< Números 14 >
1 Entonces toda la congregación gritó y lloró aquella noche.
तब सारा समुदाय ऊंची आवाज में रोने लगा. उस रात वे सभी रोते रहे.
2 Toda la congregación de los hijos de Israel se quejó contra Moisés y Aarón y les dijeron: ¡Ojalá hubiéramos muerto en la tierra de Egipto! ¡Ojalá muriéramos en este desierto!
हर एक इस्राएली मोशेह तथा अहरोन के विरुद्ध बड़बड़ा रहा था. एक स्वर में उन्होंने मोशेह तथा अहरोन से कहा, “अच्छा होता हमारी मृत्यु मिस्र देश में ही हो गई होती, यदि वहां नहीं तो इस निर्जन प्रदेश में!
3 ¿Por qué Yavé nos trae a esta tierra para caer a espada? ¿Para que nuestras mujeres y nuestros pequeños sirvan de presa? ¿No nos sería mejor volvernos a Egipto?
याहवेह हमें क्यों इस देश में ले जाने पर उतारू हैं, क्या तलवार से मरवाने के लिए? हमारी पत्नियां एवं हमारे बच्चे वहां उनकी लूट सामग्री होकर रह जाएंगे. क्या भला न होगा कि हम मिस्र देश ही लौट जाएं?”
4 Se decían el uno al otro: ¡Escojamos un líder y regresemos a Egipto!
उन्होंने आपस में यह विचार-विमर्श किया, “चलो, हम अपने लिए एक प्रधान को नियुक्त करें और लौट जाएं, मिस्र देश को.”
5 Entonces Moisés y Aarón cayeron sobre sus rostros delante de toda la asamblea de la congregación de los hijos de Israel.
यह सुन मोशेह एवं अहरोन सारी इस्राएली मण्डली के सामने मुंह के बल गिर पड़े.
6 Josué, hijo de Nun, y Caleb, hijo de Jefone, que eran de los que exploraron la tierra, rasgaron sus ropas
नून के पुत्र यहोशू तथा येफुन्नेह के पुत्र कालेब ने, जो इस देश में भेद लेने के लिए गए थे, अपने वस्त्र फाड़ दिए.
7 y hablaron a toda la asamblea de los hijos de Israel: La tierra por donde pasamos para explorarla es tierra muy buena.
सारे इस्राएल के घराने को संबोधित कर उन्होंने कहा, “वह देश, जिसकी सारी भूमि का हमने भेद लिया है, बहुत ही उपजाऊ भूमि है.
8 Si Yavé se agrada de nosotros, Él nos introducirá en esa tierra y nos entregará la tierra que fluye leche y miel.
यदि याहवेह की हम पर कृपादृष्टि बनी रहती है, तो वह हमें इस देश में ले जाएंगे तथा यह हमें दे देंगे; ऐसा देश जिसमें दूध एवं मधु का भण्ड़ार है.
9 Pero no se rebelen contra Yavé ni teman a la gente de esa tierra, porque serán como nuestro pan. Su defensa se apartó de ellos, y Yavé está con nosotros. ¡No les teman!
बस याहवेह के प्रति विद्रोह न करो. उस देश के निवासियों से भयभीत न हो जाओ, क्योंकि उन्हें तो हमारा शिकार होना ही है. उन पर से उनकी सुरक्षा हटाई जा चुकी है, तथा याहवेह हमारे साथ हैं. मत डरो उनसे.”
10 Pero toda la congregación hablaba de apedrearlos. Entonces la gloria de Yavé apareció en el Tabernáculo de Reunión ante todos los hijos de Israel,
किंतु सारी मण्डली उन पर पथराव करने पर उतारू हो गई. तब मिलनवाले तंबू पर सारे इस्राएल के घराने पर याहवेह की ज्योति प्रकाशमान हुई.
11 y Yavé dijo a Moisés: ¿Hasta cuándo me despreciará este pueblo? ¿Hasta cuándo no me creerá a pesar de todos los prodigios que hice en medio de ellos?
याहवेह ने मोशेह से प्रश्न किया, “और कब तक ये लोग मेरा तिरस्कार करते रहेंगे? कब तक वे मुझमें विश्वास न करेंगे, जबकि मैं उनके बीच में ये सारे चिन्ह दिखा चुका हूं?
12 Lo heriré con mortandad y lo destruiré. Haré de ti una nación más grande y más fuerte que ellos.
मैं उन पर महामारी डालकर उनको बाहर निकाल दूंगा. इसके बाद मैं तुमसे एक ऐसे राष्ट्र को उत्पन्न करूंगा, जो इनसे अधिक संख्या में और बलवान होगा.”
13 Pero Moisés respondió a Yavé: Lo oirán los egipcios, pues de en medio de ellos sacaste a este pueblo con tu poder.
किंतु मोशेह ने निवेदन करते हुए याहवेह से कहा, “तब तो मिस्रवासी इस विषय में सुन ही लेंगे, क्योंकि आपने अपने भुजबल के द्वारा इन लोगों को उनके बीच में से निकाला है.
14 Y lo dirán a los habitantes de esta tierra, los cuales oyeron que Tú, oh Yavé, estás en medio de este pueblo, que Tú, oh Yavé, te dejas ver cara a cara, que tu nube está sobre ellos, y que Tú vas delante ellos en columna de nube durante el día y en columna de fuego por la noche.
वे इसका वर्णन यहां के निवासियों से करेंगे. उन्हें यह मालूम है कि आप याहवेह, हम लोगों के बीच में ही हैं. याहवेह, जब आपका बादल उन पर छाया करता था, यह उनके द्वारा आमने-सामने देखा जा चुका है, तथा यह भी कि आप दिन के समय बादल का खंभा तथा रात में आग का खंभा बनकर इनके आगे-आगे चल रहे हैं.
15 Si haces morir a este pueblo como un solo hombre, las naciones que oyeron tu fama dirán:
यदि आप इस राष्ट्र को इस रीति से खत्म कर देंगे, मानो यह जनता एक ही व्यक्ति है, तब जिन राष्ट्रों ने आपकी कीर्ति के विषय में सुन रखा है, यही कहेंगे,
16 Porque no pudo Yavé introducir a este pueblo en la tierra que les prometió con juramento, los mató en el desierto.
‘यह इसलिये हुआ है कि याहवेह इस राष्ट्र को अपनी शपथ के साथ की गई प्रतिज्ञा के अनुसार उस देश में ले जाने में सफल नहीं रह पाए हैं, इसलिये उन्होंने इस राष्ट्र को निर्जन प्रदेश में ही मार डाला.’
17 Ahora pues, te ruego que sea magnificado el poder de mi ʼAdón, como dijiste:
“किंतु अब, मेरे प्रभु, आपसे मेरी यह विनती है, आपकी सामर्थ्य की महिमा आपके कहने के अनुसार हो:
18 Yavé, lento para la ira y grande en misericordia, Que sobrelleva la iniquidad y la transgresión, Pero de ningún modo tiene como inocente al culpable, Que visita la iniquidad de los padres sobre los hijos, Sobre la tercera y la cuarta generación.
‘याहवेह क्रोध करने में धीरजवंत तथा अति करुणामय, वह अधर्म एवं अपराध के लिए क्षमा करनेवाले हैं, किंतु वह किसी भी स्थिति में दोषी को बिना दंड दिए नहीं छोड़ते. वह पूर्वजों के अधर्म का दंड उनके बेटों, पोतों और परपोतों तक को देते हैं.’
19 Perdona, te ruego, la iniquidad de este pueblo según la grandeza de tu misericordia, conforme has sobrellevado a este pueblo desde Egipto hasta aquí.
याहवेह, आपके कभी न बदलनेवाले प्रेम की बहुतायत के अनुसार, मेरी विनती है, अपनी प्रजा के अपराध को क्षमा कर दीजिए, ठीक जिस प्रकार आप मिस्र से निकालने से लेकर अब तक अपनी प्रजा को क्षमा करते रहे हैं.”
20 Y Yavé dijo: Lo perdono conforme a tu palabra.
फिर याहवेह ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हारी विनती के अनुसार मैं उन्हें क्षमा कर चुका हूं.
21 No obstante, tan cierto como Yo vivo, y la gloria de Yavé llena toda la tierra,
किंतु याद रहे, शपथ मेरे जीवन की, सारी धरती याहवेह की महिमा से भर जाएगी,
22 todos los hombres que vieron mi gloria y mis señales que hice en Egipto y en el desierto, y aun así me provocaron ya diez veces y no oyen mi voz,
उन सभी व्यक्तियों ने, जिन्होंने मेरी महिमा और मेरे द्वारा दिखाए गए चिन्हों को देख लिया है, जो मैंने मिस्र देश में तथा यहां निर्जन प्रदेश में दिखाए हैं, फिर भी दस अवसरों पर मेरे आदेशों की उपेक्षा की और मेरी परीक्षा की है,
23 no verán la tierra sobre la cual juré a sus antepasados. Todos los que me despreciaron, no la verán.
वे किसी भी रीति से उस देश को देख न पाएंगे, जिसकी शपथ मैंने उनके पूर्वजों से की थी, वैसे ही वे भी इस देश को न देख पाएंगे, जिन्होंने मेरा इनकार किया है.
24 Pero a mi esclavo Caleb, por cuanto hubo otro espíritu en él y fue íntegro conmigo, lo introduciré en la tierra a donde entró, y su descendencia tomará posesión de ella.
किंतु मेरे सेवक कालेब में, एक अलग आत्मा है और जिसने पूरी-पूरी रीति से मेरा अनुसरण किया है, उसे ही मैं उस देश में ले जाऊंगा, जिसका वह भेद ले चुका है, उसके वंशज उस देश पर अधिकार कर लेंगे.
25 Ahora bien, el amalecita y el cananeo viven en los valles. Regresa mañana y muévete al desierto por el camino del mar Rojo.
इस समय उन घाटियों में अमालेकियों तथा कनानियों का निवास है. कल तुम लाल सागर के मार्ग से निर्जन प्रदेश की ओर कूच करना.”
26 Yavé habló a Moisés y a Aarón:
याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को संबोधित किया:
27 ¿Hasta cuándo soportaré a esta perversa congregación que murmura contra Mí? Oí las quejas que los hijos de Israel levantan contra Mí.
“बताओ, मैं कब तक इस कुटिल सभा के प्रति सहानुभूति दिखाता रहूं, जो मेरे विरुद्ध बड़बड़ा रहे हैं? इस्राएल के घराने के अपशब्द मेरे कानों तक पहुंच चुके हैं, वे अपशब्द, जो वे मेरे विरुद्ध कह रहे हैं.
28 Diles: Vivo Yo, dice Yavé, que como hablaron a mis oídos, así haré Yo con ustedes.
तुम उनसे यह कहो, ‘मेरे जीवन की शपथ,’ यह याहवेह का वचन है, ‘ठीक जैसा जैसा तुमने मेरे सुनने में बातें की हैं,’ निश्चित ही तुम्हारे लिए मैं ठीक वैसा ही कर दूंगा.
29 Los cuerpos de todos los empadronados de 20 años para arriba que murmuraron contra Mí, caerán en este desierto.
तुम्हारे शव इस निर्जन प्रदेश में धराशाई पड़े रहेंगे; उन सब की जिनकी गिनती की जा चुकी है. बीस वर्ष से ऊपर की आयु के सभी व्यक्ति, जिन्होंने मेरे विरुद्ध आवाज उठाकर बड़बड़ की है.
30 No entrarán en la tierra por la cual levanté mi mano para jurar que los haría vivir en ella, excepto Caleb, hijo de Jefone y Josué, hijo de Nun.
निश्चित ही तुम सब उस देश में प्रवेश नहीं करोगे, जिसमें तुम्हें बसा देने की शपथ मैंने तुमसे की थी; सिर्फ येफुन्नेह के पुत्र कालेब तथा नून के पुत्र यहोशू के अलावा.
31 Pero sus pequeños, de los cuales dijeron: ¡Serán presa! Yo los introduciré, y conocerán la tierra que ustedes despreciaron.
हां, तुम्हारी संतान, जिनके विषय में तुमने कहा था कि वे उनके भोजन हो जाएंगे, उन्हें मैं उस देश में ले जाऊंगा. वे ही उस देश पर अधिकार करेंगे, जिसे तुमने ठुकरा दिया है.
32 En cuanto a ustedes, sus cadáveres quedarán tendidos en este desierto,
किंतु तुम्हारे लिए तो यही तय हो चुका है तुम्हारे शव इस निर्जन प्रदेश में पड़े रहेंगे.
33 y sus hijos deambularán en el desierto 40 años. Ellos llevarán sus fornicaciones, hasta que sus cadáveres sean deshechos en el desierto.
तुम्हारे वंशज चालीस वर्ष इस निर्जन प्रदेश में चरवाहे होंगे तथा वे तुम्हारे द्वारा किए गए इस विश्वासघात के लिए कष्ट भोगेंगे और तुम्हारे शव निर्जन प्रदेश में पड़े पाए जाएंगे.
34 Por el número de los 40 días en los cuales exploraron la tierra, llevarán sus iniquidades 40 años, un año por cada día. Así entenderán mi disgusto.
यह उसी अनुपात में होगा, जितने दिन तुमने उस देश का भेद लिया था; चालीस दिन-भेद लेने के, एक दिन के लिए इस निर्जन प्रदेश में एक वर्ष, कुल चालीस वर्ष. तब तुम अपने पाप के कारण कष्ट भोगोगे और मुझसे विरोध का परिणाम समझ जाओगे.
35 Yo, Yavé, hablé. ¿No haré esto a toda esta congregación perversa que se confabuló contra Mí? En este desierto se consumirán. Allí morirán.
मैं, याहवेह ने, यह घोषणा कर दी है, मैं इस पूरी बुरी सभा के साथ निश्चित ही यह करूंगा, जो मेरे विरुद्ध एकजुट हो गए हैं. इसी निर्जन प्रदेश में नष्ट हो जाएंगे; यहीं उनकी मृत्यु हो जाएगी.”
36 Los hombres que Moisés envió a explorar la tierra y que, al volver, hicieron murmurar a toda la congregación contra Él, al difamar aquella tierra,
वैसे उन लोगों की नियति, जिन्हें मोशेह ने उस देश का भेद लेने के उद्देश्य से भेजा था और जिन्होंने लौटने पर उस देश का उलटा चित्रण किया था, जिन्होंने सारी सभा को बड़बड़ाने के लिए उभार दिया था,
37 aquellos hombres que difamaron perversamente la tierra, murieron a causa de una pestilencia.
ये वे ही थे, जिन्होंने उस देश का अत्यंत भयानक चित्र प्रस्तुत किया था, याहवेह ही के सामने महामारी से उनकी मृत्यु हो गई.
38 Solo Josué, hijo de Nun y Caleb, hijo de Jefone, quedaron con vida de entre aquellos hombres que fueron a explorar la tierra.
किंतु नून के पुत्र यहोशू तथा येफुन्नेह के पुत्र कालेब ही उनमें से जीवित रहे, जो उस देश का भेद लेने के लिए गए हुए थे.
39 Moisés dijo esas palabras a todos los hijos de Israel, y el pueblo se afligió muchísimo.
जब मोशेह ने सभी इस्राएलियों के सामने यह बातें दोहराई, वे घोर विलाप करने लगे.
40 Se levantaron temprano por la mañana, subieron a la cumbre de la montaña y dijeron: Aquí estamos. Subiremos al lugar que dijo Yavé, porque pecamos.
फिर भी, वे बड़े तड़के उठे और इस विचार से, “निश्चयतः हमने पाप किया है. अब हम यहां तक पहुंच चुके हैं, हम याहवेह के प्रतिज्ञा किए हुए देश को चले जाएंगे!”
41 Pero Moisés dijo: ¿Por qué pretenden traspasar la Palabra de Yavé? Esto no prosperará.
किंतु मोशेह ने आपत्ति की, “तुम लोग याहवेह के आदेश का उल्लंघन करने पर उतारू क्यों हो? यह कार्य हो ही नहीं सकता!
42 No suban, porque Yavé no está en medio de ustedes, para que no sean derrotados delante de sus enemigos.
मत जाओ वहां, नहीं तो तुम शत्रुओं द्वारा हरा दिए जाओगे, क्योंकि अब तुम पर याहवेह का आश्रय नहीं रहा,
43 Porque el amalecita y el cananeo los esperan allí contra ustedes. Caerán a espada, por cuanto se negaron a seguir a Yavé. Yavé no estará con ustedes.
वहां तुम स्वयं को अमालेकियों एवं कनानियों के सामने पाओगे और तुम तलवार से मार दिए जाओगे, क्योंकि तुमने याहवेह का अनुसरण करने को तुच्छ जाना है. यहां याहवेह तुम्हारे साथ न रहेंगे.”
44 Sin embargo, se empecinaron en subir a la cumbre de la montaña, aunque ni el Arca del Pacto de Yavé ni Moisés se movieron de en medio del campamento.
किंतु वे मोशेह की चेतावनी को न मानते हुए उस पर्वतीय क्षेत्र के टीले पर चढ़ गए. न तो मोशेह ने छावनी छोड़ी थी और न ही वाचा के संदूक को छावनी के बाहर लाया गया था.
45 Entonces los amalecitas y los cananeos que habitaban en aquella montaña descendieron y los derrotaron. Los persiguieron hasta Horma.
तब उस पर्वतीय क्षेत्र के निवासी अमालेकी तथा कनानी उन पर टूट पड़े और होरमाह नामक स्थान तक उनका पीछा करते हुए उनको मारते चले गए.