< مَتھِح 14 >

تَدانِیں راجا ہیرودْ یِیشو رْیَشَح شْرُتْوا نِجَداسییانْ جَگادْ، 1
उसी समय हेरोदेस ने, जो देश के एक चौथाई भाग का राजा था, येशु के विषय में सुना.
ایشَ مَجَّیِتا یوہَنْ، پْرَمِتیبھَیَسْتَسْیوتّھاناتْ تینیتّھَمَدْبھُتَں کَرْمَّ پْرَکاشْیَتے۔ 2
उसने अपने सेवकों से कहा, “यह बपतिस्मा देनेवाला योहन है—मरे हुओं में से जी उठा! यही कारण है कि आश्चर्यकर्म करने का सामर्थ्य इसमें मौजूद है.”
پُرا ہیرودْ نِجَبھْراتُ: پھِلِپو جایایا ہیرودِییایا اَنُرودھادْ یوہَنَں دھارَیِتْوا بَدّھا کارایاں سْتھاپِتَوانْ۔ 3
उनकी हत्या का कारण थी हेरोदेस के भाई फ़िलिप्पॉस की पत्नी हेरोदिअस. हेरोदेस ने बपतिस्मा देनेवाले योहन को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था
یَتو یوہَنْ اُکْتَوانْ، ایتْسَیاح سَںگْرَہو بھَوَتو نوچِتَح۔ 4
क्योंकि बपतिस्मा देनेवाले योहन उसे यह चेतावनी देते रहते थे, “तुम्हारा हेरोदिअस को अपने पास रखना उचित नहीं है.”
تَسْماتْ نرِپَتِسْتَں ہَنْتُمِچّھَنَّپِ لوکیبھْیو وِبھَیانْچَکارَ؛ یَتَح سَرْوّے یوہَنَں بھَوِشْیَدْوادِنَں مینِرے۔ 5
हेरोदेस योहन को समाप्‍त ही कर देना चाहता था किंतु उसे लोगों का भय था क्योंकि लोग उन्हें भविष्यवक्ता मानते थे.
کِنْتُ ہیرودو جَنْماہِییَمَہَ اُپَسْتھِتے ہیرودِییایا دُہِتا تیشاں سَمَکْشَں نرِتِتْوا ہیرودَمَپْرِینْیَتْ۔ 6
हेरोदेस के जन्मदिवस समारोह के अवसर पर हेरोदिअस की पुत्री के नृत्य-प्रदर्शन से हेरोदेस इतना प्रसन्‍न हुआ कि
تَسْماتْ بھُوپَتِح شَپَتھَں کُرْوَّنْ اِتِ پْرَتْیَجْناسِیتْ، تْوَیا یَدْ یاچْیَتے، تَدیواہَں داسْیامِ۔ 7
उसने उस किशोरी से शपथ खाकर वचन दिया कि वह जो चाहे मांग सकती है.
سا کُمارِی سْوِییَماتُح شِکْشاں لَبْدھا بَبھاشے، مَجَّیِتُرْیوہَنَ اُتَّمانْگَں بھاجَنے سَمانِییَ مَہْیَں وِشْرانَیَ۔ 8
अपनी माता के संकेत पर उसने कहा, “मुझे एक थाल में, यहीं, बपतिस्मा देनेवाले योहन का सिर चाहिए.”
تَتو راجا شُشوچَ، کِنْتُ بھوجَنایوپَوِشَتاں سَنْگِناں سْوَکرِتَشَپَتھَسْیَ چانُرودھاتْ تَتْ پْرَداتُمَ آدِدیشَ۔ 9
यद्यपि इस पर हेरोदेस दुःखित अवश्य हुआ किंतु अपनी शपथ और उपस्थित अतिथियों के कारण उसने इसकी पूर्ति की आज्ञा दे दी.
پَشْچاتْ کاراں پْرَتِ نَرَں پْرَہِتْیَ یوہَنَ اُتَّمانْگَں چھِتّوا 10
उसने किसी को कारागार में भेजकर योहन का सिर कटवा दिया,
تَتْ بھاجَنَ آنایَّ تَسْیَے کُمارْیَّے وْیَشْرانَیَتْ، تَتَح سا سْوَجَنَنْیاح سَمِیپَں تَنِّنایَ۔ 11
उसे एक थाल में लाकर उस किशोरी को दे दिया गया और उसने उसे ले जाकर अपनी माता को दे दिया.
پَشْچاتْ یوہَنَح شِشْیا آگَتْیَ کایَں نِیتْوا شْمَشانے سْتھاپَیاماسُسْتَتو یِیشوح سَنِّدھِں وْرَجِتْوا تَدْوارْتّاں بَبھاشِرے۔ 12
योहन के शिष्य आए, उनके शव को ले गए, उनका अंतिम संस्कार कर दिया तथा येशु को इसके विषय में सूचित किया.
اَنَنْتَرَں یِیشُرِتِ نِشَبھْیَ ناوا نِرْجَنَسْتھانَمْ ایکاکِی گَتَوانْ، پَشْچاتْ مانَواسْتَتْ شْرُتْوا نانانَگَریبھْیَ آگَتْیَ پَدَیسْتَتْپَشْچادْ اِییُح۔ 13
इस समाचार को सुन येशु नाव पर सवार होकर वहां से एकांत में चले गए. जब लोगों को यह मालूम हुआ, वे नगरों से निकलकर पैदल ही उनके पीछे चल दिए.
تَدانِیں یِیشُ رْبَہِراگَتْیَ مَہانْتَں جَنَنِوَہَں نِرِیکْشْیَ تیشُ کارُنِکَح مَنْ تیشاں پِیڈِتَجَنانْ نِرامَیانْ چَکارَ۔ 14
तट पर पहुंचने पर येशु ने इस बड़ी भीड़ को देखा और उनका हृदय करुणा से भर गया. उन्होंने उनमें, जो रोगी थे उनको स्वस्थ किया.
تَتَح پَرَں سَنْدھْیایاں شِشْیاسْتَدَنْتِکَماگَتْیَ کَتھَیانْچَکْرُح، اِدَں نِرْجَنَسْتھانَں ویلاپْیَوَسَنّا؛ تَسْماتْ مَنُجانْ سْوَسْوَگْرامَں گَنْتُں سْوارْتھَں بھَکْشْیانِ کْریتُنْچَ بھَوانْ تانْ وِسرِجَتُ۔ 15
संध्याकाल उनके शिष्य उनके पास आकर कहने लगे, “यह निर्जन स्थान है और दिन ढल रहा है इसलिये भीड़ को विदा कर दीजिए कि गांवों में जाकर लोग अपने लिए भोजन-व्यवस्था कर सकें.”
کِنْتُ یِیشُسْتانَوادِیتْ، تیشاں گَمَنے پْرَیوجَنَں ناسْتِ، یُویَمیوَ تانْ بھوجَیَتَ۔ 16
किंतु येशु ने उनसे कहा, “उन्हें विदा करने की कोई ज़रूरत नहीं है—तुम उनके लिए भोजन की व्यवस्था करो!”
تَدا تے پْرَتْیَوَدَنْ، اَسْماکَمَتْرَ پُوپَپَنْچَکَں مِینَدْوَیَنْچاسْتے۔ 17
उन्होंने येशु को बताया कि यहां उनके पास सिर्फ़ पांच रोटियां और दो मछलियां हैं.
تَدانِیں تینوکْتَں تانِ مَدَنْتِکَمانَیَتَ۔ 18
येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “उन्हें यहां मेरे पास ले आओ.”
اَنَنْتَرَں سَ مَنُجانْ یَوَسوپَرْیُّپَویشْٹُمْ آجْناپَیاماسَ؛ اَپَرَ تَتْ پُوپَپَنْچَکَں مِینَدْوَیَنْچَ گرِہْلَنْ سْوَرْگَں پْرَتِ نِرِیکْشْییشْوَرِییَگُنانْ اَنُودْیَ بھَںکْتْوا شِشْییبھْیو دَتَّوانْ، شِشْیاشْچَ لوکیبھْیو دَدُح۔ 19
लोगों को घास पर बैठने की आज्ञा देते हुए येशु ने पांचों रोटियां और दो मछलियां अपने हाथों में लेकर स्वर्ग की ओर आंखें उठाकर भोजन के लिए धन्यवाद देने के बाद रोटियां तोड़-तोड़ कर शिष्यों को देना प्रारंभ किया और शिष्यों ने भीड़ को.
تَتَح سَرْوّے بھُکْتْوا پَرِترِپْتَوَنْتَح، تَتَسْتَدَوَشِشْٹَبھَکْشْیَیح پُورْنانْ دْوادَشَڈَلَکانْ گرِہِیتَوَنْتَح۔ 20
सभी ने भरपेट खाया. शेष रह गए टुकड़े इकट्ठा करने पर बारह टोकरे भर गए.
تے بھوکْتارَح سْتْرِیرْبالَکاںشْچَ وِہایَ پْرایینَ پَنْچَ سَہَسْرانِ پُماںسَ آسَنْ۔ 21
वहां जितनों ने भोजन किया था उनमें स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पुरुषों की संख्या ही कोई पांच हज़ार थी.
تَدَنَنْتَرَں یِیشُ رْلوکاناں وِسَرْجَنَکالے شِشْیانْ تَرَنِماروڈھُں سْواگْرے پارَں یاتُنْچَ گاڈھَمادِشْٹَوانْ۔ 22
इसके बाद येशु ने शिष्यों को तुरंत ही नाव में सवार होने के लिए इस उद्देश्य से विवश किया कि शिष्य उनके पूर्व ही दूसरी ओर पहुंच जाएं, जबकि वह स्वयं भीड़ को विदा करने लगे.
تَتو لوکیشُ وِسرِشْٹیشُ سَ وِوِکْتے پْرارْتھَیِتُں گِرِمیکَں گَتْوا سَنْدھْیاں یاوَتْ تَتْرَیکاکِی سْتھِتَوانْ۔ 23
भीड़ को विदा करने के बाद वह अकेले पर्वत पर चले गए कि वहां जाकर वह एकांत में प्रार्थना करें. यह रात का समय था और वह वहां अकेले थे.
کِنْتُ تَدانِیں سَمُّکھَواتَتْواتْ سَرِتْپَتے رْمَدھْیے تَرَنْگَیسْتَرَنِرْدولایَمانابھَوَتْ۔ 24
विपरीत दिशा में हवा तथा लहरों के थपेड़े खाकर नाव तट से बहुत दूर निकल चुकी थी.
تَدا سَ یامِنْیاشْچَتُرْتھَپْرَہَرے پَدْبھْیاں وْرَجَنْ تیشامَنْتِکَں گَتَوانْ۔ 25
रात के अंतिम प्रहर में येशु जल सतह पर चलते हुए उनकी ओर आए.
کِنْتُ شِشْیاسْتَں ساگَروپَرِ وْرَجَنْتَں وِلوکْیَ سَمُدْوِگْنا جَگَدُح، ایشَ بھُوتَ اِتِ شَنْکَمانا اُچَّیح شَبْدایانْچَکْرِرے چَ۔ 26
उन्हें जल सतह पर चलते देख शिष्य घबराकर कहने लगे, “दुष्टात्मा है यह!” और वे भयभीत हो चिल्लाने लगे.
تَدَیوَ یِیشُسْتانَوَدَتْ، سُسْتھِرا بھَوَتَ، ما بھَیشْٹَ، ایشوہَمْ۔ 27
इस पर येशु ने उनसे कहा, “डरो मत. साहस रखो! मैं हूं!”
تَتَح پِتَرَ اِتْیُکْتَوانْ، ہے پْرَبھو، یَدِ بھَوانیوَ، تَرْہِ ماں بھَوَتْسَمِیپَں یاتُماجْناپَیَتُ۔ 28
पेतरॉस ने उनसे कहा, “प्रभु! यदि आप ही हैं तो मुझे आज्ञा दीजिए कि मैं जल पर चलते हुए आपके पास आ जाऊं.”
تَتَح تینادِشْٹَح پِتَرَسْتَرَنِتووَرُہْیَ یِیشےرَنْتِکَں پْراپْتُں تویوپَرِ وَوْراجَ۔ 29
“आओ!” येशु ने आज्ञा दी. पेतरॉस नाव से उतरकर जल पर चलते हुए येशु की ओर बढ़ने लगे
کِنْتُ پْرَچَنْڈَں پَوَنَں وِلوکْیَ بھَیاتْ تویے مَںکْتُمْ آریبھے، تَسْمادْ اُچَّیح شَبْدایَمانَح کَتھِتَوانْ، ہے پْرَبھو، مامَوَتُ۔ 30
किंतु जब उनका ध्यान हवा की गति की ओर गया तो वह भयभीत हो गए और जल में डूबने लगे. वह चिल्लाए, “प्रभु! मुझे बचाइए!”
یِیشُسْتَتْکْشَناتْ کَرَں پْرَسارْیَّ تَں دھَرَنْ اُکْتَوانْ، ہَ سْتوکَپْرَتْیَیِنْ تْوَں کُتَح سَمَشیتھاح؟ 31
येशु ने तुरंत हाथ बढ़ाकर उन्हें थाम लिया और कहा, “अरे, अल्प विश्वासी! तुमने संदेह क्यों किया?”
اَنَنْتَرَں تَیوسْتَرَنِمارُوڈھَیوح پَوَنو نِوَورِتے۔ 32
तब वे दोनों नाव में चढ़ गए और वायु थम गई.
تَدانِیں یے تَرَنْیاماسَنْ، تَ آگَتْیَ تَں پْرَنَبھْیَ کَتھِتَوَنْتَح، یَتھارْتھَسْتْوَمیویشْوَرَسُتَح۔ 33
नाव में सवार शिष्यों ने यह कहते हुए येशु की वंदना की, “सचमुच आप ही परमेश्वर-पुत्र हैं.”
اَنَنْتَرَں پارَں پْراپْیَ تے گِنیشَرَنّامَکَں نَگَرَمُپَتَسْتھُح، 34
झील पार कर वे गन्‍नेसरत प्रदेश में आ गए.
تَدا تَتْرَتْیا جَنا یِیشُں پَرِچِییَ تَدّیشْسْیَ چَتُرْدِشو وارْتّاں پْرَہِتْیَ یَتْرَ یاوَنْتَح پِیڈِتا آسَنْ، تاوَتَایوَ تَدَنْتِکَمانَیاماسُح۔ 35
वहां के निवासियों ने उन्हें पहचान लिया और आस-पास के स्थानों में संदेश भेज दिया. लोग बीमार व्यक्तियों को उनके पास लाने लगे.
اَپَرَں تَدِییَوَسَنَسْیَ گْرَنْتھِماتْرَں سْپْرَشْٹُں وِنِییَ یاوَنْتو جَناسْتَتْ سْپَرْشَں چَکْرِرے، تے سَرْوَّایوَ نِرامَیا بَبھُووُح۔ 36
वे येशु से विनती करने लगे, कि वह उन्हें मात्र अपने वस्त्र का छोर ही छू लेने दें. अनेकों ने उनका वस्त्र छुआ और स्वस्थ हो गए.

< مَتھِح 14 >