< Псалтирь 103 >
1 Благослови, душе моя, Господа, и вся внутренняя моя, имя святое Его:
ऐ मेरी जान! ख़ुदावन्द को मुबारक़ कह; और जो कुछ मुझमें है उसके पाक नाम को मुबारक़ कहें
2 благослови, душе моя, Господа, и не забывай всех воздаяний Его:
ऐ मेरी जान! ख़ुदावन्द को मुबारक़ कह और उसकी किसी ने'मत को फ़रामोश न कर।
3 очищающаго вся беззакония твоя, изцеляющаго вся недуги твоя,
वह तेरी सारी बदकारी को बख़्शता है वह तुझे तमाम बीमारियों से शिफ़ा देता है
4 избавляющаго от истления живот твой, венчающаго тя милостию и щедротами,
वह तेरी जान हलाकत से बचाता है, वह तेरे सर पर शफ़क़त व रहमत का ताज रखता है।
5 исполняющаго во благих желание твое: обновится яко орля юность твоя.
वह तुझे उम्र भर अच्छी अच्छी चीज़ों से आसूदा करता है, तू 'उक़ाब की तरह नए सिरे नौजवान होता है।
6 Творяй милостыни Господь и судбу всем обидимым.
ख़ुदावन्द सब मज़लूमों के लिए सदाक़त और अदल के काम करता है।
7 Сказа пути Своя Моисеови, сыновом Израилевым хотения Своя.
उसने अपनी राहें मूसा पर और अपने काम बनी इस्राईल पर ज़ाहीर किए।
8 Щедр и милостив Господь, долготерпелив и многомилостив.
ख़ुदावन्द रहीम व करीम है, क़हर करने में धीमा और शफ़क़त में गनी।
9 Не до конца прогневается, ниже во век враждует:
वह सदा झिड़कता न रहेगा वह हमेशा ग़ज़बनाक न रहेगा।
10 не по беззаконием нашым сотворил есть нам, ниже по грехом нашым воздал есть нам.
उस ने हमारे गुनाहों के मुवाफ़िक़ हम से सुलूक नहीं किया और हमारी बदकारियों के मुताबिक़ हमको बदला नहीं दिया।
11 Яко по высоте небесней от земли, утвердил есть Господь милость Свою на боящихся Его:
क्यूँकि जिस क़द्र आसमान ज़मीन से बुलन्द, उसी क़द्र उसकी शफ़क़त उन पर है, जो उससे डरते हैं।
12 елико отстоят востоцы от запад, удалил есть от нас беззакония наша.
जैसे पूरब पच्छिम से दूर है, वैसे ही उसने हमारी ख़ताएँ हम सेदूर कर दीं।
13 Якоже щедрит отец сыны, ущедри Господь боящихся Его.
जैसे बाप अपने बेटों पर तरस खाता है, वैसे ही ख़ुदावन्द उन पर जो उससे डरते हैं, तरस खाता है।
14 Яко Той позна создание наше, помяну, яко персть есмы.
क्यूँकि वह हमारी सरिश्त से वाक़िफ़ है, उसे याद है कि हम ख़ाक हैं।
15 Человек, яко трава дние его, яко цвет селный, тако оцветет:
इंसान की उम्र तो घास की तरह है, वह जंगली फूल की तरह खिलता है,
16 яко дух пройде в нем, и не будет, и не познает ктому места своего.
कि हवा उस पर चली और वह नहीं, और उसकी जगह उसे फिर न देखेगी
17 Милость же Господня от века и до века на боящихся Его,
लेकिन ख़ुदावन्द की शफ़क़त उससे डरने वालों पर अज़ल से हमेशा तक, और उसकी सदाक़त नसल — दर — नसल है
18 и правда Его на сынех сынов, хранящих завет Его и помнящих заповеди Его творити я.
या'नी उन पर जो उसके 'अहद पर क़ाईम रहते हैं, और उसके क़वानीन पर 'अमल करनायाद रखते हैं।
19 Господь на небеси уготова престол Свой, и царство Его всеми обладает.
ख़ुदावन्द ने अपना तख़्त आसमान पर क़ाईम किया है, और उसकी सल्तनत सब पर मुसल्लत है।
20 Благословите Господа, вси Ангели Его, сильнии крепостию, творящии слово Его, услышати глас словес Его.
ऐ ख़ुदावन्द के फ़िरिश्तो, उसको मुबारक कहो, तुम जो ज़ोर में बढ़ कर हो और उसके कलाम की आवाज़ सुन कर उस पर 'अमल करते हो।
21 Благословите Господа, вся силы Его, слуги Его, творящии волю Его.
ऐ ख़ुदावन्द के लश्करो, सब उसको मुबारक कहो! तुम जो उसके ख़ादिम हो और उसकी मर्ज़ी बजा लाते हो।
22 Благословите Господа, вся дела Его на всяком месте владычества Его: благослови, душе моя, Господа.
ऐ ख़ुदावन्द की मख़लूक़ात, सब उसको मुबारक कहो! तुम जो उसके तसल्लुत के सब मकामों में ही। ऐ मेरी जान, तू ख़ुदावन्द को मुबारक कह!