< Levítico 24 >

1 Yavé habló a Moisés:
फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 Ordena a los hijos de Israel que te traigan aceite puro de olivas machacadas para el alumbrado a fin de que arda la lámpara continuamente.
“इस्राएलियों को यह आज्ञा दे कि मेरे पास उजियाला देने के लिये कूट के निकाला हुआ जैतून का निर्मल तेल ले आना, कि दीपक नित्य जलता रहे।
3 Aarón la dispondrá en el Tabernáculo de Reunión, al exterior del velo del Testimonio, para que esté de continuo delante de Yavé, desde cuando llega la noche hasta la mañana. Es estatuto perpetuo para sus generaciones.
हारून उसको, मिलापवाले तम्बू में, साक्षीपत्र के बीचवाले पर्दे से बाहर, यहोवा के सामने नित्य साँझ से भोर तक सजा कर रखे; यह तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी के लिये सदा की विधि ठहरे।
4 Mantendrá las lámparas delante de Yavé continuamente sobre el candelabro de oro puro.
वह दीपकों को सोने की दीवट पर यहोवा के सामने नित्य सजाया करे।
5 Tomarás flor de harina y hornearás con ella 12 tortas. Cada torta será de 4,4 litros.
“तू मैदा लेकर बारह रोटियाँ पकवाना, प्रत्येक रोटी में एपा का दो दसवाँ अंश मैदा हो।
6 Las pondrás sobre la mesa de oro puro en dos hileras, seis en cada hilera, en la Presencia de Yavé.
तब उनकी दो पंक्तियाँ करके, एक-एक पंक्ति में छः छः रोटियाँ, स्वच्छ मेज पर यहोवा के सामने रखना।
7 Junto a cada hilera pondrás incienso puro, para que sea el pan como un memorial, una ofrenda quemada a Yavé.
और एक-एक पंक्ति पर शुद्ध लोबान रखना कि वह रोटी स्मरण दिलानेवाली वस्तु और यहोवा के लिये हव्य हो।
8 Cada sábado lo dispondrá continuamente delante de Yavé, de parte de los hijos de Israel como Pacto perpetuo.
प्रति विश्रामदिन को वह उसे नित्य यहोवा के सम्मुख क्रम से रखा करे, यह सदा की वाचा की रीति इस्राएलियों की ओर से हुआ करे।
9 Las ofrendas quemadas de Yavé serán para Aarón y sus hijos, los cuales las comerán en un lugar sagrado, porque es cosa santísima para él. Este es un estatuto perpetuo.
और वह हारून और उसके पुत्रों की होंगी, और वे उसको किसी पवित्रस्थान में खाएँ, क्योंकि वह यहोवा के हव्यों में से सदा की विधि के अनुसार हारून के लिये परमपवित्र वस्तु ठहरी है।”
10 Surgió entre los israelitas un hijo de una mujer israelita cuyo padre era egipcio, y el hijo de la israelita peleó en el campamento con un varón de Israel.
१०उन दिनों में किसी इस्राएली स्त्री का बेटा, जिसका पिता मिस्री पुरुष था, इस्राएलियों के बीच चला गया; और वह इस्राएली स्त्री का बेटा और एक इस्राएली पुरुष छावनी के बीच आपस में मारपीट करने लगे,
11 El hijo de la mujer israelita blasfemó el Nombre y maldijo, y fue llevado a Moisés. El nombre de su madre era Selomit, hija de Dibrí, de la tribu de Dan.
११और वह इस्राएली स्त्री का बेटा यहोवा के नाम की निन्दा करके श्राप देने लगा। यह सुनकर लोग उसको मूसा के पास ले गए। उसकी माता का नाम शलोमीत था, जो दान के गोत्र के दिब्री की बेटी थी।
12 Lo pusieron bajo custodia hasta que les fuera declarado el mandato de Yavé.
१२उन्होंने उसको हवालात में बन्द किया, जिससे यहोवा की आज्ञा से इस बात पर विचार किया जाए।
13 Yavé habló a Moisés:
१३तब यहोवा ने मूसा से कहा,
14 Haz salir al profano fuera del campamento, y todos los que lo oyeron impongan sus manos sobre la cabeza de éste y apedréelo toda la congregación.
१४“तुम लोग उस श्राप देनेवाले को छावनी से बाहर ले जाओ; और जितनों ने वह निन्दा सुनी हो वे सब अपने-अपने हाथ उसके सिर पर रखें, तब सारी मण्डली के लोग उस पर पथराव करें।
15 Hablarás a los hijos de Israel: Cualquier hombre que maldiga a su ʼElohim, llevará su pecado,
१५और तू इस्राएलियों से कह कि कोई क्यों न हो, जो अपने परमेश्वर को श्राप दे उसे अपने पाप का भार उठाना पड़ेगा।
16 y el que blasfeme el Nombre de Yavé morirá sin compasión. Sin falta toda la congregación lo apedreará. Sea extranjero o nativo, si blasfema el Nombre morirá.
१६यहोवा के नाम की निन्दा करनेवाला निश्चय मार डाला जाए; सारी मण्डली के लोग निश्चय उस पर पथराव करें; चाहे देशी हो चाहे परदेशी, यदि कोई यहोवा के नाम की निन्दा करें तो वह मार डाला जाए।
17 El hombre que hiera de muerte a otro hombre morirá sin compasión.
१७“फिर जो कोई किसी मनुष्य को जान से मारे वह निश्चय मार डाला जाए।
18 El que mate algún animal lo restituirá, animal por animal.
१८और जो कोई किसी घरेलू पशु को जान से मारे वह उसका बदला दे, अर्थात् प्राणी के बदले प्राणी दे।
19 El que cause lesión a su prójimo, según hizo, así se le hará:
१९“फिर यदि कोई किसी दूसरे को चोट पहुँचाए, तो जैसा उसने किया हो वैसा ही उसके साथ भी किया जाए,
20 fractura por fractura, ojo por ojo, diente por diente. Según la lesión que cause a otro, así se le hará.
२०अर्थात् अंग-भंग करने के बदले अंग-भंग किया जाए, आँख के बदले आँख, दाँत के बदले दाँत, जैसी चोट जिसने किसी को पहुँचाई हो वैसी ही उसको भी पहुँचाई जाए।
21 De manera que el que mate un animal, lo pagará, pero el que mate a un hombre morirá.
२१पशु का मार डालनेवाला उसका बदला दे, परन्तु मनुष्य का मार डालनेवाला मार डाला जाए।
22 Una misma ley habrá para ustedes, tanto para el extranjero como para el nativo, porque Yo soy Yavé su ʼElohim.
२२तुम्हारा नियम एक ही हो, जैसा देशी के लिये वैसा ही परदेशी के लिये भी हो; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”
23 Entonces Moisés habló a los hijos de Israel, y ellos sacaron al blasfemo fuera del campamento y lo apedrearon. Los hijos de Israel hicieron según lo que Yavé ordenó a Moisés.
२३अतः मूसा ने इस्राएलियों को यह समझाया; तब उन्होंने उस श्राप देनेवाले को छावनी से बाहर ले जाकर उस पर पथराव किया। और इस्राएलियों ने वैसा ही किया जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।

< Levítico 24 >