< 1 Reyes 11 >

1 El rey Salomón amó, además de la hija del Faraón, a muchas mujeres extranjeras, moabitas, ammonitas, idumeas, sidonias y heteas;
फ़रोह की पुत्री के अलावा शलोमोन को अनेक विदेशी स्त्रियों से प्रेम हो गया था: मोआबी, अम्मोनी, एदोमी, सीदोनी, और हित्ती स्त्रियों से.
2 de las naciones de que había dicho Yahvé a los hijos de Israel: “No os lleguéis a ellas, ni ellas se lleguen a vosotros; pues seguramente desviarán vuestro corazón hacia los dioses de ellas.” A tales se unió Salomón con amor.
ये वे राष्ट्र थे, जिनके विषय में याहवेह ने इस्राएल को चेतावनी देते हुए कहा था, “तुम न तो उन जनताओं से कोई वैवाहिक संबंध रखना, और न उनका ही तुम्हारे साथ किसी प्रकार का संबंध हो, क्योंकि यह तय है कि वे तुम्हारा हृदय अपने देवताओं की ओर लगा ही लेंगे.” शलोमोन को इन स्त्रियों से गहरा प्रेम हो गया था.
3 Tuvo setecientas mujeres reinas y trescientas concubinas; y sus mujeres eran causa de los extravíos de su corazón.
शलोमोन ने सात सौ राजकुमारियों से विवाह किया और उनकी तीन सौ उपपत्नियां थी! उनकी पत्नियों ने उनका हृदय परमेश्वर से दूर कर दिया.
4 Pues siendo Salomón ya viejo, sus mujeres arrastraron su corazón hacia otros dioses; pues no era su corazón enteramente fiel a Yahvé su Dios, como lo fue el corazón de su padre David.
क्योंकि जब शलोमोन की उम्र ढलने लगी, उनकी पत्नियों ने उनका हृदय पराए देवताओं की ओर कर दिया; उनका हृदय याहवेह, उनके परमेश्वर के लिए पूरी तरह सच्चा नहीं रह गया, जैसे उनके पिता दावीद का था.
5 Salomón dio culto a Astarté, diosa de los sidonios, y a Milcom, abominación de los ammonitas.
शलोमोन ने सीदोनिवासियों की देवी अश्तोरेथ और अम्मोनियों के घृणित देवता मिलकाम की आराधना करनी शुरू कर दी.
6 E hizo Salomón lo que era malo a los ojos de Yahvé, y no siguió por entero en pos de Yahvé como su padre David.
यह करते हुए शलोमोन ने वह किया जो याहवेह की दृष्टि में गलत था. अब वह पूरी तरह याहवेह के मार्गों पर नहीं चल रहे थे, जैसा दावीद, उनके पिता ने किया था.
7 En aquel tiempo Salomón erigió en el monte que está frente a Jerusalén un santuario para Camos, abominación de Moab y para Moloc, abominación de los hijos de Ammón.
शलोमोन ने येरूशलेम की पूर्वी पहाड़ी पर मोआब देश के घृणित देवता खेमोश और अम्मोनियों के घृणित देवता मोलेख के आदर में पूजा घर बनवाए.
8 Lo mismo hizo para todas sus mujeres de tierra extraña, que quemaban incienso y ofrecían sacrificios a sus dioses.
यही उन्होंने अपनी सभी विदेशी पत्नियों के लिए किया, जो इन पर अपने-अपने देवताओं के लिए बलि चढ़ाया करती और धूप जलाया करती थीं.
9 Entonces se irritó Yahvé contra Salomón, puesto que había apartado su corazón de Yahvé, el Dios de Israel, que se le había aparecido dos veces,
इन कामों के कारण याहवेह शलोमोन से क्रोधित हो गए, क्योंकि उनका मन याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर से, जिन्होंने दो बार उन्हें दर्शन दिए थे, दूर हो गया था,
10 y le había mandado particularmente que no se fuese tras otros dioses; mas él no guardó lo que Yahvé le había ordenado.
जिन्होंने उन्हें यह आदेश दिया था कि वह पराए देवताओं के पीछे न चलें. मगर उन्होंने याहवेह के इस आदेश का पालन न किया.
11 Dijo, pues, Yahvé a Salomón: “Por cuanto te has portado así y no has guardado mi alianza y mis leyes que Yo te había prescrito, arrancaré el reino de tu mano y lo daré a un siervo tuyo;
इसलिये याहवेह ने शलोमोन से कहा, “तुम्हारे इसी काम के कारण, और इसलिये कि तुमने मेरी वाचा और विधियों का पालन नहीं किया, जिनका मैंने तुम्हें आदेश दिया था, यह तय है कि मैं तुम्हारा राज्य तुमसे छीनकर तुम्हारे सेवक को दे दूंगा.
12 pero no lo haré en tus días por amor de tu padre David; sino que lo arrancaré de mano de tu hijo.
फिर भी, तुम्हारे पिता दावीद के कारण मैं यह तुम्हारे जीवनकाल में नहीं करूंगा. बल्कि मैं यह तुम्हारे पुत्र के हाथ से छीन लूंगा.
13 Ni tampoco le arrancaré el reino entero, sino que daré una tribu a tu hijo, por amor a David, mi siervo, y por amor de Jerusalén que Yo he escogido.”
फिर भी मैं पूरा राज्य नहीं छीनूंगा. मैं एक गोत्र तुम्हारे पुत्र के लिए छोड़ दूंगा; मेरे सेवक दावीद और मेरे चुने गए नगर येरूशलेम के कारण.”
14 Suscitó Yahvé a Salomón un enemigo: Hadad, el idumeo, que era del linaje real de Edom.
इसके बाद याहवेह ने शलोमोन के लिए एक शत्रु खड़ा किया; एदोमी हदद, जो एदोम राजा के वंश से था.
15 Cuando David estuvo (en guerra) con Edom, y Joab, jefe del ejército, subió para enterrar los muertos y mató a todos los varones de Edom
जब दावीद एदोम देश में थे और सेनापति योआब मरे हुओं को मिट्टी देने वहां गए हुए थे, उन्होंने एदोम देश के हर एक पुरुष का वध कर दिया था.
16 —porque seis meses permaneció allí Joab con todo Israel, hasta exterminar a todos los varones de Edom—
योआब और इस्राएल सेना वहां छः महीने तक ठहरी रही थी, जब तक एदोम के हर एक पुरुष की हत्या न कर दी गई.
17 huyó Hadad y con él algunos idumeos de entre los siervos de su padre y se retiró a Egipto, siendo Hadad todavía jovencito.
मगर हदद मिस्र देश को भाग चुका था. उसके साथ उसके पिता के एदोमी सेवक भी थे. उस समय हदद सिर्फ छोटा बालक ही था.
18 Saliendo de Madián pasaron a Farán, y tomando consigo algunos hombres de Farán, llegaron a Egipto, al Faraón, rey de Egipto, el cual le dio casa, le asignó sustento y le dio tierras.
उसने मिदियान देश से चलना शुरू किया और पारान नामक स्थान पर आ पहुंचा. वहां से कुछ व्यक्तियों को अपने साथ लेकर वे मिस्र देश में फ़रोह की शरण में पहुंच गया. फ़रोह ने उसे एक घर और ज़मीन का टुकड़ा देकर उसके लिए नियमित भोजन की व्यवस्था भी कर दी.
19 Hadad halló gracia a los ojos del Faraón, de tal manera que le dio por mujer la hermana de su misma mujer, la hermana de la reina Tafnes.
हदद फ़रोह का प्रिय बन गया, यहां तक कि फ़रोह ने उसका विवाह अपनी पत्नी तहपनीस की बहन से कर दिया.
20 La hermana de Tafnes le dio un hijo, Genubat, al que destetó Tafnes en la casa del Faraón; y habitó Genubat en la casa del Faraón, en medio de los hijos del Faraón.
उससे उसके एक पुत्र पैदा हुआ. उसका नाम गेनुबाथ रखा; फ़रोह के यहां रहते हुए ही इसने माता का दूध पीना छोड़ दिया था. गेनुबाथ राजमहल में फ़रोह के पुत्रों के साथ ही रहता था.
21 Cuando supo Hadad en Egipto que David se había dormido con sus padres, y que Joab, jefe del ejército, era muerto, dijo al Faraón: “Déjame ir para que vaya a mi tierra.”
मिस्र में रहते हुए ही जब हदद ने यह सुना कि दावीद अब नहीं रहे, और सेनापति योआब की भी मृत्यु हो गई है, हदद ने फ़रोह से विनती की, “मुझे आज्ञा दीजिए कि मैं अपने देश में जा रहूं.”
22 El Faraón le contestó: “Pues, ¿qué te falta conmigo para que quieras irte a tu tierra?” Replicó él: “Nada me falta, pero de todos modos déjame partir.”
मगर फ़रोह ने उससे कहा, “मेरे यहां ऐसी क्या कमी है कि तुम अपने देश को जाना चाह रहे हो?” हदद ने उत्तर दिया, “कमी तो कुछ भी नहीं है, मगर फिर भी मुझे जाने दीजिए.”
23 Suscitó Dios (a Salomón otro) adversario: Rezón, hijo de Eliadá, que había huido de su señor Hadadéser, rey de Soba.
परमेश्वर ने शलोमोन के विरुद्ध एक और शत्रु खड़ा कर दिया: एलियादा का पुत्र रेज़ोन, जो ज़ोबाह के राजा हादेदेज़र अपने स्वामी से बचकर भागा था.
24 Reuniendo consigo unos hombres vino a ser jefe de una banda, cuando David mató a los (arameos). Llegó a Damasco, donde se estableció, apoderándose del reino de Damasco.
दावीद द्वारा की गई हत्याओं के बाद उसने अपने साथ अनेक व्यक्ति जुटा लिए, और वह लूटमार करनेवाले झुण्ड़ का मुखिया बन गया. ये सब दमेशेक जाकर वहां बस गए. वहां इन लोगों ने उसे दमेशेक का राजा बना दिया.
25 Este fue enemigo de Israel todos los días de Salomón, además del mal que hizo Hadad, pues aborrecía a Israel y reinaba sobre la Siria.
शलोमोन के पूरे जीवनकाल में वह इस्राएल का शत्रु ही बना रहा. हदद ने इस्राएल की हानि ही की थी. इसके अलावा रेज़ोन अराम का शासक को इस्राएल से घोर नफरत थी.
26 Levantó la mano contra el rey también Jeroboam, hijo de Nabat, efrateo de Seredá, cuya madre era una viuda que se llamaba Seruá. Era este siervo de Salomón.
ज़ेरेदाह नगर से एक एफ्राईमवासी, नेबाथ के पुत्र यरोबोअम ने भी, जो शलोमोन का ही सेवक था, जिसकी माता का नाम ज़ेरुआह था, जो विधवा थी, राजा के विरुद्ध सिर उठाया.
27 Y he aquí la causa porque se sublevó contra el rey: Salomón estaba edificando el Milló, rellenando la hondonada que había en la ciudad de David, su padre.
राजा के विरुद्ध उसके विद्रोह का कारण यह था: जब शलोमोन मिल्लो को बनवा रहा था और जब उनके पिता दावीद के नगर की शहरपनाह की मरम्मत की जा रही थी,
28 Jeroboam era hombre valiente y capaz y viendo Salomón que este joven era muy activo en la obra, le puso sobre todos los trabajos de la casa de José.
राजा ने ध्यान दिया कि यरोबोअम शक्तिशाली जवान था, और राजा ने यह भी देखा कि वह मेहनती है, तो राजा ने उसे योसेफ़वंशी दासों का मुखिया बना दिया.
29 Aconteció por aquel tiempo que saliendo Jeroboam de Jerusalén, le encontró en el camino el profeta Ahías silonita, que estaba envuelto en una capa nueva, y los dos estaban solos en el campo.
जब यरोबोअम येरूशलेम से बाहर गया तो मार्ग में शीलो वासी भविष्यद्वक्ता अहीयाह से उसकी भेंट हो गई. अहीयाह ने नए कपड़े पहने हुए था. सिर्फ ये दोनों इस समय मैदान में खड़े हुए थे.
30 Tomando entonces Ahías la capa nueva que tenía encima, la rasgó en doce pedazos,
अचानक ही अहीयाह ने अपने उस नए कपड़े को लिया, जिसे वह पहने हुए थे, और उसे फाड़ते हुए बारह भागों में बांट दिया.
31 y dijo a Jeroboam: “Toma para ti diez pedazos, porque así dice Yahvé, el Dios de Israel: He aquí que voy a arrancar el reino de mano de Salomón, y te daré a ti diez tribus;
यरोबोअम से उन्होंने कहा, “अपने लिए इनमें से दस भाग उठा लो, क्योंकि याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर ने यह कहा है, ‘यह देख लेना कि मैं शलोमोन के हाथ से छीनकर तुम्हें दस गोत्रों का अधिकार दे दूंगा,
32 una sola tribu quedará para él, a causa de mi siervo David, y a causa de Jerusalén, la ciudad que Yo he escogido entre todas las tribus de Israel;
मगर मेरे सेवक दावीद और येरूशलेम नगर के हित में, उसके लिए एक गोत्र दे दिया जाएगा, जिसे मैंने इस्राएल के सारे गोत्रों में से चुन लिया है,
33 por cuanto me han abandonado, y se han prosternado ante Astarté, diosa de los sidonios, ante Camos, dios de Moab, y ante Milcom, dios de los hijos de Ammón; y no han seguido mis caminos para hacer lo que es recto a mis ojos (ni han observado) mis leyes y mis preceptos como lo hizo David, su padre.
क्योंकि उसने मुझे भुलाकर सीदोनियों की देवी अश्तोरेथ की, मोआब के देवता खेमोश की और अम्मोनियों के देवता मिलकाम की पूजा करना शुरू कर दिया है. उसने मेरे नियमों का पालन करना छोड़ दिया है. उसने अपने पिता दावीद के समान वह नहीं किया, जो मेरी नज़रों में सही है, और न ही उसने मेरी विधियों और नियमों का पालन ही किया है.
34 Mas no quitaré de su mano ninguna parte del reino, puesto que le he constituido príncipe todos los días de su vida, por amor de mi siervo David, a quien escogí, porque observó mis leyes y mis mandamientos,
“‘यह सब होने पर भी मैं उससे सारा राज्य नहीं छीनूंगा, मैं अपने सेवक दावीद के कारण उसे आजीवन शासक बना रहने दूंगा, जो मेरा चुना हुआ था, जो मेरे आदेशों और नियमों का पालन करता रहा,
35 sino que quitaré el reino de mano de su hijo, y te lo daré a ti, a saber, las diez tribus;
मगर मैं यह राज्य उसके पुत्र से ज़रूर छीन लूंगा और ये दस गोत्र तुम्हें दे दूंगा.
36 y a su hijo le daré una tribu, para que mi siervo David tenga una lámpara todos los días delante de Mí en Jerusalén, la ciudad que he escogido para Mí a fin de poner allí mi Nombre.
हां, उसके पुत्र को मैं एक गोत्र दे दूंगा, कि येरूशलेम में मेरे सामने मेरे सेवक दावीद का दीप हमेशा जलता रहे. येरूशलेम वह नगर है, जहां मैंने अपनी महिमा करना सही समझा है.
37 A ti te tomaré, y tú reinarás sobre todo lo que deseare tu alma, y serás rey sobre Israel.
मैं तुम्हें प्रतिष्ठित करूंगा, कि तुम अपनी इच्छा अनुसार शासन कर सकोगे. तुम इस्राएल देश के राजा बन जाओगे.
38 Si obedecieres todo cuanto Yo te mandare, andando en mis caminos, e hicieres lo que es recto a mis ojos, guardando mis leyes y mis mandamientos, como lo hizo mi siervo David, seré contigo y te edificaré una casa estable, como la edifiqué a David, y te daré Israel.
और यदि तुम मेरे आदेश को सुनकर उनका पालन करोगे, मेरी आज्ञाओं को मानोगे, और वही सब करोगे जो मेरी नज़रों में सही है, जैसा मेरे सेवक दावीद ने मेरे नियमों और आदेशों का पालन करने में किया था, मैं तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हारे वंश को स्थिर करूंगा, जैसा मैंने दावीद के साथ किया. तब मैं तुम्हें इस्राएल की प्रभुता सौंप दूंगा.
39 Humillaré a la descendencia de David por esta causa, pero no para siempre.”
ऐसा करके मैं दावीद के वंशजों को पीड़ित तो करूंगा, मगर यह पीड़ा हमेशा के लिए नहीं होगी.’”
40 Procuraba Salomón dar muerte a Jeroboam, pero Jeroboam se escapó y fue a refugiarse en Egipto, cerca de Sesac, rey de Egipto, y permaneció en Egipto hasta la muerte de Salomón.
यह सुन शलोमोन ने यरोबोअम की हत्या करने की कोशिश की, मगर यरोबोअम मिस्र के राजा शिशाक की शरण में चला गया और शलोमोन की मृत्यु तक वहीं रहा.
41 Las demás cosas de Salomón, todo lo que hizo y su sabiduría, ¿no está escrito en el libro de los hechos de Salomón?
शलोमोन की बाकी उपलब्धि और उसके द्वारा किए गए सारे सुधारों का ब्योरा शलोमोन के काम नामक पुस्तक में लिखित है.
42 El tiempo que reinó Salomón en Jerusalén, sobre todo Israel, fue de cuarenta años.
सारे इस्राएल पर शलोमोन ने येरूशलेम से चालीस साल राज किया.
43 Y Salomón se durmió con sus padres, y fue sepultado en la ciudad de David, su padre. En su lugar reinó su hijo Roboam.
शलोमोन अपने पूर्वजों के साथ हमेशा के लिए सो गए. उसका अंतिम संस्कार उसके पिता दावीद के नगर में किया गया. उसका स्थान पर उसका पुत्र रिहोबोयाम राजा बना.

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