< Salmos 13 >
1 ¿Hasta cuándo, oh Yavé? ¿Me olvidarás para siempre? ¿Hasta cuándo esconderás tu rostro de mí?
ऐ ख़ुदावन्द, कब तक? क्या तू हमेशा मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना चेहरा मुझ से छिपाए रख्खेगा?
2 ¿Hasta cuándo pensaré profundamente Con tristeza en mi corazón cada día? ¿Hasta cuándo mi enemigo será enaltecido sobre mí?
कब तक मैं जी ही जी में मन्सूबा बाँधता रहूँ, और सारे दिन अपने दिल में ग़म किया करू? कब तक मेरा दुश्मन मुझ पर सर बुलन्द रहेगा?
3 ¡Considera, oh Yavé, ʼElohim mío, y respóndeme! Ilumina mis ojos, no sea que duerma el sueño de la muerte,
ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, मेरी तरफ़ तवज्जुह कर और मुझे जवाब दे। मेरी आँखे रोशन कर, ऐसा न हो कि मुझे मौत की नींद आ जाए
4 No sea que mi enemigo diga: ¡Lo vencí! Mis adversarios gozan cuando soy sacudido.
ऐसा न हो कि मेरा दुश्मन कहे, कि मैं इस पर ग़ालिब आ गया। ऐसा न हो कि जब मैं जुम्बिश खाऊँ तो मेरे मुखालिफ़ ख़ुश हों।
5 Confío en tu misericordia, Y mi corazón se gozará en tu salvación.
लेकिन मैंने तो तेरी रहमत पर भरोसा किया है; मेरा दिल तेरी नजात से खु़श होगा।
6 Cantaré a Yavé Porque me llenó de bienes.
मैं ख़ुदावन्द का हम्द गाऊँगा क्यूँकि उसने मुझ पर एहसान किया है।