< Lamentaciones 5 >

1 Acuérdate, o! Jehová, de lo que nos ha venido: vé, y mira nuestra vergüenza.
ऐ ख़ुदावन्द, जो कुछ हम पर गुज़रा उसे याद कर; नज़र कर और हमारी रुस्वाई को देख।
2 Nuestra heredad se ha vuelto a extraños, nuestras casas a forasteros.
हमारी मीरास अजनबियों के हवाले की गई, हमारे घर बेगानों ने ले लिए।
3 Huérfanos somos sin padre: nuestras madres como viudas.
हम यतीम हैं, हमारे बाप नहीं, हमारी माँए बेवाओं की तरह हैं।
4 Nuestra agua bebemos por dinero, nuestra leña compramos por precio.
हम ने अपना पानी मोल लेकर पिया; अपनी लकड़ी भी हम ने दाम देकर ली।
5 Sobre nuestra cerviz padecemos persecución; cansámosnos, y no hay para nosotros descanso.
हम को रगेदने वाले हमारे सिर पर हैं; हम थके हारे और बेआराम हैं।
6 A Egipto dimos la mano, y al Asirio, para hartarnos de pan.
हम ने मिस्रियों और असूरियों की इता'अत क़ुबूल की ताकि रोटी से सेर और आसूदा हों।
7 Nuestros padres pecaron, y son muertos; y nosotros llevamos sus castigos.
हमारे बाप दादा गुनाह करके चल बसे, और हम उनकी बदकिरदारी की सज़ा पा रहे हैं।
8 Siervos se enseñorearon de nosotros: no hubo quien nos librase de su mano.
गु़लाम हम पर हुक्मरानी करते हैं; उनके हाथ से छुड़ाने वाला कोई नहीं।
9 Con el peligro de nuestras vidas traíamos nuestro pan delante de la espada del desierto.
सहरा नशीनों की तलवार के ज़रिए', हम जान पर खेलकर रोटी हासिल करते हैं।
10 Nuestros cueros se ennegrecieron como un horno a causa del ardor de la hambre.
क़हत की झुलसाने वाली आग के ज़रिए', हमारा चमड़ा तनूर की तरह सियाह हो गया है।
11 Afligieron a las mujeres en Sión, a las vírgenes en las ciudades de Judá.
उन्होंने सिय्यून में 'औरतों को बेहुरमत किया और यहूदाह के शहरों में कुँवारी लड़कियों को।
12 A los príncipes colgaron con su mano: no reverenciaron los rostros de los viejos.
हाकिम को उनके हाथों से लटका दिया; बुज़ुगों की रू — दारी न की गई।
13 Llevaron los mozos a moler, y los muchachos desfallecieron en la leña.
जवानों ने चक्की पीसी, और बच्चों ने गिरते पड़ते लकड़ियाँ ढोईं।
14 Los ancianos cesaron de la puerta, los mancebos de sus canciones.
बुज़ुर्ग फाटकों पर दिखाई नहीं देते, जवानों की नग़मा परदाज़ी सुनाई नहीं देती।
15 Cesó el gozo de nuestro corazón, nuestro corro se tornó en luto.
हमारे दिलों से खुशी जाती रही; हमारा रक़्स मातम से बदल गया।
16 Cayó la corona de nuestra cabeza: ¡ay ahora de nosotros! porque pecamos.
ताज हमारे सिर पर से गिर पड़ा; हम पर अफ़सोस! कि हम ने गुनाह किया।
17 Por esto fue entristecido nuestro corazón, por esto se entenebrecieron nuestros ojos.
इसीलिए हमारे दिल बेताब हैं; इन्हीं बातों के ज़रिए' हमारी आँखें धुंदला गई,
18 Por el monte de Sión que es asolado, zorras andan en él.
कोह — ए — सिय्यून की वीरानी के ज़रिए', उस पर गीदड़ फिरते हैं।
19 Mas tú, Jehová, para siempre permanecerás: tu trono de generación en generación.
लेकिन तू, ऐ ख़ुदावन्द, हमेशा तक क़ायम है; और तेरा तख़्त नसल — दर — नसल।
20 ¿Por qué te olvidarás para siempre de nosotros? ¿dejarnos has por luengos días?
फिर तू क्यूँ हम को हमेशा के लिए भूल जाता है, और हम को लम्बे वक़्त तक तर्क करता है?
21 Vuélvenos, o! Jehová, a ti, y volvernos hemos: renueva nuestros días como al principio.
ऐ ख़ुदावन्द, हम को अपनी तरफ़ फिरा, तो हम फिरेंगे; हमारे दिन बदल दे, जैसे पहले से थे।
22 Porque desechando nos has desechado: háste airado contra nosotros en gran manera.
क्या तू ने हमको बिल्कुल रद्द कर दिया है? क्या तू हमसे शख़्त नाराज़ है?

< Lamentaciones 5 >