< Salmos 87 >

1 Una canción. Un salmo de los descendientes de Coré. El Señor fundó la ciudad en su monte santo.
उसकी बुनियाद पाक पहाड़ों में है।
2 Jerusalén es la ciudad que ama más que a cualquier ciudad de Israel.
ख़ुदावन्द सिय्यून के फाटकों को या'क़ूब के सब घरों से ज़्यादा 'अज़ीज़ रखता है।
3 ¡Muchas cosas maravillosas te son dichas, ciudad de Dios! (Selah)
ऐ ख़ुदा के शहर! तेरी बड़ी बड़ी खू़बियाँ बयान की जाती हैं। (सिलाह)
4 Menciono a Egipto.
मैं रहब और बाबुल का यूँ ज़िक्र करूँगा, कि वह मेरे जानने वालों में हैं; फ़िलिस्तीन और सूर और कूश को देखो, यह वहाँ पैदा हुआ था।
5 Será dicho de Jerusalén: “Todo el mundo nació allí”, y el Altísimo la hará segura.
बल्कि सिय्यून के बारे में कहा जाएगा, कि फ़लाँ फ़लाँ आदमी उसमें पैदा हुए। और हक़ता'ला ख़ुद उसको क़याम बख़्शेगा।
6 Cuando el Señor cuente las naciones, escribirá: “Ellos nacieron allí”. (Selah)
ख़ुदावन्द क़ौमों के शुमार के वक़्त दर्ज करेगा, कि यह शख़्स वहाँ पैदा हुआ था।
7 Los cantores y bailarines dirán: “Viviendo aquí me siento en casa”.
गाने वाले और नाचने वाले यही कहेंगे कि मेरे सब चश्में तुझ ही में हैं।

< Salmos 87 >