< مَتھِح 12 >

اَنَنْتَرَں یِیشُ رْوِشْرامَوارے شْسْیَمَدھْیینَ گَچّھَتِ، تَدا تَچّھِشْیا بُبھُکْشِتاح سَنْتَح شْسْیَمَنْجَرِیشْچھَتْوا چھِتْوا کھادِتُمارَبھَنْتَ۔ 1
शब्बाथ पर येशु और उनके शिष्य अन्‍न के खेतों में से होकर जा रहे थे. उनके शिष्यों को भूख लग गई और वे बालें तोड़कर खाने लगे.
تَدْ وِلوکْیَ پھِرُوشِنو یِیشُں جَگَدُح، پَشْیَ وِشْرامَوارے یَتْ کَرْمّاکَرْتَّوْیَں تَدیوَ تَوَ شِشْیاح کُرْوَّنْتِ۔ 2
यह देख फ़रीसियों ने आपत्ति उठाई, “देख लो, तुम्हारे शिष्य वह कर रहे हैं जो शब्बाथ संबंधित व्यवस्था के अनुसार गलत है.”
سَ تانْ پْرَتْیاوَدَتَ، دایُودْ تَتْسَنْگِنَشْچَ بُبھُکْشِتاح سَنْتو یَتْ کَرْمّاکُرْوَّنْ تَتْ کِں یُشْمابھِ رْناپاٹھِ؟ 3
इस पर येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या आप लोगों ने उस घटना के विषय में नहीं पढ़ा जिसमें भूख लगने पर दावीद और उनके साथियों ने क्या किया था?
یے دَرْشَنِییاح پُوپاح یاجَکانْ وِنا تَسْیَ تَتْسَنْگِمَنُجانانْچابھوجَنِییاسْتَ اِیشْوَراواسَں پْرَوِشْٹینَ تینَ بھُکْتاح۔ 4
कैसे उन्होंने परमेश्वर के भवन में प्रवेश किया और दावीद और उनके साथियों ने भेंट की वह रोटी खाई, जिसे पुरोहितों के अलावा किसी का भी खाना व्यवस्था के अनुसार न था?
اَنْیَچَّ وِشْرامَوارے مَدھْییمَنْدِرَں وِشْرامَوارِییَں نِیَمَں لَنْوَنْتوپِ یاجَکا نِرْدوشا بھَوَنْتِ، شاسْتْرَمَدھْیے کِمِدَمَپِ یُشْمابھِ رْنَ پَٹھِتَں؟ 5
या क्या आप लोगों ने व्यवस्था में यह नहीं पढ़ा कि मंदिर में सेवारत पुरोहित शब्बाथ की व्यवस्था का उल्लंघन करने पर भी निर्दोष ही रहते हैं?
یُشْمانَہَں وَدامِ، اَتْرَ سْتھانے مَنْدِرادَپِ گَرِییانْ ایکَ آسْتے۔ 6
किंतु मैं तुम्हें बता रहा हूं कि यहां वह है, जो मंदिर से बढ़कर है.
کِنْتُ دَیایاں مے یَتھا پْرِیتِ رْنَ تَتھا یَجْنَکَرْمَّنِ۔ ایتَدْوَچَنَسْیارْتھَں یَدِ یُیَمْ اَجْناسِشْٹَ تَرْہِ نِرْدوشانْ دوشِنو ناکارْشْٹَ۔ 7
वस्तुतः तुमने यदि इस बात का अर्थ समझा होता: ‘मैं बलि की नहीं परंतु दया की कामना करता हूं,’ तो तुमने इन निर्दोषों पर आरोप न लगाया होता.
اَنْیَچَّ مَنُجَسُتو وِشْرامَوارَسْیاپِ پَتِراسْتے۔ 8
क्योंकि मनुष्य का पुत्र शब्बाथ का स्वामी है.”
اَنَنْتَرَں سَ تَتْسْتھاناتْ پْرَسْتھایَ تیشاں بھَجَنَبھَوَنَں پْرَوِشْٹَوانْ، تَدانِیمْ ایکَح شُشْکَکَرامَیَوانْ اُپَسْتھِتَوانْ۔ 9
वहां से चलकर येशु यहूदी सभागृह में गए.
تَتو یِیشُمْ اَپَوَدِتُں مانُشاح پَپْرَچّھُح، وِشْرامَوارے نِرامَیَتْوَں کَرَنِییَں نَ وا؟ 10
वहां एक व्यक्ति था, जिसका हाथ लक़वा मारा हुआ था. उन्होंने येशु से प्रश्न किया, “क्या शब्बाथ पर किसी को स्वस्थ करना व्यवस्था के अनुसार है?” उन्होंने यह प्रश्न इसलिये किया कि वे येशु पर आरोप लगा सकें.
تینَ سَ پْرَتْیُواچَ، وِشْرامَوارے یَدِ کَسْیَچِدْ اَوِ رْگَرْتّے پَتَتِ، تَرْہِ یَسْتَں گھرِتْوا نَ تولَیَتِ، ایتادرِشو مَنُجو یُشْماکَں مَدھْیے کَ آسْتے؟ 11
येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुममें कौन ऐसा व्यक्ति है जिसके पास एक भेड़ है और यदि वह भेड़ शब्बाथ पर गड्ढे में गिर जाए तो वह उसे हाथ बढ़ाकर बाहर न निकाले?
اَوے رْمانَوَح کِں نَہِ شْرییانْ؟ اَتو وِشْرامَوارے ہِتَکَرْمَّ کَرْتَّوْیَں۔ 12
एक भेड़ की तुलना में मनुष्य कितना अधिक कीमती है! इसलिये शब्बाथ पर किया गया भला काम व्यवस्था के अनुसार होता है.”
اَنَنْتَرَں سَ تَں مانَوَں گَدِتَوانْ، کَرَں پْرَسارَیَ؛ تینَ کَرے پْرَسارِتے سونْیَکَرَوَتْ سْوَسْتھوبھَوَتْ۔ 13
तब येशु ने उस व्यक्ति को आज्ञा दी, “अपना हाथ आगे बढ़ाओ!” उसने हाथ आगे बढ़ाया—वह हाथ दूसरे हाथ के जैसा स्वस्थ हो गया था.
تَدا پھِرُوشِنو بَہِرْبھُویَ کَتھَں تَں ہَنِشْیامَ اِتِ کُمَنْتْرَناں تَتْپْراتِکُولْیینَ چَکْرُح۔ 14
इसलिये फ़रीसी बाहर चले गए तथा येशु की हत्या का षड़्‍यंत्र रचने लगे.
تَتو یِیشُسْتَدْ وِدِتْوا سْتھَنانْتَرَں گَتَوانْ؛ اَنْییشُ بَہُنَریشُ تَتْپَشْچادْ گَتیشُ تانْ سَ نِرامَیانْ کرِتْوا اِتْیاجْناپَیَتْ، 15
येशु को इसका अहसास था इसलिये वह वहां से चले गए. अनेक थे, जो उनके साथ उनके पीछे-पीछे चल रहे थे. येशु ने उनमें से सभी रोगियों को स्वस्थ कर दिया
یُویَں ماں نَ پَرِچایَیَتَ۔ 16
और उन्हें चेतावनी दी कि इस विषय में वे किसी से वर्णन न करें कि वह कौन हैं.
تَسْماتْ مَمَ پْرِییو مَنونِیتو مَنَسَسْتُشْٹِکارَکَح۔ مَدِییَح سیوَکو یَسْتُ وِدْیَتے تَں سَمِیکْشَتاں۔ تَسْیوپَرِ سْوَکِییاتْما مَیا سَںسْتھاپَیِشْیَتے۔ تینانْیَدیشَجاتیشُ وْیَوَسْتھا سَںپْرَکاشْیَتے۔ 17
यह भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:
کیناپِ نَ وِرودھَں سَ وِوادَنْچَ کَرِشْیَتِ۔ نَ چَ راجَپَتھے تینَ وَچَنَں شْراوَیِشْیَتے۔ 18
यही है मेरा चुना हुआ सेवक, मेरा प्रिय पात्र, जिसमें मेरे प्राण को पूरा संतोष है. मैं उसे अपने आत्मा से भरा करूंगा और वह गैर-यहूदियों में न्याय की घोषणा करेगा.
وْیَوَسْتھا چَلِتا یاوَتْ نَہِ تینَ کَرِشْیَتے۔ تاوَتْ نَلو وِدِیرْنوپِ بھَںکْشْیَتے نَہِ تینَ چَ۔ تَتھا سَدھُومَوَرْتِّنْچَ نَ سَ نِرْوّاپَیِشْیَتے۔ 19
वह न तो विवाद करेगा, न ऊंचे शब्द में कुछ कहेगा और न ही गलियों में कोई उसका शब्द सुन सकेगा.
پْرَتْیاشانْچَ کَرِشْیَنْتِ تَنّامْنِ بھِنَّدیشَجاح۔ 20
कुचले हुए नरकट को वह तोड़ न फेंकेगा, और न ही वह टिमटिमाती बाती को बुझा देगा, जब तक वह न्याय को विजय तक न पहुंचा दे.
یانْییتانِ وَچَنانِ یِشَیِیَبھَوِشْیَدْوادِنا پْروکْتانْیاسَنْ، تانِ سَپھَلانْیَبھَوَنْ۔ 21
उसकी प्रतिष्ठा में गैर-यहूदियों के लिए आशा होगी.
اَنَنْتَرَں لوکَے سْتَتْسَمِیپَمْ آنِیتو بھُوتَگْرَسْتانْدھَمُوکَیکَمَنُجَسْتینَ سْوَسْتھِیکرِتَح، تَتَح سونْدھو مُوکو دْرَشْٹُں وَکْتُنْچارَبْدھَوانْ۔ 22
तब येशु के सामने एक ऐसा व्यक्ति लाया गया, जो दुष्टात्मा से पीड़ित था, वह अंधा तथा गूंगा था. येशु ने उसे स्वस्थ कर दिया. परिणामस्वरूप वह व्यक्ति बातें करने और देखने लगा.
اَنینَ سَرْوّے وِسْمِتاح کَتھَیانْچَکْرُح، ایشَح کِں دایُودَح سَنْتانو نَہِ؟ 23
सभी भीड़ चकित रह गई. मौज़ूद लोग आपस में विचार कर रहे थे, “कहीं यही दावीद का वह वंशज तो नहीं?”
کِنْتُ پھِرُوشِنَسْتَتْ شْرُتْوا گَدِتَوَنْتَح، بالْسِبُوبْنامْنو بھُوتَراجَسْیَ ساہایَّں وِنا نایَں بھُوتانْ تْیاجَیَتِ۔ 24
किंतु यह सुनकर फ़रीसियों ने इसके विषय में अपना मत दिया, “यह व्यक्ति केवल दुष्टात्माओं के प्रधान बेलज़बूल की सहायता से दुष्टात्माओं को निकाला करता है.”
تَدانِیں یِیشُسْتیشامْ اِتِ مانَسَں وِجْنایَ تانْ اَوَدَتْ کِنْچَنَ راجْیَں یَدِ سْوَوِپَکْشادْ بھِدْیَتے، تَرْہِ تَتْ اُچّھِدْیَتے؛ یَچَّ کِنْچَنَ نَگَرَں وا گرِہَں سْوَوِپَکْشادْ وِبھِدْیَتے، تَتْ سْتھاتُں نَ شَکْنوتِ۔ 25
उनके विचारों के विषय में मालूम होने पर येशु ने उनसे कहा, “कोई भी ऐसा राज्य, जिसमें फूट पड़ी हो, मिट जाता है. कोई भी नगर या परिवार फूट की स्थिति में स्थिर नहीं रह पाता.
تَدْوَتْ شَیَتانو یَدِ شَیَتانَں بَہِح کرِتْوا سْوَوِپَکْشاتْ پرِتھَکْ پرِتھَکْ بھَوَتِ، تَرْہِ تَسْیَ راجْیَں کینَ پْرَکارینَ سْتھاسْیَتِ؟ 26
यदि शैतान ही शैतान को बाहर निकाला करे तो वह अपना ही विरोधी हो जाएगा, तब भला उसका शासन स्थिर कैसे रह सकेगा?
اَہَنْچَ یَدِ بالْسِبُوبا بھُوتانْ تْیاجَیامِ، تَرْہِ یُشْماکَں سَنْتاناح کینَ بھُوتانْ تْیاجَیَنْتِ؟ تَسْمادْ یُشْماکَمْ ایتَدْوِچارَیِتارَسْتَ ایوَ بھَوِشْیَنْتِ۔ 27
यदि मैं दुष्टात्माओं को बेलज़बूल के सहयोग से बाहर निकाला करता हूं तो फिर तुम्हारे लोग उनको कैसे बाहर करती है? परिणामस्वरूप वे ही तुम पर आरोप लगाएंगे.
کِنْتَوَہَں یَدِیشْوَراتْمَنا بھُوتانْ تْیاجَیامِ، تَرْہِیشْوَرَسْیَ راجْیَں یُشْماکَں سَنِّدھِماگَتَوَتْ۔ 28
परंतु यदि मैं दुष्टात्माओं को परमेश्वर के आत्मा के द्वारा बाहर कर रहा हूं तो यह साबित हो गया है कि तुम्हारे बीच परमेश्वर का राज्य आ चुका है.
اَنْیَنْچَ کوپِ بَلَوَنْتَ جَنَں پْرَتھَمَتو نَ بَدْوّا کینَ پْرَکارینَ تَسْیَ گرِہَں پْرَوِشْیَ تَدّرَوْیادِ لوٹھَیِتُں شَکْنوتِ؟ کِنْتُ تَتْ کرِتْوا تَدِییَگرِسْیَ دْرَوْیادِ لوٹھَیِتُں شَکْنوتِ۔ 29
“क्या, यह संभव है कि कोई किसी बलवान व्यक्ति के घर में प्रवेश कर उसकी संपत्ति लूट ले? हां, यदि बलवान व्यक्ति को पहले बांध दिया जाए, तब उसकी संपत्ति को लूट लेना संभव है.
یَح کَشْچِتْ مَمَ سْوَپَکْشِییو نَہِ سَ وِپَکْشِییَ آسْتے، یَشْچَ مَیا ساکَں نَ سَںگرِہْلاتِ، سَ وِکِرَتِ۔ 30
“वह, जो मेरे पक्ष में नहीं, मेरे विरुद्ध है और वह, जो मेरे साथ इकट्ठा नहीं करता, वह बिखेरता है.
اَتَایوَ یُشْمانَہَں وَدامِ، مَنُجاناں سَرْوَّپْرَکارَپاپاناں نِنْدایاشْچَ مَرْشَنَں بھَوِتُں شَکْنوتِ، کِنْتُ پَوِتْرَسْیاتْمَنو وِرُدّھَنِنْدایا مَرْشَنَں بھَوِتُں نَ شَکْنوتِ۔ 31
इसलिये तुमसे मेरा कहना यही है: लोगों द्वारा किया गया कोई भी पाप, कोई भी परमेश्वर-निंदा क्षमा के योग्य है किंतु पवित्र आत्मा की निंदा क्षमा नहीं की जाएगी.
یو مَنُجَسُتَسْیَ وِرُدّھاں کَتھاں کَتھَیَتِ، تَسْیاپَرادھَسْیَ کْشَما بھَوِتُں شَکْنوتِ، کِنْتُ یَح کَشْچِتْ پَوِتْرَسْیاتْمَنو وِرُدّھاں کَتھاں کَتھَیَتِ نیہَلوکے نَ پْریتْیَ تَسْیاپَرادھَسْیَ کْشَما بھَوِتُں شَکْنوتِ۔ (aiōn g165) 32
यदि कोई मनुष्य के पुत्र के विरुद्ध कुछ कहे, उसे क्षमा कर दिया जाएगा किंतु यदि कोई पवित्र आत्मा की निंदा में कुछ कहता है, तो उसे क्षमा नहीं किया जाएगा—न तो इस युग में और न ही आनेवाले युग में. (aiōn g165)
پادَپَں یَدِ بھَدْرَں وَدَتھَ، تَرْہِ تَسْیَ پھَلَمَپِ سادھُ وَکْتَوْیَں، یَدِ چَ پادَپَں اَسادھُں وَدَتھَ، تَرْہِ تَسْیَ پھَلَمَپْیَسادھُ وَکْتَوْیَں؛ یَتَح سْوِییَسْوِییَپھَلینَ پادَپَح پَرِچِییَتے۔ 33
“यदि पेड़ अच्छा है तो फल भी अच्छा ही होगा और यदि पेड़ अच्छा नहीं है तो उसका फल भी अच्छा नहीं होगा. पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है.
رے بھُجَگَوَںشا یُویَمَسادھَوَح سَنْتَح کَتھَں سادھُ واکْیَں وَکْتُں شَکْشْیَتھَ؟ یَسْمادْ اَنْتَحکَرَنَسْیَ پُورْنَبھاوانُسارادْ وَدَنادْ وَچو نِرْگَچّھَتِ۔ 34
अरे तुम! तुम, जो विषैले सांप की संतान हो, भला तुम्हारे बुरे होने पर तुम्हारे मुख से अच्छी बातें कैसे निकल सकती हैं? क्योंकि मुख से वही मुखरित होता है जो हृदय में भरा होता है.
تینَ سادھُرْمانَوونْتَحکَرَنَرُوپاتْ سادھُبھانْڈاگاراتْ سادھُ دْرَوْیَں نِرْگَمَیَتِ، اَسادھُرْمانُشَسْتْوَسادھُبھانْڈاگارادْ اَسادھُوَسْتُونِ نِرْگَمَیَتِ۔ 35
भला व्यक्ति स्वयं में भरे हुए उत्तम भंडार में से उत्तम ही निकालता है तथा बुरा व्यक्ति स्वयं में भरे हुए बुरे भंडार में से बुरा.
کِنْتْوَہَں یُشْمانْ وَدامِ، مَنُجا یاوَنْتْیالَسْیَوَچاںسِ وَدَنْتِ، وِچارَدِنے تَدُتَّرَمَوَشْیَں داتَوْیَں، 36
तुम पर मैं यह स्पष्ट कर रहा हूं: हर एक व्यक्ति न्याय-दिवस पर अपने निराधार शब्दों का हिसाब देगा;
یَتَسْتْوَں سْوِییَوَچوبھِ رْنِرَپَرادھَح سْوِییَوَچوبھِشْچَ ساپَرادھو گَنِشْیَسے۔ 37
क्योंकि अपने शब्दों के द्वारा ही तुम निर्दोष या दंडित घोषित किए जाओगे.”
تَدانِیں کَتِپَیا اُپادھْیایاح پھِرُوشِنَشْچَ جَگَدُح، ہے گُرو وَیَں بھَوَتَّح کِنْچَنَ لَکْشْمَ دِدرِکْشامَح۔ 38
कुछ शास्त्रियों और फ़रीसियों ने येशु से विनती की, “गुरुवर, हम आपसे कोई अद्भुत चिह्न देखना चाहते हैं.”
تَدا سَ پْرَتْیُکْتَوانْ، دُشْٹو وْیَبھِچارِی چَ وَںشو لَکْشْمَ مرِگَیَتے، کِنْتُ بھَوِشْیَدْوادِنو یُونَسو لَکْشْمَ وِہایانْیَتْ کِمَپِ لَکْشْمَ تے نَ پْرَدَرْشَیِشْیَنْتے۔ 39
येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “यह दुष्ट तथा परमेश्वर के प्रति निष्ठाहीन पीढ़ी अद्भुत चिह्न की लालसा करती है, फिर भी इसे भविष्यवक्ता योनाह के चिह्न के अतिरिक्त कोई भी चिह्न नहीं दिया जाएगा.
یَتو یُونَمْ یَتھا تْرْیَہوراتْرَں برِہَنْمِینَسْیَ کُکْشاواسِیتْ، تَتھا مَنُجَپُتْروپِ تْرْیَہوراتْرَں میدِنْیا مَدھْیے سْتھاسْیَتِ۔ 40
ठीक जैसे भविष्यवक्ता योनाह तीन दिन और तीन रात विशालकाय जल जंतु के पेट में रहे, मनुष्य का पुत्र भी तीन दिन और तीन रात भूमि के भीतर रहेगा.
اَپَرَں نِینِوِییا مانَوا وِچارَدِنَ ایتَدْوَںشِییاناں پْرَتِکُولَمْ اُتّھایَ تانْ دوشِنَح کَرِشْیَنْتِ، یَسْماتّے یُونَسَ اُپَدیشاتْ مَناںسِ پَراوَرْتَّیانْچَکْرِرے، کِنْتْوَتْرَ یُونَسوپِ گُرُتَرَ ایکَ آسْتے۔ 41
न्याय-दिवस पर नीनवे नगर की जनता इस पीढ़ी के साथ उपस्थित होगी और इसे धिक्कारेगी क्योंकि उसने तो भविष्यवक्ता योनाह के प्रचार के परिणामस्वरूप पश्चाताप कर लिया, किंतु यहां तो वह है, जो भविष्यवक्ता योनाह से भी बढ़कर है.
پُنَشْچَ دَکْشِنَدیشِییا راجْنِی وِچارَدِنَ ایتَدْوَںشِییاناں پْرَتِکُولَمُتّھایَ تانْ دوشِنَح کَرِشْیَتِ یَتَح سا راجْنِی سُلیمَنو وِدْیایاح کَتھاں شْروتُں میدِنْیاح سِیمْنَ آگَچّھَتْ، کِنْتُ سُلیمَنوپِ گُرُتَرَ ایکو جَنوتْرَ آسْتے۔ 42
न्याय-दिवस पर दक्षिण की रानी इस पीढ़ी के साथ खड़ी होगी और इसे धिक्कारेगी क्योंकि वह पृथ्वी के छोर से यात्रा कर राजा शलोमोन के ज्ञान को सुनने आई थी; किंतु यहां तो वह है, जो राजा शलोमोन से भी बढ़कर है.
اَپَرَں مَنُجادْ بَہِرْگَتو پَوِتْرَبھُوتَح شُشْکَسْتھانینَ گَتْوا وِشْرامَں گَویشَیَتِ، کِنْتُ تَدَلَبھَمانَح سَ وَکْتِ، یَسْما؛ نِکیتَنادْ آگَمَں، تَدیوَ ویشْمَ پَکاورِتْیَ یامِ۔ 43
“जब दुष्टात्मा किसी व्यक्ति में से बाहर आ जाती है, वह निवास स्थान की खोज में सूखे स्थानों में फिरती है, किंतु उसे निवास स्थान प्राप्‍त नहीं हो पाता.
پَشْچاتْ سَ تَتْ سْتھانَمْ اُپَسْتھایَ تَتْ شُونْیَں مارْجِّتَں شوبھِتَنْچَ وِلوکْیَ وْرَجَنْ سْوَتوپِ دُشْٹَتَرانْ اَنْیَسَپْتَبھُوتانْ سَنْگِنَح کَروتِ۔ 44
तब वह सोचती है, ‘मैं जिस निवास स्थान को छोड़कर आयी थी, वहीं लौट जाऊं.’ वह वहां लौटकर उसे खाली, साफ़ और सुथरा पाती है.
تَتَسْتے تَتْ سْتھانَں پْرَوِشْیَ نِوَسَنْتِ، تینَ تَسْیَ مَنُجَسْیَ شیشَدَشا پُورْوَّدَشاتوتِیواشُبھا بھَوَتِ، ایتیشاں دُشْٹَوَںشْیانامَپِ تَتھَیوَ گھَٹِشْیَتے۔ 45
तब वह जाकर अपने से अधिक बुरी सात आत्मा और ले आती है और वे सब उस व्यक्ति में प्रवेश कर उसमें अपना घर बना लेती हैं. तब उस व्यक्ति की स्थिति पहले से खराब हो जाती है. यही स्थिति होगी इस दुष्ट पीढ़ी की भी.”
مانَویبھْیَ ایتاساں کَتھَناں کَتھَنَکالے تَسْیَ ماتا سَہَجاشْچَ تینَ ساکَں کانْچِتْ کَتھاں کَتھَیِتُں وانْچھَنْتو بَہِریوَ سْتھِتَوَنْتَح۔ 46
जब येशु भीड़ से बातें कर रहे थे, उनकी माता तथा उनके भाई उनसे भेंट करने की प्रतीक्षा में बाहर ठहरे हुए थे.
تَتَح کَشْچِتْ تَسْمَے کَتھِتَوانْ، پَشْیَ تَوَ جَنَنِی سَہَجاشْچَ تْوَیا ساکَں کانْچَنَ کَتھاں کَتھَیِتُں کامَیَمانا بَہِسْتِشْٹھَنْتِ۔ 47
किसी ने उन्हें सूचित किया, “आपकी माता तथा भाई बाहर आपसे भेंट करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं.”
کِنْتُ سَ تَں پْرَتْیَوَدَتْ، مَمَ کا جَنَنِی؟ کے وا مَمَ سَہَجاح؟ 48
जिस व्यक्ति ने येशु को यह सूचना दी थी, उससे येशु ने पूछा, “वास्तव में कौन है मेरी माता और कौन है मेरा भाई?”
پَشْچاتْ شِشْیانْ پْرَتِ کَرَں پْرَسارْیَّ کَتھِتَوانْ، پَشْیَ مَمَ جَنَنِی مَمَ سَہَجاشْچَیتے؛ 49
तब अपने शिष्यों की ओर हाथ से संकेत करते हुए येशु ने कहा, “ये हैं मेरे भाई, मेरी बहन तथा मेरी माता.
یَح کَشْچِتْ مَمَ سْوَرْگَسْتھَسْیَ پِتُرِشْٹَں کَرْمَّ کُرُتے، سَایوَ مَمَ بھْراتا بھَگِنِی جَنَنِی چَ۔ 50
जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन तथा मेरी माता.”

< مَتھِح 12 >