< Números 13 >
1 Yahvé habló a Moisés, diciendo:
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि,
2 “Envía hombres para que espíen la tierra de Canaán, que yo doy a los hijos de Israel. De cada tribu de sus padres, enviarás un hombre, cada uno de ellos un príncipe entre ellos”.
“तू आदमियों को भेज कि वह मुल्क — ए — कना'न का, जो मैं बनी — इस्राईल को देता हूँ हाल दरियाफ़्त करें; उनके बाप — दादा के हर क़बीले से एक आदमी भेजना जो उनके यहाँ का रईस हो।”
3 Moisés los envió desde el desierto de Parán, según el mandato de Yahvé. Todos ellos eran hombres que eran jefes de los hijos de Israel.
चुनाँचे मूसा ने ख़ुदावन्द के इरशाद के मुवाफ़िक़ फ़ारान के जंगल से ऐसे आदमी रवाना किए जो बनी — इस्राईल के सरदार थे।
4 Estos eran sus nombres: De la tribu de Rubén, Samua hijo de Zacur.
उनके यह नाम थे: रूबिन के क़बीले से ज़कूर का बेटा सम्मूअ,
5 De la tribu de Simeón, Safat hijo de Hori.
और शमौन के क़बीले से होरी का बेटा साफ़त,
6 De la tribu de Judá, Caleb hijo de Jefone.
और यहूदाह के क़बीले से यफुना का बेटा कालिब,
7 De la tribu de Isacar, Igal hijo de José.
और इश्कार के क़बीले से युसुफ़ का बेटा इजाल,
8 De la tribu de Efraín, Oseas hijo de Nun.
और इफ़्राईम के क़बीले से नून का बेटा होसे'अ,
9 De la tribu de Benjamín, Palti, hijo de Rafu.
और बिनयमीन के क़बीले से रफू का बेटा फ़ल्ती,
10 De la tribu de Zabulón, Gadiel hijo de Sodi.
और ज़बूलून के क़बीले से सोदी का बेटा जद्दीएल,
11 De la tribu de José, de la tribu de Manasés, Gadi hijo de Susi.
और यूसुफ़ के क़बीले या'नी मनस्सी के क़बीले से सूसी का बेटा जद्दी,
12 De la tribu de Dan, Ammiel hijo de Gemali.
और दान के क़बीले से जमल्ली का बेटा 'अम्मीएल,
13 De la tribu de Aser, Setur, hijo de Micael.
और आशर के क़बीले से मीकाएल का बेटा सतूर,
14 De la tribu de Neftalí, Nahbi hijo de Vapsi.
और नफ़्ताली के क़बीले से वुफ़सी का बेटा नख़बी,
15 De la tribu de Gad, Geuel hijo de Maqui.
और जद्द के क़बीले से माकी का बेटा ज्यूएल।
16 Estos son los nombres de los hombres que Moisés envió a espiar la tierra. Moisés llamó Josué a Oseas hijo de Nun.
यही उन लोगों के नाम हैं जिनको मूसा ने मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने को भेजा था। और नून के बेटे होसे'अ का नाम मूसा ने यशू'अ रख्खा।
17 Moisés los envió a espiar la tierra de Canaán, y les dijo: “Suban por este camino del sur y suban a la región montañosa.
और मूसा ने उनको रवाना किया ताकि मुल्क — ए — कना'न का हाल दरियाफ़्त करें और उनसे कहा, “तुम इधर दख्खिन की तरफ़ से जाकर पहाड़ों में चले जाना।
18 Ved la tierra, cómo es; y el pueblo que la habita, si es fuerte o débil, si es poco o mucho;
और देखना कि वह मुल्क कैसा है, और जो लोग वहाँ बसे हुए हैं वह कैसे हैं, ज़ोरावर हैं या कमज़ोर और थोड़े से हैं या बहुत।
19 y cómo es la tierra que habitan, si es buena o mala; y qué ciudades son las que habitan, si en campamentos o en fortalezas;
और जिस मुल्क में वह आबाद हैं वह कैसा है, अच्छा है या बुरा; जिन शहरों में वह रहते हैं वह कैसे हैं, आया वह ख़ेमों में रहते हैं या किलों' में।
20 y cómo es la tierra, si es fértil o pobre, si hay madera en ella o no. Sé valiente y trae algo del fruto de la tierra”. Era el tiempo de las primeras uvas maduras.
और वहाँ की ज़मीन कैसी है, ज़रखेज़ है या बंजर और उसमें दरख़्त हैं या नहीं; तुम्हारी हिम्मत बन्धी रहे और तुम उस मुल्क का कुछ फल लेते आना।” और वह मौसम अंगूर की पहली फ़सल का था।
21 Subieron, pues, y reconocieron la tierra desde el desierto de Zin hasta Rehob, hasta la entrada de Hamat.
तब वह रवाना हुए और दश्त — ए — सीन से रहोब तक जो हमात के रास्ते में है, मुल्क को ख़ूब देखा भाला।
22 Subieron por el sur y llegaron a Hebrón, donde estaban Ahimán, Sesai y Talmai, hijos de Anac. (Ahora bien, Hebrón fue construida siete años antes que Zoán en Egipto.)
और वह दख्खिन की तरफ़ से होते हुए हबरून तक गए, जहाँ 'अनाक के बेटे अख़ीमान और सीसी और तलमी रहते थे और हबरून जुअन से जो मिस्र में है, सात बरस आगे बसा था।
23 Llegaron al valle de Escol, y cortaron de allí una rama con un racimo de uvas, y la llevaron en un bastón entre dos. También llevaron algunas granadas e higos.
और वह वादी — ए — इस्काल में पहुँचे, वहाँ से उन्होंने अंगूर की एक डाली काट ली जिसमें एक ही गुच्छा था, और जिसे दो आदमी एक लाठी पर लटकाए हुए लेकर गए; और वह कुछ अनार और अंजीर भी लाए।
24 Aquel lugar fue llamado valle de Escol, por el racimo que los hijos de Israel cortaron de allí.
उसी गुच्छे की वजह से जिसे इस्राईलियों ने वहाँ से काटा था, उस जगह का नाम वादी — ए — इस्काल पड़ गया।
25 Volvieron de espiar la tierra al cabo de cuarenta días.
और चालीस दिन के बाद वह उस मुल्क का हाल दरियाफ़्त करके लौटे।
26 Fueron y vinieron a Moisés, a Aarón y a toda la congregación de los hijos de Israel, al desierto de Parán, a Cades, y les trajeron la noticia a ellos y a toda la congregación. Les mostraron el fruto de la tierra.
और वह चले और मूसा और हारून और बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत के पास दश्त — ए — फ़ारान के क़ादिस में आए, और उनकी और सारी जमा'अत को सब हाल सुनाया, और उस मुल्क का फल उनको दिखाया।
27 Ellos se lo contaron y dijeron: “Hemos llegado a la tierra a la que nos enviaste. Ciertamente fluye leche y miel, y éste es su fruto.
और मूसा से कहने लगे, “जिस मुल्क में तूने हम को भेजा था हम वहाँ गए; वाक़'ई दूधऔर शहद उसमें बहता है, और यह वहाँ का फल है।
28 Sin embargo, el pueblo que habita la tierra es fuerte, y las ciudades están fortificadas y son muy grandes. Además, vimos allí a los hijos de Anac.
लेकिन जो लोग वहाँ बसे हुए हैं वह ज़ोरावर हैं और उनके शहर बड़े — बड़े और फ़सीलदार हैं, और हम ने बनी 'अनाक को भी वहाँ देखा।
29 Amalec habita en la tierra del Sur. El hitita, el jebuseo y el amorreo habitan en la región montañosa. El cananeo habita junto al mar y al lado del Jordán”.
उस मुल्क के दख्खिनी हिस्से में तो अमालीकी आबाद हैं, और हित्ती और यबूसी और अमोरी पहाड़ों पर रहते हैं, और समन्दर के साहिल पर और यरदन के किनारे — किनारे कना'नी बसे हुए हैं।”
30 Caleb calmó al pueblo ante Moisés y dijo: “¡Subamos de inmediato y tomemos posesión de ella, pues somos capaces de vencerla!”
तब कालिब ने मूसा के सामने लोगों को चुप कराया और कहा, “चलो, हम एक दम जा कर उस पर क़ब्ज़ा करें, क्यूँकि हम इस क़ाबिल हैं कि उस पर हासिल कर लें।”
31 Pero los hombres que subieron con él dijeron: “No somos capaces de subir contra ese pueblo, porque es más fuerte que nosotros”.
लेकिन जो और आदमी उसके साथ गए थे वह कहने लगे, “हम इस लायक़ नहीं हैं कि उन लोगों पर हमला करें, क्यूँकि वह हम से ज़्यादा ताक़तवर हैं।”
32 Presentaron a los hijos de Israel un mal informe de la tierra que habían espiado, diciendo: “La tierra por la que hemos pasado para espiarla es una tierra que devora a sus habitantes, y todos los pueblos que vimos en ella son hombres de gran estatura.
इन आदमियों ने बनी — इस्राईल को उस मुल्क की, जिसे वह देखने गए थे बुरी ख़बर दी, और यह कहा, “वह मुल्क जिसका हाल दरियाफ़्त करने को हम उसमें से गुज़रे, एक ऐसा मुल्क है जो अपने बाशिन्दों को खा जाता है; और वहाँ जितने आदमी हम ने देखें वह सब बड़े क़द्दावर हैं।
33 Allí vimos a los Nefilim, los hijos de Anak, que provienen de los Nefilim. Éramos a nuestra vista como saltamontes, y así éramos a su vista”.
और हम ने वहाँ बनी 'अनाक को भी देखा जो जब्बार हैं और जब्बारों की नसल से हैं, और हम तो अपनी ही निगाह में ऐसे थे जैसे टिड्डे होते हैं और ऐसे ही उनकी निगाह में थे।”