< Isaías 10 >
1 ¡Ay de los que dictan leyes injustas y los que registran decisiones inicuas,
१हाय उन पर जो दुष्टता से न्याय करते, और उन पर जो उत्पात करने की आज्ञा लिख देते हैं,
2 privan de justicia al débil y niegan el derecho a los pobres de mi pueblo, y tienen a las viudas como presas y despojan a los huérfanos!
२कि वे कंगालों का न्याय बिगाड़ें और मेरी प्रजा के दीन लोगों का हक मारें, कि वे विधवाओं को लूटें और अनाथों का माल अपना लें!
3 ¿Qué harán el día del castigo? ¿A quién huirán en busca de auxilio en la devastación que vendrá de lejos? ¿Dónde dejarán su riqueza?
३तुम दण्ड के दिन और उस विपत्ति के दिन जो दूर से आएगी क्या करोगे? तुम सहायता के लिये किसके पास भागकर जाओगे? तुम अपने वैभव को कहाँ रख छोड़ोगे?
4 Nada, sino agacharse entre los cautivos, o caer entre los asesinados. A pesar de todo esto, no se aplaca su furor. Su mano sigue extendida.
४वे केवल बन्दियों के पैरों के पास गिर पड़ेंगे और मरे हुओं के नीचे दबे पड़े रहेंगे। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।
5 ¡Ay de Asiria, vara de mi furor, en cuyas manos puse el cetro de mi ira!
५अश्शूर पर हाय, जो मेरे क्रोध का लठ और मेरे हाथ में का सोंटा है! वह मेरा क्रोध है।
6 La enviaré contra una nación profana. La comisionaré contra el pueblo de mi furor, para que capture el botín, tome el despojo, y lo pisotee como barro de las calles.
६मैं उसको एक भक्तिहीन जाति के विरुद्ध भेजूँगा, और जिन लोगों पर मेरा रोष भड़का है उनके विरुद्ध उसको आज्ञा दूँगा कि छीन-छान करे और लूट ले, और उनको सड़कों की कीच के समान लताड़े।
7 Pero no lo entenderá así, ni serán esos sus designios. Su propósito será destruir y exterminar muchas naciones.
७परन्तु उसकी ऐसी मनसा न होगी, न उसके मन में ऐसा विचार है, क्योंकि उसके मन में यही है कि मैं बहुत सी जातियों का नाश और अन्त कर डालूँ।
8 Porque dijo: ¿No son reyes todos mis ministros?
८क्योंकि वह कहता है, “क्या मेरे सब हाकिम राजा के तुल्य नहीं?
9 ¿No es Calno como Carquemis? ¿No es Hamat como Arfad? ¿No es Samaria como Damasco?
९क्या कलनो कर्कमीश के समान नहीं है? क्या हमात अर्पाद के और सामरिया दमिश्क के समान नहीं?
10 Así como mi mano alcanzó los reinos de los ʼelohim, aunque sus imágenes eran más que las de Jerusalén y de Samaria,
१०जिस प्रकार मेरा हाथ मूरतों से भरे हुए उन राज्यों पर पहुँचा जिनकी मूरतों यरूशलेम और सामरिया की मूरतों से बढ़कर थीं, और जिस प्रकार मैंने सामरिया और उसकी मूरतों से किया,
11 ¿no haré así a Jerusalén y a sus ʼelohim, como hice a Samaria y a sus ʼelohim?
११क्या उसी प्रकार मैं यरूशलेम से और उसकी मूरतों से भी न करूँ?”
12 Por tanto, acontecerá que cuando ʼAdonay acabe toda su obra en la Montaña Sion y en Jerusalén, castigará el fruto del corazón arrogante del rey de Asiria, y la arrogancia altiva de sus ojos.
१२इस कारण जब प्रभु सिय्योन पर्वत पर और यरूशलेम में अपना सब काम कर चुकेगा, तब मैं अश्शूर के राजा के गर्व की बातों का, और उसकी घमण्ड भरी आँखों का बदला दूँगा।
13 Porque dijo: Con la fuerza de mi mano hice esto, con mi talento, porque soy entendido. Así quité los territorios de los pueblos. Me apoderé de sus tesoros, y como valiente derribé a los que estaban entronizados.
१३उसने कहा है, “अपने ही बाहुबल और बुद्धि से मैंने यह काम किया है, क्योंकि मैं चतुर हूँ; मैंने देश-देश की सीमाओं को हटा दिया, और उनके रखे हुए धन को लूट लिया; मैंने वीर के समान गद्दी पर विराजनेहारों को उतार दिया है।
14 Como se recogen de un nido los huevos abandonados, mi mano tomó la riqueza de los pueblos. Así me apoderé yo de toda la tierra, y no hubo quien abriera su pico o gorjeara.
१४देश-देश के लोगों की धन-सम्पत्ति, चिड़ियों के घोंसलों के समान, मेरे हाथ आई है, और जैसे कोई छोड़े हुए अण्डों को बटोर ले वैसे ही मैंने सारी पृथ्वी को बटोर लिया है; और कोई पंख फड़फड़ाने या चोंच खोलने या चीं-चीं करनेवाला न था।”
15 ¿Se enaltecerá el hacha contra el que la empuña? ¿Se engrandecerá la sierra sobre el que la maneja? ¡Como si el cetro levantara al que lo levanta, o la vara levantara al que no es madera!
१५क्या कुल्हाड़ा उसके विरुद्ध जो उससे काटता हो डींग मारे, या आरी उसके विरुद्ध जो उसे खींचता हो बड़ाई करे? क्या सोंटा अपने चलानेवाले को चलाए या छड़ी उसे उठाए जो काठ नहीं है!
16 Por eso ʼAdonay Yavé de las huestes enviará una enfermedad exterminante entre sus robustos guerreros, y debajo de su gloria encenderá una hoguera de fuego ardiente.
१६इस कारण प्रभु अर्थात् सेनाओं का प्रभु उस राजा के हष्ट-पुष्ट योद्धाओं को दुबला कर देगा, और उसके ऐश्वर्य के नीचे आग की सी जलन होगी।
17 La luz de Israel se convertirá en fuego, su Santo en llama de fuego que arderá y consumirá sus zarzas y sus espinos en un solo día.
१७इस्राएल की ज्योति तो आग ठहरेगी, और इस्राएल का पवित्र ज्वाला ठहरेगा; और वह उसके झाड़ - झँखाड़ को एक ही दिन में भस्म करेगा।
18 Él consumirá totalmente alma y cuerpo, la gloria de su bosque y de su campo fértil. Será como cuando un enfermo languidece.
१८और जैसे रोगी के क्षीण हो जाने पर उसकी दशा होती है वैसी ही वह उसके वन और फलदाई बारी की शोभा पूरी रीति से नाश करेगा।
19 Los árboles que queden en el bosque serán tan pocos que hasta un niño los podrá contar.
१९उस वन के वृक्ष इतने थोड़े रह जाएँगे कि लड़का भी उनको गिनकर लिख लेगा।
20 Acontecerá en aquel día que el remanente de Israel y los de la casa de Jacob ya no se apoyarán en su agresor, sino verdaderamente se apoyarán en Yavé, el Santo de Israel.
२०उस समय इस्राएल के बचे हुए लोग और याकूब के घराने के भागे हुए, अपने मारनेवाले पर फिर कभी भरोसा न रखेंगे, परन्तु यहोवा जो इस्राएल का पवित्र है, उसी पर वे सच्चाई से भरोसा रखेंगे।
21 Un remanente volverá, el remanente de Jacob, al ʼEL poderoso.
२१याकूब में से बचे हुए लोग पराक्रमी परमेश्वर की ओर फिरेंगे।
22 Pues aunque tu pueblo, oh Israel, sea como la arena del mar, solo un remanente de ellos volverá. ¡La destrucción decretada rebosará de justicia!
२२क्योंकि हे इस्राएल, चाहे तेरे लोग समुद्र के रेतकणों के समान भी बहुत हों, तो भी निश्चय है कि उनमें से केवल बचे लोग ही लौटेंगे। सत्यानाश तो पूरे न्याय के साथ ठाना गया है।
23 ʼAdonay Yavé de las huestes ejecutará la completa destrucción decretada en medio de toda la tierra.
२३क्योंकि प्रभु सेनाओं के यहोवा ने सारे देश का सत्यानाश कर देना ठाना है।
24 Por tanto, ʼAdonay Yavé de las huestes dice: Pueblo mío que vive en Sion, no temas a Asiria. Te herirá con vara y alzará su cetro contra ti a la manera de Egipto.
२४इसलिए प्रभु सेनाओं का यहोवा यह कहता है, “हे सिय्योन में रहनेवाली मेरी प्रजा, अश्शूर से मत डर; चाहे वह सोंटें से तुझे मारे और मिस्र के समान तेरे ऊपर छड़ी उठाए।
25 Porque dentro de muy poco tiempo mi furor y mi enojo se aplicarán a la destrucción de ellos.
२५क्योंकि अब थोड़ी ही देर है कि मेरी जलन और क्रोध उनका सत्यानाश करके शान्त होगा
26 Yavé de las huestes levantará látigo contra ellos, como en la matanza de Madián junto a la peña de Horeb. Alzará su vara sobre el mar, como hizo en Egipto.
२६सेनाओं का यहोवा उसके विरुद्ध कोड़ा उठाकर उसको ऐसा मारेगा जैसा उसने ओरेब नामक चट्टान पर मिद्यानियों को मारा था; और जैसा उसने मिस्रियों के विरुद्ध समुद्र पर लाठी बढ़ाई, वैसा ही उसकी ओर भी बढ़ाएगा।
27 Acontecerá en aquel tiempo que su carga será quitada de tu hombro y su yugo de tu nuca. El yugo se pudrirá a causa de tu unción.
२७उस समय ऐसा होगा कि उसका बोझ तेरे कंधे पर से और उसका जूआ तेरी गर्दन पर से उठा लिया जाएगा, और अभिषेक के कारण वह जूआ तोड़ डाला जाएगा।”
28 Viene contra Ajat, pasa por Migrón, y en Micmas pasará revista a sus armas.
२८वह अय्यात में आया है, और मिग्रोन में से होकर आगे बढ़ गया है; मिकमाश में उसने अपना सामान रखा है।
29 Pasan el vado y dicen: Geba será nuestro alojamiento. Ramá está aterrada, Gabaa de Saúl huyó.
२९वे घाटी से पार हो गए, उन्होंने गेबा में रात काटी; रामाह थरथरा उठा है, शाऊल का गिबा भाग निकला है।
30 ¡Clama a gran voz, hija de Galim! ¡Escucha, Lais! ¡Pobrecita Anatot!
३०हे गल्लीम की बेटी चिल्ला! हे लैशा के लोगों कान लगाओ! हाय बेचारा अनातोत!
31 Madmena huyó, y los habitantes de Gebim buscan refugio.
३१मदमेना मारा-मारा फिरता है, गेबीम के निवासी भागने के लिये अपना-अपना सामान इकट्ठा कर रहे हैं।
32 Hoy mismo hace alto en Nob. Ya agita la mano contra la Montaña de la hija de Sion, la Montaña de Jerusalén.
३२आज ही के दिन वह नोब में टिकेगा; तब वह सिय्योन पहाड़ पर, और यरूशलेम की पहाड़ी पर हाथ उठाकर धमकाएगा।
33 ¡Miren! El ʼAdón Yavé de las huestes desgaja el ramaje con violencia. Los de gran altura son talados. Los más altos serán abatidos.
३३देखो, प्रभु सेनाओं का यहोवा पेड़ों को भयानक रूप से छाँट डालेगा; ऊँचे-ऊँचे वृक्ष काटे जाएँगे, और जो ऊँचे हैं वे नीचे किए जाएँगे।
34 Cortará con hierro la espesura del bosque. El Líbano caerá por causa del Poderoso.
३४वह घने वन को लोहे से काट डालेगा और लबानोन एक प्रतापी के हाथ से नाश किया जाएगा।