< Malaquías 3 >
1 Ciertamente, Yo envío mi mensajero, el cual preparará el camino delante de Mí. Y vendrá súbitamente a su Casa el ʼAdón a Quien ustedes buscan, el Ángel del Pacto, a Quien ustedes desean. Ciertamente viene, dice Yavé de las huestes.
१“देखो, मैं अपने दूत को भेजता हूँ, और वह मार्ग को मेरे आगे सुधारेगा, और प्रभु, जिसे तुम ढूँढ़ते हो, वह अचानक अपने मन्दिर में आ जाएगा; हाँ वाचा का वह दूत, जिसे तुम चाहते हो, सुनो, वह आता है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।”
2 ¿Y quién soportará el día de su venida? ¿Y quién permanecerá cuando Él se manifieste? Porque Él es fuego de fundidor y lejía de lavadores.
२परन्तु उसके आने के दिन को कौन सह सकेगा? और जब वह दिखाई दे, तब कौन खड़ा रह सकेगा? क्योंकि वह सुनार की आग और धोबी के साबुन के समान है।
3 Se sentará para refinar y purificar la plata, porque purificará a los hijos de Leví. Los acrisolará como el oro y la plata, y presentarán a Yavé sacrificios de justicia.
३वह रूपे का तानेवाला और शुद्ध करनेवाला बनेगा, और लेवियों को शुद्ध करेगा और उनको सोने रूपे के समान निर्मल करेगा, तब वे यहोवा की भेंट धार्मिकता से चढ़ाएँगे।
4 Entonces la ofrenda de Judá y de Jerusalén será grata a Yavé, como en los días de antaño y como en los años antiguos.
४तब यहूदा और यरूशलेम की भेंट यहोवा को ऐसी भाएगी, जैसी पहले दिनों में और प्राचीनकाल में भाती थी।
5 Vendré a ustedes para juzgar. Seré testigo inmediato contra los hechiceros, los adúlteros, los que juran en falso, los que defraudan el salario del jornalero, de la viuda y del huérfano, y los que hacen tropezar al extranjero sin temor a Mí, dice Yavé de las huestes.
५“तब मैं न्याय करने को तुम्हारे निकट आऊँगा; और टोन्हों, और व्यभिचारियों, और झूठी शपथ खानेवालों के विरुद्ध, और जो मजदूर की मजदूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अंधेर करते, और परदेशी का न्याय बिगाड़ते, और मेरा भय नहीं मानते, उन सभी के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूँगा,” सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।
6 Porque Yo, Yavé, no cambio. Por eso ustedes, oh hijos de Jacob, no fueron consumidos.
६“क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं; इसी कारण, हे याकूब की सन्तान तुम नाश नहीं हुए।
7 Desde los días de sus antepasados se apartaron de mis Estatutos y no los guardaron. Regresen a Mí, y Yo me volveré a ustedes, dice Yavé de las huestes. Pero ustedes dicen: ¿De qué nos volvemos?
७अपने पुरखाओं के दिनों से तुम लोग मेरी विधियों से हटते आए हो, और उनका पालन नहीं करते। तुम मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर फिरूँगा,” सेनाओं के यहोवा का यही वचन है; परन्तु तुम पूछते हो, ‘हम किस बात में फिरें?’
8 ¿Robará el hombre a ʼElohim? ¡Pues ustedes me roban! Y dicen: ¿En qué te robamos? ¡En los diezmos y en las ofrendas!
८क्या मनुष्य परमेश्वर को धोखा दे सकता है? देखो, तुम मुझ को धोखा देते हो, और तो भी पूछते हो ‘हमने किस बात में तुझे लूटा है?’ दशमांश और उठाने की भेंटों में।
9 ¡Son malditos con maldición, porque ustedes, toda la nación, me roban!
९तुम पर भारी श्राप पड़ा है, क्योंकि तुम मुझे लूटते हो; वरन् सारी जाति ऐसा करती है।
10 Traigan todos los diezmos al tesoro para que haya alimento en mi Casa. Y pruébenme ahora en esto, dice Yavé de las huestes, si no les abro las ventanas del cielo y derramo sobre ustedes bendición hasta que sobreabunde.
१०सारे दशमांश भण्डार में ले आओ कि मेरे भवन में भोजनवस्तु रहे; और सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि ऐसा करके मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूँ कि नहीं।
11 Reprenderé también al devorador, y no les destruirá el fruto de la tierra, ni será estéril la vid en el campo, dice Yavé de las huestes.
११मैं तुम्हारे लिये नाश करनेवाले को ऐसा घुड़कूँगा कि वह तुम्हारी भूमि की उपज नाश न करेगा, और तुम्हारी दाखलताओं के फल कच्चे न गिरेंगे, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।
12 Todas las naciones les dirán bienaventurados, porque serán una tierra deleitosa, dice Yavé de las huestes.
१२तब सारी जातियाँ तुम को धन्य कहेंगी, क्योंकि तुम्हारा देश मनोहर देश होगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।
13 Sus palabras fueron duras contra Mí, dice Yavé. Pero ustedes dicen: ¿Qué hablamos contra Ti?
१३“यहोवा यह कहता है, तुम ने मेरे विरुद्ध ढिठाई की बातें कही हैं। परन्तु तुम पूछते हो, ‘हमने तेरे विरुद्ध में क्या कहा है?’
14 Dijeron: Por demás es servir a ʼElohim. ¿Qué provecho tiene el guardar su Precepto, y que andemos afligidos delante de Yavé de las huestes?
१४तुम ने कहा है ‘परमेश्वर की सेवा करना व्यर्थ है। हमने जो उसके बताए हुए कामों को पूरा किया और सेनाओं के यहोवा के डर के मारे शोक का पहरावा पहने हुए चले हैं, इससे क्या लाभ हुआ?
15 Así que ahora nosotros llamamos bendecidos a los altivos, y decimos que los hacedores de perversidad prosperan, y que los que provocan a ʼElohim escapan.
१५अब से हम अभिमानी लोगों को धन्य कहते हैं; क्योंकि दुराचारी तो सफल बन गए हैं, वरन् वे परमेश्वर की परीक्षा करने पर भी बच गए हैं।’”
16 Entonces los que temían a Yavé hablaron el uno al otro, y Yavé prestó atención y escuchó. Y fue escrito un rollo de memoria delante de Él, a favor de los que temen a Yavé y honran su Nombre.
१६तब यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके सामने एक पुस्तक लिखी जाती थी।
17 En el día que Yo preparo, dice Yavé de las huestes, serán para Mí un especial tesoro. Los perdonaré como un hombre perdona a su hijo que le sirve.
१७सेनाओं का यहोवा यह कहता है, “जो दिन मैंने ठहराया है, उस दिन वे लोग मेरे वरन् मेरे निज भाग ठहरेंगे, और मैं उनसे ऐसी कोमलता करूँगा जैसी कोई अपने सेवा करनेवाले पुत्र से करे।
18 Entonces se convertirán. Distinguirán entre el justo y el perverso, y entre el que sirve a ʼElohim y el que no le sirve.
१८तब तुम फिरकर धर्मी और दुष्ट का भेद, अर्थात् जो परमेश्वर की सेवा करता है, और जो उसकी सेवा नहीं करता, उन दोनों का भेद पहचान सकोगे।