< Nehemías 13 >

1 Aquel día leyeron en el libro de Moisés a oídos del pueblo, y se encontró escrito en él que un amonita y un moabita no debían entrar en la asamblea de Dios para siempre,
उस दिन सभा के लिए मोशेह की पुस्तक ऊंची आवाज में पढ़ी गई. इस पुस्तक में यह लिखा हुआ पाया गया कि परमेश्वर की सभा में न तो किसी अम्मोनी के और न किसी मोआबी के प्रवेश की आज्ञा है,
2 porque no salieron al encuentro de los hijos de Israel con pan y agua, sino que contrataron a Balaam contra ellos para maldecirlos; sin embargo, nuestro Dios convirtió la maldición en bendición.
क्योंकि उन्होंने इस्राएल के लिए भोजन और पानी का इंतजाम करने की बजाय उन पर शाप देने के लक्ष्य से बिलआम को पैसे दिए थे. मगर हमारे परमेश्वर ने शाप को आशीर्वाद में बदल दिया.
3 Sucedió que cuando escucharon la ley, separaron de Israel a toda la multitud mixta.
इसलिये जब उन्होंने उस व्यवस्था को सुना, उन्होंने सभी विदेशियों को इस्राएल में से बाहर कर दिया.
4 Antes de esto, el sacerdote Eliasib, que había sido designado como encargado de las habitaciones de la casa de nuestro Dios, siendo aliado de Tobías,
इसके पहले, पुरोहित एलियाशिब, जिसे हमारे परमेश्वर के भवन के कमरों का अधिकारी चुना गया था, वास्तव में तोबियाह का रिश्तेदार था.
5 había preparado para él una gran sala, en la que antes se depositaban las ofrendas de comida, el incienso, los vasos y los diezmos del grano, el vino nuevo y el aceite, que se daban por mandato a los levitas, a los cantores y a los porteros; y las ofrendas onduladas para los sacerdotes.
उसने तोबियाह के लिए एक बड़े कमरे को बना रखा था, जहां इसके पहले अन्‍नबलि, लोबान, तरह-तरह के बर्तन और लेवियों, गायकों, द्वारपालों और पुरोहितों के लिए इकट्ठा दानों के ठहराए गए अन्‍न, अंगूर के रस और तेल का दसवां भाग जमा किया जाता था.
6 Pero en todo esto no estuve en Jerusalén, porque en el año treinta y dos de Artajerjes, rey de Babilonia, fui al rey; y después de algunos días pedí permiso al rey,
मगर ऐसा हुआ कि इस समय में मैं येरूशलेम में था ही नहीं, क्योंकि बाबेल के राजा, अर्तहषस्ता के समय के बत्तीसवें साल में मैं राजा से मिलने गया हुआ था, मगर यहां कुछ समय रहने के बाद मैंने राजा की आज्ञा ली
7 y llegué a Jerusalén, y comprendí el mal que Eliasib había hecho a Tobías, al prepararle una habitación en los atrios de la casa de Dios.
और येरूशलेम आ गया. मुझे उस बुराई के बारे में पता चला, जो एलियाशिब ने तोबियाह के लिए किया—उसने परमेश्वर के भवन के आंगन में तोबियाह के लिए एक कमरा तैयार किया था.
8 Esto me afligió mucho. Por eso eché de la habitación todos los enseres de Tobías.
इससे मैं बहुत नाराज़ हुआ; तब मैंने तोबियाह का सारा सामान उस कमरे के बाहर फेंक दिया.
9 Luego ordené, y ellos limpiaron las habitaciones. Llevé a ellas los utensilios de la casa de Dios, con las ofrendas de comida y el incienso de nuevo.
तब मेरे आदेश पर वे कमरे शुद्ध किए गए. मैंने परमेश्वर के भवन के बर्तन, अन्‍नबलि और लोबान दोबारा उस कमरे में रखाव दिए.
10 Me di cuenta de que las porciones de los levitas no se les habían dado, de modo que los levitas y los cantores, que hacían el trabajo, habían huido cada uno a su campo.
तब मुझे यह भी पता चला कि लेवियों के लिए ठहराया हुआ भाग उन्हें दिया ही नहीं गया था, फलस्वरूप तरह-तरह की सेवाओं के लिए चुने गए लेवी और गायक सेवा का काम छोड़कर जा चुके थे-अपने-अपने खेतों में खेती करने.
11 Entonces discutí con los jefes y dije: “¿Por qué está abandonada la casa de Dios?” Los reuní y los puse en su lugar.
इसलिये मैंने अधिकारियों को फटकार लगाई, “परमेश्वर का भवन क्यों छोड़ दिया गया है?” तब मैंने उन सबको वापस बुलाकर उन्हें सेवा के काम पर दोबारा नियुक्त कर दिया.
12 Entonces todo Judá trajo el diezmo del grano, del vino nuevo y del aceite a las arcas.
तब सारे यहूदिया के लोगों ने भंडार में अनाज, अंगूर का रस और तेल का दसवां भाग रखवा दिया.
13 Puse como tesoreros sobre los tesoros al sacerdote Selemías y al escriba Sadoc, y de los levitas a Pedaías; y junto a ellos a Hanán hijo de Zaccur, hijo de Matanías; porque eran tenidos por fieles, y su oficio era repartir a sus hermanos.
तब मैंने पुरोहित शेलेमियाह को, शासक सादोक को और लेवियों में से पेदाइयाह को भंडारों का अधिकारी ठहरा दिया. उनके अलावा मैंने, मत्तनियाह के पोते ज़क्‍कूर के पुत्र हनान को चुना, क्योंकि ये सभी विश्वासयोग्य पाए गए. इनकी जवाबदारी थी अपने रिश्तेदारों में सामग्री बांटना.
14 Acuérdate de mí, Dios mío, en cuanto a esto, y no borres mis buenas obras que he hecho por la casa de mi Dios y por sus celebraciones.
मेरे परमेश्वर, इस काम के लिए आप मुझे याद रखें. सच्चाई से किए गए मेरे कामों को, जो मैंने परमेश्वर के भवन और इसकी सेवा में किए हैं, आप मिटा न दीजिए.
15 En aquellos días vi a algunos hombres que pisaban lagares en sábado en Judá, que traían gavillas y cargaban asnos con vino, uvas, higos y toda clase de cargas que llevaban a Jerusalén en día de reposo; y testifiqué contra ellos en el día en que vendían alimentos.
उन्हीं दिनों में मेरे सामने यह भी आया कि यहूदिया में कुछ व्यक्ति ऐसे थे, जो शब्बाथ पर अंगूर रौंद रहे थे, कुछ अनाज के बोरे नगर में ला रहे थे, कुछ इन्हें गधों पर लाद रहे थे, सभी प्रकार का सामान शब्बाथ पर येरूशलेम में लाया जा रहा था, वैसे ही अंगूर का रस, अंगूर, अंजीर और सभी प्रकार के बोझ. इसलिये मैंने शब्बाथ पर भोजन बेचने पर उन्हें डांटा.
16 También vivían allí algunos hombres de Tiro, que traían pescado y toda clase de mercancías, y vendían en sábado a los hijos de Judá y en Jerusalén.
येरूशलेम में कुछ सोरवासी भी रहने लगे थे, जो मछली और सब प्रकार का बिकने वाला सामान वहां से बिक्री कर रहे थे. वे यह सब यहूदाह के वंशजों को शब्बाथ पर बेच रहे थे; हां, येरूशलेम ही में!
17 Entonces discutí con los nobles de Judá y les dije: “¿Qué maldad es ésta que hacéis, profanando el día de reposo?
तब मैंने यहूदिया के रईसों को फटकार लगाई. मैंने उनसे कहा, “आप लोग शब्बाथ को अपवित्र कर यह कैसी बुराई कर रहे हैं?
18 ¿No hicieron esto vuestros padres, y no trajo nuestro Dios todo este mal sobre nosotros y sobre esta ciudad? Sin embargo, vosotros traéis más ira sobre Israel al profanar el sábado”.
क्या आपके पूर्वजों ने यह नहीं किया था, जिसके फलस्वरूप हमारे परमेश्वर ने हम पर और इस नगर पर यह सारी विपत्ति ड़ाल दी है? यह होने पर भी आप लोग शब्बाथ को अपवित्र करके इस्राएल पर परमेश्वर के क्रोध को बढ़ा रहे हैं.”
19 Sucedió que cuando las puertas de Jerusalén comenzaron a oscurecerse antes del sábado, mandé cerrar las puertas y ordené que no se abrieran hasta después del sábado. Puse a algunos de mis siervos a cargo de las puertas, para que no se introdujera ninguna carga en el día de reposo.
तब यह हुआ कि शब्बाथ शुरू होने के ठीक पहले, जब येरूशलेम के फाटकों पर अंधेरा छा ही रहा था, मैंने आदेश दिया कि फाटक बंद कर दिए जाएं और वे शब्बाथ खत्म होने के पहले बिलकुल न खोले जाएं. इसके बाद मैंने अपने ही कुछ सेवकों को फाटकों पर ठहरा दिया कि शब्बाथ पर किसी भी बोझ को अंदर न आने दिया जाए.
20 Entonces los mercaderes y vendedores de toda clase de mercancías acamparon fuera de Jerusalén una o dos veces.
एक या दो मौके ही ऐसे गए होंगे, जब विभिन्‍न प्रकार के व्यापारियों और बेचने वालों ने येरूशलेम के बाहर रात बिताई थी.
21 Entonces yo testifiqué contra ellos y les dije: “¿Por qué os quedáis alrededor del muro? Si volvéis a hacerlo, os echaré mano”. Desde entonces, no vinieron en sábado.
तब मैंने उन्हें इस प्रकार चेतावनी दी, “क्यों आप लोग शहरपनाह के पास रात बिताते हैं? यदि आप दोबारा यह करते पाए जाएंगे, तो मुझे आप पर ताकत का इस्तेमाल करना पड़ेगा.” इस चेतावनी के बाद वे शब्बाथ पर येरूशलेम कभी नहीं आए.
22 Mandé a los levitas que se purificaran, y que vinieran a guardar las puertas, para santificar el día de reposo. Acuérdate de mí también por esto, Dios mío, y perdóname según la grandeza de tu amorosa bondad.
तब मैंने लेवियों को आदेश दिया कि शब्बाथ को पवित्र करने के उद्देश्य से वे अपने आपको शुद्ध कर द्वारपाल के समान आया करें. मेरे परमेश्वर, इस भले काम के लिए भी आप मुझे याद रखिए और अपनी बड़ी करुणा के अनुसार मुझ पर अपनी दया हमेशा बनाए रखिए.
23 En aquellos días vi también a los judíos que se habían casado con mujeres de Asdod, de Amón y de Moab;
उन्हीं दिनों में मेरा ध्यान इस सच्चाई की ओर भी गया, कि यहूदियों ने अशदोद, अम्मोन और मोआब की स्त्रियों से विवाह किया हुआ था.
24 y sus hijos hablaban la mitad en el idioma de Asdod, y no podían hablar en la lengua de los judíos, sino según la lengua de cada pueblo.
उनकी संतान के विषय में सच्चाई यह है कि उनकी संतान के आधे लोग अशदोद की भाषा बोलते है, उनमें से कोई भी यहूदिया की भाषा में बातचीत कर ही नहीं सकता, बल्कि वे सिर्फ अपने ही लोगों की भाषा का इस्तेमाल करते हैं.
25 Yo discutí con ellos, los maldije, golpeé a algunos de ellos, les arranqué el cabello y les hice jurar por Dios: “No daréis vuestras hijas a sus hijos, ni tomaréis sus hijas para vuestros hijos, ni para vosotros.
इसलिये मैंने उनसे बहस की, उन्हें धिक्कारा, उनमें से कुछ पर तो मैंने हाथ भी छोड़ दिया और कुछ के बाल नोचे. तब मैंने उन्हें परमेश्वर की शपथ दी, “तुम उनके पुत्रों को अपनी पुत्रियां विवाह के लिए नहीं दोगे और न उनकी पुत्रियां को अपने पुत्रों के लिए या खुद अपने विवाह के लिए लोगे.
26 ¿No pecó Salomón, rey de Israel, con estas cosas? Sin embargo, entre muchas naciones no hubo un rey como él, y fue amado por su Dios, y Dios lo hizo rey de todo Israel. Sin embargo, las mujeres extranjeras lo hicieron pecar.
क्या इस्राएल के राजा शलोमोन ने इन्हीं विषयों में पाप नहीं किया था? इतना होने पर भी अनेकों देशों में उनके समान राजा कोई न था. उन पर उनके परमेश्वर का प्रेम स्थिर था और परमेश्वर ने उन्हें सारे इस्राएल पर राजा ठहराया दिया; फिर भी, उन विदेशी स्त्रियों ने उन्हें तक पाप करने के लिए फेर दिया था.
27 ¿Debemos, pues, escucharte para hacer todo este gran mal, para transgredir a nuestro Dios casándonos con mujeres extranjeras?”
तब क्या यह सही होगा कि हम आपसे सहमत होकर यह बड़ी बुराई करें और विदेशी स्त्रियों से विवाह करने के द्वारा अपने परमेश्वर के विरुद्ध विश्वासघात करें?”
28 Uno de los hijos de Joiada, hijo del sumo sacerdote Eliasib, era yerno de Sanbalat el horonita; por eso lo eché de mí.
यहां तक कि महापुरोहित एलियाशिब के पुत्रों में से एक योइयादा, होरोनी के सनबल्लत का दामाद था. मैंने उसे वहां से निकाल दिया.
29 Acuérdate de ellos, Dios mío, porque han profanado el sacerdocio y la alianza del sacerdocio y de los levitas.
मेरे परमेश्वर, आप इन्हें याद रखिए, क्योंकि इन्होंने पुरोहित के पद को और पुरोहित की और लेवियों की वाचा को अशुद्ध किया है.
30 Así los limpié de todos los extranjeros y señalé los deberes para los sacerdotes y para los levitas, cada uno en su trabajo;
इस प्रकार मैंने उन्हें उन सभी से शुद्ध कर दिया, जो कुछ विदेशी था. मैंने पुरोहितों और लेवियों के लिए उनके कामों को ठहरा भी दिया-हर एक के लिए निश्चित काम.
31 y para la ofrenda de leña, en los tiempos señalados, y para las primicias. Acuérdate de mí, Dios mío, para bien.
मैंने ठहराए गए अवसरों के लिए लकड़ी और पहले फलों को देने का भी प्रबंध कर दिया. मेरे परमेश्वर, मेरी भलाई के लिए मुझे याद रखिये!

< Nehemías 13 >