< مَتھِح 6 >
ساوَدھانا بھَوَتَ، مَنُجانْ دَرْشَیِتُں تیشاں گوچَرے دھَرْمَّکَرْمَّ ما کُرُتَ، تَتھا کرِتے یُشْماکَں سْوَرْگَسْتھَپِتُح سَکاشاتْ کِنْچَنَ پھَلَں نَ پْراپْسْیَتھَ۔ | 1 |
“ध्यान रहे कि तुम लोगों की प्रशंसा पाने के उद्देश्य से धर्म के काम न करो अन्यथा तुम्हें तुम्हारे स्वर्गीय पिता से कोई भी प्रतिफल प्राप्त न होगा.
تْوَں یَدا دَداسِ تَدا کَپَٹِنو جَنا یَتھا مَنُجیبھْیَح پْرَشَںساں پْراپْتُں بھَجَنَبھَوَنے راجَمارْگے چَ تُورِیں وادَیَنْتِ، تَتھا ما کُرِ، اَہَں تُبھْیَں یَتھارْتھَں کَتھَیامِ، تے سْوَکایَں پھَلَمْ اَلَبھَنْتَ۔ | 2 |
“जब तुम दान दो तब इसका ढिंढोरा न पीटो, जैसा पाखंडी यहूदी सभागृहों तथा सड़कों पर किया करते हैं कि वे मनुष्यों द्वारा सम्मानित किए जाएं. सच तो यह है कि वे अपना पूरा-पूरा प्रतिफल प्राप्त कर चुके;
کِنْتُ تْوَں یَدا دَداسِ، تَدا نِجَدَکْشِنَکَرو یَتْ کَروتِ، تَدْ وامَکَرَں ما جْناپَیَ۔ | 3 |
किंतु तुम जब ज़रूरतमंदों को दान दो तो तुम्हारे बायें हाथ को यह मालूम न हो सके कि तुम्हारा दायां हाथ क्या कर रहा है
تینَ تَوَ دانَں گُپْتَں بھَوِشْیَتِ یَسْتُ تَوَ پِتا گُپْتَدَرْشِی، سَ پْرَکاشْیَ تُبھْیَں پھَلَں داسْیَتِ۔ | 4 |
कि तुम्हारी दान प्रक्रिया पूरी तरह गुप्त रहे. तब तुम्हारे पिता, जो अंतर्यामी हैं, तुम्हें प्रतिफल देंगे.
اَپَرَں یَدا پْرارْتھَیَسے، تَدا کَپَٹِنَاِوَ ما کُرُ، یَسْماتْ تے بھَجَنَبھَوَنے راجَمارْگَسْیَ کونے تِشْٹھَنْتو لوکانْ دَرْشَیَنْتَح پْرارْتھَیِتُں پْرِییَنْتے؛ اَہَں یُشْمانْ تَتھْیَں وَدامِ، تے سْوَکِییَپھَلَں پْراپْنُوَنْ۔ | 5 |
“प्रार्थना करते हुए तुम्हारी मुद्रा दिखावा करनेवाले लोगों के समान न हो क्योंकि उनकी रुचि यहूदी सभागृहों में तथा नुक्कड़ों पर खड़े होकर प्रार्थना करने में होती है कि उन पर लोगों की दृष्टि पड़ती रहे. मैं तुम पर यह सच प्रकाशित कर रहा हूं कि वे अपना पूरा-पूरा प्रतिफल प्राप्त कर चुके.
تَسْماتْ پْرارْتھَناکالے اَنْتَراگارَں پْرَوِشْیَ دْوارَں رُدْوّا گُپْتَں پَشْیَتَسْتَوَ پِتُح سَمِیپے پْرارْتھَیَسْوَ؛ تینَ تَوَ یَح پِتا گُپْتَدَرْشِی، سَ پْرَکاشْیَ تُبھْیَں پھَلَں داسْیَتِ | 6 |
इसके विपरीत जब तुम प्रार्थना करो, तुम अपनी कोठरी में चले जाओ, द्वार बंद कर लो और अपने पिता से, जो अदृश्य हैं, प्रार्थना करो और तुम्हारे पिता, जो अंतर्यामी हैं, तुम्हें प्रतिफल देंगे.
اَپَرَں پْرارْتھَناکالے دیوَپُوجَکااِوَ مُدھا پُنَرُکْتِں ما کُرُ، یَسْماتْ تے بودھَنْتے، بَہُوارَں کَتھایاں کَتھِتایاں تیشاں پْرارْتھَنا گْراہِشْیَتے۔ | 7 |
“अपनी प्रार्थना में अर्थहीन शब्दों को दोहराते न जाओ, जैसा गैर-यहूदी करते हैं क्योंकि उनका विचार है कि शब्दों के अधिक होने के कारण ही उनकी प्रार्थना सुनी जाएगी.
یُویَں تیشامِوَ ما کُرُتَ، یَسْماتْ یُشْماکَں یَدْ یَتْ پْرَیوجَنَں یاچَناتَح پْراگیوَ یُشْماکَں پِتا تَتْ جاناتِ۔ | 8 |
इसलिये उनके जैसे न बनो क्योंकि तुम्हारे स्वर्गीय पिता को विनती करने से पहले ही तुम्हारी ज़रूरत का अहसास रहता है.
اَتَایوَ یُویَمَ اِیدرِکْ پْرارْتھَیَدھْوَں، ہے اَسْماکَں سْوَرْگَسْتھَپِتَح، تَوَ نامَ پُوجْیَں بھَوَتُ۔ | 9 |
“तुम प्रार्थना इस प्रकार किया करो: “हमारे स्वर्गिक पिता, आपका नाम पवित्र माना जाए.
تَوَ راجَتْوَں بھَوَتُ؛ تَویچّھا سْوَرْگے یَتھا تَتھَیوَ میدِنْیامَپِ سَپھَلا بھَوَتُ۔ | 10 |
आपका राज्य हर जगह हो. आपकी इच्छा पूरी हो, जिस प्रकार स्वर्ग में उसी प्रकार पृथ्वी पर भी.
اَسْماکَں پْرَیوجَنِییَمْ آہارَمْ اَدْیَ دیہِ۔ | 11 |
आज हमें हमारा दैनिक आहार प्रदान कीजिए.
وَیَں یَتھا نِجاپَرادھِنَح کْشَمامَہے، تَتھَیواسْماکَمْ اَپَرادھانْ کْشَمَسْوَ۔ | 12 |
आप हमारे अपराधों की क्षमा कीजिए जैसे हमने उन्हें क्षमा किया है, जिन्होंने हमारे विरुद्ध अपराध किए थे.
اَسْمانْ پَرِیکْشاں مانَیَ، کِنْتُ پاپاتْمَنو رَکْشَ؛ راجَتْوَں گَورَوَں پَراکْرَمَح ایتے سَرْوّے سَرْوَّدا تَوَ؛ تَتھاسْتُ۔ | 13 |
हमें परीक्षा से बचाकर उस दुष्ट से हमारी रक्षा कीजिए क्योंकि राज्य, सामर्थ्य तथा प्रताप सदा-सर्वदा आप ही का है, आमेन.
یَدِ یُویَمْ اَنْییشامْ اَپَرادھانْ کْشَمَدھْوے تَرْہِ یُشْماکَں سْوَرْگَسْتھَپِتاپِ یُشْمانْ کْشَمِشْیَتے؛ | 14 |
यदि तुम दूसरों को उनके अपराधों के लिए क्षमा करते हो तो तुम्हारे स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेंगे.
کِنْتُ یَدِ یُویَمْ اَنْییشامْ اَپَرادھانْ نَ کْشَمَدھْوے، تَرْہِ یُشْماکَں جَنَکوپِ یُشْماکَمْ اَپَرادھانْ نَ کْشَمِشْیَتے۔ | 15 |
किंतु यदि तुम दूसरों के अपराध क्षमा नहीं करते हो तो तुम्हारे स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा नहीं करेंगे.
اَپَرَمْ اُپَواسَکالے کَپَٹِنو جَنا مانُشانْ اُپَواسَں جْناپَیِتُں سْویشاں وَدَنانِ مْلانانِ کُرْوَّنْتِ، یُویَں تَاِوَ وِشَنَوَدَنا ما بھَوَتَ؛ اَہَں یُشْمانْ تَتھْیَں وَدامِ تے سْوَکِییَپھَلَمْ اَلَبھَنْتَ۔ | 16 |
“जब कभी तुम उपवास रखो तब पाखंडियों के समान अपना मुंह मुरझाया हुआ न बना लो. वे अपना रूप ऐसा इसलिये बना लेते हैं कि लोगों की दृष्टि उन पर अवश्य पड़े. सच तो यह है कि वे अपना पूरा-पूरा प्रतिफल प्राप्त कर चुके.
یَدا تْوَمْ اُپَوَسَسِ، تَدا یَتھا لوکَیسْتْوَں اُپَواسِیوَ نَ درِشْیَسے، کِنْتُ تَوَ یوگوچَرَح پِتا تینَیوَ درِشْیَسے، تَتْکرِتے نِجَشِرَسِ تَیلَں مَرْدَّیَ وَدَنَنْچَ پْرَکْشالَیَ؛ | 17 |
किंतु जब तुम उपवास करो तो अपने बाल संवारो और अपना मुंह धो लो
تینَ تَوَ یَح پِتا گُپْتَدَرْشِی سَ پْرَکاشْیَ تُبھْیَں پھَلَں داسْیَتِ۔ | 18 |
कि तुम्हारे उपवास के विषय में सिवाय तुम्हारे स्वर्गीय पिता के—जो अदृश्य हैं—किसी को भी मालूम न हो. तब तुम्हारे पिता, जो अंतर्यामी हैं, तुम्हें प्रतिफल देंगे.
اَپَرَں یَتْرَ سْتھانے کِیٹاح کَلَنْکاشْچَ کْشَیَں نَیَنْتِ، چَوراشْچَ سَنْدھِں کَرْتَّیِتْوا چورَیِتُں شَکْنُوَنْتِ، تادرِشْیاں میدِنْیاں سْوارْتھَں دھَنَں ما سَںچِنُتَ۔ | 19 |
“पृथ्वी पर अपने लिए धन इकट्ठा न करो, जहां कीट-पतंगे तथा जंग उसे नाश करते तथा चोर सेंध लगाकर चुराते हैं
کِنْتُ یَتْرَ سْتھانے کِیٹاح کَلَنْکاشْچَ کْشَیَں نَ نَیَنْتِ، چَوراشْچَ سَنْدھِں کَرْتَّیِتْوا چورَیِتُں نَ شَکْنُوَنْتِ، تادرِشے سْوَرْگے دھَنَں سَنْچِنُتَ۔ | 20 |
परंतु धन स्वर्ग में जमा करो, जहां न तो कीट-पतंगे या जंग नाश करते और न ही चोर सेंध लगाकर चुराते हैं
یَسْماتْ یَتْرَ سْتھانے یُشْماںکَ دھَنَں تَتْرَیوَ کھانے یُشْماکَں مَناںسِ۔ | 21 |
क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहीं तुम्हारा मन भी होगा.
لوچَنَں دیہَسْیَ پْرَدِیپَکَں، تَسْماتْ یَدِ تَوَ لوچَنَں پْرَسَنَّں بھَوَتِ، تَرْہِ تَوَ کرِتْسْنَں وَپُ رْدِیپْتِیُکْتَں بھَوِشْیَتِ۔ | 22 |
“शरीर का दीपक आंख है. इसलिये यदि तुम्हारी आंख निरोगी है, तुम्हारा सारा शरीर उजियाला होगा.
کِنْتُ لوچَنےپْرَسَنّے تَوَ کرِتْسْنَں وَپُح تَمِسْرَیُکْتَں بھَوِشْیَتِ۔ اَتَایوَ یا دِیپْتِسْتْوَیِ وِدْیَتے، سا یَدِ تَمِسْرَیُکْتا بھَوَتِ، تَرْہِ تَتْ تَمِسْرَں کِیَنْ مَہَتْ۔ | 23 |
यदि तुम्हारी आंख रोगी है, तुम्हारा सारा शरीर अंधकारमय हो जाएगा. वह उजियाला, जो तुममें है, यदि वह अंधकार है तो कितना गहन होगा वह अंधकार!
کوپِ مَنُجو دْوَو پْرَبھُو سیوِتُں نَ شَکْنوتِ، یَسْمادْ ایکَں سَںمَنْیَ تَدَنْیَں نَ سَمَّنْیَتے، یَدْوا ایکَتْرَ مَنو نِدھایَ تَدَنْیَمْ اَوَمَنْیَتے؛ تَتھا یُویَمَپِیشْوَرَں لَکْشْمِینْچیتْیُبھے سیوِتُں نَ شَکْنُتھَ۔ | 24 |
“कोई भी व्यक्ति दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता क्योंकि वह एक को तुच्छ मानकर दूसरे के प्रति समर्पित रहेगा या एक का सम्मान करते हुए दूसरे को तुच्छ जानेगा. तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा कर ही नहीं सकते.
اَپَرَمْ اَہَں یُشْمَبھْیَں تَتھْیَں کَتھَیامِ، کِں بھَکْشِشْیامَح؟ کِں پاسْیامَح؟ اِتِ پْرانَدھارَنایَ ما چِنْتَیَتَ؛ کِں پَرِدھاسْیامَح؟ اِتِ کایَرَکْشَنایَ نَ چِنْتَیَتَ؛ بھَکْشْیاتْ پْرانا وَسَنانْچَ وَپُوںشِ کِں شْریشْٹھانِ نَ ہِ؟ | 25 |
“यही कारण है कि मैं तुमसे कहता हूं कि अपने जीवन के विषय में चिंता न करो कि तुम क्या खाओगे और क्या पिओगे; और न ही शरीर के विषय में कि क्या पहनोगे. क्या जीवन आहार से और शरीर वस्त्रों से अधिक कीमती नहीं?
وِہایَسو وِہَنْگَمانْ وِلوکَیَتَ؛ تَے رْنوپْیَتے نَ کرِتْیَتے بھانْڈاگارے نَ سَنْچِییَتےپِ؛ تَتھاپِ یُشْماکَں سْوَرْگَسْتھَح پِتا تیبھْیَ آہارَں وِتَرَتِ۔ | 26 |
पक्षियों की ओर ध्यान दो: वे न तो बीज बोते हैं, और न ही खलिहान में उपज इकट्ठा करते हैं. फिर भी तुम्हारे स्वर्गीय पिता उनका भरण-पोषण करते हैं. क्या तुम उनसे कहीं ज्यादा मूल्यवान नहीं?
یُویَں تیبھْیَح کِں شْریشْٹھا نَ بھَوَتھَ؟ یُشْماکَں کَشْچِتْ مَنُجَح چِنْتَیَنْ نِجایُشَح کْشَنَمَپِ وَرْدّھَیِتُں شَکْنوتِ؟ | 27 |
और तुममें ऐसा कौन है, जो चिंता के द्वारा अपनी आयु में एक क्षण की भी वृद्धि कर सकता है?
اَپَرَں وَسَنایَ کُتَشْچِنْتَیَتَ؟ کْشیتْروتْپَنّانِ پُشْپانِ کَتھَں وَرْدّھَنْتے تَدالوچَیَتَ۔ تانِ تَنْتُونْ نوتْپادَیَنْتِ کِمَپِ کارْیَّں نَ کُرْوَّنْتِ؛ | 28 |
“और वस्त्र तुम्हारी चिंता का विषय क्यों? मैदान के फूलों का ध्यान तो करो कि वे कैसे खिलते हैं. वे न तो परिश्रम करते हैं और न ही वस्त्र निर्माण.
تَتھاپْیَہَں یُشْمانْ وَدامِ، سُلیمانْ تادرِگْ اَیشْوَرْیَّوانَپِ تَتْپُشْپَمِوَ وِبھُوشِتو ناسِیتْ۔ | 29 |
फिर भी मैं तुमसे कहता हूं कि शलोमोन की वेशभूषा का ऐश्वर्य किसी भी दृष्टि से इनके तुल्य नहीं था.
تَسْماتْ کْشَدْیَ وِدْیَمانَں شْچَح چُلّیاں نِکْشیپْسْیَتے تادرِشَں یَتْ کْشیتْرَسْتھِتَں کُسُمَں تَتْ یَدِیشْچَرَ اِتّھَں بِبھُوشَیَتِ، تَرْہِ ہے سْتوکَپْرَتْیَیِنو یُشْمانْ کِں نَ پَرِدھاپَیِشْیَتِ؟ | 30 |
यदि परमेश्वर घास का श्रृंगार इस सीमा तक करते हैं, जिसका जीवन थोड़े समय का है और जो कल आग में झोंक दिया जाएगा, तो क्या वह तुमको कहीं अधिक सुशोभित न करेंगे? कैसा कमजोर है तुम्हारा विश्वास!
تَسْماتْ اَسْمابھِح کِمَتْسْیَتے؟ کِنْچَ پایِشْیَتے؟ کِں وا پَرِدھایِشْیَتے، اِتِ نَ چِنْتَیَتَ۔ | 31 |
इसलिए इस विषय में चिंता न करो, ‘हम क्या खाएंगे या क्या पिएंगे’ या ‘हमारे वस्त्रों का प्रबंध कैसे होगा?’
یَسْماتْ دیوارْچَّکا اَپِیتِ چیشْٹَنْتے؛ ایتیشُ دْرَوْییشُ پْرَیوجَنَمَسْتِیتِ یُشْماکَں سْوَرْگَسْتھَح پِتا جاناتِ۔ | 32 |
गैर-यहूदी ही इन वस्तुओं के लिए कोशिश करते रहते हैं. तुम्हारे स्वर्गीय पिता को यह मालूम है कि तुम्हें इन सब की ज़रूरत है.
اَتَایوَ پْرَتھَمَتَ اِیشْوَرِییَراجْیَں دھَرْمَّنْچَ چیشْٹَدھْوَں، تَتَ ایتانِ وَسْتُونِ یُشْمَبھْیَں پْرَدایِشْیَنْتے۔ | 33 |
सबसे पहले परमेश्वर के राज्य की और उनकी धार्मिकता की खोज करो, और ये सभी वस्तुएं तुम्हें दी जाएंगी.
شْوَح کرِتے ما چِنْتَیَتَ، شْوَایوَ سْوَیَں سْوَمُدِّشْیَ چِنْتَیِشْیَتِ؛ اَدْیَتَنِی یا چِنْتا سادْیَکرِتے پْرَچُرَتَرا۔ | 34 |
इसलिये कल की चिंता न करो—कल अपनी चिंता स्वयं करेगा क्योंकि हर एक दिन अपने साथ अपना ही पर्याप्त दुःख लिए हुए आता है.