< Salmos 87 >
1 Una canción. Un salmo de los descendientes de Coré. El Señor fundó la ciudad en su monte santo.
कोराह के पुत्रों की रचना. एक स्तोत्र. एक गीत. पवित्र पर्वत पर उन्होंने अपनी नींव डाली है;
2 Jerusalén es la ciudad que ama más que a cualquier ciudad de Israel.
याकोब के समस्त आवासों की अपेक्षा, याहवेह को ज़ियोन के द्वार कहीं अधिक प्रिय हैं.
3 ¡Muchas cosas maravillosas te son dichas, ciudad de Dios! (Selah)
परमेश्वर के नगर, तुम्हारे विषय में यशस्वी बातें लिखी गई हैं,
“अपने परिचितों के मध्य मैं राहाब और बाबेल का लेखा करूंगा, साथ ही फिलिस्तिया, सोर और कूश का भी, और फिर मैं कहूंगा, ‘यही है वह, जिसकी उत्पत्ति ज़ियोन में हुई है.’”
5 Será dicho de Jerusalén: “Todo el mundo nació allí”, y el Altísimo la hará segura.
ज़ियोन के विषय में यही घोषणा की जाएगी, “इसका भी जन्म ज़ियोन में हुआ और उसका भी, सर्वोच्च परमेश्वर ही ने ज़ियोन को बसाया है.”
6 Cuando el Señor cuente las naciones, escribirá: “Ellos nacieron allí”. (Selah)
याहवेह अपनी प्रजा की गणना करते समय लिखेगा: “इसका जन्म ज़ियोन में हुआ था.”
7 Los cantores y bailarines dirán: “Viviendo aquí me siento en casa”.
संगीत की संगत पर वे गाएंगे, “तुम्हीं में मेरे आनंद का समस्त उगम हैं.”