< Salmos 22 >
1 ¡ʼEL mío, ʼEL mío! ¿Por qué me desamparaste? ¿Por qué estás lejos de mi salvación y de las palabras de mi clamor?
ऐ मेरे ख़ुदा! ऐ मेरे ख़ुदा! तूने मुझे क्यूँ छोड़ दिया? तू मेरी मदद और मेरे नाला — ओ — फ़रियाद से क्यूँ दूर रहता है?
2 ʼElohim mío, clamo de día, y no respondes, Y de noche, y no hay descanso para mí.
ऐ मेरे ख़ुदा! मै दिन को पुकारता हूँ लेकिन तू जवाब नहीं देता और रात को भी और ख़ामोश नहीं होता।
3 Pero Tú eres santo, ¡Tú, que moras entre las alabanzas de Israel!
लेकिन तू पाक है तू जो इस्राईल के हम्दो — ओ — सना पर तख़्तनशीन है।
4 En Ti confiaron nuestros antepasados. Confiaron, y Tú los libraste.
हमारे बाप दादा ने तुझ पर भरोसा किया; उन्होंने भरोसा किया और तूने उसको छुड़ाया।
5 Clamaron a Ti, y fueron librados. Confiaron en Ti, y no fueron avergonzados.
उन्होंने तुझ से फ़रियाद की और रिहाई पाई; उन्होंने तुझ पर भरोसा किया और शर्मिंदा न हुए।
6 Pero yo soy gusano y no hombre, Oprobio de los hombres y despreciado por el pueblo.
लेकिन मै तो कीड़ा हूँ, इंसान नहीं; आदमियों में अन्गुश्तनुमा हूँ और लोगों में हक़ीर।
7 Todos los que me ven me escarnecen. Hacen una mueca con los labios. Menean la cabeza y dicen:
वह सब जो मुझे देखते हैं, मेरा मज़ाक़ उड़ाते हैं; वह मुँह चिड़ाते, वह सर हिलाकर कहते हैं,
8 Se encomendó a Yavé. Líbrelo Él. Que Él lo rescate, Puesto que se complacía en Él.
“अपने को ख़ुदावन्द के सुपुर्द कर दे वही उसे छुड़ाए, जब कि वह उससे ख़ुश है तो वही उसे छुड़ाए।”
9 Pero Tú eres el que me sacó del vientre. Me diste confianza aun cuando estaba a los pechos de mi madre.
लेकिन तु ही मुझे पेट से बहार लाया; जब मैं छोटा बच्चा ही था, तूने मुझे भरोसा करना सिखाया।
10 A Ti fui entregado desde la matriz, Desde el vientre de mi madre Tú eres mi ʼEL.
मैं पैदाइश ही से तुझ पर छोड़ा गया, मेरी माँ के पेट ही से तू मेरा ख़ुदा है।
11 No te alejes de Mí, porque la angustia está cerca, Porque no hay quien ayude.
मुझ से दूर न रह क्यूँकि मुसीबत क़रीब है, इसलिए कि कोई मददगार नहीं।
12 Me rodearon muchos toros. Fuertes toros de Basán me rodearon.
बहुत से साँडों ने मुझे घेर लिया है, बसन के ताक़तवर साँड मुझे घेरे हुए हैं।
13 Abren su boca contra mí Como león voraz y rugiente.
वह फाड़ने और गरजने वाले बबर की तरह मुझ पर अपना मूंह पसारे हुए हैं।
14 Soy derramado como aguas Y todos mis huesos se descoyuntan. Mi corazón se volvió como cera. Se derritió entre mis órganos.
मैं पानी की तरह बह गया मेरी सब हड्डियाँ उखड़ गईं। मेरा दिल मोम की तरह हो गया, वह मेरे सीने में पिघल गया।
15 Mi vigor está seco como tiesto Y mi lengua se pega a mis mandíbulas. ¡Me pones en el polvo de la muerte!
मेरी ताक़त ठीकरे की तरह ख़ुश्क हो गई, और मेरी ज़बान मेरे तालू से चिपक गई; और तूने मुझे मौत की ख़ाक में मिला दिया।
16 Perros me rodearon. Me cercó cuadrilla de perversos. Horadaron mis manos y mis pies.
क्यूँकि कुत्तो ने मुझे घेर लिया है; बदकारो की गिरोह मुझे घेरे हुए है; वह हाथ और मेरे पाँव छेदते हैं।
17 Puedo contar todos mis huesos. Ellos me miran y me observan.
मैं अपनी सब हड्डियाँ गिन सकता हूँ; वह मुझे ताकते और घूरते हैं।
18 Reparten entre sí mis ropas, Y sobre mi túnica echan suertes.
वह मेरे कपड़े आपस में बाँटते हैं, और मेरी पोशाक पर पर्ची डालते हैं।
19 Pero Tú, oh Yavé, ¡no te alejes! Fortaleza mía, ¡Apresúrate a socorrerme!
लेकिन तू ऐ ख़ुदावन्द, दूर न रह! ऐ मेरे चारासाज़, मेरी मदद के लिए जल्दी कर!
20 ¡Libra de la espada el alma mía, Del poder del perro mi vida!
मेरी जान को तलवार से बचा, मेरी जान को कुत्ते के क़ाबू से।
21 ¡Sálvame de la boca del león Y de los cuernos de los toros salvajes! ¡Me has respondido!
मुझे बबर के मुँह से बचा, बल्कि तूने साँडों के सींगों में से मुझे छुड़ाया है।
22 Anunciaré tu Nombre a mis hermanos. En medio de la congregación te alabaré.
मैं अपने भाइयों से तेरे नाम का इज़हार करूँगा; जमा'अत में तेरी सिताइश करूँगा।
23 Los que temen a Yavé, alábenlo. Glorifíquenlo, toda la descendencia de Jacob, Y témanle, toda la descendencia de Israel,
ऐ ख़ुदावन्द से डरने वालों, उसकी सिताइश करो! ऐ या'क़ूब की औलाद, सब उसकी तम्जीद करो! और ऐ इस्राईल की नसल, सब उसका डर मानो!
24 Porque no menospreció ni aborreció el dolor del afligido, Ni de él ocultó su rostro, Sino cuando clamó a Él, Lo escuchó.
क्यूँकि उसने न तो मुसीबत ज़दा की मुसीबत को हक़ीर जाना न उससे नफ़रत की, न उससे अपना मुँह छिपाया; बल्कि जब उसने ख़ुदा से फ़रियाद की तो उसने सुन ली।
25 De Ti viene mi alabanza en la gran congregación. Cumpliré mis votos delante de los que te temen.
बड़े मजमे' में मेरी सना ख़्वानी का जरिया' तू ही है; मैं उस से डरने वालों के सामने अपनी नज़्रे अदा करूँगा।
26 ¡Los pobres comerán y serán saciados! ¡Alabarán a Yavé los que lo buscan! ¡Que su corazón viva para siempre!
हलीम खाएँगे और सेर होंगे; ख़ुदावन्द के तालिब उसकी सिताइश करेंगे। तुम्हारा दिल हमेशा तक ज़िन्दा रहे।
27 Se acordarán y volverán a Yavé de todos los confines de la tierra, Y todas las familias de las naciones se postrarán delante de Ti.
सारी दुनिया ख़ुदावन्द को याद करेगी और उसकी तरफ़ रूजू' लाएगी; और क़ौमों के सब घराने तेरे सामने सिज्दा करेंगे।
28 Porque de Yavé es el reino, Y Él gobierna las naciones.
क्यूँकि सल्तनत ख़ुदावन्द की है, वही क़ौमों पर हाकिम है।
29 Comerán y se postrarán Todos los poderosos de la tierra, Los que bajan al polvo se postrarán ante Él, Los que no pueden conservar viva su alma.
दुनिया के सब आसूदा हाल लोग खाएँगे और सिज्दा करेंगे; वह सब जो ख़ाक में मिल जाते हैं उसके सामने झुकेंगे, बल्कि वह भी जो अपनी जान को ज़िन्दा नहीं रख सकता।
30 Una futura generación le servirá. Esto se dirá de ʼAdonay hasta la próxima generación.
एक नसल उसकी बन्दगी करेगी; दूसरी नसल को ख़ुदावन्द की ख़बर दी जाएगी।
31 Acudirán y declararán su justicia, Anunciarán a pueblo que nacerá que Él hizo esto.
वह आएँगे और उसकी सदाक़त को एक क़ौम पर जो पैदा होगी यह कहकर ज़ाहिर करेंगे कि उसने यह काम किया है।