< Habacuc 2 >
1 Me pondré sobre mi torre de vigilante. Me plantaré en mi muro y observaré desde arriba para ver lo que Él me dice y qué responde a mi queja.
१मैं अपने पहरे पर खड़ा रहूँगा, और गुम्मट पर चढ़कर ठहरा रहूँगा, और ताकता रहूँगा कि मुझसे वह क्या कहेगा? मैं अपने दिए हुए उलाहने के विषय में क्या उत्तर दूँ?
2 Y Yavé me respondió: Escribe la visión y escúlpela en tablillas, para que cualquiera la pueda leer con rapidez.
२फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “दर्शन की बातें लिख दे; वरन् पटियाओं पर साफ-साफ लिख दे कि दौड़ते हुए भी वे सहज से पढ़ी जाएँ।
3 Porque aún es visión para el tiempo señalado. Ella se apresura hacia la meta y no fallará. Aunque demore, espérala, porque ciertamente vendrá y no tardará.
३क्योंकि इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन् इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इसमें धोखा न होगा। चाहे इसमें विलम्ब भी हो, तो भी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उसमें देर न होगी।
4 Mira, aquel cuya alma no es recta está envanecido, pero el justo vivirá por su fe.
४देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा।
5 Además, el vino traiciona al arrogante, de manera que no se queda en casa. Ensancha su apetito como el Seol, y es como la muerte que nunca está satisfecha. Además, reúne a todos los pueblos y apila a todas las naciones para él. (Sheol )
५दाखमधु से धोखा होता है; अहंकारी पुरुष घर में नहीं रहता, और उसकी लालसा अधोलोक के समान पूरी नहीं होती, और मृत्यु के समान उसका पेट नहीं भरता। वह सब जातियों को अपने पास खींच लेता, और सब देशों के लोगों को अपने पास इकट्ठे कर रखता है।” (Sheol )
6 ¿Todos ellos no levantarán refranes y sarcasmos contra él? Dirán: ¡Ay del que multiplica lo que no es suyo! ¿Hasta cuándo acumula prenda tras prenda?
६क्या वे सब उसका दृष्टान्त चलाकर, और उस पर ताना मारकर न कहेंगे “हाय उस पर जो पराया धन छीन छीनकर धनवान हो जाता है? कब तक? हाय उस पर जो अपना घर बन्धक की वस्तुओं से भर लेता है!”
7 ¿Sus acreedores no se levantarán de pronto? ¿No se despertarán los burladores, los que lo oprimen con violencia? Será objeto de su rapiña.
७जो तुझ से कर्ज लेते हैं, क्या वे लोग अचानक न उठेंगे? और क्या वे न जागेंगे जो तुझको संकट में डालेंगे?
8 Porque despojaste a muchas naciones, las demás naciones te despojarán, por causa de la sangre humana derramada y de la violencia hecha a la tierra, a la ciudad y a sus habitantes.
८और क्या तू उनसे लूटा न जाएगा? तूने बहुत सी जातियों को लूट लिया है, इसलिए सब बचे हुए लोग तुझे भी लूट लेंगे। इसका कारण मनुष्यों की हत्या है, और वह उपद्रव भी जो तूने इस देश और राजधानी और इसके सब रहनेवालों पर किया है।
9 ¡Ay del que obtiene ganancia injusta para su casa y pone en alto su nido para escapar de la calamidad!
९हाय उस पर, जो अपने घर के लिये अन्याय के लाभ का लोभी है ताकि वह अपना घोंसला ऊँचे स्थान में बनाकर विपत्ति से बचे।
10 Tomaste consejo vergonzoso para tu casa, aniquilaste a muchos pueblos y pecaste contra tu vida.
१०तूने बहुत सी जातियों को काटकर अपने घर के लिये लज्जा की युक्ति बाँधी, और अपने ही प्राण का दोषी ठहरा है।
11 Por eso la piedra clamará desde el muro, y la viga del enmaderado le responderá.
११क्योंकि घर की दीवार का पत्थर दुहाई देता है, और उसके छत की कड़ी उनके स्वर में स्वर मिलाकर उत्तर देती हैं।
12 ¡Ay del que edifica la ciudad con derramamiento de sangre, y del que funda una ciudad con iniquidad!
१२हाय उस पर जो हत्या करके नगर को बनाता, और कुटिलता करके शहर को दृढ़ करता है।
13 ¿No procede esto de Yavé de las huestes? Los pueblos trabajan para el fuego y las naciones se fatigan en vano.
१३देखो, क्या सेनाओं के यहोवा की ओर से यह नहीं होता कि देश-देश के लोग परिश्रम तो करते हैं परन्तु वे आग का कौर होते हैं; और राज्य-राज्य के लोगों का परिश्रम व्यर्थ ही ठहरता है?
14 Porque la tierra será llena del conocimiento de la gloria de Yavé como las aguas cubren el mar.
१४क्योंकि पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है।
15 ¡Ay del que da de beber a su prójimo, y le añade su veneno, y lo embriaga para recrearse en su desnudez!
१५हाय उस पर, जो अपने पड़ोसी को मदिरा पिलाता, और उसमें विष मिलाकर उसको मतवाला कर देता है कि उसको नंगा देखे।
16 Te llenaste de deshonra más que de honra. ¡Bebe tú también, y deja al descubierto tu prepucio! La copa de la mano derecha de Yavé se volverá contra ti, y lo fétido caerá sobre tu resplandor.
१६तू महिमा के बदले अपमान ही से भर गया है। तू भी पी, और अपने को खतनाहीन प्रगट कर! जो कटोरा यहोवा के दाहिने हाथ में रहता है, वह घूमकर तेरी ओर भी जाएगा, और तेरा वैभव तेरी छाँट से अशुद्ध हो जाएगा।
17 Porque te cubrirá la violencia hecha al Líbano, la matanza de las bestias aterrorizadas, la sangre humana derramada y la violencia hecha a la tierra, a la ciudad y a todos los que viven en ella.
१७क्योंकि लबानोन में तेरा किया हुआ उपद्रव और वहाँ के जंगली पशुओं पर तेरा किया हुआ उत्पात, जिनसे वे भयभीत हो गए थे, तुझी पर आ पड़ेंगे। यह मनुष्यों की हत्या और उस उपद्रव के कारण होगा, जो इस देश और राजधानी और इसके सब रहनेवालों पर किया गया है।
18 ¿De qué sirve la escultura que talla el artífice, si es una imagen, un maestro de mentiras? ¿De qué sirve al artífice confiar en su obra, cuando hace ídolos mudos?
१८खुदी हुई मूरत में क्या लाभ देखकर बनानेवाले ने उसे खोदा है? फिर झूठ सिखानेवाली और ढली हुई मूरत में क्या लाभ देखकर ढालनेवाले ने उस पर इतना भरोसा रखा है कि न बोलनेवाली और निकम्मी मूरत बनाए?
19 Ay del que dice al leño: ¡Despierta! Y a la piedra muda: ¡Levántate! ¿Podrá el ídolo enseñar? Ciertamente está recubierto de oro y plata, pero no hay espíritu en él.
१९हाय उस पर जो काठ से कहता है, जाग, या अबोल पत्थर से, उठ! क्या वह सिखाएगा? देखो, वह सोने चाँदी में मढ़ा हुआ है, परन्तु उसमें जीवन नहीं है।
20 Pero Yavé está en su santo Templo: ¡Calle delante de Él toda la tierra!
२०परन्तु यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में है; समस्त पृथ्वी उसके सामने शान्त रहे।