< Salmos 121 >
1 Un cántico para los peregrinos que van a Jerusalén. Alzo la vista hacia los montes, pero, ¿Es de allí de donde viene mi ayuda?
आराधना के लिए यात्रियों का गीत. मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर उठाता— क्या मेरी सहायता का स्रोत वहां है?
2 Mi ayuda viene del Señor, quien hizo los cielos y la tierra.
मेरी सहायता का स्रोत तो याहवेह हैं, स्वर्ग और पृथ्वी के कर्ता.
3 Él no te dejará caer; Él, que cuida de ti no caerá dormido.
वह तुम्हारा पैर फिसलने न देंगे; वह, जो तुम्हें सुरक्षित रखते हैं, झपकी नहीं लेते.
4 De hecho, Él, que te cuida, no toma siestas ni se adormece nunca.
निश्चयतः इस्राएल के रक्षक न तो झपकी लेंगे और न सो जाएंगे.
5 El Señor es quien te cuida; el Señor es quien te protege; Él permanece a tu lado.
याहवेह तुम्हें सुरक्षित रखते हैं— तुम्हारे दायें पक्ष में उपस्थित याहवेह तुम्हारी सुरक्षा की छाया हैं;
6 El sol no te herirá durante el día, ni la luna durante la noche.
न तो दिन के समय सूर्य से तुम्हारी कोई हानि होगी, और न रात्रि में चंद्रमा से.
7 El Señor te protegerá de todos los malos; y te mantendrá a salvo.
सभी प्रकार की बुराई से याहवेह तुम्हारी रक्षा करेंगे, वह तुम्हारे जीवन की रक्षा करेंगे;
8 El Señor te protegerá en tu entrar y en tu salir, desde ahora y para siempre.
तुम्हारे आने जाने में याहवेह तुम्हें सुरक्षित रखेंगे, वर्तमान में और सदा-सर्वदा.