< مَتھِح 18 >

تَدانِیں شِشْیا یِیشوح سَمِیپَماگَتْیَ پرِشْٹَوَنْتَح سْوَرْگَراجْیے کَح شْریشْٹھَح؟ 1
तब शिष्यों ने येशु के पास आकर उनसे पूछा, “स्वर्ग-राज्य में सबसे बड़ा कौन है?”
تَتو یِیشُح کْشُدْرَمیکَں بالَکَں سْوَسَمِیپَمانِییَ تیشاں مَدھْیے نِدھایَ جَگادَ، 2
येशु ने एक बालक को पास बुलाकर उसे उनके सामने खड़ा करते हुए कहा,
یُشْمانَہَں سَتْیَں بْرَوِیمِ، یُویَں مَنووِنِمَیینَ کْشُدْرَبالَوَتْ نَ سَنْتَح سْوَرْگَراجْیَں پْرَویشْٹُں نَ شَکْنُتھَ۔ 3
मैं तुम्हें एक सच्चाई बताना चाहता हूं: “जब तक तुम बदलकर बालक के समान न हो जाओ, तुम्हारा प्रवेश स्वर्ग-राज्य में किसी प्रकार न होगा.
یَح کَشْچِدْ ایتَسْیَ کْشُدْرَبالَکَسْیَ سَمَماتْمانَں نَمْرِیکَروتِ، سَایوَ سْوَرْگَراجَیے شْریشْٹھَح۔ 4
जो कोई स्वयं को इस बालक के समान विनम्र कर लेगा, वही स्वर्ग-राज्य में सबसे बड़ा है;
یَح کَشْچِدْ ایتادرِشَں کْشُدْرَبالَکَمیکَں مَمَ نامْنِ گرِہْلاتِ، سَ مامیوَ گرِہْلاتِ۔ 5
और जो कोई ऐसे बालक को मेरे नाम में ग्रहण करता है, मुझे ग्रहण करता है.
کِنْتُ یو جَنو مَیِ کرِتَوِشْواسانامیتیشاں کْشُدْرَپْرانِنامْ ایکَسْیاپِ وِدھْنِں جَنَیَتِ، کَنْٹھَبَدّھَپیشَنِیکَسْیَ تَسْیَ ساگَراگادھَجَلے مَجَّنَں شْرییَح۔ 6
“इसके विपरीत जो कोई इन बालकों के लिए, जो मुझमें विश्वास करते हैं, ठोकर का कारण बनता है, उसके लिए सही यही होगा कि उसके गले में चक्की का पाट लटकाकर उसे समुद्र की गहराई में डुबो दिया जाए.
وِگھْناتْ جَگَتَح سَنْتاپو بھَوِشْیَتِ، وِگھْنووَشْیَں جَنَیِشْیَتے، کِنْتُ یینَ مَنُجینَ وِگھْنو جَنِشْیَتے تَسْیَیوَ سَنْتاپو بھَوِشْیَتِ۔ 7
ठोकर के कारकों के लिए धिक्कार है संसार पर! ठोकरों का होना तो निश्चित है किंतु धिक्कार है उस व्यक्ति पर जिसके कारण ठोकर लगती है!
تَسْماتْ تَوَ کَرَشْچَرَنو وا یَدِ تْواں بادھَتے، تَرْہِ تَں چھِتّوا نِکْشِپَ، دْوِکَرَسْیَ دْوِپَدَسْیَ وا تَوانَپْتَوَہْنَو نِکْشیپاتْ، کھَنْجَسْیَ وا چھِنَّہَسْتَسْیَ تَوَ جِیوَنے پْرَویشو وَرَں۔ (aiōnios g166) 8
यदि तुम्हारा हाथ या तुम्हारा पांव तुम्हारे लिए ठोकर लगने का कारण बनता है तो उसे काटकर फेंक दो. तुम्हारे लिए भला यही होगा कि तुम एक अपंग या लंगड़े के रूप में जीवन में प्रवेश करो—बजाय इसके कि तुम दोनों हाथ और दोनों पांवों के साथ अनंत आग में झोंके जाओ. (aiōnios g166)
اَپَرَں تَوَ نیتْرَں یَدِ تْواں بادھَتے، تَرْہِ تَدَپْیُتْپاوْیَ نِکْشِپَ، دْوِنیتْرَسْیَ نَرَکاگْنَو نِکْشیپاتْ کانَسْیَ تَوَ جِیوَنے پْرَویشو وَرَں۔ (Geenna g1067) 9
यदि तुम्हारी आंख के कारण तुम्हें ठोकर लगे तो उसे निकाल फेंको. तुम्हारे लिए भला यही होगा कि तुम मात्र एक आंख के साथ जीवन में प्रवेश करो बजाय इसके कि तुम्हारी दोनों आंख हों और तुम नर्क की आग में फेंके जाओ. (Geenna g1067)
تَسْمادَوَدھَدّھَں، ایتیشاں کْشُدْرَپْرانِنامْ ایکَمَپِ ما تُچّھِیکُرُتَ، 10
“ध्यान रखो कि तुम इन छोटों में से किसी को तुच्छ दृष्टि से न देखो. मैं तुम्हें बताता हूं कि स्वर्ग में इनके स्वर्गदूत इनके लिए मेरे पिता के सामने विनती करने के उद्देश्य से हमेशा उपस्थित रहते हैं. [
یَتو یُشْمانَہَں تَتھْیَں بْرَوِیمِ، سْوَرْگے تیشاں دُوتا مَمَ سْوَرْگَسْتھَسْیَ پِتُراسْیَں نِتْیَں پَشْیَنْتِ۔ ایوَں یے یے ہارِتاسْتانْ رَکْشِتُں مَنُجَپُتْرَ آگَچّھَتْ۔ 11
मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को बचाने के उद्देश्य से ही आया है.]
یُویَمَتْرَ کِں وِوِںگّھوے؟ کَسْیَچِدْ یَدِ شَتَں میشاح سَنْتِ، تیشامیکو ہارْیَّتے چَ، تَرْہِ سَ ایکونَشَتَں میشانْ وِہایَ پَرْوَّتَں گَتْوا تَں ہارِتَمیکَں کِں نَ مرِگَیَتے؟ 12
“क्या विचार है तुम्हारा? यदि किसी व्यक्ति के पास सौ भेड़ें हों और उनमें से एक भटक जाए तो क्या वह निन्यानवे को वहीं पहाड़ियों पर छोड़ उसको खोजने न निकलेगा, जो भटक गई है?
یَدِ چَ کَداچِتْ تَنْمیشودّیشَں لَمَتے، تَرْہِ یُشْمانَہَں سَتْیَں کَتھَیامِ، سووِپَتھَگامِبھْیَ ایکونَشَتَمیشیبھْیوپِ تَدیکَہیتورَدھِکَمْ آہْلادَتے۔ 13
तब सच तो यह है कि यदि वह उसे खोज लेता है, तो वह उन निन्यानवे की बजाय, जो भटकी नहीं थी, उस एक के लिए कहीं अधिक उल्‍लसित होता है, जो भटक गई थी.
تَدْوَدْ ایتیشاں کْشُدْرَپْرااےنامْ ایکوپِ نَشْیَتِیتِ یُشْماکَں سْوَرْگَسْتھَپِتُ رْنابھِمَتَمْ۔ 14
इसलिये तुम्हारे स्वर्गीय पिता नहीं चाहते कि इन छोटों में से एक भी छोटे का नाश हो.
یَدْیَپِ تَوَ بھْراتا تْوَیِ کِمَپْیَپَرادھْیَتِ، تَرْہِ گَتْوا یُوَیورْدْوَیوح سْتھِتَیوسْتَسْیاپَرادھَں تَں جْناپَیَ۔ تَتْرَ سَ یَدِ تَوَ واکْیَں شرِنوتِ، تَرْہِ تْوَں سْوَبھْراتَرَں پْراپْتَوانْ، 15
“यदि कोई सहविश्वासी तुम्हारे विरुद्ध कोई अपराध करे तो जाकर उस पर उसका दोष प्रकट कर दो, किंतु यह मात्र तुम दोनों के मध्य ही हो. यदि वह तुम्हारी सुन ले तो तुमने उसे पुनः प्राप्‍त कर लिया.
کِنْتُ یَدِ نَ شرِنوتِ، تَرْہِ دْوابھْیاں تْرِبھِ رْوا ساکْشِیبھِح سَرْوَّں واکْیَں یَتھا نِشْچِتَں جایَتے، تَدَرْتھَمْ ایکَں دْوَو وا ساکْشِنَو گرِہِیتْوا یاہِ۔ 16
किंतु यदि वह तुम्हारी न माने तब अपने साथ एक या दो को उसके पास ले जाओ कि एक बात की पुष्टि के लिए दो या तीन गवाहों की ज़रूरत होती है.
تینَ سَ یَدِ تَیو رْواکْیَں نَ مانْیَتے، تَرْہِ سَماجَں تَجّناپَیَ، کِنْتُ یَدِ سَماجَسْیاپِ واکْیَں نَ مانْیَتے،تَرْہِ سَ تَوَ سَمِیپے دیوَپُوجَکَاِوَ چَنْڈالَاِوَ چَ بھَوِشْیَتِ۔ 17
यदि वह उनका भी इनकार करे तब कलीसिया पर यह सच प्रकट कर दिया जाए. यदि वह कलीसिया की भी न माने तब उसे गैर-यहूदी और समाज से बहिष्कृत व्यक्ति समझो.
اَہَں یُشْمانْ سَتْیَں وَدامِ، یُشْمابھِح پرِتھِوْیاں یَدْ بَدھْیَتے تَتْ سْوَرْگے بھَںتْسْیَتے؛ میدِنْیاں یَتْ بھوچْیَتے، سْوَرْگےپِ تَتْ موکْشْیَتے۔ 18
“तुम पर मैं यह सच प्रकाशित कर रहा हूं कि जो कुछ पृथ्वी पर तुम्हारे द्वारा इकट्ठा किया जाएगा, वह स्वर्ग में भी इकट्ठा होगा और जो कुछ तुम्हारे द्वारा पृथ्वी पर खुलेगा, वह स्वर्ग में भी खोला जाएगा.
پُنَرَہَں یُشْمانْ وَدامِ، میدِنْیاں یُشْماکَں یَدِ دْواویکَواکْیِیبھُویَ کِنْچِتْ پْرارْتھَییتے، تَرْہِ مَمَ سْوَرْگَسْتھَپِتْرا تَتْ تَیوح کرِتے سَمْپَنَّں بھَوِشْیَتِ۔ 19
“मैं तुम्हें दोबारा याद दिला रहा हूं: यदि तुममें से दो व्यक्ति पृथ्वी पर किसी विषय पर एक मत होकर विनती करें, वह मेरे पिता के द्वारा, जो स्वर्ग में हैं, पूरा किया जाएगा.
یَتو یَتْرَ دْوَو تْرَیو وا مَمَ نانِّ مِلَنْتِ، تَتْرَیواہَں تیشاں مَدھْیےسْمِ۔ 20
यह इसलिये कि जहां दो या तीन व्यक्ति मेरे नाम में इकट्ठा होते हैं, वहां मैं उनके साथ हूं.”
تَدانِیں پِتَرَسْتَتْسَمِیپَماگَتْیَ کَتھِتَوانْ ہے پْرَبھو، مَمَ بھْراتا مَمَ یَدْیَپَرادھْیَتِ، تَرْہِ تَں کَتِکرِتْوَح کْشَمِشْیے؟ 21
तब पेतरॉस ने येशु के पास आकर उनसे प्रश्न किया, “प्रभु! कितनी बार मेरा भाई मेरे विरुद्ध अपराध करे और मैं उसे क्षमा करूं—सात बार?”
کِں سَپْتَکرِتْوَح؟ یِیشُسْتَں جَگادَ، تْواں کیوَلَں سَپْتَکرِتْوو یاوَتْ نَ وَدامِ، کِنْتُ سَپْتَتْیا گُنِتَں سَپْتَکرِتْوو یاوَتْ۔ 22
येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तो तुमसे यह तो नहीं कहूंगा सात बार तक परंतु सत्तर के सात गुणा तक.
اَپَرَں نِجَداسَیح سَہَ جِگَنَیِشُح کَشْچِدْ راجیوَ سْوَرْگَراجَیَں۔ 23
“इसलिये स्वर्ग-राज्य की तुलना उस राजा से की जा सकती है, जिसने अपने दासों से हिसाब-किताब लेना चाहा.
آرَبْدھے تَسْمِنْ گَنَنے سارْدّھَسَہَسْرَمُدْراپُورِتاناں دَشَسَہَسْرَپُٹَکانامْ ایکوگھَمَرْنَسْتَتْسَمَکْشَمانایِ۔ 24
जब उसने प्रारंभ किया तब उसके सामने वह दास प्रस्तुत किया गया, जो उसके लाखों तालंतों का कर्ज़दार था, किंतु
تَسْیَ پَرِشودھَنایَ دْرَوْیابھاواتْ پَرِشودھَنارْتھَں سَ تَدِییَبھارْیّاپُتْرادِسَرْوَّسْوَنْچَ وِکْرِییَتامِتِ تَتْپْرَبھُرادِدیشَ۔ 25
यह मालूम होने पर कि उसके पास कर्ज़ चुकाने का कोई साधन नहीं है, स्वामी ने आज्ञा दी कि उसे उसकी पत्नी, बालकों तथा सारे संपत्ति सहित बेच दिया जाए कि कर्ज़ चुकाया जा सके.
تینَ سَ داسَسْتَسْیَ پادَیوح پَتَنْ پْرَنَمْیَ کَتھِتَوانْ ، ہے پْرَبھو بھَوَتا گھَیرْیّے کرِتے مَیا سَرْوَّں پَرِشودھِشْیَتے۔ 26
“इस पर वह दास अपने स्वामी के सामने भूमि पर दंडवत हो उससे विनती करने लगा, ‘कृपया थोड़ा धीरज रखें, मैं सब कुछ चुका दूंगा.’
تَدانِیں داسَسْیَ پْرَبھُح سَکَرُنَح سَنْ سَکَلَرْنَں کْشَمِتْوا تَں تَتْیاجَ۔ 27
उसके स्वामी ने दया से भरकर उसे मुक्त करके उसका सारा कर्ज़ क्षमा कर दिया.
کِنْتُ تَسْمِنْ داسے بَہِ رْیاتے، تَسْیَ شَتَں مُدْراچَتُرْتھاںشانْ یو دھارَیَتِ، تَں سَہَداسَں درِشْدْوا تَسْیَ کَنْٹھَں نِشْپِیڈْیَ گَدِتَوانْ، مَمَ یَتْ پْراپْیَں تَتْ پَرِشودھَیَ۔ 28
“उस मुक्त हुए दास ने बाहर जाते ही उस दास को जा पकड़ा जिसने उससे सौ दीनार कर्ज़ लिए थे. उसने उसे पकड़कर उसका गला घोंटते हुए कहा, ‘मुझसे जो कर्ज़ लिया है, उसे लौटा दे!’
تَدا تَسْیَ سَہَداسَسْتَتْپادَیوح پَتِتْوا وِنِییَ بَبھاشے، تْوَیا دھَیرْیّے کرِتے مَیا سَرْوَّں پَرِشودھِشْیَتے۔ 29
“वह दास इस दास के पांवों पर गिर पड़ा और विनती करने लगा, ‘थोड़ा धीरज रखो. मैं सब लौटा दूंगा.’
تَتھاپِ سَ تَتْ نانَگِیکرِتْیَ یاوَتْ سَرْوَّمرِنَں نَ پَرِشودھِتَوانْ تاوَتْ تَں کارایاں سْتھاپَیاماسَ۔ 30
“किंतु उस दास ने उसकी विनती पर ज़रा भी ध्यान न दिया और उसे ले जाकर कारागार में डाल दिया कि जब तक वह कर्ज़ न लौटाए, वहीं रहे.
تَدا تَسْیَ سَہَداساسْتَسْیَیتادرِگْ آچَرَنَں وِلوکْیَ پْرَبھوح سَمِیپَں گَتْوا سَرْوَّں ورِتّانْتَں نِویدَیاماسُح۔ 31
इसलिये जब अन्य दासों ने यह सब देखा, वे अत्यंत उदास हो गए और आकर स्वामी को इसकी सूचना दी.
تَدا تَسْیَ پْرَبھُسْتَماہُویَ جَگادَ، رے دُشْٹَ داسَ، تْوَیا مَتْسَنِّدھَو پْرارْتھِتے مَیا تَوَ سَرْوَّمرِنَں تْیَکْتَں؛ 32
“तब स्वामी ने उस दास को बुलवाकर उससे कहा, ‘अरे दुष्ट! मैंने तो तेरा सारा ही कर्ज़ क्षमा कर दिया क्योंकि तूने मुझसे इसके लिए विनती की थी.
یَتھا چاہَں تْوَیِ کَرُناں کرِتَوانْ، تَتھَیوَ تْوَتْسَہَداسے کَرُناکَرَنَں کِں تَوَ نوچِتَں؟ 33
क्या यह सही न था कि तू भी अपने साथी पर कृपा करता जिस प्रकार मैंने तुझ पर कृपा की?’
اِتِ کَتھَیِتْوا تَسْیَ پْرَبھُح کْرُدّھیَنْ نِجَپْراپْیَں یاوَتْ سَ نَ پَرِشودھِتَوانْ، تاوَتْ پْرَہارَکاناں کَریشُ تَں سَمَرْپِتَوانْ۔ 34
क्रुद्ध स्वामी ने उस दास को यातना देने के लिए चुने हुए अधिकारियों के हाथ में सौंप दिया कि जब तक वह सारा कर्ज़ चुका न दे, वहीं रहे.
یَدِ یُویَں سْوانْتَحکَرَنَیح سْوَسْوَسَہَجانامْ اَپَرادھانْ نَ کْشَمَدھْوے، تَرْہِ مَمَ سْوَرْگَسْیَح پِتاپِ یُشْمانْ پْرَتِیتّھَں کَرِشْیَتِ۔ 35
“मेरे स्वर्गिक पिता भी तुम्हारे साथ यही करेंगे यदि तुममें से हर एक अपने भाई को हृदय से क्षमा नहीं करता.”

< مَتھِح 18 >