< Книга Иова 14 >
1 Человек бо рожден от жены малолетен и исполнь гнева:
इंसान जो 'औरत से पैदा होता है थोड़े दिनों का है, और दुख से भरा है।
2 или якоже цвет процветый отпаде, отбеже же яко сень, и не постоит.
वह फूल की तरह निकलता, और काट डाला जाता है। वह साए की तरह उड़ जाता है और ठहरता नहीं।
3 Не и о сем ли слово сотворил еси, и сему сотворил еси внити на суд пред Тя?
इसलिए क्या तू ऐसे पर अपनी आँखें खोलता है; और मुझे अपने साथ 'अदालत में घसीटता है?
4 Кто бо чист будет от скверны? Никтоже,
नापाक चीज़ में से पाक चीज़ कौन निकाल सकता है? कोई नहीं।
5 аще и един день житие его на земли: изочтени же месяцы его от Тебе, на время положил еси, и не преступит.
उसके दिन तो ठहरे हुए हैं, और उसके महीनों की ता'दाद तेरे पास है; और तू ने उसकी हदों को मुक़र्रर कर दिया है, जिन्हें वह पार नहीं कर सकता।
6 Отступи от него, да умолкнет и изберет житие якоже наемник.
इसलिए उसकी तरफ़ से नज़र हटा ले ताकि वह आराम करे, जब तक वह मज़दूर की तरह अपना दिन पूरा न कर ले।
7 Есть бо древу надежда: аще бо посечено будет, паки процветет, и леторасль его не оскудеет:
“क्यूँकि दरख़्त की तो उम्मीद रहती है कि अगर वह काटा जाए तो फिर फूट निकलेगा, और उसकी नर्म नर्म डालियाँ ख़त्म न होंगी।
8 аще бо состареется в земли корень его, на камени же скончается стебло его,
अगरचे उसकी जड़ ज़मीन में पुरानी हो जाए, और उसका तना मिट्टी में गल जाए,
9 от вони воды процветет, сотворит же жатву, якоже новосажденное.
तोभी पानी की बू पाते ही वह नए अखुवे लाएगा, और पौदे की तरह शाख़ें निकालेगा।
10 Муж же умерый отиде, пад же человек, ктому несть.
लेकिन इंसान मर कर पड़ा रहता है, बल्कि इंसान जान छोड़ देता है, और फिर वह कहाँ रहा?
11 Временем бо оскудевает море, река же опустевши изсше:
जैसे झील का पानी ख़त्म हो जाता, और दरिया उतरता और सूख जाता है,
12 человек же уснув не востанет, дондеже не будет небо сошвено, и не возбудятся от сна своего.
वैसे आदमी लेट जाता है और उठता नहीं; जब तक आसमान टल न जाए, वह बेदार न होंगे; और न अपनी नींद से जगाए जाएँगे।
13 Убо, о, дабы во аде мя сохранил еси, скрыл же мя бы еси, дондеже престанет гнев Твой, и вчиниши ми время, в неже память сотвориши ми. (Sheol )
काश कि तू मुझे पाताल में छिपा दे, और जब तक तेरा क़हर टल न जाए, मुझे पोशीदा रख्खे; और कोई मुक़र्ररा वक़्त मेरे लिए ठहराए और मुझे याद करे। (Sheol )
14 Аще бо умрет человек, жив будет: скончав дни жития своего, потерплю, дондеже паки буду.
अगर आदमी मर जाए तो क्या वह फिर जिएगा? मैं अपनी जंग के सारे दिनों में मुन्तज़िर रहता जब तक मेरा छुटकारा न होता।
15 Посем воззовеши, аз же послушаю Тя: дел же руку Твоею не отвращайся:
तू मुझे पुकारता और मैं तुझे जवाब देता; तुझे अपने हाथों की सन'अत की तरफ़ ख्वाहिश होती।
16 изчислил же еси начинания моя, и ничтоже Тя мимоидет от грех моих:
लेकिन अब तो तू मेरे क़दम गिनता है; क्या तू मेरे गुनाह की ताक में लगा नहीं रहता?
17 запечатлел же ми еси беззакония в мешце, назнаменал же еси, аще что неволею преступих.
मेरी ख़ता थैली में सरब — मुहर है, तू ने मेरे गुनाह को सी रख्खा है।
18 Обаче и гора падающи распадется, и камень обетшает от места своего:
यक़ीनन पहाड़ गिरते गिरते ख़त्म हो जाता है, और चट्टान अपनी जगह से हटा दी जाती है।
19 камение огладиша воды, и потопиша воды взнак холмы земныя, и ожидание человеческо погубил еси.
पानी पत्थरों को घिसा डालता है, उसकी बाढ़ ज़मीन की ख़ाक को बहाले जाती है; इसी तरह तू इंसान की उम्मीद को मिटा देता है।
20 Отринул еси его до конца, и отиде: изменил еси ему лице и испустил еси.
तू हमेशा उस पर ग़ालिब होता है, इसलिए वह गुज़र जाता है। तू उसका चेहरा बदल डालता और उसे ख़ारिज कर देता है।
21 Многим же бывшым сыном его, не весть: аще же и мало их будет, не знает:
उसके बेटों की 'इज़्ज़त होती है, लेकिन उसे ख़बर नहीं। वह ज़लील होते हैं लेकिन वह उनका हाल‘नहीं जानता।
22 но плоти его болеша, душа же его о себе сетова.
बल्कि उसका गोश्त जो उसके ऊपर है, दुखी रहता; और उसकी जान उसके अन्दर ही अन्दर ग़म खाती रहती है।”