< Habacuc 1 >

1 La profecía que vio el profeta Habacuc. Diálogo de reclamo.
हबक़्क़ूक़क़ नबी के ख़्वाब की नबुव्वत के बारे में:
2 ¿Hasta cuándo, oh Yavé, clamaré y no escuchas? Grito a Ti: ¡Violencia! Pero no salvas.
ऐ ख़ुदावन्द, मैं कब तक फ़रियाद करूँगा, और तू न सुनेगा? मैं तेरे सामने कब तक चिल्लाऊँगा “ज़ुल्म”, “ज़ुल्म” और तू न बचाएगा?
3 ¿Por qué me muestras iniquidad y haces que mire la perversidad? Destrucción y violencia hay delante de mí, y surge lucha y contención.
तू क्यूँ मुझे बद किरदारी और टेढ़ी रविश दिखाता है? क्यूँकि ज़ुल्म और सितम मेरे सामने हैं फ़ितना — ओ — फ़साद खड़े होते रहते हैं।
4 Por eso la Ley no tiene poder y la justicia no prevalece. El perverso encierra al justo, de modo que la justicia resulta pervertida.
इसलिए शरी'अत कमज़ोर हो गई, और इन्साफ़ मुतलक़ जारी नहीं होता। क्यूँकि शरीर सादिक़ो को घेर लेते हैं; इसलिए इन्साफ़ का खू़न हो रहा है।
5 Miren las naciones y observen. Sean asombrados, porque Yo haré una obra en sus días que, aun cuando se la cuenten, no la creerían.
क़ौमों पर नज़र करो, और देखो; और हैरान हो; क्यूँकि मैं तुम्हारे दिनों में एक ऐसा काम करने को हूँ कि अगर कोई तुम से उसका बयान करे तो तुम हरगिज़ उम्मीद न करोगे।
6 Ciertamente levanto a los caldeos, pueblo cruel e impetuoso que marcha por la anchura de la tierra para poseer poblaciones ajenas.
क्यूँकि देखो, मैं कसदियों को चढ़ालाऊँगा: वह गु़स्सावर और कम'अक़्ल क़ौम हैं, जो चौड़ी ज़मीन से होकर गुज़रते हैं, ताकि उन बस्तियों पर जो उनकी नहीं हैं, क़ब्ज़ा कर लें।
7 Terribles y temibles, de ellos mismos procede su justicia y su dignidad.
वह डरावने और ख़ौफ़नाक हैं: वह खु़द ही अपनी 'अदालत और शान का मसदर हैं।
8 Sus caballos son más veloces que leopardos y más feroces que lobos nocturnos. Su caballería galopa y viene. Sus jinetes vienen de lejos. Vuelan como un águila cuando se precipita sobre la presa.
उनके घोड़े चीतों से भी तेज़ रफ़्तार, और शाम को निकलने वाले भेड़ियों से ज़्यादा खू़ँख़्वार हैं; और उनके सवार कूदते फाँदते आते हैं। हाँ, वह दूर से चले आते हैं, वह उक़ाब की तरह हैं, जो अपने शिकार पर झपटता है।
9 Todos ellos vienen a hacer violencia. Sus caras están vueltas con afán hacia adelante. Recogen cautivos como arena.
वह सब ग़ारतगरी को आते हैं, वह सीधे बढ़े चले आते हैं; और उनके गु़लाम रेत के ज़र्रों की तरह बेशुमार होते हैं।
10 Se burlan de los reyes, se mofan de sus jefes y se ríen de toda fortaleza. Levantan terraplén y la conquistan.
वह बादशाहों को ठठ्ठों में उड़ाते, और 'उमरा को मसख़रा बनाते हैं। वह क़िलों' को हक़ीर जानते हैं, क्यूँकि वह मिट्टी से दमदमें बाँधकर उनको फ़तह कर लेते हैं।
11 Luego ellos pasarán como huracán y ofenderán al atribuir su fuerza a su ʼeloha.
तब वह हवा के झोंके की तरह गुज़रते और ख़ता करके गुनहगार होते हैं, क्यूँकि उनका ज़ोर ही उनका ख़ुदा है।
12 ¡Oh Yavé, ʼElohim mío y Santo mío! No moriremos. Tú, Oh Yavé, los escogiste para juzgar, y Tú, oh Roca, los estableciste para corregir.
ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, ऐ मेरे कु़द्दूस, क्या तू अज़ल से नहीं है? हम नहीं मरेंगे। ऐ ख़ुदावन्द, तूने उनको 'अदालत के लिए ठहराया है, और ऐ चट्टान, तू ने उनको तादीब के लिए मुक़र्रर किया है।
13 Tus ojos son demasiado puros para aprobar el mal y no puedes contemplar la perversidad. ¿Por qué guardas silencio cuando el perverso destruye al que es más justo que él?
तेरी आँखें ऐसी पाक हैं कि तू गुनाह को देख नहीं सकता, और टेढ़ी रविश पर निगाह नहीं कर सकता। फिर तू दग़ाबाज़ों पर क्यूँ नज़र करता है, और जब शरीर अपने से ज़्यादा सादिक़ को निगल जाता है, तब तू क्यूँ ख़ामोश रहता है?
14 ¿Por qué tratas a los hombres como a los peces del mar, como reptiles que no tienen amo?
और बनी आदम को समन्दर की मछलियों, और कीड़े — मकौड़ों की तरह बनाता है जिन पर कोई हुकूमत करने वाला नहीं?
15 A todos ellos los sacan con anzuelo, los atrapan en su red y los juntan con su red barredera, por lo cual se alegran y se regocijan.
वह उन सब को शस्त से उठा लेते हैं, और अपने जाल में फँसाते हैं; और महाजाल में जमा' करते हैं, इसलिए वह शादमान और ख़ुश वक़्त हैं।
16 Por esto hacen sacrificio a su red y ofrendan a su red barredera, porque por ellas su porción es abundante y suculenta su comida.
इसीलिए वह अपने जाल के आगे क़ुर्बानी अदा करते हैं और अपने बड़े जाल के आगे ख़ुश्बू जलाते हैं, क्यूँकि इनके वसीले से उनका हिस्सा लज़ीज़, और उनकी ग़िज़ा चिकनी है।
17 ¿Por tanto, seguirá vaciando su red sin cesar? ¿Seguirá aniquilando a las naciones sin compasión?
इसलिए क्या वह अपने जाल को ख़ाली करने और क़ौमों को बराबर क़त्ल करने से बाज़ न आएँगे?

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