< Números 22 >
1 Partieron los hijos de Israel y acamparon en las llanuras de Moab, al otro lado del Jordán, frente a Jericó.
इसके बाद इस्राएली यात्रा करते हुए मोआब के मैदानों में आ पहुंचे, जो यरदन पार येरीख़ो के सामने है, यहां उन्होंने डेरा डाल दिया.
2 Balac, hijo de Sefor, supo todo lo que Israel había hecho a los amorreos,
ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक की जानकारी में वह सब था, जो इस्राएल द्वारा अमोरियों के साथ किया गया था.
3 y se atemorizó Moab grandemente frente al pueblo tan numeroso y perdió el ánimo ante los hijos de Israel.
तब मोआब देश इस्राएलियों की विशाल संख्या के कारण बहुत ही डर गया, इस्राएल मोआब के लिए आतंक का विषय हो गया.
4 Por lo cual dijo Moab a los ancianos de Madián: “Ahora esta multitud devorará todos nuestros contornos a la manera del buey que devora la hierba del campo.” Balac, hijo de Sefor, era a la sazón rey de Moab.
मोआब ने मिदियान के प्राचीनों के सामने अपने विचार इस प्रकार रखे, “अब तो यह विशाल जनसमूह हमारे आस-पास की वस्तुओं को इस प्रकार चट कर जाएगा, जिस प्रकार बैल मैदान के घास को चट कर जाता है.” इस अवसर पर ज़ीप्पोर का पुत्र बालाक जो मोआब देश का राजा था,
5 Envió, pues, mensajeros a Balaam, hijo de Beor, a Petor, que está junto al Río en la tierra de los hijos de su pueblo, para llamarle, diciendo: “He aquí un pueblo que ha salido de Egipto y que cubre la faz de la tierra; está acampado frente a mí.
उसने पेथोर नगर को, जो फरात नदी के निकट है, उस नगर का रहवासी, बेओर के पुत्र बिलआम के पास अपने दूतों के द्वारा यह आमंत्रण भेजा: “सुनिए, मिस्र देश से यह जनसमूह यहां आ गया है. ये लोग इतनी बड़ी संख्या में हैं कि वे भूमि पर छा गए हैं और इन्होंने हमारे देश के सामने ही पड़ाव डाल रखा है.
6 Ven, te ruego, y maldíceme a este pueblo, porque es demasiado fuerte para mí; quizás así logre yo derrotarlo y arrojarlo del país: porque sé que es bendito aquel a quien tú bendijeres, y maldito aquel a quien tú maldijeres.”
तब कृपा कर यहां पधारिए, मेरी ओर से इन्हें शाप दीजिए, क्योंकि ये हमारी तुलना में बहुत ही शक्तिशाली हैं. तब मेरे लिए यह संभव हो जाएगा कि मैं उन्हें पराजित कर हमारे देश से बाहर खदेड़ सकूं. क्योंकि इतना मुझे मालूम है कि आप जिनको आशीर्वाद देते हैं, वे फलवंत हो जाते हैं, तथा जिन्हें आप शाप देते हैं, वे शापित ही रह जाते हैं.”
7 Fueron los ancianos de Moab y los ancianos de Madián, llevando en sus manos el estipendio de mago, y llegados a Balaam, le refirieron las palabras de Balac.
फिर मोआब तथा मिदियान के प्राचीन अपने साथ भविष्य बताने का उपहार लेकर उपस्थित हुए. बिलआम के घर पर पहुंचकर उन्होंने उसके सामने बालाक का आग्रह दोहरा दिया.
8 Él les contestó: “Pasad la noche aquí, y os responderé según me diga Yahvé.” Se quedaron, pues, los príncipes de Moab con Balaam.
बिलआम ने उनके सामने प्रस्ताव रखा, “आप यहां रात्रि के लिए ठहर कर विश्राम कीजिए. जब याहवेह मुझसे बातें करेंगे, मैं आपको उनका संदेश दे दूंगा.” मोआब के वे प्रधान बिलआम के यहां ठहर गए.
9 Y vino Dios a Balaam y le dijo: “¿Quiénes son estos hombres que están contigo?”
परमेश्वर बिलआम पर प्रकट हुए तथा उससे प्रश्न किया, “कौन हैं ये व्यक्ति, जो तुम्हारे साथ हैं?”
10 Balaam respondió a Dios: “Balac, hijo de Sefor, rey de Moab, ha enviado a decirme:
बिलआम ने परमेश्वर को उत्तर दिया, “ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक ने, जो मोआब का राजा है, मेरे लिए संदेश भेजा है:
11 He aquí un pueblo que ha salido de Egipto y que cubre la faz de la tierra. Ven, por lo tanto, y maldícemelo; quizás así podré combatirlo y rechazarlo.”
‘सुनिए, मिस्र से ये लोग निकलकर आए हुए हैं. ये लोग तो भूमि पर छा गए हैं. अब आकर मेरी ओर से इन्हें शाप दे दो. तब संभवतः मैं उनसे युद्ध कर उन्हें यहां से खदेड़ सकूंगा.’”
12 Y dijo Dios a Balaam: “No vayas con ellos, ni maldigas a ese pueblo, porque es bendito.”
परमेश्वर ने बिलआम को आज्ञा दी, “मत जाओ उनके साथ. तुम उन लोगों को शाप नहीं दोगे, क्योंकि वे लोग आशीषित लोग हैं.”
13 Se levantó, pues, Balaam por la mañana, y dijo a los príncipes de Balac: “Volveos a vuestra tierra, porque Yahvé no quiere dejarme ir con vosotros”.
फिर सुबह होते ही बिलआम ने बालाक के प्रधानों को उत्तर दिया, “आप लोग अपने देश लौट जाइए, क्योंकि याहवेह ने मुझे आप लोगों के साथ जाने के लिए मना कर दिया है.”
14 Y se levantaron los príncipes de Moab, y regresados a Balac le dijeron: “Balaam no quiere venir con nosotros.”
मोआब के उन प्रधानों ने लौटकर बालाक को यह सूचना दे दी, “बिलआम ने हमारे साथ यहां आने से मना कर दिया है.”
15 Entonces Balac envió de nuevo otros príncipes a Balaam, en mayor número y más distinguidos que los anteriores;
फिर बालाक ने दोबारा इन प्रधानों से अधिक संख्या में तथा अधिक सम्मानजनक प्रधानों को बिलआम के पास भेज दिया.
16 los cuales llegados a Balaam le dijeron: “Así dice Balac, hijo de Sefor: Te ruego no dejes apartarte de venir a mí;
बिलआम के सामने जाकर उन्होंने विनती की, “ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक की विनती है, ‘आपको मेरे पास आने में कोई भी बाधा न हो,
17 que yo te colmaré de honores, y haré todo lo que me digas, con tal que vengas y me maldigas a esta gente.”
विश्वास कीजिए मैं आपको अपार धन से सम्मानित कर दूंगा, आप जो कुछ कहेंगे, मैं वही करने के लिए तैयार हूं. बस, आप कृपा कर यहां आ जाइए और मेरी ओर से इन लोगों को शाप दे दीजिए.’”
18 Mas Balaam respondió y dijo a los siervos de Balac: “Aunque Balac me diese tanta plata y oro como cabe en su casa no puedo desoír la palabra de Yahvé, mi Dios, haciendo (algo contrario), sea cosa chica, sea grande.
बिलआम ने बालाक के लोगों को उत्तर दिया, “यदि बालाक मेरे घर को चांदी और सोने से भर भी दें, मेरे लिए कुछ भी करना संभव न होगा, चाहे यह विनती छोटी हो या बड़ी. मैं याहवेह, मेरे परमेश्वर के आदेश के विपरीत कुछ नहीं कर सकता.
19 Quedaos pues aquí esta noche, vosotros también, para que yo sepa qué más me diga Yahvé.”
फिर अब, आप रात्रि में मेरे यहां विश्राम कीजिए. मैं मालूम करूंगा, कि याहवेह इस विषय में मुझसे और क्या कहना चाहेंगे.”
20 Y vino Dios de noche a Balaam y le dijo: “Si estos hombres han venido a llamarte, levántate y vete con ellos, pero harás solamente lo que Yo te dijere.”
रात में परमेश्वर ने बिलआम के सामने आकर उसे आज्ञा दी, “यदि वे तुम्हें अपने साथ ले जाने के उद्देश्य से आ ही गए हैं, तो जाओ उनके साथ; किंतु तुम सिर्फ वही कहोगे, जो मैं तुमसे कहूंगा, वही करना.”
21 Y se levantó Balaam a la mañana, aparejó su asna, y marchó con los príncipes de Moab.
फिर सुबह बिलआम उठा, अपनी गधी की काठी कसी तथा मोआब के प्रधानों के साथ चल दिया.
22 Sin embargo se encendió la ira de Dios al emprender Balaam viaje, y el Ángel de Yahvé se puso en el camino para cerrarle el paso. Iba Balaam montado sobre su asna, y le acompañaban dos de sus siervos.
बिलआम के उनके साथ चले जाने पर परमेश्वर अप्रसन्न हो गए. याहवेह का दूत बिलआम के मार्ग में शत्रु के समान विरोधी बनकर खड़ा हो गया. बिलआम अपनी गधी पर बैठा हुआ था, तथा उसके साथ उसके दो सेवक भी थे.
23 Cuando la burra vio al Ángel de Yahvé parado en el camino, con su espada desenvainada en la mano, se desvió del camino, andando por el campo; y Balaam le dio golpes para volverla al camino.
जैसे ही गधी की दृष्टि हाथ में तलवार लिए हुए, मार्ग में खड़े हुए याहवेह के दूत पर पड़ी, वह मार्ग छोड़ खेत में चली गई. बिलआम ने गधी को प्रहार किए, कि वह दोबारा मार्ग पर आ जाए.
24 Entonces el Ángel de Yahvé se apostó en una hondonada entre las viñas, con un muro de un lado y un muro del otro.
फिर याहवेह का दूत अंगूर के बगीचे के बीच की संकरी पगडंडी पर जा खड़ा हुआ, जिसके दोनों ओर दीवार थी.
25 Al ver la burra al Ángel de Yahvé se arrimó al muro y apretó el pie de Balaam contra la pared, el cual volvió a pegarla.
जब गधी की दृष्टि याहवेह के दूत पर पड़ी वह दीवार से सट गई, जिससे बिलआम का पैर दीवार से दब गया. बिलआम ने दोबारा उस गधी पर प्रहार किया.
26 Una vez más se adelantó el Ángel de Yahvé y se puso en un sitio estrecho donde no había espacio para desviarse ni a la derecha ni a la izquierda.
याहवेह का वह दूत आगे चला गया तथा एक ऐसे संकरे स्थान पर जा खड़ा हुआ जहां न तो दाएं मुड़ने का कोई स्थान था, न बाएं मुड़ने का.
27 Entonces al ver la burra al Ángel de Yahvé, se echó en tierra debajo de Balaam, el cual enfurecido la pegó con el bastón.
जब उस गधी ने याहवेह के दूत को देखा तो वह बिलआम के नीचे पसर गई. बिलआम क्रोधित हो गया तथा उसने अपनी लाठी से उस गधी पर वार किया.
28 Mas Dios abrió la boca de la burra, la cual dijo a Balaam: “¿Qué te he hecho para que me pegues ya por tercera vez?”
तब याहवेह ने उस गधी को बोलने की क्षमता प्रदान कर दी. वह बिलआम से कहने लगी, “मैंने ऐसा क्या किया है, जो आपने मुझ पर इस प्रकार तीन बार वार किया है?”
29 Balaam respondió a la burra: “Porque haces burla de mí. ¡Ojalá tuviera yo una espada, que ahora mismo te mataría!”
बिलआम ने उसे उत्तर दिया, “इसलिये कि तुमने मुझे हंसी का पात्र बना रखा है! यदि मेरे हाथ में तलवार होती, मैं अब तक तुम्हारा वध कर चुका होता.”
30 Replicó la burra a Balaam: “¿No soy yo tu asna, en que has cabalgado siempre desde que yo soy tuya hasta hoy? ¿Por ventura he hecho yo contigo jamás cosa semejante?” Y él respondió: “No”.
उस गधी ने उसे उत्तर दिया, “क्या मैं आपकी वही गधी नहीं रही हूं, जिस पर आप आजीवन यात्रा करते रहे हैं, जैसे कि आज भी? क्या मैंने भी आपके साथ कभी ऐसा व्यवहार किया है?” बिलआम ने उत्तर दिया, “नहीं तो?”
31 Entonces Yahvé abrió los ojos de Balaam, de modo que vio al Ángel de Yahvé parado en el camino con la espada desenvainada en la mano; e inclinándose se prosternó sobre su rostro.
फिर याहवेह ने बिलआम को वह दृष्टि प्रदान की, कि उसे याहवेह का वह दूत दिखाई देने लगा, जो मार्ग में तलवार लिए हुए खड़ा था. बिलआम उसके सामने गिर पड़ा.
32 Y le dijo el Ángel de Yahvé: “¿Por qué has pegado a tu asna estas tres veces? He aquí que yo he salido para cerrarte el camino, pues tu viaje es perverso delante de mí.
याहवेह के दूत ने बिलआम से पूछा, “तुमने तीन बार इस गधी पर वार क्यों किया है? यह समझ लो कि मैं तुम्हारा विरोध करने आ गया हूं, क्योंकि तुम्हारी चाल मुझसे ठीक विपरीत है.
33 Me vio la burra y se desvió delante de mí estas tres veces. Si no se hubiera desviado de mi presencia, te habría matado a ti, y a ella la abría dejado con vida.”
इस गधी ने मुझे देख लिया और इन तीनों बार मुझसे दूर चली गई; यदि उसने ऐसा न किया होता तो निश्चित ही इस समय मैं तुम्हारा नाश कर चुका होता, और उसे जीवित ही रहने देता.”
34 Dijo entonces Balaam al Ángel de Yahvé: “He pecado; porque no sabía que tú te habías apostado contra mí en el camino. Si la cosa te parece mal, ahora mismo me volveré.”
बिलआम ने याहवेह के उस दूत के सामने यह स्वीकार किया, “मैंने पाप किया है. मैं इस बात से अनजान था, कि मार्ग में खड़े हुए आप मेरा सामना कर रहे थे. फिर अब, यदि यह आपके विरुद्ध हो रहा है, मैं लौट जाना चाहूंगा.”
35 El Ángel de Yahvé respondió a Balaam: “Ve con estos hombres; pero habla solamente lo que yo te dijere.” Se fue, pues, Balaam con los príncipes de Balac.
किंतु याहवेह के दूत ने बिलआम से कहा, “अब तो तुम इन लोगों के साथ चले जाओ, किंतु तुम वही कहोगे, जो मैं तुम्हें कहने के लिए प्रेरित करूंगा.” फिर बिलआम बालाक के उन प्रधानों के साथ चला गया.
36 Cuando Balac supo que venía Balaam, le salió al encuentro hasta Ir-Moab, situada en el límite del Arnón, en el extremo de la frontera.
जब बालाक को यह मालूम हुआ, कि बिलआम आ रहा है, वह उससे भेंट करने मोआब के उस नगर के लिए निकल पड़ा, जो आरनोन की सीमा पर स्थित है; सीमा के दूर वाले छोर पर.
37 Y dijo Balac a Balaam: “¿Acaso no he enviado a llamarte? ¿Por qué no viniste a mí? ¿Crees tal vez que yo no soy capaz de recompensarte?”
भेंट होने पर बालाक ने बिलआम से कहा, “क्या मैंने आपको अत्यंत आवश्यक विनती के साथ आमंत्रित न किया था? आप फिर क्यों न आए? क्या मेरे लिए आपका उचित सम्मान करना असंभव था?”
38 Respondió Balaam a Balac: “Heme aquí, he venido a ti; pero ¿podré yo acaso decir algo? No te diré otra palabra sino la que Dios pusiere en mi boca.”
बिलआम ने बालाक को उत्तर दिया, “देखिए अब तो मैं आपके लिए प्रस्तुत हूं. क्या मुझमें ऐसी कोई क्षमता है, कि मैं कुछ भी कह सकूं? मैं तो वही कहूंगा, जो परमेश्वर मेरे मुख में डालेंगे.”
39 Y se marchó Balaam con Balac, y llegaron a Kiryat-Husot.
यह कहते हुए बिलआम बालाक के साथ चला गया और वे किरयथ-हुज़ोथ नामक स्थल पर पहुंचे.
40 Y sacrificó Balac bueyes y ovejas para hacer presentes a Balaam y a los príncipes que le acompañaban.
वहां बालाक ने बछड़ों तथा भेड़ों की बलि भेंट की. इसका कुछ अंश उसने बिलआम तथा उसके साथ आए प्रधानों को दे दिया.
41 Al día siguiente tomó Balac a Balaam y le hizo subir a Bamot-Baal, desde donde podía divisar la parte extrema del pueblo.
सुबह होते ही बालाक बिलआम को बामोथ-बाल के पूजा-स्थल पर ले गया, जहां से इस्राएली प्रजा का एक अंश दिखाई दे रहा था.