< Job 21 >
2 “Por favor, escuchen atentamente lo que digo; eso sería un consuelo que podrían darme.
“अब ध्यान से मेरी बात सुन लो और इससे तुम्हें सांत्वना प्राप्त हो.
3 Tengan paciencia conmigo; déjenme hablar. Después de que haya habladao, pueden seguir burlándose de mí.
मेरे उद्गार पूर्ण होने तक धैर्य रखना, बाद में तुम मेरा उपहास कर सकते हो.
4 ¿Me estoy quejando de la gente? Por supuesto que no. ¿Por qué no debería estar impaciente?
“मेरी स्थिति यह है कि मेरी शिकायत किसी मनुष्य से नहीं है, तब क्या मेरी अधीरता असंगत है?
5 Mírenme. ¿No están horrorizados? Tápense la boca con la mano en señal de asombro.
मेरी स्थिति पर ध्यान दो तथा इस पर चकित भी हो जाओ; आश्चर्यचकित होकर अपने मुख पर हाथ रख लो.
6 Cada vez que pienso en lo que me ha pasado me horrorizo y tiemblo de miedo.
उसकी स्मृति मुझे डरा देती है; तथा मेरी देह आतंक में समा जाती है.
7 “¿Por qué siguen viviendo los malvados, que envejecen y son cada vez más poderosos?
क्यों दुर्वृत्त दीर्घायु प्राप्त करते जाते हैं? वे उन्नति करते जाते एवं सशक्त हो जाते हैं.
8 Sus hijos están con ellos; ven crecer a sus nietos.
इतना ही नहीं उनके तो वंश भी, उनके जीवनकाल में समृद्ध होते जाते हैं.
9 Viven en sus casas con seguridad; no tienen miedo. Dios no usa su vara para golpearlos.
उनके घरों पर आतंक नहीं होता; उन पर परमेश्वर का दंड भी नहीं होता.
10 Sus toros siempre crían con éxito; sus vacas paren terneros y no abortan.
उसका सांड़ बिना किसी बाधा के गाभिन करता है; उसकी गाय बच्चे को जन्म देती है, तथा कभी उसका गर्भपात नहीं होता.
11 Sacan a jugar a sus pequeños como si fueran corderos; sus niños bailan alrededor.
उनके बालक संख्या में झुंड समान होते हैं; तथा खेलते रहते हैं.
12 Cantan acompañados de la pandereta y la lira; celebran con la música de la flauta.
वे खंजरी एवं किन्नोर की संगत पर गायन करते हैं; बांसुरी का स्वर उन्हें आनंदित कर देता है.
13 Viven felices y bajan al sepulcro en paz. (Sheol )
उनके जीवन के दिन तो समृद्धि में ही पूर्ण होते हैं, तब वे एकाएक अधोलोक में प्रवेश कर जाते हैं. (Sheol )
14 Sin embargo, le dicen a Dios: ‘¡Vete lejos! No queremos saber nada de ti.
वे तो परमेश्वर को आदेश दे बैठते हैं, ‘दूर हो जाइए मुझसे!’ कोई रुचि नहीं है हमें आपकी नीतियों में.
15 ¿Quién se cree el Todopoderoso para que le sirvamos como esclavos? ¿Qué beneficio hay para nosotros si le oramos?’
कौन है यह सर्वशक्तिमान, कि हम उनकी सेवा करें? क्या मिलेगा, हमें यदि हम उनसे आग्रह करेंगे?
16 Esa gente cree que hace su propia fortuna, pero yo no acepto su forma de pensar.
तुम्हीं देख लो, उनकी समृद्धि उनके हाथ में नहीं है, दुर्वृत्तों की परामर्श मुझे स्वीकार्य नहीं है.
17 “Cuántas veces se apaga la lámpara de los malvados? ¿Cuántas veces les sobreviene el desastre? ¿Cuántas veces castiga Dios a los impíos en su cólera?
“क्या कभी ऐसा हुआ है कि दुष्टों का दीपक बुझा हो? अथवा उन पर विपत्ति का पर्वत टूट पड़ा हो, क्या कभी परमेश्वर ने अपने कोप में उन पर नाश प्रभावी किया है?
18 ¿Son arrastrados como paja en el viento? ¿Viene un tornado y se los lleva?
क्या दुर्वृत्त वायु प्रवाह में भूसी-समान हैं, उस भूसी-समान जो तूफान में विलीन हो जाता है?
19 Algunos dicen: ‘Dios guarda el castigo de la gente para sus hijos’. Pero yo digo: ‘Dios debería castigar a esas personas para que aprendan de ello’.
तुम दावा करते हो, ‘परमेश्वर किसी भी व्यक्ति के पाप को उसकी संतान के लिए जमा कर रखते हैं.’ तो उपयुक्त हैं कि वह इसका दंड प्रभावी कर दें, कि उसे स्थिति बोध हो जाए.
20 Que ellos mismos vean su destrucción y beban profundamente de la ira de Dios.
उत्तम होगा कि वह स्वयं अपने नाश को देख ले; वह स्वयं सर्वशक्तिमान के कोप का पान कर ले.
21 Porque no les importará lo que les ocurra a sus familias una vez que hayan muerto.
क्योंकि जब उसकी आयु के वर्ष समाप्त कर दिए गए हैं तो वह अपनी गृहस्थी की चिंता कैसे कर सकता है?
22 “¿Puede alguien enseñarle a Dios algo que no sepa ya, puesto que él es quien juzga incluso a los seres celestiales?
“क्या यह संभव है कि कोई परमेश्वर को ज्ञान दे, वह, जो परलोक के प्राणियों का न्याय करते हैं?
23 Una persona muere con buena salud, totalmente cómoda y segura.
पूर्णतः सशक्त व्यक्ति का भी देहावसान हो जाता है, उसका, जो निश्चिंत एवं संतुष्ट था.
24 Su cuerpo está gordo por haber comido bien; sus huesos aún son fuertes.
जिसकी देह पर चर्बी थी तथा हड्डियों में मज्जा भी था.
25 Otro muere después de una vida miserable sin haber experimentado la felicidad.
जबकि अन्य व्यक्ति की मृत्यु कड़वाहट में होती है, जिसने जीवन में कुछ भी सुख प्राप्त नहीं किया.
26 Sin embargo, ambos son enterrados en el mismo polvo; son tratados de igual manera en la muerte, comidos por los gusanos.
दोनों धूल में जा मिलते हैं, और कीड़े उन्हें ढांक लेते हैं.
27 “Sé lo que piensan y sus planes para hacerme mal.
“यह समझ लो, मैं तुम्हारे विचारों से अवगत हूं, उन योजनाओं से भी, जिनके द्वारा तुम मुझे छलते रहते हो.
28 Pueden preguntarme: ‘¿Dónde está la casa del gran hombre? ¿Dónde está el lugar donde viven los malvados?’
तुम्हारे मन में प्रश्न उठ रहा है, ‘कहां है उस कुलीन व्यक्ति का घर, कहां है वह तंबू, जहां दुर्वृत्त निवास करते हैं?’
29 ¿No le han preguntado a los viajeros? ¿No le prestan atención a lo que dicen?
क्या तुमने कभी अनुभवी यात्रियों से प्रश्न किया है? क्या उनके साक्ष्य से तुम परिचित हो?
30 La gente malvada se salva en tiempos de desastre; es rescatada del día del juicio.
क्योंकि दुर्वृत्त तो प्रलय के लिए हैं, वे कोप-दिवस पर बंदी बना लिए जाएंगे.
31 ¿Quién cuestiona sus acciones? ¿Quién les paga por lo que han hecho?
कौन उसे उसके कृत्यों का स्मरण दिलाएगा? कौन उसे उसके कृत्यों का प्रतिफल देगा?
32 Cuando finalmente mueren y son llevados al cementerio, su tumba está custodiada. La tierra de la tumba los cubre suavemente.
जब उसकी मृत्यु पर उसे दफन किया जाएगा, लोग उसकी कब्र पर पहरेदार रखेंगे.
33 Todo el mundo asiste a sus funerales; una enorme procesión de gente viene a presentar sus últimos respetos.
घाटी की मिट्टी उसे मीठी लगती है; सभी उसका अनुगमन करेंगे, जबकि असंख्य तो वे हैं, जो उसकी यात्रा में होंगे.
34 ¿Por qué tratan de consolarme con tonterías? Sus respuestas no son más que una sarta de mentiras!”
“तुम्हारे निरर्थक वचन मुझे सांत्वना कैसे देंगे? क्योंकि तुम्हारे प्रत्युत्तर झूठी बातों से भरे हैं!”