< Job 5 >

1 ¡Clama ahora! ¿Habrá quién te responda? ¿A cuál de los santos acudirás?
“पुकारकर देख; क्या कोई है जो तुझे उत्तर देगा? और पवित्रों में से तू किसकी ओर फिरेगा?
2 Porque la ira mata al necio, y la envidia mata al simple.
क्योंकि मूर्ख तो खेद करते-करते नाश हो जाता है, और निर्बुद्धि जलते-जलते मर मिटता है।
3 Vi al necio que echaba raíces, y al instante maldije su vivienda.
मैंने मूर्ख को जड़ पकड़ते देखा है; परन्तु अचानक मैंने उसके वासस्थान को धिक्कारा।
4 Sus hijos están lejos de toda seguridad. Son aplastados en la puerta y no habrá quién los defienda.
उसके बच्चे सुरक्षा से दूर हैं, और वे फाटक में पीसे जाते हैं, और कोई नहीं है जो उन्हें छुड़ाए।
5 Su cosecha la devoran los hambrientos y aun la sacan de entre los espinos. Los sedientos sorben su hacienda.
उसके खेत की उपज भूखे लोग खा लेते हैं, वरन् कँटीली बाड़ में से भी निकाल लेते हैं; और प्यासा उनके धन के लिये फंदा लगाता है।
6 Porque la aflicción no sale del polvo, ni el sufrimiento brota de la tierra,
क्योंकि विपत्ति धूल से उत्पन्न नहीं होती, और न कष्ट भूमि में से उगता है;
7 sino el hombre nace para la aflicción, como las chispas salen hacia arriba.
परन्तु जैसे चिंगारियाँ ऊपर ही ऊपर को उड़ जाती हैं, वैसे ही मनुष्य कष्ट ही भोगने के लिये उत्पन्न हुआ है।
8 Ciertamente yo buscaría a ʼElohim y encomendaría a Él mi causa,
“परन्तु मैं तो परमेश्वर ही को खोजता रहूँगा और अपना मुकद्दमा परमेश्वर पर छोड़ दूँगा,
9 Quien hace cosas grandes e inescrutables, maravillas incontables.
वह तो ऐसे बड़े काम करता है जिनकी थाह नहीं लगती, और इतने आश्चर्यकर्म करता है, जो गिने नहीं जाते।
10 Él da la lluvia a la tierra y envía el agua sobre la superficie de los campos.
१०वही पृथ्वी के ऊपर वर्षा करता, और खेतों पर जल बरसाता है।
11 Él exalta a los humildes y levanta a los enlutados a la seguridad.
११इसी रीति वह नम्र लोगों को ऊँचे स्थान पर बैठाता है, और शोक का पहरावा पहने हुए लोग ऊँचे पर पहुँचकर बचते हैं।
12 Frustra los pensamientos de los astutos para que nada hagan sus manos y
१२वह तो धूर्त लोगों की कल्पनाएँ व्यर्थ कर देता है, और उनके हाथों से कुछ भी बन नहीं पड़ता।
13 atrapa a los sabios en su astucia. Frustra los designios del perverso.
१३वह बुद्धिमानों को उनकी धूर्तता ही में फँसाता है; और कुटिल लोगों की युक्ति दूर की जाती है।
14 Tropiezan de día con la oscuridad y a mediodía andan a tientas como de noche.
१४उन पर दिन को अंधेरा छा जाता है, और दिन दुपहरी में वे रात के समान टटोलते फिरते हैं।
15 Así libra al pobre de la espada, de la boca de los poderosos y de su mano.
१५परन्तु वह दरिद्रों को उनके वचनरुपी तलवार से और बलवानों के हाथ से बचाता है।
16 El necesitado conserva la esperanza. La perversidad cierra su boca.
१६इसलिए कंगालों को आशा होती है, और कुटिल मनुष्यों का मुँह बन्द हो जाता है।
17 Dichoso el hombre a quien ʼElohim disciplina. No menosprecies la corrección de ʼEL-Shadday,
१७“देख, क्या ही धन्य वह मनुष्य, जिसको परमेश्वर ताड़ना देता है; इसलिए तू सर्वशक्तिमान की ताड़ना को तुच्छ मत जान।
18 porque Él hace la herida, pero también la venda. Hiere, pero sus manos sanan.
१८क्योंकि वही घायल करता, और वही पट्टी भी बाँधता है; वही मारता है, और वही अपने हाथों से चंगा भी करता है।
19 Te librará de seis tribulaciones, y aun en la séptima no te tocará el mal.
१९वह तुझे छः विपत्तियों से छुड़ाएगा; वरन् सात से भी तेरी कुछ हानि न होने पाएगी।
20 Durante la hambruna te librará de la muerte, y del poder de la espada en la guerra.
२०अकाल में वह तुझे मृत्यु से, और युद्ध में तलवार की धार से बचा लेगा।
21 Estarás escondido del azote de la lengua, y no temerás cuando venga la destrucción.
२१तू वचनरुपी कोड़े से बचा रहेगा और जब विनाश आए, तब भी तुझे भय न होगा।
22 Te reirás de la destrucción y de la hambruna y no temerás a las fieras del campo,
२२तू उजाड़ और अकाल के दिनों में हँसमुख रहेगा, और तुझे जंगली जन्तुओं से डर न लगेगा।
23 pues aun con las piedras del campo harás pacto, y las bestias del campo tendrán paz contigo.
२३वरन् मैदान के पत्थर भी तुझ से वाचा बाँधे रहेंगे, और वन पशु तुझ से मेल रखेंगे।
24 Sabrás que hay paz en tu tienda. Nada te faltará cuando revises tu morada.
२४और तुझे निश्चय होगा, कि तेरा डेरा कुशल से है, और जब तू अपने निवास में देखे तब कोई वस्तु खोई न होगी।
25 Verás también que tu descendencia es numerosa y tu prole como la hierba de la tierra.
२५तुझे यह भी निश्चित होगा, कि मेरे बहुत वंश होंगे, और मेरी सन्तान पृथ्वी की घास के तुल्य बहुत होंगी।
26 Irás a la tumba en la vejez, como la gavilla de trigo que se recoge a su tiempo.
२६जैसे पूलियों का ढेर समय पर खलिहान में रखा जाता है, वैसे ही तू पूरी अवस्था का होकर कब्र को पहुँचेगा।
27 Mira que esto lo investigamos, es así. Óyelo, y conócelo por ti mismo.
२७देख, हमने खोज खोजकर ऐसा ही पाया है; इसे तू सुन, और अपने लाभ के लिये ध्यान में रख।”

< Job 5 >