< Salmos 146 >

1 Alelu-JAH Alaba, oh alma mía, al SEÑOR.
याहवेह का स्तवन हो. मेरे प्राण, याहवेह का स्तवन करो.
2 Alabaré al SEÑOR en mi vida; diré salmos a mi Dios mientras viviere.
जीवन भर मैं याहवेह का स्तवन करूंगा; जब तक मेरा अस्तित्व है, मैं अपने परमेश्वर का स्तुति गान करता रहूंगा.
3 No confiéis en los príncipes, ni en hijo de hombre, porque no hay en él salud.
प्रधानों पर अपना भरोसा आधारित न करो—उस नश्वर मनुष्य पर, जिसमें किसी को छुड़ाने की कोई सामर्थ्य नहीं है.
4 Saldrá su espíritu, se volverá en su tierra; en aquel día perecerán todos sus pensamientos.
जब उसके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं, वह भूमि में लौट जाता है; और ठीक उसी समय उसकी योजनाएं भी नष्ट हो जाती हैं.
5 Dichoso aquel en cuya ayuda es el Dios de Jacob, cuya esperanza es en el SEÑOR su Dios;
धन्य होता है वह पुरुष, जिसकी सहायता का उगम याकोब के परमेश्वर में है, जिसकी आशा याहवेह, उसके परमेश्वर पर आधारित है.
6 el cual hizo los cielos y la tierra, el mar, y todo lo que en ellos hay; el que guarda verdad para siempre;
वही स्वर्ग और पृथ्वी के, समुद्र तथा उसमें चलते फिरते सभी प्राणियों के कर्ता हैं; वह सदा-सर्वदा विश्वासयोग्य रहते हैं.
7 el que hace derecho a los agraviados; el que da pan a los hambrientos; el SEÑOR, el que suelta a los aprisionados;
वही दुःखितों के पक्ष में न्याय निष्पन्‍न करते हैं, भूखों को भोजन प्रदान करते हैं. याहवेह बंदी को छुड़ाते हैं,
8 el SEÑOR es el que abre los ojos a los ciegos; el SEÑOR, el que endereza a los agobiados; el SEÑOR, el que ama a los justos.
वह अंधों की आंखें खोल दृष्टि प्रदान करते हैं, याहवेह झुके हुओं को उठाकर सीधा खड़ा करते हैं, उन्हें नीतिमान पुरुष प्रिय हैं.
9 El SEÑOR, el que guarda a los extranjeros; al huérfano y a la viuda levanta; y el camino de los impíos trastorna.
याहवेह प्रवासियों की हितचिंता कर उनकी रक्षा करते हैं वही हैं, जो विधवा तथा अनाथों को संभालते हैं, किंतु वह दुष्टों की युक्तियों को नष्ट कर देते हैं.
10 Reinará el SEÑOR para siempre; tu Dios, oh Sion, por generación y generación. Alelu-JAH.
याहवेह का साम्राज्य सदा के लिए है, ज़ियोन, पीढ़ी से पीढ़ी तक तेरा परमेश्वर राजा हैं. याहवेह का स्तवन करो.

< Salmos 146 >