है, उसी प्रकार वह भी अपनी बुराई को निकालती रहती है. उसकी सीमाओं के भीतर हिंसा तथा विध्वंस का ही उल्लेख होता रहता है; मुझे वहां बीमारी और घाव ही दिखाई देते रहते हैं.
8 Corrígete, oh Jerusalén, o mi alma se apartará de ti, y te haré un desolación, una tierra sin habitantes.
येरूशलेम, चेत जाओ, ऐसा न हो कि तुम मेरे हृदय से उतर जाओ तथा मैं तुम्हें उजाड़ स्थान बना डालूं जहां किसी भी मनुष्य का निवास न होगा.”
9 Esto es lo que ha dicho el Señor de los ejércitos: Todo se tomará del resto que quede de Israel como las últimas uvas se toman de la vid; como cuando tu mano se vuelva hacia las ramas pequeñas, para arrancar las última uvas.
यह सेनाओं के याहवेह की वाणी है: “जैसे गिरी हुई द्राक्षा भूमि पर से एकत्र की जाती है वैसे ही वे चुन-चुनकर इस्राएल के लोगों को एकत्र कर लेंगे; तब द्राक्ष तोड़नेवाले के सदृश द्राक्षलता की शाखाएं टटोल लो, कि शेष रह गई द्राक्षा को एकत्र कर सको.”
10 ¿A quién debo dar palabra, testificando para que tomen nota? Mira, sus oídos están cerrados y no pueden prestar atención; mira, la palabra del Señor ha sido una causa de vergüenza para ellos, no se deleitan en ella.
मैं किसे संबोधित करूं, किसे यह चेतावनी सुनाऊं कि वे इस पर ध्यान दें? आप ही देखिए उनके कान तो बंद हैं, सुनना उनके लिए असंभव है. यह भी देख लीजिए याहवेह का संदेश उनके लिए घृणास्पद बन चुका है; इसमें उनको थोड़ा भी उल्लास नहीं है.
11 Por esta razón estoy lleno de la ira del Señor, estoy cansado de mantenerla; que se suelte en los niños de la calle y en la reunión de los jóvenes juntos; incluso El marido con su esposa será apresado, el anciano con él que está lleno de días.
मुझमें याहवेह का कोप समाया हुआ है, इसे नियंत्रित रखना मेरे लिए मुश्किल हुआ जा रहा है. “अपना यह कोप गली के बालकों पर उंडेल दो और उन एकत्र हो रहे जवानों की सभा पर; क्योंकि पति-पत्नी दोनों ही ले जा लिए जाएंगे, प्रौढ़ तथा अत्यंत वृद्ध भी.
12 Y sus casas serán entregadas a otros, sus campos y sus esposas juntamente; porque mi mano será tendida contra la gente de la tierra, dice el Señor.
उनके आवास अपरिचितों को दे दिए जाएंगे, यहां तक कि उनकी पत्नियां एवं खेत भी, क्योंकि मैं अपना हाथ देशवासियों के विरुद्ध बढ़ाऊंगा,” यह याहवेह की वाणी है.
13 Porque de los más pequeños hasta los más grandes, todos están dispuestos a ganar dinero; Desde el profeta hasta el sacerdote, todo el mundo está trabajando engaño.
“क्योंकि उनमें छोटे से लेकर बड़े तक, हर एक लाभ के लिए लोभी है; यहां तक कि भविष्यद्वक्ता से लेकर पुरोहित तक भी, हर एक अपने व्यवहार में झूठे हैं.
14 Y hicieron poco de las heridas de mi pueblo, diciendo: Paz, paz; cuando no hay paz.
उन्होंने मेरी प्रजा के घावों को मात्र गलत उपचार किया है. वे दावा करते रहे, ‘शांति है, शांति है,’ किंतु शांति वहां थी ही नहीं.
15 Sean avergonzados porque han hecho cosas repugnantes. No tuvieron vergüenza, no pudieron enrojecer de vergüenza; entonces caerán con los que están cayendo; cuando mi castigo caiga sobre ellos, serán humillados, dice el Señor.
क्या अपने घृणास्पद कार्य के लिए उनमें थोड़ी भी लज्जा देखी गई? निश्चयतः थोड़ी भी नहीं; उन्हें तो लज्जा में गिर जाना आता ही नहीं. तब उनकी नियति वही होगी जो समावेश किए जा रहे व्यक्तियों की नियति है; जब मैं उन्हें दंड दूंगा, घोर होगा उनका पतन,” यह याहवेह की वाणी है.
16 Esto es lo que el Señor ha dicho: Toma tu lugar mirando los caminos; Hagan una búsqueda de los caminos antiguos, diciendo: ¿Dónde está el buen camino? y anden por él para que puedan descansar por tus almas. Pero ellos dijeron: No andaremos.
याहवेह का संदेश यह है: “चौराहों पर जाकर ठहरो, वहां ठहर कर अवलोकन करो; और वहां प्राचीन काल मार्गों के विषय में ज्ञात करो, यह पूछ लो कि कौन सा है वह सर्वोत्तम मार्ग, और उसी पर चलो, तब तुम्हारे प्राण को चैन का अनुभव होगा. किंतु उन्होंने कहा, ‘हम उस पथ पर नहीं चलेंगे.’
17 Y pongo vigilantes sobre ti, diciendo: Presta atención al sonido del cuerno; Pero ellos dijeron: No vamos a dar atención.
तब मैंने इस विचार से तुम पर प्रहरी नियुक्त किए, ‘नरसिंगा नाद सुनो!’ किंतु उन्होंने हठ किया, ‘हम नहीं सुनेंगे.’
18 Entonces, prestad atención, naciones, y entiendan congregación lo que hay entre ellos.
इसलिये राष्ट्रों, सुनो और यह जान लो; एकत्र जनसमूह, तुम भी यह समझ लो कि उनकी नियति क्या होगी.
19 Escucha, oh tierra: mira, haré que venga el mal sobre este pueblo, incluso el fruto de sus pensamientos, porque no han prestado atención a mis palabras, y rechazaron mi ley.
पृथ्वी, तुम सुन लो: कि तुम इन लोगों पर लाया गया विनाश देखोगी, यह उन्हीं के द्वारा गढ़ी गई युक्तियों का परिणाम है, क्योंकि उन्होंने मेरे आदेश की अवज्ञा की है तथा उन्होंने मेरे नियमों को भी ठुकरा दिया है.
20 ¿Con qué propósito me llega el perfume dulce de Seba y las especias de un país lejano? tus ofrendas quemadas no me dan placer, tus ofrendas de bestias no me agradan.
क्या लाभ है उस लोहबान का जो मेरे लिए शीबा देश से लाया जाता है, तथा दूर देश से लाए गए सुगंध द्रव्य का? तुम्हारे बलियों से मैं खुश नहीं हूं, न तुम्हारे अर्पण से मैं प्रसन्न!”
21 Por esto ha dicho el Señor: Mira, pondré piedras en el camino de este pueblo; y los padres y los hijos irán cayendo sobre ellos juntamente; El prójimo y su amigo serán destruidos.
इसलिये याहवेह की यह वाणी है: “यह देख लो कि मैं इन लोगों के पथ में ठोकर के लिए लक्षित पत्थर रख रहा हूं. उन्हें इन पत्थरों से ठोकर लगेगी, पिता और पुत्र दोनों ही; उनके पड़ोसी एवं उनके मित्र नष्ट हो जाएंगे.”
22 El Señor ha dicho: ¿Ven? Un pueblo viene del norte, una gran nación será puesta en movimiento desde las partes más internas de la tierra.
यह याहवेह की वाणी है: “यह देखना, कि उत्तरी देश से एक जनसमूह आ रहा है; पृथ्वी के दूर क्षेत्रों में एक सशक्त राष्ट्र तैयार हो रहा है.
23 Arcos y lanzas están en sus manos; son crueles y no tienen piedad; su voz es como el trueno del mar, y van sobre caballos; Todos en su lugar, como hombres que van a la lucha, contra ti, oh hija de Sión.
वे धनुष एवं भाला छीन रहे हैं; वे क्रूर एवं सर्वथा कृपाहीन हैं. उनका स्वर सागर गर्जन सदृश है, तथा वे युद्ध के लिए तैयार घुड़सवारों के सदृश आ रहे हैं. ज़ियोन की पुत्री, तुम हो उनका लक्ष्य.”
24 La noticia de esto ha llegado a nuestros oídos; nuestras manos se han vuelto débiles: nos han llegado problemas y dolor, como el dolor de una mujer en el parto.
इसकी सूचना हमें प्राप्त हो चुकी है, हमारे हाथ ढीले पड़ चुके हैं. प्रसव पीड़ा ने हमें अपने अधीन कर रखा है, वैसी ही पीड़ा जैसी प्रसूता की होती है.
25 No salgan al campo ni por el camino; porque allí está la espada del atacante, y el temor por todos lados.
न तो बाहर खेत में जाना न ही मार्ग पर निकल पड़ना, क्योंकि शत्रु तलवार लिए हुए है, सर्वत्र आतंक छाया हुआ है.
26 Oh, hija de mi pueblo, ponte la ropa de cilicio, arrójate a la ceniza; date a la pena, como a un hijo único, con los más amargos gritos de dolor; porque el que nos va a destruir vendrá de repente sobre nosotros.
अतः मेरी पुत्री, मेरी प्रजा, शोक-वस्त्र धारण करो, भस्म में लोटो; तुम्हारा शोक वैसा ही हो जैसा उसका होता है जिसने अपना एकमात्र पुत्र खो दिया है, अत्यंत गहन शोक, क्योंकि हम पर विनाशक का आक्रमण सहसा ही होगा.
27 Te he puesto como fortaleza y por torre pondrás a prueba a mi gente, para que tengas conocimiento de su conducta y lo pongas a prueba.
“मैंने तुम्हें अपनी प्रजा के लिए परखने तथा जानने के लिए पारखी नियुक्त किया है, कि तुम उनकी जीवनशैली को परखकर जान लो.
28 Todos ellos son rebeldes, yendo con historias falsas; son latón y hierro; todos son obreros corrompidos.
वे सब हठी और विद्रोही हैं, बदनाम करते फिरते हैं. वे ऐसे कठोर हैं जैसे कांस्य एवं लौह; वे सबके सब भ्रष्ट हो चुके हैं.
29 El soplador sopla con fuerza, el plomo se quema en el fuego; continúan calentando el metal sin ningún propósito, porque los malhechores no son quitados.
धौंकनियों ने भट्टी को अत्यंत गर्म कर रखा है, अग्नि ने सीसे को भस्म कर दिया है, शुद्ध करने की प्रक्रिया व्यर्थ ही की जा रही है; जिससे बुरे लोगों को अलग नहीं किया जा सका!
30 Serán llamados plata de desecho, porque el Señor los ha desecho.
उन्हें खोटी चांदी कहा गया है, क्योंकि उन्हें याहवेह ने त्याग दिया है.”