< Amós 6 >
1 ¡Ay de los que viven tranquilos en Sion, de los que confían en la montaña de Samaria y los notables y principales entre las naciones, a quienes la Casa de Israel acude!
१“हाय उन पर जो सिय्योन में सुख से रहते, और उन पर जो सामरिया के पर्वत पर निश्चिन्त रहते हैं, वे जो श्रेष्ठ जाति में प्रसिद्ध हैं, जिनके पास इस्राएल का घराना आता है!
2 Pasen a Calne y observen. Desde allí vayan a la gran Hamat, luego bajen a Gat de los filisteos. ¿Son ellos mejores que estos reinos? ¿O es su territorio mayor que el de ustedes?
२कलने नगर को जाकर देखो, और वहाँ से हमात नामक बड़े नगर को जाओ; फिर पलिश्तियों के गत नगर को जाओ। क्या वे इन राज्यों से उत्तम हैं? क्या उनका देश तुम्हारे देश से कुछ बड़ा है?
3 ¿Alejan el día de la calamidad y acercan la silla de la violencia?
३तुम बुरे दिन को दूर कर देते, और उपद्रव की गद्दी को निकट ले आते हो।
4 Duermen en camas de marfil, reposan sobre sus camas y comen los corderos del rebaño y los becerros del establo.
४“तुम हाथी दाँत के पलंगों पर लेटते, और अपने-अपने बिछौने पर पाँव फैलाए सोते हो, और भेड़-बकरियों में से मेम्ने और गौशालाओं में से बछड़े खाते हो।
5 Improvisan el sonido del arpa y componen salmos para ellos mismos como David.
५तुम सारंगी के साथ गीत गाते, और दाऊद के समान भाँति-भाँति के बाजे बुद्धि से निकालते हो;
6 Beben vino en grandes copas, se ungen con los mejores ungüentos y no se afligen por la ruina de José.
६और कटोरों में से दाखमधु पीते, और उत्तम-उत्तम तेल लगाते हो, परन्तु यूसुफ पर आनेवाली विपत्ति का हाल सुनकर शोकित नहीं होते।
7 Por tanto, ahora serán llevados a la cabeza de los cautivos, y cesará el banquete de los que se reclinan.
७इस कारण वे अब बँधुआई में पहले जाएँगे, और जो पाँव फैलाए सोते थे, उनकी विलासिता जाती रहेगी।”
8 ʼAdonay Yavé juró por sí mismo. Yavé ʼElohim de las huestes dijo: Repugno el orgullo de Jacob y aborrezco sus palacios. Entregaré la ciudad al enemigo y todo cuanto hay en ella.
८सेनाओं के परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, (परमेश्वर यहोवा ने अपनी ही शपथ खाकर कहा है): “जिस पर याकूब घमण्ड करता है, उससे मैं घृणा, और उसके राजभवनों से बैर रखता हूँ; और मैं इस नगर को उस सब समेत जो उसमें है, शत्रु के वश में कर दूँगा।”
9 Acontecerá que si quedan diez hombres en una casa, morirán.
९यदि किसी घर में दस पुरुष बचे रहें, तो भी वे मर जाएँगे।
10 Un pariente quemará a cada uno para sacar los huesos de la casa. Dirá al que está en algún rincón de ella: ¿Queda alguno contigo? Y responderá: Ninguno. Y dirá: ¡Silencio! Porque no podemos mencionar el Nombre de Yavé.
१०जब किसी का चाचा, जो उसका जलानेवाला हो, उसकी हड्डियों को घर से निकालने के लिये उठाएगा, और जो घर के कोने में हो उससे कहेगा, “क्या तेरे पास कोई और है?” तब वह कहेगा, “कोई नहीं;” तब वह कहेगा, “चुप रह! हमें यहोवा का नाम नहीं लेना चाहिए।”
11 Porque ciertamente Yavé ordena que la mansión sea destrozada y la casa reducida a fragmentos.
११क्योंकि यहोवा की आज्ञा से बड़े घर में छेद, और छोटे घर में दरार होगी।
12 ¿Galopan los caballos sobre las peñas? ¿Se ara con bueyes en el mar? Pero ustedes convierten el juicio en veneno y el fruto de la justicia en ajenjo.
१२क्या घोड़े चट्टान पर दौड़ें? क्या कोई ऐसे स्थान में बैलों से जोते जहाँ तुम लोगों ने न्याय को विष से, और धार्मिकता के फल को कड़वे फल में बदल डाला है?
13 Ustedes, los que se alegran con nada, y dicen: ¿No adquirimos poder con nuestra fuerza?
१३तुम ऐसी वस्तु के कारण आनन्द करते हो जो व्यर्थ है; और कहते हो, “क्या हम अपने ही यत्न से सामर्थी नहीं हो गए?”
14 Pues mira, oh Casa de Israel. Yo levanto contra ustedes una nación que los oprimirá desde la entrada de Hamat hasta el torrente del Arabá, dice Yavé, ʼElohim de las huestes.
१४इस कारण सेनाओं के परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, “हे इस्राएल के घराने, देख, मैं तुम्हारे विरुद्ध एक ऐसी जाति खड़ी करूँगा, जो हमात की घाटी से लेकर अराबा की नदी तक तुम को संकट में डालेगी।”