< Isaías 54 >
1 ¡Canta de alegría, mujer sin hijos, tú que has tenido un bebé! ¡Grita en voz alta y canta de alegría, Jerusalén, tú que nunca has dado a luz! Porque la mujer abandonada tiene ahora más hijos que la casada, dice el Señor.
ऐ बाँझ, तू जो बे — औलाद थी नग़मा सराई कर, तू जिसने विलादत का दर्द बर्दाश्त नहीं किया, ख़ुशी से गा और ज़ोर से चिल्ला, क्यूँकि ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि बे कस छोड़ी हुई औलाद शौहर वाली की औलाद से ज़्यादा है।
2 Haz más grande la tienda donde vives; estira la tela para agrandar tu casa. No trates de ahorrar espacio: alarga las cuerdas de tu tienda y haz más fuertes las estacas.
अपनी ख़ेमागाह को वसी' कर दे, हाँ, अपने घरों के पर्दे फैला; दरेग़ न कर, अपनी डोरियाँ लम्बी और अपनी मेंख़ें मज़बूत कर।
3 Te vas a extender a diestro y siniestro; tus descendientes se apoderarán de la tierra de otras naciones y vivirán en ciudades que antes estaban abandonadas.
इसलिए कि तू दहनी और बाँई तरफ़ बढ़ेगी और तेरी नस्ल क़ौमों की वारिस होगी और वीरान शहरों को बसाएगी।
4 No tengas miedo, porque no serás humillado; no te alteres, porque no serás deshonrado. Te olvidarás de la vergüenza de tu juventud, y ya no recordarás la vergüenza de tu viudez.
ख़ौफ़ न कर, क्यूँकि तू फिर पशेमाँ न होगी; तू न घबरा, क्यूँकि तू फिर रूस्वा न होगी; और अपनी जवानी का नंग भूल जाएगी, और अपनी बेवगी की 'आर को फिर याद न करेगी।
5 Porque tu Hacedor es tu esposo, el Señor Todopoderoso es su nombre el Santo de Israel es tu Redentor, se llama el Dios de toda la tierra.
क्यूँकि तेरा ख़ालिक़ तेरा शौहर है, उसका नाम रब्ब — उल — अफ़वाज है; और तेरा फ़िदिया देनेवाला इस्राईल का क़ुददूस है, वह तमाम इस ज़मीन का ख़ुदा कहलाएगा।
6 El Señor te ha llamado para que vuelvas, como una esposa abandonada y profundamente herida, una esposa que se casó cuando era joven, sólo para ser rechazada, dice tu Dios.
क्यूँकि तेरा ख़ुदा फ़रमाता है कि ख़ुदावन्द ने तुझ को मतरूका और दिल आज़ुर्दा बीवी की तरह; हाँ, जवानी की मतलूक़ा बीवी की तरह फिर बुलाया है।
7 Te abandoné por poco tiempo, pero te haré volver, mostrándote una gran bondad.
मैंने एक दम के लिए तुझे छोड़ दिया, लेकिन रहमत की फ़िरावानी से तुझे ले लूँगा।
8 En un momento de cólera, aparté mi rostro de ti, pero ahora, con un amor digno de confianza, seré siempre bondadoso contigo, dice el Señor, tu Redentor.
ख़ुदावन्द तेरा नजात देनेवाला फ़रमाता है, कि क़हर की शिद्दत में मैंने एक दम के लिए तुझ से मुँह छिपाया, लेकिन अब मैं हमेशा शफ़क़त से तुझ पर रहम करूँगा।
9 Para mí, esto es igual que el tiempo de Noé, cuando prometí bajo juramento que un diluvio no volvería a cubrir la tierra. Del mismo modo, prometo bajo juramento que no me enfadaré contigo ni te regañaré.
क्यूँकि मेरे लिए ये तूफ़ान — ए — नूह का सा मु'आमिला है, कि जिस तरह मैंने क़सम खाई थी कि फिर ज़मीन पर नूह जैसा तूफ़ान कभी न आएगा, उसी तरह अब मैंने क़सम खाई है कि मैं तुझ से फिर कभी आज़ुर्दा न हूँगा और तुझ को न घुड़कूँगा।
10 Aunque los montes dejen de existir y las colinas desaparezcan, no por ello dejará de existir mi amor confiable por ti ni desaparecerá mi acuerdo de paz, dice el Señor, que te muestra su bondad.
ख़ुदावन्द तुझ पर रहम करने वाला यूँ फ़रमाता है कि पहाड़ तो जाते रहें और टीले टल जाएँ लेकिन मेरी शफ़क़त कभी तुझ पर से जाती न रहेगी, और मेरा सुलह का 'अहद न टलेगा।
11 ¡Mi pobre ciudad dañada por la tormenta que no puede ser consolada! Mira, voy a reponer tus piedras con cemento de antimonio, Utilizaré zafiros para poner tus cimientos.
“ऐ मुसीबतज़दा और तूफ़ान की मारी और तसल्ली से महरूम! देख, मैं तेरे पत्थरों को स्याह रेख्ता में लगाऊँगा और तेरी बुनियाद नीलम से डालूँगा।
12 Haré tus fortificaciones de rubíes; haré tus puertas de berilo resplandeciente. Todos tus muros serán de piedras preciosas,
मैं तेरे कुंगुरों को लालों, और तेरे फाटकों को शब चिराग़, और तेरी सारी फ़सील बेशक़ीमत पत्थरों से बनाऊँगा।
13 y todos tus hijos serán alumnos del Señor, y vivirán en completa paz.
और तेरे सब फ़र्ज़न्द ख़ुदावन्द से तालीम पाएँगे और तेरे फ़र्ज़न्दों की सलामती कामिल होगी।
14 Tu sociedad funcionará a partir de principios de bondad y de derecho; no habrá nadie que te oprima. No tendrás miedo; no tendrás que enfrentar ningún tipo de terror.
तू रास्तबाज़ी से पायदार हो जाएगी, तू ज़ुल्म से दूर रहेगी क्यूँकि तू बेख़ौफ़ होगी, और दहशत से दूर रहेगी क्यूँकि वह तेरे क़रीब न आएगी।
15 Si algún invasor viene a atacarte, yo no lo envié; tú derrotarás a cualquiera que te ataque.
मुम्किन है कि वह कभी इकट्ठे हों, लेकिन मेरे हुक्म से नहीं, जो तेरे ख़िलाफ़ जमा' होंगे, वह तेरे ही वजह से गिरेंगे।
16 Mira: he creado al herrero que sopla las brasas en una llama caliente y forja un arma adecuada; y he creado al destructor que trae la destrucción.
देख, मैंने लुहार को पैदा किया जो कोयलों की आग धौंकता और अपने काम के लिए हथियार निकालता है; और ग़ारतगरों को मैंने ही पैदा किया कि लूट मार करें।
17 Ninguna de las armas forjadas contra ti tendrá éxito, y condenarás a cualquiera que te acuse. Así son bendecidos los siervos del Señor, y yo soy el que los reivindica, declara el Señor.
कोई हथियार जो तेरे ख़िलाफ़ बनाया जाए काम न आएगा, और जो ज़बान 'अदालत में तुझ पर चलेगी तू उसे मुजरिम ठहराएगी। ख़ुदावन्द फ़रमाता है, ये मेरे बन्दों की मीरास है और उनकी रास्तबाज़ी मुझ से है।”