< Levítico 26 >

1 No harán para ustedes ídolos, ni esculturas, ni levantarán estatua. Ni pondrán en su tierra piedras pintadas para postrarse ante ellas, porque Yo soy Yavé su ʼElohim.
“तुम अपने लिये मूरतें न बनाना, और न कोई खुदी हुई मूर्ति या स्तम्भ अपने लिये खड़ा करना, और न अपने देश में दण्डवत् करने के लिये नक्काशीदार पत्थर स्थापित करना; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
2 Guardarán mis sábados y tendrán temor reverente a mi Santuario. Yo, Yavé.
तुम मेरे विश्रामदिनों का पालन करना और मेरे पवित्रस्थान का भय मानना; मैं यहोवा हूँ।
3 Si andan en mis Estatutos y guardan mis Mandamientos para practicarlos,
“यदि तुम मेरी विधियों पर चलो और मेरी आज्ञाओं को मानकर उनका पालन करो,
4 entonces Yo daré sus lluvias en su época, la tierra producirá su cosecha y el árbol del campo dará su fruto.
तो मैं तुम्हारे लिये समय-समय पर मेंह बरसाऊँगा, तथा भूमि अपनी उपज उपजाएगी, और मैदान के वृक्ष अपने-अपने फल दिया करेंगे;
5 La trilla alcanzará hasta la cosecha y la cosecha alcanzará hasta la siembra. Comerán su pan hasta saciarse y vivirán con seguridad en su tierra.
यहाँ तक कि तुम दाख तोड़ने के समय भी दाँवनी करते रहोगे, और बोने के समय भी भर पेट दाख तोड़ते रहोगे, और तुम मनमानी रोटी खाया करोगे, और अपने देश में निश्चिन्त बसे रहोगे।
6 Porque Yo estableceré la paz en su tierra y se acostarán sin que nadie los espante. Haré también desaparecer de su tierra las bestias feroces. La espada no pasará por su país.
और मैं तुम्हारे देश में सुख चैन दूँगा, और तुम सोओगे और तुम्हारा कोई डरानेवाला न होगा; और मैं उस देश में खतरनाक जन्तुओं को न रहने दूँगा, और तलवार तुम्हारे देश में न चलेगी।
7 Perseguirán a sus enemigos, los cuales caerán a espada delante de ustedes.
और तुम अपने शत्रुओं को मार भगा दोगे, और वे तुम्हारी तलवार से मारे जाएँगे।
8 Entonces, cinco de ustedes pondrán en fuga a 100, y 100 de ustedes perseguirán a 10.000, y sus enemigos caerán a filo de espada delante de ustedes.
तुम में से पाँच मनुष्य सौ को और सौ मनुष्य दस हजार को खदेड़ेंगे; और तुम्हारे शत्रु तलवार से तुम्हारे आगे-आगे मारे जाएँगे;
9 Volveré mi rostro hacia ustedes. Serán fecundos y se multiplicarán. Confirmaré mi Pacto con ustedes.
और मैं तुम्हारी ओर कृपादृष्टि रखूँगा और तुम को फलवन्त करूँगा और बढ़ाऊँगा, और तुम्हारे संग अपनी वाचा को पूर्ण करूँगा।
10 Comerán de la provisión añeja, y sacarán lo añejo para guardar lo nuevo.
१०और तुम रखे हुए पुराने अनाज को खाओगे, और नये के रहते भी पुराने को निकालोगे।
11 Pondré mi Tabernáculo entre ustedes, y mi alma no los repugnará.
११और मैं तुम्हारे बीच अपना निवास-स्थान बनाए रखूँगा, और मेरा जी तुम से घृणा नहीं करेगा।
12 Andaré en medio de ustedes. Seré para ustedes ʼElohim, y ustedes serán mi pueblo.
१२और मैं तुम्हारे मध्य चला फिरा करूँगा, और तुम्हारा परमेश्वर बना रहूँगा, और तुम मेरी प्रजा बने रहोगे।
13 Yo, Yavé su ʼElohim, Quien los sacó de la tierra de Egipto para que no fueran sus esclavos. Yo rompí las correas de su yugo y los hice andar erguidos.
१३मैं तो तुम्हारा वह परमेश्वर यहोवा हूँ, जो तुम को मिस्र देश से इसलिए निकाल ले आया कि तुम मिस्रियों के दास न बने रहो; और मैंने तुम्हारे जूए को तोड़ डाला है, और तुम को सीधा खड़ा करके चलाया है।
14 Pero si no quieren escucharme, ni practicar todos estos Mandamientos,
१४“यदि तुम मेरी न सुनोगे, और इन सब आज्ञाओं को न मानोगे,
15 rechazan mis Estatutos, y su alma detesta mis Ordenanzas para no practicar todos mis Mandamientos e invalidar mi Pacto,
१५और मेरी विधियों को निकम्मा जानोगे, और तुम्हारी आत्मा मेरे निर्णयों से घृणा करे, और तुम मेरी सब आज्ञाओं का पालन न करोगे, वरन् मेरी वाचा को तोड़ोगे,
16 Yo también haré esto con ustedes: Enviaré sobre ustedes terror súbito, extenuación y fiebre que consuman los ojos y atormenten el alma. En vano sembrarán su semilla, porque sus enemigos la comerán.
१६तो मैं तुम से यह करूँगा; अर्थात् मैं तुम को बेचैन करूँगा, और क्षयरोग और ज्वर से पीड़ित करूँगा, और इनके कारण तुम्हारी आँखें धुंधली हो जाएँगी, और तुम्हारा मन अति उदास होगा। और तुम्हारा बीज बोना व्यर्थ होगा, क्योंकि तुम्हारे शत्रु उसकी उपज खा लेंगे;
17 Pondré mi rostro contra ustedes y serán derrotados delante de sus enemigos. Los que los aborrecen se enseñorearán de ustedes, y huirán sin que alguno los persiga.
१७और मैं भी तुम्हारे विरुद्ध हो जाऊँगा, और तुम अपने शत्रुओं से हार जाओगे; और तुम्हारे बैरी तुम्हारे ऊपर अधिकार करेंगे, और जब कोई तुम को खदेड़ता भी न होगा तब भी तुम भागोगे।
18 Si aun con estas cosas no me obedecen, Yo volveré a castigarlos siete veces más por sus pecados.
१८और यदि तुम इन बातों के उपरान्त भी मेरी न सुनो, तो मैं तुम्हारे पापों के कारण तुम्हें सातगुना ताड़ना और दूँगा,
19 Quebrantaré la soberbia de su poderío, y haré que su cielo sea como hierro y su tierra como bronce.
१९और मैं तुम्हारे बल का घमण्ड तोड़ डालूँगा, और तुम्हारे लिये आकाश को मानो लोहे का और भूमि को मानो पीतल की बना दूँगा;
20 Su fuerza se consumirá en vano, su tierra no dará su producto y los árboles de la tierra no darán su fruto.
२०और तुम्हारा बल अकारथ गँवाया जाएगा, क्योंकि तुम्हारी भूमि अपनी उपज न उपजाएगी, और मैदान के वृक्ष अपने फल न देंगे।
21 Si andan en oposición contra Mí y no me quieren obedecer, entonces aumentaré sobre ustedes las plagas siete veces, conforme a sus pecados.
२१“यदि तुम मेरे विरुद्ध चलते ही रहो, और मेरा कहना न मानो, तो मैं तुम्हारे पापों के अनुसार तुम्हारे ऊपर और सात गुणा संकट डालूँगा।
22 Enviaré contra ustedes las fieras del campo que arrebatarán a sus hijos, destruirán su ganado, y los reducirán en número de tal modo que sus caminos queden desolados.
२२और मैं तुम्हारे बीच वन पशु भेजूँगा, जो तुम को निर्वंश करेंगे, और तुम्हारे घरेलू पशुओं को नाश कर डालेंगे, और तुम्हारी गिनती घटाएँगे, जिससे तुम्हारी सड़कें सूनी पड़ जाएँगी।
23 Si con estas cosas no se enmiendan ante Mí, sino continúan su camino en oposición contra Mí,
२३“फिर यदि तुम इन बातों पर भी मेरी ताड़ना से न सुधरो, और मेरे विरुद्ध चलते ही रहो,
24 entonces Yo también procederé en oposición contra ustedes y los golpearé siete veces más por sus pecados.
२४तो मैं भी तुम्हारे विरुद्ध चलूँगा, और तुम्हारे पापों के कारण मैं आप ही तुम को सात गुणा मारूँगा।
25 Traeré sobre ustedes la espada vengadora en vindicación del Pacto. Cuando se refugien en sus ciudades, enviaré pestilencia entre ustedes. Serán entregados en mano del enemigo.
२५और मैं तुम पर एक ऐसी तलवार चलवाऊँगा, जो वाचा तोड़ने का पूरा-पूरा पलटा लेगी; और जब तुम अपने नगरों में जा जाकर इकट्ठे होंगे तब मैं तुम्हारे बीच मरी फैलाऊँगा, और तुम अपने शत्रुओं के वश में सौंप दिए जाओगे।
26 Cuando Yo les corte el suministro de pan, diez mujeres hornearán su pan en un solo horno. Les darán el pan tan racionado que comerán, pero no se saciarán.
२६जब मैं तुम्हारे लिये अन्न के आधार को दूर कर डालूँगा, तब दस स्त्रियाँ तुम्हारी रोटी एक ही तंदूर में पकाकर तौल-तौलकर बाँट देंगी; और तुम खाकर भी तृप्त न होंगे।
27 Si aun con esto no me obedecen, sino continúan con hostilidad hacia Mí,
२७“फिर यदि तुम इसके उपरान्त भी मेरी न सुनोगे, और मेरे विरुद्ध चलते ही रहोगे,
28 Yo procederé contra ustedes con ira hostil y los castigaré aún siete veces por sus pecados.
२८तो मैं अपने न्याय में तुम्हारे विरुद्ध चलूँगा, और तुम्हारे पापों के कारण तुम को सातगुना ताड़ना और भी दूँगा।
29 Comerán la carne de sus hijos y de sus hijas.
२९और तुम को अपने बेटों और बेटियों का माँस खाना पड़ेगा।
30 Demoleré sus lugares altos, derribaré sus altares donde ofrecen incienso, amontonaré sus cadáveres sobre los cadáveres inertes de sus ídolos, y mi alma los repugnará.
३०और मैं तुम्हारे पूजा के ऊँचे स्थानों को ढा दूँगा, और तुम्हारे सूर्य की प्रतिमाएँ तोड़ डालूँगा, और तुम्हारी लोथों को तुम्हारी तोड़ी हुई मूरतों पर फेंक दूँगा; और मेरी आत्मा को तुम से घृणा हो जाएगी।
31 Convertiré sus ciudades en ruinas. Destruiré sus santuarios. No aceptaré el aroma aplacador de sus sacrificios.
३१और मैं तुम्हारे नगरों को उजाड़ दूँगा, और तुम्हारे पवित्रस्थानों को उजाड़ दूँगा, और तुम्हारा सुखदायक सुगन्ध ग्रहण न करूँगा।
32 También asolaré la tierra de modo que queden asombrados sus enemigos que moren en ella.
३२और मैं तुम्हारे देश को सूना कर दूँगा, और तुम्हारे शत्रु जो उसमें रहते हैं वे इन बातों के कारण चकित होंगे।
33 A ustedes los esparciré entre las naciones, y desenvainaré la espada tras ustedes. Su tierra será devastada y sus ciudades desoladas.
३३और मैं तुम को जाति-जाति के बीच तितर-बितर करूँगा, और तुम्हारे पीछे-पीछे तलवार खींचे रहूँगा; और तुम्हारा देश सुना हो जाएगा, और तुम्हारे नगर उजाड़ हो जाएँगे।
34 Entonces la tierra gozará sus sábados todos los días que esté asolada, mientras ustedes estén en la tierra de sus enemigos. Entonces la tierra descansará y gozará sus sábados.
३४“तब जितने दिन वह देश सूना पड़ा रहेगा और तुम अपने शत्रुओं के देश में रहोगे उतने दिन वह अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा। तब ही वह देश विश्राम पाएगा, अर्थात् अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा।
35 Descansará todo el tiempo que esté desolada, lo que no descansó en sus sábados cuando ustedes estaban en ella.
३५जितने दिन वह सूना पड़ा रहेगा उतने दिन उसको विश्राम रहेगा, अर्थात् जो विश्राम उसको तुम्हारे वहाँ बसे रहने के समय तुम्हारे विश्रामकालों में न मिला होगा वह उसको तब मिलेगा।
36 En cuanto a los que queden de ustedes, infundiré tal cobardía en sus corazones en las tierras de sus enemigos que el sonido de una hoja que se mueva los ahuyentará. Huirán como se huye de la espada y caerán sin que los persiga alguno.
३६और तुम में से जो बचा रहेंगे और अपने शत्रुओं के देश में होंगे उनके हृदय में मैं कायरता उपजाऊँगा; और वे पत्ते के खड़कने से भी भाग जाएँगे, और वे ऐसे भागेंगे जैसे कोई तलवार से भागे, और किसी के बिना पीछा किए भी वे गिर पड़ेंगे।
37 Tropezarán los unos con los otros como si huyeran de la espada, sin que nadie los persiga. No podrán presentar resistencia delante de sus enemigos.
३७जब कोई पीछा करनेवाला न हो तब भी मानो तलवार के भय से वे एक दूसरे से ठोकर खाकर गिरते जाएँगे, और तुम को अपने शत्रुओं के सामने ठहरने की कुछ शक्ति न होगी।
38 Perecerán entre las naciones, y la tierra de sus enemigos los consumirá.
३८तब तुम जाति-जाति के बीच पहुँचकर नाश हो जाओगे, और तुम्हारे शत्रुओं की भूमि तुम को खा जाएगी।
39 Los que queden de ustedes desfallecerán en las tierras de sus enemigos. Por su iniquidad y por la iniquidad de sus antepasados se pudrirán juntamente con ellos.
३९और तुम में से जो बचे रहेंगे वे अपने शत्रुओं के देशों में अपने अधर्म के कारण गल जाएँगे; और अपने पुरखाओं के अधर्म के कामों के कारण भी वे उन्हीं के समान गल जाएँगे।
40 Pero si ellos confiesan sus iniquidades, las iniquidades de sus antepasados, su infidelidad que cometieron contra Mí, y también confiesan que anduvieron en oposición contra Mí,
४०“पर यदि वे अपने और अपने पितरों के अधर्म को मान लेंगे, अर्थात् उस विश्वासघात को जो उन्होंने मेरे विरुद्ध किया, और यह भी मान लेंगे, कि हम यहोवा के विरुद्ध चले थे,
41 Yo también tuve que andar en oposición contra ellos, y los metí en la tierra de sus enemigos. Si entonces se doblega su corazón incircunciso y reconocen su iniquidad,
४१इसी कारण वह हमारे विरुद्ध होकर हमें शत्रुओं के देश में ले आया है। यदि उस समय उनका खतनारहित हृदय दब जाएगा और वे उस समय अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेंगे;
42 entonces Yo me acordaré de mi Pacto con Jacob, Isaac y Abraham, y me acordaré de la tierra.
४२तब जो वाचा मैंने याकूब के संग बाँधी थी उसको मैं स्मरण करूँगा, और जो वाचा मैंने इसहाक से और जो वाचा मैंने अब्राहम से बाँधी थी उनको भी स्मरण करूँगा, और इस देश को भी मैं स्मरण करूँगा।
43 Pero la tierra habrá quedado abandonada por ellos, y habrá gozado sus sábados mientras estaba en desolación a causa de ellos, y ellos habrán aceptado el castigo de sus iniquidades, por rechazar mis Ordenanzas y su alma aborrecer mis Estatutos.
४३पर वह देश उनसे रहित होकर सूना पड़ा रहेगा, और उनके बिना सूना रहकर भी अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा; और वे लोग अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेंगे, इसी कारण से कि उन्होंने मेरी आज्ञाओं का उल्लंघन किया था, और उनकी आत्माओं को मेरी विधियों से घृणा थी।
44 Pero, aunque ellos estén en tierra de sus enemigos, ni aun por todo esto los desecharé ni los repugnaré para destruirlos e invalidar mi Pacto con ellos, porque Yo, Yavé, soy su ʼElohim.
४४इतने पर भी जब वे अपने शत्रुओं के देश में होंगे, तब मैं उनको इस प्रकार नहीं छोड़ूँगा, और न उनसे ऐसी घृणा करूँगा कि उनका सर्वनाश कर डालूँ और अपनी उस वाचा को तोड़ दूँ जो मैंने उनसे बाँधी है; क्योंकि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ;
45 Más bien a favor de ellos recordaré el Pacto con sus antepasados, a quienes saqué de la tierra de Egipto a la vista de las naciones, para que Yo sea su ʼElohim. Yo, Yavé.
४५परन्तु मैं उनकी भलाई के लिये उनके पितरों से बाँधी हुई वाचा को स्मरण करूँगा, जिन्हें मैं अन्यजातियों की आँखों के सामने मिस्र देश से निकालकर लाया कि मैं उनका परमेश्वर ठहरूँ; मैं यहोवा हूँ।”
46 Estos son los Estatutos, Ordenanzas y Leyes que Yavé estableció entre Él y los hijos de Israel por medio de Moisés en la Montaña Sinaí.
४६जो-जो विधियाँ और नियम और व्यवस्था यहोवा ने अपनी ओर से इस्राएलियों के लिये सीनै पर्वत पर मूसा के द्वारा ठहराई थीं वे ये ही हैं।

< Levítico 26 >