< Job 12 >

1 Y respondió Job, y dijo:
तब अय्यूब ने जवाब दिया,
2 Ciertamente que vosotros sois el pueblo, y con vosotros morirá la sabiduría.
बेशक आदमी तो तुम ही हो “और हिकमत तुम्हारे ही साथ मरेगी।
3 También tengo yo seso como vosotros: no soy yo menos que vosotros; ¿y quién habrá que no pueda decir otro tanto?
लेकिन मुझ में भी समझ है, जैसे तुम में है, मैं तुम से कम नहीं। भला ऐसी बातें जैसी यह हैं, कौन नहीं जानता?
4 El que invoca a Dios, y él le responde, es burlado de su amigo; y el justo y perfecto es escarnecido.
मैं उस आदमी की तरह हूँ जो अपने पड़ोसी के लिए हँसी का निशाना बना है। मैं वह आदमी था जो ख़ुदा से दुआ करता और वह उसकी सुन लेता था। रास्तबाज़ और कामिल आदमी हँसी का निशाना होता ही है।
5 La antorcha es tenida en poco en el pensamiento del próspero: la cual se aparejó contra las caídas de los pies.
जो चैन से है उसके ख़्याल में दुख के लिए हिकारत होती है; यह उनके लिए तैयार रहती है जिनका पाँव फिसलता है।
6 Las tiendas de los robadores están en paz; y los que provocan a Dios, y los que traen dioses en sus manos, viven seguros.
डाकुओं के ख़ेमे सलामत रहते हैं, और जो ख़ुदा को गु़स्सा दिलाते हैं, वह महफू़ज़ रहते हैं; उन ही के हाथ को ख़ुदा ख़ूब भरता है।
7 Mas ciertamente pregunta ahora a las bestias, que ellas te enseñarán; y a las aves de los cielos, que ellas te mostrarán:
हैवानों से पूछ और वह तुझे सिखाएँगे, और हवा के परिन्दों से दरियाफ़्त कर और वह तुझे बताएँगे।
8 O habla a la tierra, que ella te enseñará; y los peces de la mar te declararán.
या ज़मीन से बात कर, वह तुझे सिखाएगी; और समन्दर की मछलियाँ तुझ से बयान करेंगी।
9 ¿Qué cosa de todas estas no entiende que la mano de Jehová la hizo,
कौन नहीं जानता कि इन सब बातों में ख़ुदावन्द ही का हाथ है जिसने यह सब बनाया?
10 Y que en su mano está el alma de todo viviente, el espíritu de toda carne humana?
उसी के हाथ में हर जानदार की जान, और कुल बनी आदम की जान ताक़त है।
11 Ciertamente el oído prueba las palabras, y el paladar gusta las viandas.
क्या कान बातों को नहीं परख लेता, जैसे ज़बान खाने को चख लेती है?
12 En los viejos está la ciencia, y en longura de días la inteligencia.
बुड्ढों में समझ होती है, और उम्र की दराज़ी में समझदारी।
13 Con el está la sabiduría y la fortaleza, suyo es el consejo y la inteligencia.
ख़ुदा में समझ और कु़व्वत है, उसके पास मसलहत और समझ है।
14 He aquí, el derribará, y no será edificado: encerrará al hombre, y no habrá quien le abra.
देखो, वह ढा देता है तो फिर बनता नहीं। वह आदमी को बंद कर देता है, तो फिर खुलता नहीं।
15 He aquí, él detendrá las aguas, y se secarán: él las enviará, y destruirán la tierra.
देखो, वह मेंह को रोक लेता है, तो पानी सूख जाता है। फिर जब वह उसे भेजता है, तो वह ज़मीन को उलट देता है।
16 Con él está la fortaleza y la existencia: suyo es el que yerra, y el que hace errar.
उसमें ताक़त और ता'सीर की कु़व्वत है। धोका खाने वाला और धोका देने वाला दोनों उसी के हैं।
17 El hace andar a los consejeros desnudos, y hace enloquecer a los jueces.
वह सलाहकारों को लुटवा कर ग़ुलामी में ले जाता है, और 'अदालत करने वालों को बेवकू़फ़ बना देता है।
18 El suelta la atadura de los tiranos, y les ata la cinta en sus lomos.
वह शाही बन्धनों को खोल डालता है, और बादशाहों की कमर पर पटका बाँधता है।
19 El lleva despojados a los príncipes, y él trastorna a los valientes.
वह काहिनों को लुटवाकर ग़ुलामी में ले जाता, और ज़बरदस्तों को पछाड़ देता है।
20 El quita la habla a los que dicen verdad, y el toma el consejo a los ancianos.
वह 'ऐतमाद वाले की क़ुव्वत — ए — गोयाई दूर करता और बुज़ुर्गों की समझदारी को' छीन लेता है।
21 El derrama menosprecio sobre los príncipes, y enflaquece la fuerza de los esforzados.
वह हाकिमों पर हिकारत बरसाता, और ताक़तवरों की कमरबंद को खोल डालता' है।
22 El descubre las profundidades de las tinieblas, y saca a luz la sombra de muerte.
वह अँधेरे में से गहरी बातों को ज़ाहिर करता, और मौत के साये को भी रोशनी में ले आता है
23 El multiplica las gentes, y él las pierde: él esparce las gentes, y las torna a recoger.
वह क़ौमों को बढ़ाकर उन्हें हलाक कर डालता है; वह क़ौमों को फैलाता और फिर उन्हें समेट लेता है।
24 El quita el seso de las cabezas del pueblo de la tierra, y los hace que se pierdan vagueando sin camino:
वह ज़मीन की क़ौमों के सरदारों की 'अक़्ल उड़ा देता और उन्हें ऐसे वीरान में भटका देता है जहाँ रास्ता नहीं।
25 Que palpen las tinieblas, y no la luz: y los hace errar como borrachos.
वह रोशनी के बगै़र तारीकी में टटोलते फिरते हैं, और वह उन्हें ऐसा बना देता है कि मतवाले की तरह लड़खड़ाते हुए चलते हैं।

< Job 12 >