< 1 Samuel 2 >
1 Y ANNA oró y dijo: mi corazón se regocija en Jehová, mi cuerno es ensalzado en Jehová; mi boca se ensanchó sobre mis enemigos, por cuanto me alegré en tu salud.
और हन्ना ने दुआ की और कहा, मेरा दिल ख़ुदावन्द मैं ख़ुश है: मेरा सींग ख़ुदावन्द के तुफ़ैल से ऊँचा हुआ। मेरा मुँह मेरे दुश्मनों पर खुल गया है क्यूँकि मैं तेरी नजात से ख़ुश हूँ।
2 No hay santo como Jehová: porque no hay ninguno fuera de ti; y no hay refugio como el Dios nuestro.
“ख़ुदावन्द की तरह कोई पाक नहीं क्यूँकि तेरे सिवा और कोई है ही नहीं और न कोई चटटान है जो हमारे ख़ुदा की तरह हो
3 No multipliquéis hablando grandezas, altanerías; cesen las palabras arrogantes de vuestra boca; porque el Dios de todo saber es Jehová, y á él toca el pesar las acciones.
इस क़दर ग़ुरूर से और बातें न करो और बड़ा बोल तुम्हारे मुहँ से न निकले; क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुदा — ए — 'अलीम है, और 'आमाल का तोलने वाला है।
4 Los arcos de los fuertes fueron quebrados, y los flacos se ciñeron de fortaleza.
ताक़तवरों की कमाने टूट गईं और जो लड़खड़ाते थे वह ताक़त से कमर बस्ता हुए।
5 Los hartos se alquilaron por pan: y cesaron los hambrientos: hasta parir siete la estéril, y la que tenía muchos hijos enfermó.
वह जो आसूदा थे रोटी की ख़ातिर मज़दूर बनें और जो भूके थे ऐसे न रहे, बल्कि जो बाँझ थी उस के साथ हुए, और जिसके पास बहुत बच्चे हैं वह घुलती जाती है।
6 Jehová mata, y él da vida: él hace descender al sepulcro, y hace subir. (Sheol )
ख़ुदावन्द मारता है और जिलाता है; वही क़ब्र मैं उतारता और उससे निकालता है। (Sheol )
7 Jehová empobrece, y él enriquece: abate, y ensalza.
ख़ुदावन्द ग़रीब कर देता और दौलतमंद बनाता है, वही पस्त करता और बुलंद भी करता है।
8 El levanta del polvo al pobre, y al menesteroso ensalza del estiércol, para asentarlo con los príncipes; y hace que tengan por heredad asiento de honra: porque de Jehová son las columnas de la tierra, y él asentó sobre ellas el mundo.
वह ग़रीब को ख़ाक पर से उठाता, और कंगाल को घूरे में से निकाल खड़ा करता है ताकि इनको शहज़ादों के साथ बिठाए, और जलाल के तख़्त का वारिस बनाए; क्यूँकि ज़मीन के सुतून ख़ुदावन्द के हैं उसने दुनिया को उन ही पर क़ाईम किया है।
9 El guarda los pies de sus santos, mas los impíos perecen en tinieblas; porque nadie será fuerte por [su] fuerza.
वह अपने मुक़द्दसों के पाँव को संभाले रहेगा, लेकिन शरीर अँधेरे मैं ख़ामोश किए जायेंगे क्यूँकि ताक़त ही से कोई फ़तह नहीं पाएगा।
10 Delante de Jehová serán quebrantados sus adversarios, y sobre ellos tronará desde los cielos: Jehová juzgará los términos de la tierra, y dará fortaleza á su Rey, y ensalzará el cuerno de su Mesías.
जो ख़ुदावन्द से झगड़ते हैं वह टुकड़े टुकड़े कर दिए जाएँगे; वह उन के ख़िलाफ़ आस्मान में गरजेगा ख़ुदावन्द ज़मीन के किनारों का इंसाफ करेगा, वह अपने बादशाह को ताक़त बख़्शेगा, और अपने मम्सूह के सींग को बुलंद करेगा।”
11 Y Elcana se volvió á su casa en Ramatha; y el niño ministraba á Jehová delante del sacerdote Eli.
तब इल्क़ाना रामा को अपने घर चला गया; और एली काहिन के सामने वह लड़का ख़ुदावन्द की ख़िदमत करने लगा।
12 Mas los hijos de Eli eran hombres impíos, y no tenían conocimiento de Jehová.
और एली के बेटे बहुत शरीर थे; उन्होंने ख़ुदावन्द को न पहचाना।
13 Y la costumbre de los sacerdotes con el pueblo era que, cuando alguno ofrecía sacrificio, venía el criado del sacerdote mientras la carne estaba á cocer, [trayendo] en su mano un garfio de tres ganchos;
और काहिनों का दस्तूर लोगों के साथ यह था, कि जब कोई शख़्स क़ुर्बानी करता था तो काहिन का नोंकर गोश्त उबालने के वक़त एक सहशाखा काँटा अपने हाथ मैं लिए हुए आता था;
14 Y hería con él en la caldera, ó en la olla, ó en el caldero, ó en el pote; y todo lo que sacaba el garfio, el sacerdote lo tomaba para si. De esta manera hacían á todo Israelita que venía á Silo.
और उसको कढ़ाह या दिग्चे या हांडे या हांड़ी में डालता और जितना गोश्त उस काँटे में लग जाता उसे काहिन अपने आप लेता था। यूँ ही वह शीलोह में सब इस्राईलियों से किया करते थे जो वहाँ आते थे
15 Asimismo, antes de quemar el sebo, venía el criado del sacerdote, y decía al que sacrificaba: Da carne que ase para el sacerdote; porque no tomará de ti carne cocida, sino cruda.
बल्कि चर्बी जलाने से पहले काहिन का नोकर आ मौजूद होता, और उस शख़्स से जो क़ुर्बानी पेश करता यह कहने लगता था, “काहिन के लिए कबाब के वास्ते गोश्त दे, क्यूँकि वह तुझ से उबला हुआ गोश्त नहीं बल्कि कच्चा लेगा।”
16 Y si le respondía el varón, Quemen luego el sebo hoy, y después toma tanta como quisieres; él respondía: No, sino ahora la has de dar: de otra manera yo la tomaré por fuerza.
और अगर वह शख़्स यह कहता कि अभी वह चर्बी को ज़रूर जलायेंगे तब जितना तेरा जी चाहे ले लेना “तो वह उसे जवाब देता नहीं तू मुझे अभी दे नही तो मैं छीन कर ले जाऊँगा।”
17 Era pues el pecado de los mozos muy grande delante de Jehová; porque los hombres menospreciaban los sacrificios de Jehová.
इसलिए उन जवानों का गुनाह ख़ुदावन्द के सामने बहुत बड़ा था क्यूँकि लोग ख़ुदावन्द की क़ुर्बानी से नफ़रत करने लगे थे।
18 Y el joven Samuel ministraba delante de Jehová, vestido de un ephod de lino.
लेकिन समुएल जो लड़का था, कतान का अफ़ूद पहने हुए ख़ुदावन्द के सामने ख़िदमत करता था।
19 Y hacíale su madre una túnica pequeña, y traíasela cada año, cuando subía con su marido á ofrecer el sacrificio acostumbrado.
और उस की माँ उस के लिए एक छोटा सा जुब्बा बनाकर साल ब साल लाती जब वह अपने शौहर के साथ सालाना क़ुर्बानी पेश करने आती थी।
20 Y Eli bendijo á Elcana y á su mujer, diciendo: Jehová te dé simiente de esta mujer en lugar de esta petición que hizo á Jehová. Y volviéronse á su casa.
और एली ने इल्क़ाना और उस की बीवी को दुआ दी और कहा, “ख़ुदावन्द तुझको इस 'औरत से उस क़र्ज़ के बदले में जो ख़ुदावन्द को दिया गया नसल दे।” फिर वह अपने घर गये।
21 Y visitó Jehová á Anna, y concibió, y parió tres hijos, y dos hijas. Y el joven Samuel crecía delante de Jehová.
और ख़ुदावन्द ने हन्ना पर नज़र की और वह हामिला हुई, और उसके तीन बेटे और दो बेटियाँ हुईं, और वह लड़का समुएल ख़ुदावन्द के सामने बढ़ता गया।
22 Eli empero era muy viejo, y oyó todo lo que sus hijos hacían á todo Israel, y como dormían con las mujeres que velaban á la puerta del tabernáculo del testimonio.
एली बहुत बुड्ढा हो गया था, और उसने सब कुछ सुना कि उसके बेटे सारे इस्राईल से क्या किया करते हैं और उन 'औरतों से जो ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर ख़िदमत करती थी हम आग़ोशी करते हैं।
23 Y díjoles: ¿Por qué hacéis cosas semejantes? Porque yo oigo de todo este pueblo vuestros malos procederes.
और उस ने उन से कहा, तुम ऐसा क्यूँ करते हो? क्यूँकि मैं तुम्हारी बदज़ातियाँ पूरी क़ौम से सुनता हूँ?
24 No, hijos míos; porque no es buena fama la que yo oigo: que hacéis pecar al pueblo de Jehová.
नहीं मेरे बेटों ये अच्छी बात नहीं जो मैं सुनता हूँ; तुम ख़ुदावन्द के लोगों से नाफ़रमानी कराते हो।
25 Si pecare el hombre contra el hombre, los jueces le juzgarán; mas si alguno pecare contra Jehová, ¿quién rogará por él? Mas ellos no oyeron la voz de su padre, porque Jehová los quería matar.
अगर एक आदमी दूसरे का गुनाह करे तो ख़ुदा उसका इंसाफ करेगा लेकिन अगर आदमी ख़ुदावन्द का गुनाह करे तो उस की शफ़ा'अत क़ौन करेगा? बावजूद इसके उन्होंने अपने बाप का कहना न माना; क्यूँकि ख़ुदावन्द उनको मार डालना चाहता था।
26 Y el joven Samuel iba creciendo, y adelantando delante de Dios y delante de los hombres.
और वह लड़का समुएल बढ़ता गया और ख़ुदावन्द और इंसान दोनों का मक़बूल था।
27 Y vino un varón de Dios á Eli, y díjole: Así ha dicho Jehová: ¿No me manifesté yo claramente á la casa de tu padre, cuando estaban en Egipto en casa de Faraón?
तब एक नबी एली के पास आया और उससे कहने लगा, ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है क्या मैं तेरे आबाई ख़ानदान पर जब वह मिस्र में फ़िर'औन के ख़ानदान की ग़ुलामी में था ज़ाहिर नहीं हुआ?
28 Y yo le escogí por mi sacerdote entre todas las tribus de Israel, para que ofreciese sobre mi altar, y quemase perfume, y trajese ephod delante de mí; y dí á la casa de tu padre todas las ofrendas de los hijos de Israel.
और क्या मैंने उसे बनी इस्राईल के सब क़बीलों में से चुन न लिया, ताकि वह मेरा काहिन हो और मेरे मज़बह के पास जाकर ख़ुशबू जलाये और मेरे सामने अफ़ूद पहने और क्या मैंने सब क़ुर्बानियाँ जो बनी इस्राईल आग से अदा करते है तेरे बाप को न दी?
29 ¿Por qué habéis hollado mis sacrificios y mis presentes, que yo mandé [ofrecer] en el tabernáculo; y has honrado á tus hijos más que á mí, engordándoos de lo principal de todas las ofrendas de mi pueblo Israel?
तब तुम क्यूँ मेरे उस क़ुर्बानी और हदिये को जिनका हुक्म मैंने अपने घर में दिया लात मारते हो? और क्यूँ तू अपने बेटों की मुझ से ज़्यादा 'इज़्ज़त करता है, ताकि तुम मेरी क़ौम इस्राईल के अच्छे से अच्छे हदियों को खाकर मोटे बनो।
30 Por tanto, Jehová el Dios de Israel dice: Yo había dicho que tu casa y la casa de tu padre andarían delante de mí perpetuamente; mas ahora ha dicho Jehová: Nunca yo tal haga, porque yo honraré á los que me honran, y los que me tuvieren en poco, serán viles.
इसलिए ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि मैंने तो कहा, था कि तेरा घराना और तेरे बाप का घराना हमेशा मेरे सामने चलेगा लेकिन अब ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि यह बात अब मुझ से दूर हो, क्यूँकि वह जो मेरी 'इज़्ज़त करते है मैं उन की 'इज़्ज़त करूँगा लेकिन वह जो मेरी हिक़ारत करते है बेक़द्र होंगे
31 He aquí vienen días, en que cortaré tu brazo, y el brazo de la casa de tu padre, que no haya viejo en tu casa.
देख वह दिन आते हैं कि मैं तेरा बाज़ू और तेरे बाप के घराने का बाज़ू काट डालूँगा, कि तेरे घर में कोई बुड्ढा होने न पाएगा।
32 Y verás competidor en el tabernáculo, en todas las cosas en que hiciere bien á Israel; y en ningún tiempo habrá viejo en tu casa.
और तू मेरे घर की मुसीबत देखेगा बावजूद उस सारी दौलत के जो ख़ुदा इस्राईल को देगा और तेरे घर में कभी कोई बुड्ढा होने न पाएगा
33 Y no te cortaré [del todo] varón de mi altar, para hacerte marchitar tus ojos, y henchir tu ánimo de dolor; mas toda la cría de tu casa morirá en la edad varonil.
और तेरे जिस आदमी को मैं अपने मज़बह से काट नहीं डालूँगा वह तेरी आँखों को घुलाने और तेरे दिल को दुख देने के लिए रहेगा और तेरे घर की सब बढ़ती अपनी भरी जवानी में मर मिटेगी।
34 Y te será por señal esto que acontecerá á tus dos hijos, Ophni y Phinees: ambos morirán en un día.
और जो कुछ तेरे दोनों बेटों हुफ़्नी फ़ीन्हास पर नाज़िल होगा वही तेरे लिए निशान ठहरेगा; वह दोनों एक ही दिन मर जाएँगे।
35 Y yo me suscitaré un sacerdote fiel, que haga conforme á mi corazón y á mi alma; y yo le edificaré casa firme, y andará delante de mi ungido todos los días.
और मैं अपने लिए एक वफ़ादार काहिन पैदा करूँगा जो सब कुछ मेरी मर्ज़ी और मंशा के मुताबिक़ करेगा, और मैं उस के लिए एक पायदार घर बनाऊँगा और वह हमेशा मेरे मम्सूह के आगे आगे चलेगा
36 Y será que el que hubiere quedado en tu casa, vendrá á postrársele por un dinero de plata y un bocado de pan, diciéndole: Ruégote que me constituyas en algún ministerio, para que coma un bocado de pan.
और ऐसा होगा की हर एक शख्स़ जो तेरे घर में बच रहेगा, एक टुकड़े चाँदी और रोटी के एक टुकड़े के लिए उस के सामने आकर सिज्दा करेगा और कहेगा, कि कहानत का कोई काम मुझे दीजिए ताकि मैं रोटी का निवाला खा सकूँ।