< Miqueas 2 >

1 ¡Ay de los que planean maldades y traman iniquidad en sus camas! ¡Cuando llega la mañana las ejecutan con el poder que tienen en su mano!
हाय उन पर, जो बिछौनों पर पड़े हुए बुराइयों की कल्पना करते और दुष्ट कर्म की इच्छा करते हैं, और बलवन्त होने के कारण भोर को दिन निकलते ही वे उसको पूरा करते हैं।
2 Codician campos y los roban. Codician casas y se las llevan. Roban al hombre, su familia y su heredad.
वे खेतों का लालच करके उन्हें छीन लेते हैं, और घरों का लालच करके उन्हें भी ले लेते हैं; और उसके घराने समेत पुरुष पर, और उसके निज भाग समेत किसी पुरुष पर अंधेर और अत्याचार करते हैं।
3 Por tanto, Yavé dice: Ahora ciertamente Yo traigo una calamidad contra esta familia de la cual ustedes no podrán apartar sus cuellos, ni andar con arrogancia. Porque será un tiempo de calamidad.
इस कारण, यहोवा यह कहता है, मैं इस कुल पर ऐसी विपत्ति डालने पर हूँ, जिसके नीचे से तुम अपनी गर्दन हटा न सकोगे; न अपने सिर ऊँचे किए हुए चल सकोगे; क्योंकि वह विपत्ति का समय होगा।
4 Aquel día se levantará una mofa contra ustedes, un amargo lamento y dirán: ¡Somos completamente destruidos! Él cambió la heredad de mi pueblo. ¡Cómo me la quitó! A los infieles distribuyó mis campos.
उस समय यह अत्यन्त शोक का गीत दृष्टान्त की रीति पर गाया जाएगा: “हमारा तो सर्वनाश हो गया; वह मेरे लोगों के भाग को बिगाड़ता है; हाय, वह उसे मुझसे कितनी दूर कर देता है! वह हमारे खेत बलवा करनेवाले को दे देता है।”
5 Por tanto, ya no habrá en la congregación de Yavé quien eche la cuerda para medir una posesión.
इस कारण तेरा ऐसा कोई न होगा, जो यहोवा की मण्डली में चिट्ठी डालकर नापने की डोरी डाले।
6 Dicen a los que profetizan: ¡No profeticen! Así la afrenta no nos alcanzará.
बकवासी कहा करते हैं, “बकवास न करो। इन बातों के लिये न कहा करो!” ऐसे लोगों में से अपमान न मिटेगा।
7 Se dice, oh casa de Jacob: ¿El Espíritu de Yavé está impaciente? ¿Son éstas sus obras? ¿Mis palabras no hacen bien al que anda rectamente?
हे याकूब के घराने, क्या यह कहा जाए कि यहोवा का आत्मा अधीर हो गया है? क्या ये काम उसी के किए हुए हैं? क्या मेरे वचनों से उसका भला नहीं होता जो सिधाई से चलता है?
8 Recientemente mi pueblo se alzó como un enemigo. Hoy despojan del manto y la ropa al que transita confiado, a los que regresaron de la guerra.
परन्तु कल की बात है कि मेरी प्रजा शत्रु बनकर मेरे विरुद्ध उठी है; तुम शान्त और भोले-भाले राहियों के तन पर से वस्त्र छीन लेते हो जो लड़ाई का विचार न करके निधड़क चले जाते हैं।
9 Echan a las mujeres de mi pueblo fuera del calor de sus hogares y despojan de mi gloria a sus hijos para siempre.
मेरी प्रजा की स्त्रियों को तुम उनके सुखधामों से निकाल देते हो; और उनके नन्हें बच्चों से तुम मेरी दी हुई उत्तम वस्तुएँ सर्वदा के लिये छीन लेते हो।
10 Levántense y caminen, porque éste no es lugar de reposo, pues está contaminado a causa de la impureza que trae una penosa destrucción.
१०उठो, चले जाओ! क्योंकि यह तुम्हारा विश्रामस्थान नहीं है; इसका कारण वह अशुद्धता है जो कठिन दुःख के साथ तुम्हारा नाश करेगी।
11 Si viene un hombre con espíritu de falsedad, miente y dice: Profetizo que tendrán vino y mosto fermentado de manzana, ¡Ése será el profeta de este pueblo!
११यदि कोई झूठी आत्मा में चलता हुआ झूठी और व्यर्थ बातें कहे और कहे कि मैं तुम्हें नित्य दाखमधु और मदिरा के लिये प्रचार सुनाता रहूँगा, तो वही इन लोगों का भविष्यद्वक्ता ठहरेगा।
12 ¡Ciertamente reuniré a todos, oh Jacob! Ciertamente congregaré al remanente de Israel. Los reuniré como ovejas en el redil, como un rebaño en medio del pastizal. Harán mucho ruido por causa de la multitud de gente.
१२हे याकूब, मैं निश्चय तुम सभी को इकट्ठा करूँगा; मैं इस्राएल के बचे हुओं को निश्चय इकट्ठा करूँगा; और बोस्रा की भेड़-बकरियों के समान एक संग रखूँगा। उस झुण्ड के समान जो अच्छी चराई में हो, वे मनुष्यों की बहुतायत के मारे कोलाहल मचाएँगे।
13 El que abre caminos va delante de ellos, irrumpen, pasan por la puerta y salen. Su rey va delante de ellos, y a la cabeza está Yavé.
१३उनके आगे-आगे बाड़े का तोड़नेवाला गया है, इसलिए वे भी उसे तोड़ रहे हैं, और फाटक से होकर निकले जा रहे हैं; उनका राजा उनके आगे-आगे गया अर्थात् यहोवा उनका सरदार और अगुआ है।

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