< Éxodo 26 >
1 Y harás un tabernáculo para mí, con diez cortinas del mejor lino torcido, azul, púrpura y rojo, artísticamente bordado con dos querubines.
१“फिर निवास-स्थान के लिये दस पर्दे बनवाना; इनको बटी हुई सनीवाले और नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े का कढ़ाई के काम किए हुए करूबों के साथ बनवाना।
2 Cada cortina tiene veintiocho codos de largo y cuatro codos de ancho, todos de la misma medida.
२एक-एक पर्दे की लम्बाई अट्ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हो; सब पर्दे एक ही नाप के हों।
3 Cinco cortinas se unirán una sobre la otra, y las otras cinco se unirán una sobre la otra.
३पाँच पर्दे एक दूसरे से जुड़े हुए हों; और फिर जो पाँच पर्दे रहेंगे वे भी एक दूसरे से जुड़े हुए हों।
4 Y pondrás ojales de cordón azul en el borde de la cortina exterior del primer grupo de cinco, y en el borde de la cortina exterior del segundo grupo de cinco;
४और जहाँ ये दोनों पर्दे जोड़े जाएँ वहाँ की दोनों छोरों पर नीले-नीले फंदे लगवाना।
5 Cincuenta ojales en una cortina y cincuenta en la otra, los ojales para que estén uno frente al otro.
५दोनों छोरों में पचास-पचास फंदे ऐसे लगवाना कि वे आमने-सामने हों।
6 Luego haz cincuenta ganchos de oro, juntando las cortinas con los ganchos, y de esta manera se hará el tabernáculo.
६और सोने के पचास अंकड़े बनवाना; और परदों के छल्लों को अंकड़ों के द्वारा एक दूसरे से ऐसा जुड़वाना कि निवास-स्थान मिलकर एक ही हो जाए।
7 Y harás cortinas de pelo de cabra para una cubierta sobre el tabernáculo; once cortinas harás.
७“फिर निवास के ऊपर तम्बू का काम देने के लिये बकरी के बाल के ग्यारह पर्दे बनवाना।
8 Cada cortina tiene treinta codos de largo y cuatro codos de ancho, todos de la misma medida.
८एक-एक पर्दे की लम्बाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हो; ग्यारहों पर्दे एक ही नाप के हों।
9 Cinco de estas cortinas se unirán, y las otras seis se unirán, la sexta se doblará para colgar en frente de la tienda.
९और पाँच पर्दे अलग और फिर छः पर्दे अलग जुड़वाना, और छठवें पर्दे को तम्बू के सामने मोड़कर दुहरा कर देना।
10 Y pondrás cincuenta ojales de cuerda en el borde de la cortina exterior de un grupo, y cincuenta ojales en el borde de la cortina exterior del otro grupo.
१०और तू पचास अंकड़े उस पर्दे की छोर में जो बाहर से मिलाया जाएगा और पचास ही अंकड़े दूसरी ओर के पर्दे की छोर में जो बाहर से मिलाया जाएगा बनवाना।
11 Luego haz cincuenta ganchos de bronce y pon los ganchos en los giros, juntando la tienda para hacerla una.
११और पीतल के पचास अंकड़े बनाना, और अंकड़ों को फंदों में लगाकर तम्बू को ऐसा जुड़वाना कि वह मिलकर एक ही हो जाए।
12 Y la parte doblada que está sobre las cortinas de la tienda, la mitad de la cortina que está doblada hacia atrás, estará colgando sobre la parte posterior del tabernáculo.
१२और तम्बू के परदों का लटका हुआ भाग, अर्थात् जो आधा पट रहेगा, वह निवास की पिछली ओर लटका रहे।
13 Y el codo que está sobre las diez cortinas a los lados estará colgando sobre los dos lados del tabernáculo como una cubierta.
१३और तम्बू के परदों की लम्बाई में से हाथ भर इधर, और हाथ भर उधर निवास को ढाँकने के लिये उसकी दोनों ओर पर लटका हुआ रहे।
14 Y luego debes hacer una cubierta para la tienda, de pieles de oveja de color rojo, y una cubierta de cuero sobre eso.
१४फिर तम्बू के लिये लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालों का एक ओढ़ना और उसके ऊपर सुइसों की खालों का भी एक ओढ़ना बनवाना।
15 Y debes hacer tableros verticales de madera de acacia para él tabernáculo.
१५“फिर निवास को खड़ा करने के लिये बबूल की लकड़ी के तख्ते बनवाना।
16 Toda tabla tendrá diez codos de alto y un codo y medio de ancho.
१६एक-एक तख्ते की लम्बाई दस हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ की हो।
17 Cada tabla se unirá a la que esté más cerca de ella por medio de dos espigas, y por lo tanto, así se harán con cada tabla para él santuario.
१७एक-एक तख्ते में एक दूसरे से जोड़ी हुई दो-दो चूलें हों; निवास के सब तख्तों को इसी भाँति से बनवाना।
18 Estas son las tablas necesarias para el santuario; veinte tablas para el lado sur,
१८और निवास के लिये जो तख्ते तू बनवाएगा उनमें से बीस तख्ते तो दक्षिण की ओर के लिये हों;
19 Con cuarenta bases de plata debajo de las veinte tablas, dos basas debajo de cada tabla para tomar sus dos espigas.
१९और बीसों तख्तों के नीचे चाँदी की चालीस कुर्सियाँ बनवाना, अर्थात् एक-एक तख्ते के नीचे उसके चूलों के लिये दो-दो कुर्सियाँ।
20 Y veinte tablas para el segundo lado del santuario en el norte,
२०और निवास की दूसरी ओर, अर्थात् उत्तर की ओर बीस तख्ते बनवाना।
21 Con sus cuarenta bases de plata, dos debajo de cada tabla.
२१और उनके लिये चाँदी की चालीस कुर्सियाँ बनवाना, अर्थात् एक-एक तख्ते के नीचे दो-दो कुर्सियाँ हों।
22 Y seis tablas para la parte posterior del santuario en el oeste,
२२और निवास की पिछली ओर, अर्थात् पश्चिम की ओर के लिए छः तख्ते बनवाना।
23 Con dos tablas para los ángulos de la casa en la parte posterior.
२३और पिछले भाग में निवास के कोनों के लिये दो तख्ते बनवाना;
24 Los dos se unirán en la base y en la parte superior a un anillo, formando los dos ángulos.
२४और ये नीचे से दो-दो भाग के हों और दोनों भाग ऊपर के सिरे तक एक-एक कड़े में मिलाए जाएँ; दोनों तख्तों का यही रूप हो; ये तो दोनों कोनों के लिये हों।
25 Entonces habrá ocho tablas, con sus dieciséis bases de plata, dos bases debajo de cada tabla.
२५और आठ तख्ते हों, और उनकी चाँदी की सोलह कुर्सियाँ हों; अर्थात् एक-एक तख्ते के नीचे दो-दो कुर्सियाँ हों।
26 Y haz varillas de la misma madera de acacia, cinco para las tablas de un lado del tabernáculo,
२६“फिर बबूल की लकड़ी के बेंड़े बनवाना, अर्थात् निवास की एक ओर के तख्तों के लिये पाँच,
27 Y cinco para las tablas en el otro lado del tabernáculo, y cinco para el lado oeste del tabernáculo en la parte posterior.
२७और निवास की दूसरी ओर के तख्तों के लिये पाँच बेंड़े, और निवास का जो भाग पश्चिम की ओर पिछले भाग में होगा, उसके लिये पाँच बेंड़े बनवाना।
28 Y la vara del medio tiene que atravesar los anillos de todas las tablas de punta a punta.
२८बीचवाला बेंड़ा जो तख्तों के मध्य में होगा वह तम्बू के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचे।
29 Y las tablas serán chapadas de oro, con anillos de oro para que pasen las varas; y las varas serán chapadas de oro.
२९फिर तख्तों को सोने से मढ़वाना, और उनके कड़े जो बेंड़ों के घरों का काम देंगे उन्हें भी सोने के बनवाना; और बेंड़ों को भी सोने से मढ़वाना।
30 Y debes hacer él santuario del diseño que viste en la montaña.
३०और निवास को इस रीति खड़ा करना जैसा इस पर्वत पर तुझे दिखाया गया है।
31 Y harás un velo del mejor lino, azul, púrpura y rojo, con ángeles bordados artísticamente:
३१“फिर नीले, बैंगनी और लाल रंग के और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े का एक बीचवाला परदा बनवाना; वह कढ़ाई के काम किए हुए करूबों के साथ बने।
32 Colgándose con ganchos de oro de cuatro pilares de madera de acacia, chapado en oro y fijado en bases de plata.
३२और उसको सोने से मढ़े हुए बबूल के चार खम्भों पर लटकाना, इनकी अंकड़ियाँ सोने की हों, और ये चाँदी की चार कुर्सियों पर खड़ी रहें।
33 Y pondrás el velo debajo de los ganchos, y pondrás allí, tras él velo, el cofre del pacto; el velo será una división entre el lugar santo y el lugar santísimo.
३३और बीचवाले पर्दे को अंकड़ियों के नीचे लटकाकर, उसकी आड़ में साक्षीपत्र का सन्दूक भीतर ले जाना; सो वह बीचवाला परदा तुम्हारे लिये पवित्रस्थान को परमपवित्र स्थान से अलग किए रहे।
34 Debes poner la cubierta sobre el cofre del pacto, dentro del lugar santísimo.
३४फिर परमपवित्र स्थान में साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर प्रायश्चित के ढकने को रखना।
35 Y fuera del velo pondrás la mesa y el candelabro frente a la mesa en el lado sur del santuario; y la mesa debe estar en el lado norte.
३५और उस पर्दे के बाहर निवास के उत्तर की ओर मेज रखना; और उसके दक्षिण की ओर मेज के सामने दीवट को रखना।
36 Y harás una cortina para la entrada del santuario, del mejor lino bordados artísticamente de azul, púrpura y rojo.
३६“फिर तम्बू के द्वार के लिये नीले, बैंगनी और लाल रंग के और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े का कढ़ाई का काम किया हुआ एक परदा बनवाना।
37 Y haz cinco columnas para la cortina, de madera de acacia cubierta de oro; sus ganchos serán de oro y sus bases de bronce.
३७और इस पर्दे के लिये बबूल के पाँच खम्भे बनवाना, और उनको सोने से मढ़वाना; उनकी कड़ियाँ सोने की हों, और उनके लिये पीतल की पाँच कुर्सियाँ ढलवा कर बनवाना।